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सशस्त्र सेना झंडा दिवस : सशस्त्र बलों से जुड़े लोगों के लिए आर्थिक सहयोग का दिन

सेवा के दौरान व सेवा के बाद सशस्त्र बलों व उनके आश्रितों के पुनर्वास के बारे में ध्यान केंद्रित करने के लिए हर साल 7 दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया जाता है. पढ़ें पूरी खबर..Armed Forces Flag Day, Armed Forces Flag Day Fund, Indian Army, Indian Airforce, Indian Navy.

Armed Forces Flag Day 2023
सशस्त्र सेना झंडा दिवस
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 6, 2023, 10:00 PM IST

हैदराबाद : हर साल बड़ी संख्या में सेना, नौसेना और वायु सेना के जवान राष्ट्र के लिए अपनी जान गंवा देते या दिव्यांगता के शिकार हो जाते हैं. इन जवानों और उनके आश्रितों के कल्याण की जिम्मेदारी शासकों के साथ-साथ आम लोगों की भी है. राष्ट्र की सुरक्षा में उनके योगदान को साथ-साथ जरूरत के समय सशस्त्र बलों और आश्रितों के पुनर्वास व कल्याण की जिम्मेदारी के बारे में याद दिलाने के लिए हर साल सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया जाता है.

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देश के सशस्त्र बलों को युवा बनाए रखने के लिए सैन्य कर्मियों को 35-40 वर्ष की आयु में सेवानिवृति/अनिवार्य सेवानिवृति दे दी जाती है. एक अनुमान के मुताबिक हर साल 60000 सशस्त्र बलों के जवान सेवानिवृत हो जाते हैं. जब तक वे सुरक्षाबल में होते हैं तो शारीरिक रूप से स्वस्थ होते हैं. इस दौरान उनमें नेतृत्व करने की बेहतरीन क्षमता के साथ-साथ वे अनुशासित जीवन जीते हैं. इन सैनिकों के देखभाल की जिम्मेदारी हमसबों की है. इसी जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए केंद्रीय सैनिक कल्याण बोर्ड काम करता है.

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1949 से मनाया जाता है सशस्त्र सेना झंडा दिवस
सैनिक कल्याण के लिए धन सरकार के अलावा आम लोगों के डोनेशन से भी आता है. देशभर में 1949 से हर साल 7 दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस के रूप में मनाया जाता है. 13 अप्रैल 1993 को भारत सरकार के विशेष गजट में सभी सैन्य कल्याण कोषों को एकीकृत कर सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष में बदल दिया गया.

Armed Forces Flag Day
सशस्त्र सेना झंडा दिवस

इस दिन देश भर छात्र, एनसीसी कैडेट्स, स्काउट एण्ड गाइड से जुड़े कैडेट्स, सैन्य कर्मी सहित सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष के लिए धन संग्रह करते हैं. इस दौरान सशस्त्र सेना झंडा दिवस का स्टीकर लगाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष और इसके बारे में जागरूक किया जाता है. इस अवसर देश के सशस्त्र बलों के तीनों अंग जैसे सेना, नौसेना और वायु सेना के कर्मियों को सर्वोच्च योगदान को भी याद किया जाता है.

सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष
सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष (Armed Forces Flag Day Fund-AFFDF) की राशि के देखभाल के लिए केंद्रीय सैनिक कल्याण बोर्ड प्रशासन जिम्मेदार होता है. एएफएफडीएफ के संचालन के लिए प्रबंध समिति है. समिति के पदेन अध्यक्ष केंद्रीय स्तर पर रक्षा मंत्री होते हैं. वहीं राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के स्तर पर क्रमशः राज्यपाल और उपराज्यपाल होते हैं. भारत सरकार के अधीन केंद्रीय सैनिक कल्याण बोर्ड का नेटवर्क जिला स्तर पर होता है. राज्य स्तर पर राज्य सैनिक बोर्ड और जिला स्तर पर जिला सैनिक बोर्ड है. बोर्ड का मुख्य काम पूर्व सैनिकों और उनके रिश्तेदारों के कल्याण के लिए सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष से राशि खर्च किया जाता है.

सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष का उपयोग

  1. तीनों अंगों के सैन्यकर्मियों व उनके आश्रितों को इस कोष से मदद किया जाता है.
  2. इसके तहत युद्ध में दिव्यांग या जान गंवाने के सैन्यकर्मियों के परिवार को मदद किया जाता है.
  3. इस राशि का उपयोग भारतीय गोरखा पूर्व सैनिक कल्याण कोष के रूप में भी किया जाता है.
  4. केंद्रीय सैनिक बोर्ड फंड के रूप में इस राशि का उपयोग किया जाता है.

केंद्रीय सैनिक कल्याण बोर्ड
किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी संपत्तियों में से एक सैन्यकर्मियों होते हैं. इनकी बदौलत देश का आम नागरिक हो या देश में सर्वोच्च पद पर बैठे शासक और प्रशासक सुरक्षित रहते हैं. युद्ध के दौरान या युद्ध के बाद पीड़ित/प्रभावित हुए सैनिकों और उनके परिवार वालों की सुरक्षा व कल्याण की जिम्मेदारी पूरे राष्ट्र की है. सरकार की ओर से उनके लिए हर संभव मदद किया जाता है. इससे इतर उनके कल्याण व मदद के लिए केंद्रीय सैनिक कल्याण बोर्ड का गठन किया गया था.

