जम्मू-कश्मीर : कबाइलियों से लोहा लेते हुए कुर्बान हुए थे मकबूल शेरवानी - भारत के साथ संधि

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Published : Oct 22, 2020, 11:12 PM IST

Updated : Oct 23, 2020, 2:20 AM IST

पाकिस्तानी कबाइलियों ने 22 अक्टूबर, 1947 को सीमा पार कर कश्मीर पर आक्रमण किया था. इसके बाद महाराजा हरि सिंह ने भारत से सैन्य सहायता मांगी थी. इसके बाद 26 अक्टूबर, 1947 को महाराजा हरि सिंह ने भारत के साथ संधि पर हस्ताक्षर किए थे. लगातार छह दिनों तक हुई लूटपाट और संघर्ष के बाद भारतीय सेना की टुकड़ी ने कबाइलियों को कश्मीर से बाहर निकाल दिया. आज जब कश्मीरी आदिवासियों के हमले को याद करते हैं, वही बारामूला के 22 वर्षीय मकबूल शेरवानी को भी याद किया जाता है. मकबूल शेरवानी ने भारतीय सेना की मदद करके अहम की भूमिका निभाई थी. स्थानीय लोगों ने ईटीवी भारत को बताया कि मकबूल पाकिस्तान के कबाइलियों से बारामूला में लड़ने लगे, शेरवानी ने उनका रास्ता रोक दिया और भारतीय सेना की मदद की और देश की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया. बारामूला के शेरवानी हॉल का नाम उनके नाम पर रखा गया है, जहां हर साल इस दिन उनके बलिदानों को याद किया जाता है.
Last Updated : Oct 23, 2020, 2:20 AM IST

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