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World Hearing Day 2023 : सभी के लिए कान-श्रवण देखभाल! थीम पर मनाया जाएगा वर्ल्ड हियरिंग डे 2023 - सुनने में समस्या

दुनिया भर में बहरेपन और सुनने में समस्या उनके कारणों व निवारण तथा कानों के स्वास्थ्य की देखभाल की जरूरत को लेकर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 3 मार्च को वर्ल्ड हियरिंग डे मनाया जाता हैं. World Hearing Day 2023 . Ear and Hearing Care for All . World Hearing Day 2023 Theme .

World Hearing Day 2023
वर्ल्ड हियरिंग डे 2023
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Published : Mar 3, 2023, 2:19 PM IST

बहरापन तथा सुनने में कमी या समस्या, चाहे वो स्थाई हो या अस्थाई लोगों के जीवन को काफी ज्यादा प्रभावित कर सकता है. इसलिए इसे श्रवण विकलांगता भी कहा जाता है. वैश्विक स्तर पर ज्यादा से ज्यादा लोगों को किसी भी कारण से होने वाली कम या ज्यादा स्तर की श्रवणहानी की समस्या से बचाया जा सके, इसलिए आमजन में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 3 मार्च को वैश्विक स्तर पर “विश्व श्रवण दिवस” या “वर्ल्ड हियरिंग डे” मनाया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस वर्ष वर्ल्ड हियरिंग डे के लिए “सभी के लिए कान और श्रवण देखभाल!” थीम निर्धारित की गई है.

इस वर्ष इस थीम के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैश्विक स्तर पर कान व श्रवण की देखभाल को सार्वभौमिक स्वास्थ्य के लक्ष्य के तहत प्राथमिक देखभाल श्रेणी में एकीकृत करने की अपील है. संगठन के अनुसार प्राथमिक देखभाल में कान और श्रवण जांच व देखभाल से श्रवण समस्याओं के निदान में आम जन को काफी लाभ मिल सकता है. World Hearing Day 2023 . Ear and Hearing Care for All . World Hearing Day 2023 Theme .

क्या कहते हैं आंकडे़
विभिन्न बेवसाइट्स पर उपलब्ध आंकड़ों की माने तो वैश्विक स्तर पर लगभग 1.5 अरब लोग पूर्ण अथवा आंशिक रूप से बहरेपन या श्रवणहानी का सामना कर रहें हैं. वहीं सिर्फ भारत की बात करें तो यहां लगभग साढ़े छः करोड़ से ज्यादा लोग आंशिक या पूर्ण बहरेपन की समस्या का सामना कर रहे हैं हैं. चिंता की बात यह कि बड़ी संख्या में लोग किसी भी कारण से सुनने की क्षमता में कमी होने के शुरुआती दौर में समस्या को लेकर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं. जिससे समस्या के निदान में देरी हो जाती है और जो कई बार समस्या के बढ़ने का कारण भी बन जाती है.

World Hearing Day 2023
वर्ल्ड हियरिंग डे 2023

क्या कहती है विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2021 में श्रवण विकारों से जुड़ी पहली वैश्विक रिपोर्ट जारी की गई थी. जिसमें आशंका जताई गई थी कि वर्ष 2050 तक विश्व भर में लगभग 2.5 बिलियन लोग या प्रत्येक 4 में से 1 व्यक्ति कम या ज्यादा स्तर की श्रवण हानि की समस्या का शिकार बन सकता है. इस रिपोर्ट यह भी कहा गया था कि वैश्विक स्तर पर ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है जिनमें सुनने की शक्ति में कमी आने का जोखिम ज्यादा है. रिपोर्ट में सुनने की शक्ति के कमज़ोर या ख़त्म होने के पीछे तेज़ आवाज़ में सुनने तथा बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को मुख्य कारणों में से एक बताया गया था. रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि यदि शीघ्र इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई तो वर्ष 2050 तक लगभग 700 मिलियन लोगों को कान और श्रवण क्षमता से जुड़ी देखभाल तथा अन्य पुनर्वास सेवाओं की आवश्यकता होगी.

इतिहास
बहरेपन के मामलों में लगातार बढ़ोतरी के चलते लोगों में श्रवण संबंधी समस्याओं तथा उनसे जुडे कारकों को लेकर जागरूकता फैलाने तथा उन्हे हर संभव मदद मुहैया करने की दिशा में प्रयास करने के उद्देश्य से विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2007 में 'इंटरनेशनल ईयर केयर डे' के नाम से इस दिवस को मनाए जाने की शुरुआत की गई थी तथा इसका आयोजन पहली बार 3 मार्च को किया गया था. लेकिन बाद में वर्ष 2016 से इस दिवस को “वर्ल्ड हियरिंग डे” नाम से मनाए जाने की परंपरा शुरू हुई.

