ETV Bharat / sukhibhava

पोलियो मुक्त भारत : विश्व पोलियो दिवस - पक्षाघात

दुनिया भर में लोगों को पोलियो के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 24 अक्टूबर को 'विश्व पोलियो दिवस' मनाया जाता है. इस अवसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की पहल पर विभिन्न संस्थाओं द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.

world polio day
विश्व पोलियो दिवस
author img

By

Published : Oct 24, 2020, 2:42 PM IST

एक समय था दुनिया के सामने पोलियो बीमारी चुनौती बनकर खड़ी हो गई थी. पोलियो मनुष्य को विकलांग करने वाली संक्रामक बीमारी हैं. जिसकी वजह से बड़ी संख्या में बच्चों को विकलांगता का शिकार होना पड़ता है. इस बीमारी से लड़ने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की पहल पर दुनिया के लगभग सभी देशों द्वारा एकजुट होकर कार्यक्रम चलाएं गये. पोलियो के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 24 अक्टूबर को 'विश्व पोलियो दिवस' मनाया जाता है.

पोलियो दिवस का इतिहास

हर साल 24 अक्तूबर को अमेरिकी वायरोलॉजिस्ट जोनास साल्क के जन्मदिन के अवसर पर 'विश्व पोलियो दिवस' मनाया जाता है. जिन्होंने दुनिया का पहला सुरक्षित और प्रभावी पोलियो वैक्सीन बनाने में मदद की थी. डॉक्टर जोनास साल्क ने साल 1955 में 12 अप्रैल को ही पोलियो से बचाव की दवा को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया था. उस दौरान यह बीमारी सारी दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई थी. इसके उपरांत साल 1988 में ग्लोबल पोलियो उन्मूलन पहल (GPEI) की स्थापना की गई. यह पहल विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) तथा रोटरी इंटरनेशनल सहित पोलियो उन्मूलन के लिए प्रयासरत विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा की गई थी.

क्या है पोलियो

पोलियो या पोलियोमेलाइटिस, एक घातक बीमारी हैं, जोकि अपंगता की श्रेणी में आता है. व्यक्ति से व्यक्ति में फैलने वाला यह संक्रामक वायरस व्यक्ति के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर असर करता है, जिससे पक्षाघात होने की आशंका होती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की पहल पर विभिन्न देशों की सरकारों ने वृहद स्तर पर टीकाकरण अभियान का आयोजन कर दुनिया को पोलियो से बचाया. भारत को पिछले 7-8 वर्षों से पोलियो मुक्त घोषित किया जा चुका है. हालांकि दुनिया के कुछ हिस्सों में विकलांगता के कुछ केस सामने आते हैं.

दो तरह की पोलियो वैक्सीन

पोलियो से मुकाबला करने के लिए दुनिया भर में दो अलग-अलग तरह की वैक्सीन का इजाद किया गया था. पहली जोनास साल्क द्वारा विकसित किया गया टीका थी, और दूसरी अल्‍बर्ट सेबिन द्वारा ढूंढा गया ओरल टीका. अल्बर्ट सेबिन ने ओरल टीके का 1957 में परीक्षण किया था. जिसका लाइसेंस 1962 में मिला था.

पोलियो के लक्षण

सामान्य तौर पर पोलियो से संक्रमित अधिकांश लोगों में सामान्य वायरल संक्रमण जैसे लक्षण ही महसूस करते हैं, जिनमें बुखार, गले में दर्द, मितली, सर दर्द, थकान और शरीर के लक्षण जैसे दर्द नजर आते हैं. लेकिन जैसे-जैसे स्थिति गंभीर होने लगती है, इस संक्रमण का अर्थ अक्सर उनके मस्तिष्क तथा रीड की हड्डी पर पड़ने लगता है. पोलियो वायरस के तीव्र संक्रमण के मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं;

  1. पैरेस्थेसिया- इस अवस्था में मरीज को पांव में सुई चुभने जैसे अनुभव होते रहते हैं.
  2. मेनिनजाइटिस- पोलियो से पीड़ित लोगों में 25 में से एक व्यक्ति मेनिनजाइटिस से पीड़ित होता है.
  3. पैरालिसिस या पक्षाघात- पोलियो वायरस में व्यक्ति के शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द महसूस होता रहता है. साथ ही उन्हे काम करने में समस्या का सामना भी करना पड़ता है. इस वायरस के संक्रमण से पीड़ित 200 में से एक व्यक्ति को पक्षाघात या पैरालिसिस जैसी समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है.

पोलियो मुक्त भारत

तमिलनाडु वेलफेयर पल्स स्ट्रैटेजी के जरिए 100 प्रतिशत पोलियो मुक्त होने वाला भारत का पहला राज्य था. वर्ष 1985 में, देश के सभी जिलों को पोलियो मुक्त करने के लिए यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम शुरू किया गया था. साल 1995 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल के बाद, भारत ने पल्स पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत की. भारत में पोलियो के आखिरी मामले 13 जनवरी, 2011 को पश्चिम बंगाल और गुजरात में थे. 27 मार्च, 2014 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित किया, क्योंकि पांच साल में पोलियो के कोई मामले सामने नहीं आए थे.

