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कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल को योगी ने दी मंजूरी, लखनऊ और गोरखपुर में होगा परीक्षण - trials in Lucknow and Gorakhpur

भारत द्वारा निर्मित कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल को मंजूरी मिल गई है. भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड का वैक्सीन ट्रायल उत्तर प्रदेश के दो शहरों में किया जाएगा. इसकी शुरूआत जल्द की जाएगी.

Covaccine gets approval
कोवैक्सीन को मिली मंजूरी
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Published : Sep 24, 2020, 7:27 PM IST

कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार लगातार कदम उठा रही है. इसी क्रम में कोवैक्सीन का मानव परीक्षण लखनऊ और गोरखपुर में किये जाने की इजाजत मुख्यमंत्री योगी ने दे दी है. भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड के तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल उत्तर प्रदेश के इन दो शहरों में करने को लेकर मंजूरी दी गई है. इसके लिए संजय गांधी पीजीआई के निदेशक डॉ. आरके धीमन को लखनऊ का नोडल अधिकारी और बीआरडी मेडिकल कॉलेज के निदेशक डॉ. गणेश कुमार को गोरखपुर का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है. यह लोग भारत बायोटेक के वैज्ञानिक नोडल अधिकारियों के सहयोग से वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल करेंगे.

अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने इसका आदेश जारी कर दिया है. कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए वैक्सीन बनायी जा रही है. कोवैक्सीन की क्षमता व सुरक्षा का पता लगाने के लिए यह ट्रायल होगा. मानव पर होने वाला यह तीसरे चरण का प्रयोग संवेदनशील होता है. कंपनी इस महीने के अंत या फिर अक्टूबर के पहले सप्ताह में तीसरे चरण का ट्रायल शुरू कर सकती है.

भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) व राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआइवी) के साथ मिलकर यह पहला स्वदेशी टीका कोवैक्सीन तैयार कर रहा है. फिलहाल दो चरण के ट्रायल किए जा चुके हैं. अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि तीसरे चरण का ट्रायल यूपी में लखनऊ व गोरखपुर में करने की मंजूरी दी गई है. इसमें इन दो संस्थानों के साथ-साथ और लोगों पर भी इसका परीक्षा किया जाएगा.

विशेषज्ञों के अनुसार वैक्सीन के तीसरे चरण में देखा जाता है कि लोगों की बीमारी के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई है या नहीं. इसका कोई दुष्परिणाम तो नहीं हो रहा है. टीका कोवैक्सीन के ट्रायल के तहत कोरोना के फ्रंट लाइन वर्कर व अन्य अलग-अलग उम्र के लोगों को टीका लगाया जाता है. टीका लगाने से पहले एंटीबॉडी चेक की जाती है, अगर एंटीबॉडी शून्य है, तो टीका लगाया जाता है. फिर दोबारा खून के नमूने की जांच होती है, अगर एंटीबॉडी बन रही है, तो टीका काम कर रहा है.

कोरोनावायरस के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार लगातार कदम उठा रही है. इसी क्रम में कोवैक्सीन का मानव परीक्षण लखनऊ और गोरखपुर में किये जाने की इजाजत मुख्यमंत्री योगी ने दे दी है. भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड के तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल उत्तर प्रदेश के इन दो शहरों में करने को लेकर मंजूरी दी गई है. इसके लिए संजय गांधी पीजीआई के निदेशक डॉ. आरके धीमन को लखनऊ का नोडल अधिकारी और बीआरडी मेडिकल कॉलेज के निदेशक डॉ. गणेश कुमार को गोरखपुर का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है. यह लोग भारत बायोटेक के वैज्ञानिक नोडल अधिकारियों के सहयोग से वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल करेंगे.

अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने इसका आदेश जारी कर दिया है. कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए वैक्सीन बनायी जा रही है. कोवैक्सीन की क्षमता व सुरक्षा का पता लगाने के लिए यह ट्रायल होगा. मानव पर होने वाला यह तीसरे चरण का प्रयोग संवेदनशील होता है. कंपनी इस महीने के अंत या फिर अक्टूबर के पहले सप्ताह में तीसरे चरण का ट्रायल शुरू कर सकती है.

भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) व राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआइवी) के साथ मिलकर यह पहला स्वदेशी टीका कोवैक्सीन तैयार कर रहा है. फिलहाल दो चरण के ट्रायल किए जा चुके हैं. अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि तीसरे चरण का ट्रायल यूपी में लखनऊ व गोरखपुर में करने की मंजूरी दी गई है. इसमें इन दो संस्थानों के साथ-साथ और लोगों पर भी इसका परीक्षा किया जाएगा.

विशेषज्ञों के अनुसार वैक्सीन के तीसरे चरण में देखा जाता है कि लोगों की बीमारी के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई है या नहीं. इसका कोई दुष्परिणाम तो नहीं हो रहा है. टीका कोवैक्सीन के ट्रायल के तहत कोरोना के फ्रंट लाइन वर्कर व अन्य अलग-अलग उम्र के लोगों को टीका लगाया जाता है. टीका लगाने से पहले एंटीबॉडी चेक की जाती है, अगर एंटीबॉडी शून्य है, तो टीका लगाया जाता है. फिर दोबारा खून के नमूने की जांच होती है, अगर एंटीबॉडी बन रही है, तो टीका काम कर रहा है.

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