माता-पिता चाहते है कि उनका बच्चा शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहें. इसके लिए जरूरी है कि अभिभावक शुरूआत से ही बच्चे की दिनचर्या बनाएं रखें. खानपान के साथ शारीरिक गतिविधि जैसे योग के नियमित अभ्यास से बच्चे का शरीर लचीला और फुर्तीला बनता है. इसके साथ ही बच्चे के सभी अंगों में ऑक्सीजन और खून का संचार बना रहता है.
लॉकडाउन के कारण बच्चे घर तक ही सीमित हो गये है, जिससे उनके विकास में रूकावट हो रही है. इसके लिए घर पर ही बच्चों को योग के लिए प्रेरित करें. योग से जहाँ एक ओर बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, वहीं दूसरी ओर योग बच्चों को होने वाली अपच, पेट दर्द, उल्टी जैसी समस्या को ठीक कर पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है. योगाचार्य रिंकी आर्या ने बच्चों के लिए योग और उनसे जुड़े फायदे के बारे में विस्तार में बताया हैं.
बच्चों के लिए योग
1. ताड़ासन
- सबसे पहले जमीन पर सीधे खड़े हो जाएं और एड़ियों को मिला लें. इसके बाद हाथों को बगल में सीधा रखें.
- हाथों की उंगलियों को जोड़कर ऊपर की ओर उठाएं. सांस लेते हुए धीरे-धीरे पंजों के बल खड़े हो जाएं और शरीर को ऊपर की तरफ खीचें.
- कुछ देर तक इस अवस्था में रहें और सांस लेते रहें. धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए प्रारंभिक अवस्था में लौट जाएं. इस आसन को 8-10 बार दोहराएं.
फायदा: इससे बच्चों की लंबाई बढ़ने में मदद मिलेगी, रीढ़ की हड्डी को सीधा कर मजबूत बनाता है.
2. पदहस्तासना
- जमीन पर सीधे खड़े हो जाएं और हाथों को बाजुओं में सीधा रखें. सांस छोड़ते हुए कूल्हे के जोड़ों से झुकें.
- नीचे झुककर अपने हाथों को पैरों के नीचे दबा लें. सिर और धड़ को ऊपर करते हुए सांस लें.
- सांस छोड़ते हुए सिर और धड़ को नीचे झुकाएं. धड़ को टांगों के पास ले जाने की कोशिश करें.
- इस स्थिति में 30 से 60 सेकेंड तक स्थिर रहें और कम से कम 5 बार ये आसन दोहराएं.
फायदा: बच्चों के हैमस्ट्रिंग, पिंडली और कूल्हों में लचीलापन आएगा. मस्तिष्क को शांत कर तनाव से राहत देने में मदद करेगा. पाचन में सहायक होगा, वहीं जाघों को मजबूत बनाएगा.
3. वीरभद्रासन
- अपने पैरों को 3-4 फूट की दूरी पर फैला कर खड़े हो जाएं. फिर दाहिने पैर को 90 डिग्री और बाएं पैर को 15 डिग्री के कोण में मोड़ लें. ध्यान रहे कि दाहिनी एड़ी बाएं पैर के सीध में रखें.
- दोनों हाथों को कंधे के बराबर उठाएं, और सांस लेते हुए हथेलियों को आसमान की ओर खुला छोड़ दें. सांस छोड़ते हुए दाहिने घुटने को आगे की तरफ मोड़ लें.
- दाहिना घुटना और टखना को सीधा रखें और अपने सिर को दाहिनी ओर घुमाएं. थोड़ी देर के लिए इस स्थिति में रहें और हाथों में खिचांव लाएं. अपने श्रोणि को थोड़ा नीचे करें और इस आसन में कुछ देर के लिए स्थिर रहें. धीरे-धीरे नीचे जाएं और सांस लेते और छोड़ते रहें.
- वापस ऊपर उठकर सांस छोड़ते हुए हाथों को नीचे लाएं. इस आसन को पैर बदलकर दोहराएं.
फायदा: इस आसन से बच्चों के पैर और कमर मजबूत बनते है. इसके साथ ही कूल्हों के खुलने का अभ्यास होगा.
4.धनुरासन
- सबसे पहले पेट के बल लेट जाएं. पैरों के बीच नितंब जितना दूरी रखें और हाथों को सीधा कर लें.
- घुटनों को धीरे-धीरे मोड़ें और टखने को हाथों से पकड़ लें. सांस लेते हुए सीने को उठाएं और अपने पैरों को इस तरह से उठाएं कि जांघें भी जमीन से ऊपर उठें. सामने की ओर देखें और मुस्कुराएं.
- इस आसन में व्यक्ति धनुष का आकार बनाता है और शरीर में खिचांव लाता है. इस आसन के दौरान गहरी और लंबी सांसे लेते रहें. 15 से 20 सेकेंड तक इस स्थिति में बने रहें, फिर सांस छोड़ते हुए सामान्य हो जाएं.
फायदा: ये श्वासन प्रणाली और थायराइड के लिए लाभदायक होता है. इसके साथ ही पाचन और रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है.
योग करने से शारीरिक विकास के साथ-साथ भावनात्मक लाभ भी पहुंचता है. नियमित योग करने से एंडोर्फिन हार्मोन का स्त्राव होता है, जिससे आत्मविश्वास का संचार होता है. योग से किशोरावस्था में पहुंच रहे बच्चों में सकारात्मक सोच, विचारों में नियंत्रण और सरल व्यवहार करने में मदद करता है. सभी माता-पिता को अपने बच्चों को योग करने के लिए प्रेरित करना चाहिए, इससे उनका संपूर्ण विकास होगा.
योग से संबंधित सलाह और अधिक जानकारी के लिए रिंकी आर्या से संपंर्क करें Rinkyarya0524@gmail.com
इंपुट:
रिंकी आर्या
संस्थापक (विमल योग)
एम.ए. योगाचार्य