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हैदराबाद : हर साल बड़ी संख्या में सेना, नौसेना और वायु सेना के जवान राष्ट्र के लिए अपनी जान गंवा देते या दिव्यांगता के शिकार हो जाते हैं. इन जवानों और उनके आश्रितों के कल्याण की जिम्मेदारी शासकों के साथ-साथ आम लोगों की भी है. राष्ट्र की सुरक्षा में उनके योगदान को साथ-साथ जरूरत के समय सशस्त्र बलों और आश्रितों के पुनर्वास व कल्याण की जिम्मेदारी के बारे में याद दिलाने के लिए हर साल सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया जाता है.

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देश के सशस्त्र बलों को युवा बनाए रखने के लिए सैन्य कर्मियों को 35-40 वर्ष की आयु में सेवानिवृति/अनिवार्य सेवानिवृति दे दी जाती है. एक अनुमान के मुताबिक हर साल 60000 सशस्त्र बलों के जवान सेवानिवृत हो जाते हैं. जब तक वे सुरक्षाबल में होते हैं तो शारीरिक रूप से स्वस्थ होते हैं. इस दौरान उनमें नेतृत्व करने की बेहतरीन क्षमता के साथ-साथ वे अनुशासित जीवन जीते हैं. इन सैनिकों के देखभाल की जिम्मेदारी हमसबों की है. इसी जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए केंद्रीय सैनिक कल्याण बोर्ड काम करता है.

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1949 से मनाया जाता है सशस्त्र सेना झंडा दिवस
सैनिक कल्याण के लिए धन सरकार के अलावा आम लोगों के डोनेशन से भी आता है. देशभर में 1949 से हर साल 7 दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस के रूप में मनाया जाता है. 13 अप्रैल 1993 को भारत सरकार के विशेष गजट में सभी सैन्य कल्याण कोषों को एकीकृत कर सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष में बदल दिया गया.

Armed Forces Flag Day
सशस्त्र सेना झंडा दिवस

इस दिन देश भर छात्र, एनसीसी कैडेट्स, स्काउट एण्ड गाइड से जुड़े कैडेट्स, सैन्य कर्मी सहित सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष के लिए धन संग्रह करते हैं. इस दौरान सशस्त्र सेना झंडा दिवस का स्टीकर लगाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष और इसके बारे में जागरूक किया जाता है. इस अवसर देश के सशस्त्र बलों के तीनों अंग जैसे सेना, नौसेना और वायु सेना के कर्मियों को सर्वोच्च योगदान को भी याद किया जाता है.

सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष
सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष (Armed Forces Flag Day Fund-AFFDF) की राशि के देखभाल के लिए केंद्रीय सैनिक कल्याण बोर्ड प्रशासन जिम्मेदार होता है. एएफएफडीएफ के संचालन के लिए प्रबंध समिति है. समिति के पदेन अध्यक्ष केंद्रीय स्तर पर रक्षा मंत्री होते हैं. वहीं राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के स्तर पर क्रमशः राज्यपाल और उपराज्यपाल होते हैं. भारत सरकार के अधीन केंद्रीय सैनिक कल्याण बोर्ड का नेटवर्क जिला स्तर पर होता है. राज्य स्तर पर राज्य सैनिक बोर्ड और जिला स्तर पर जिला सैनिक बोर्ड है. बोर्ड का मुख्य काम पूर्व सैनिकों और उनके रिश्तेदारों के कल्याण के लिए सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष से राशि खर्च किया जाता है.

सशस्त्र सेना झंडा दिवस कोष का उपयोग

  1. तीनों अंगों के सैन्यकर्मियों व उनके आश्रितों को इस कोष से मदद किया जाता है.
  2. इसके तहत युद्ध में दिव्यांग या जान गंवाने के सैन्यकर्मियों के परिवार को मदद किया जाता है.
  3. इस राशि का उपयोग भारतीय गोरखा पूर्व सैनिक कल्याण कोष के रूप में भी किया जाता है.
  4. केंद्रीय सैनिक बोर्ड फंड के रूप में इस राशि का उपयोग किया जाता है.

केंद्रीय सैनिक कल्याण बोर्ड
किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी संपत्तियों में से एक सैन्यकर्मियों होते हैं. इनकी बदौलत देश का आम नागरिक हो या देश में सर्वोच्च पद पर बैठे शासक और प्रशासक सुरक्षित रहते हैं. युद्ध के दौरान या युद्ध के बाद पीड़ित/प्रभावित हुए सैनिकों और उनके परिवार वालों की सुरक्षा व कल्याण की जिम्मेदारी पूरे राष्ट्र की है. सरकार की ओर से उनके लिए हर संभव मदद किया जाता है. इससे इतर उनके कल्याण व मदद के लिए केंद्रीय सैनिक कल्याण बोर्ड का गठन किया गया था.

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