एक समय था दुनिया के सामने पोलियो बीमारी चुनौती बनकर खड़ी हो गई थी. पोलियो मनुष्य को विकलांग करने वाली संक्रामक बीमारी हैं. जिसकी वजह से बड़ी संख्या में बच्चों को विकलांगता का शिकार होना पड़ता है. इस बीमारी से लड़ने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की पहल पर दुनिया के लगभग सभी देशों द्वारा एकजुट होकर कार्यक्रम चलाएं गये. पोलियो के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 24 अक्टूबर को 'विश्व पोलियो दिवस' मनाया जाता है.

पोलियो दिवस का इतिहास

हर साल 24 अक्तूबर को अमेरिकी वायरोलॉजिस्ट जोनास साल्क के जन्मदिन के अवसर पर 'विश्व पोलियो दिवस' मनाया जाता है. जिन्होंने दुनिया का पहला सुरक्षित और प्रभावी पोलियो वैक्सीन बनाने में मदद की थी. डॉक्टर जोनास साल्क ने साल 1955 में 12 अप्रैल को ही पोलियो से बचाव की दवा को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया था. उस दौरान यह बीमारी सारी दुनिया के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई थी. इसके उपरांत साल 1988 में ग्लोबल पोलियो उन्मूलन पहल (GPEI) की स्थापना की गई. यह पहल विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) तथा रोटरी इंटरनेशनल सहित पोलियो उन्मूलन के लिए प्रयासरत विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा की गई थी.

क्या है पोलियो

पोलियो या पोलियोमेलाइटिस, एक घातक बीमारी हैं, जोकि अपंगता की श्रेणी में आता है. व्यक्ति से व्यक्ति में फैलने वाला यह संक्रामक वायरस व्यक्ति के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर असर करता है, जिससे पक्षाघात होने की आशंका होती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की पहल पर विभिन्न देशों की सरकारों ने वृहद स्तर पर टीकाकरण अभियान का आयोजन कर दुनिया को पोलियो से बचाया. भारत को पिछले 7-8 वर्षों से पोलियो मुक्त घोषित किया जा चुका है. हालांकि दुनिया के कुछ हिस्सों में विकलांगता के कुछ केस सामने आते हैं.

दो तरह की पोलियो वैक्सीन

पोलियो से मुकाबला करने के लिए दुनिया भर में दो अलग-अलग तरह की वैक्सीन का इजाद किया गया था. पहली जोनास साल्क द्वारा विकसित किया गया टीका थी, और दूसरी अल्‍बर्ट सेबिन द्वारा ढूंढा गया ओरल टीका. अल्बर्ट सेबिन ने ओरल टीके का 1957 में परीक्षण किया था. जिसका लाइसेंस 1962 में मिला था.

पोलियो के लक्षण

सामान्य तौर पर पोलियो से संक्रमित अधिकांश लोगों में सामान्य वायरल संक्रमण जैसे लक्षण ही महसूस करते हैं, जिनमें बुखार, गले में दर्द, मितली, सर दर्द, थकान और शरीर के लक्षण जैसे दर्द नजर आते हैं. लेकिन जैसे-जैसे स्थिति गंभीर होने लगती है, इस संक्रमण का अर्थ अक्सर उनके मस्तिष्क तथा रीड की हड्डी पर पड़ने लगता है. पोलियो वायरस के तीव्र संक्रमण के मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं;

  1. पैरेस्थेसिया- इस अवस्था में मरीज को पांव में सुई चुभने जैसे अनुभव होते रहते हैं.
  2. मेनिनजाइटिस- पोलियो से पीड़ित लोगों में 25 में से एक व्यक्ति मेनिनजाइटिस से पीड़ित होता है.
  3. पैरालिसिस या पक्षाघात- पोलियो वायरस में व्यक्ति के शरीर के विभिन्न हिस्सों में दर्द महसूस होता रहता है. साथ ही उन्हे काम करने में समस्या का सामना भी करना पड़ता है. इस वायरस के संक्रमण से पीड़ित 200 में से एक व्यक्ति को पक्षाघात या पैरालिसिस जैसी समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है.

पोलियो मुक्त भारत

तमिलनाडु वेलफेयर पल्स स्ट्रैटेजी के जरिए 100 प्रतिशत पोलियो मुक्त होने वाला भारत का पहला राज्य था. वर्ष 1985 में, देश के सभी जिलों को पोलियो मुक्त करने के लिए यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम शुरू किया गया था. साल 1995 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल के बाद, भारत ने पल्स पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत की. भारत में पोलियो के आखिरी मामले 13 जनवरी, 2011 को पश्चिम बंगाल और गुजरात में थे. 27 मार्च, 2014 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भारत को पोलियो मुक्त देश घोषित किया, क्योंकि पांच साल में पोलियो के कोई मामले सामने नहीं आए थे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.