हड्डियों को कमजोर करने वाले रोग ऑस्टियोपोरोसिस को वैसे तो बुजुर्गों की बीमारी माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ सालों में अलग-अलग कारणों से दुनिया भर में इसके कम उम्र में होने के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. Osteoporosis रोग की गंभीरता से आम जन को अवगत कराने तथा दुनिया भर में लोगों को इस रोग के कारणों, लक्षणों, बचाव व इलाज के तरीकों के बारें में जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 20 अक्टूबर को विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस (World osteoporosis day 20 October 2022) मनाया जाता है. इस दिवस को मनाए जाने एक अन्य उद्देश्य इस रोग से जुड़े अन्य कारकों, भ्रमों के स्पष्टीकरण तथा इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में विकास की संभावनाओं पर चर्चा करने के लिए लोगों को एक मंच प्रदान करना भी है.
आजकल ज्यादातर चिकित्सक बढ़ती उम्र में एक बार बोन डेंसीटी टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं, जिसका मुख्य कारण है कि समय रहते लोगों में हड्डियों संबंधी समस्याओं विशेषकर ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) के बारें में सही समय पर पता चल सके. Osteoporosis दरअसल हड्डियों का एक जटिल रोग है जो हड्डियों का इतना कमजोर कर देता है कि ना सिर्फ उनमें दर्द होने बल्कि अन्य रोगों व समस्याओं के होने तथा हल्की सी चोट में भी हड्डी टूटने या उसे ज्यादा नुकसान पहुंचने की आशंका बढ़ जाती है.
Osteoporosis आज के दौर की एक आम लेकिन गंभीर बीमारी है. विभिन्न वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों की माने तो हमारे देश में हर 8 में से 1 पुरुष तथा हर 3 में से 1 महिला में यह रोग होता है. इस बात की पुष्टि चिकित्सक भी करते हैं. हालांकि इसे बुढ़ापे की बीमारी कहा जाता है लेकिन चिंता कि बात यह है कि पिछले कुछ सालों में कम उम्र के लोगों में भी इस रोग के होने के मामले सामने आ रहे हैं. ऑस्टियोपोरोसिस रोग से बचाव तथा इससे जुड़े कई कारकों को लेकर आम जन में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल अलग- अलग थीम पर दुनिया के 90 से ज्यादा देशों में World osteoporosis day 20 October 2022 को मनाया जाता है. इस वर्ष विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस 2022 'Serve Up Bone Strength' यानी “हड्डियों की मजबूती के लिए कार्य करें” थीम पर मनाया जा रहा है.
ऑस्टियोपोरोसिस- कारण व प्रभाव (Osteoporosis Cause and Effect)
गौरतलब है कि ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियां कमजोर व भुरभुरी हो जाती है. दरअसल ऑस्टियोपोरोसिस लैटिन भाषा का एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है “पोरस बोन्स यानी भुरभुरी हड्डियां”. ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती है कि कई बार उनमें हल्की सी चोट या किसी चीज से हल्की सी टक्कर लगने से भी उनके टूटने की आशंका बढ़ जाती है.
वैसे ही उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों में लचीलापन कम होने लगता है और वे कमजोर होने लगती है. इसके अलावा इस अवस्था में लोगों के शरीर में कोशिकाओं में कमी आने लगती है और उनके निर्माण की गति भी काफी कम हो जाती है. ऐसे में यदि शरीर में हड्डियों के लिए जरूरी कैल्शियम, मैग्निशियम जैसे खनिज, प्रोटीन, विटामिन डी तथा अन्य विटामिन सहित अन्य पौष्टिक तत्वों की कमी होने लगे तो उनमें ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है.
जानकारों का कहना है कि आहार के अलावा आसीन यानी आलसी व निष्क्रिय जीवनशैली , नशे या धूम्रपान की आदत, आनुवंशिक कारण तथा कई बार मधुमेह, ओबेसिटी, रूमेटाइड आर्थराइटिस, इंफ्लेमेटरी आर्थराइटिस, पोषक तत्वों के सही तरह से ना (Lazy and inactive lifestyle, drinking or smoking, genetic reasons and diabetes, obesity, rheumatoid arthritis, inflammatory arthritis) पचने के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याएं जैसे सीलिएक रोग व कोलाइटिस, लंबे समय तक स्टेरॉयड या एंटीपीलेप्टिक व कैंसर (digestive problems , celiac disease and colitis, use of steroids or antiepileptic and cancer medications) की दवाएं लेने के कारण तथा महिलाओं में कई बार अर्ली मेनोपॉज (Early menopause in women) के कारण भी यह रोग हो सकता है. गौरतलब है कि यह समस्या पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा देखने में आती है.
इतिहास ( World Osteoporosis Day History)
सबसे पहले वर्ष 1996 में 20 अक्टूबर को पहली बार विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस मनाया गया था. जिसकी शुरुआत यूनाइटेड किंगडम की राष्ट्रीय ऑस्टियोपोरोसिस सोसायटी व यूरोपीय आयोग द्वारा की गई थी. जिसके बाद से 1997 में (International Osteoporosis Foundation) अंतरराष्ट्रीय ऑस्टियोपोरोसिस फाउंडेशन (IOF)का गठन किया गया. इसके बाद 1998,1999 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization WHO) व IOF ने मिलकर विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस को मनाया. जिसके बाद से इस दिवस को हर साल मनाया जाता है.
उद्देश्य (World Osteoporosis Day Purpose)
गौरतलब है कि इस विशेष दिवस को सिर्फ रोग के जोखिम भरे कारको, संभावित लक्षणों और उपचार के विकल्पों को समझने और जानने के लिए जागरूकता फैलाने ही नहीं , बल्कि लोगों को हर उम्र में अपनी सेहत को दुरुस्त रखने के लिए स्वस्थ आहार व स्वस्थ जीवन शैली का पालन करने व समय से समस्या के बारें में पता चल सके, इसके लिए नियमित जांच व टेस्ट करने के लिए प्रेरित करने का प्रयास करना भी है. जिससे समय से रोग के बारें में पता चल सके और समय पर उपचार शुरू किया जा सके.
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