भारत सरकार के प्रयास
सरकारी आंकड़ों की माने तो हर साल भारत में 27,000 से अधिक बच्चे बहरे या सुनने की क्षमता में कमी के साथ पैदा होते हैं. लेकिन जागरूकता के अभाव के चलते और समय पर सही जांच ना हो पाने के चलते अक्सर उनकी समस्या पर शुरुआत में लोगों का ज्यादा ध्यान नहीं जाता है, जिससे ज़्यादातर मामलों में निदान में देरी हो जाती है. हालांकि चिकित्सक मानते हैं कि श्रवणहानी के कई मामलों में समय से समस्या का पता चलने पर ना सिर्फ बच्चें बल्कि बडे भी उन्नत श्रवण तकनीक की मदद से समस्या में राहत पा सकते हैं. इस दिशा में भारत सरकार के प्रयासों की बात करें तो राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत सरकार द्वारा राष्ट्रीय बधिरता रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम संचालित किया जाता है. जिसका उद्देश्य बीमारी या चोट के कारण टालने योग्य श्रवण हानि को रोकना, श्रवण क्षमता में कमी या बहरेपन के लिये उत्तरदायी समस्याओं की प्रारंभिक पहचान, निदान और उपचार तथा बहरेपन से पीड़ित सभी आयु वर्ग के व्यक्तियों के चिकित्सीय पुनर्वास के लिए कार्य करना है.

श्रवण समस्या के मुख्य कारण
चिकित्सकों के अनुसार श्रवण समस्या के कई कारण हो सकते हैं. जिनमें से बढ़ती उम्र सबसे आम कारणों में से एक है. दरअसल उम्र ज्यादा बढ़ने के साथ-साथ कई बार व्यक्ति की कान की नसें कमजोर होने लगती हैं जिससे बहरेपन या सुनने की क्षमता में कमी की समस्या होने लगती है. प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 60 वर्ष से अधिक आयु के 33% लोगों में बहरेपन की समस्या देखी जाती है, वहीं 74 वर्ष की उम्र में यह आंकड़ा 50% तक बढ़ जाता है. इसके अलावा ध्वनि प्रदूषण, ट्रैफिक का शोर, ईयरफोन का ज्यादा इस्तेमाल, ज्यादा समय मोबाइल पर गाने सुनना , दुर्घटना या सिर में चोट लगना, कान में संक्रमण या कोई रोग तथा आनुवंशिकता सहित कई अन्य कारणों से भी श्रवण हानि या बहरेपन की समस्या हो सकती है.

Rare Disease Day : सैकड़ों दुर्लभ रोगों के इलाज के लिए बनी है राष्ट्रीय नीति, इस योजना के तहत भी मिलती है सुविधा

बहरापन तथा सुनने में कमी या समस्या, चाहे वो स्थाई हो या अस्थाई लोगों के जीवन को काफी ज्यादा प्रभावित कर सकता है. इसलिए इसे श्रवण विकलांगता भी कहा जाता है. वैश्विक स्तर पर ज्यादा से ज्यादा लोगों को किसी भी कारण से होने वाली कम या ज्यादा स्तर की श्रवणहानी की समस्या से बचाया जा सके, इसलिए आमजन में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 3 मार्च को वैश्विक स्तर पर “विश्व श्रवण दिवस” या “वर्ल्ड हियरिंग डे” मनाया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस वर्ष वर्ल्ड हियरिंग डे के लिए “सभी के लिए कान और श्रवण देखभाल!” थीम निर्धारित की गई है.

इस वर्ष इस थीम के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैश्विक स्तर पर कान व श्रवण की देखभाल को सार्वभौमिक स्वास्थ्य के लक्ष्य के तहत प्राथमिक देखभाल श्रेणी में एकीकृत करने की अपील है. संगठन के अनुसार प्राथमिक देखभाल में कान और श्रवण जांच व देखभाल से श्रवण समस्याओं के निदान में आम जन को काफी लाभ मिल सकता है. World Hearing Day 2023 . Ear and Hearing Care for All . World Hearing Day 2023 Theme .

क्या कहते हैं आंकडे़
विभिन्न बेवसाइट्स पर उपलब्ध आंकड़ों की माने तो वैश्विक स्तर पर लगभग 1.5 अरब लोग पूर्ण अथवा आंशिक रूप से बहरेपन या श्रवणहानी का सामना कर रहें हैं. वहीं सिर्फ भारत की बात करें तो यहां लगभग साढ़े छः करोड़ से ज्यादा लोग आंशिक या पूर्ण बहरेपन की समस्या का सामना कर रहे हैं हैं. चिंता की बात यह कि बड़ी संख्या में लोग किसी भी कारण से सुनने की क्षमता में कमी होने के शुरुआती दौर में समस्या को लेकर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं. जिससे समस्या के निदान में देरी हो जाती है और जो कई बार समस्या के बढ़ने का कारण भी बन जाती है.

World Hearing Day 2023
वर्ल्ड हियरिंग डे 2023

क्या कहती है विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2021 में श्रवण विकारों से जुड़ी पहली वैश्विक रिपोर्ट जारी की गई थी. जिसमें आशंका जताई गई थी कि वर्ष 2050 तक विश्व भर में लगभग 2.5 बिलियन लोग या प्रत्येक 4 में से 1 व्यक्ति कम या ज्यादा स्तर की श्रवण हानि की समस्या का शिकार बन सकता है. इस रिपोर्ट यह भी कहा गया था कि वैश्विक स्तर पर ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है जिनमें सुनने की शक्ति में कमी आने का जोखिम ज्यादा है. रिपोर्ट में सुनने की शक्ति के कमज़ोर या ख़त्म होने के पीछे तेज़ आवाज़ में सुनने तथा बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को मुख्य कारणों में से एक बताया गया था. रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि यदि शीघ्र इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई तो वर्ष 2050 तक लगभग 700 मिलियन लोगों को कान और श्रवण क्षमता से जुड़ी देखभाल तथा अन्य पुनर्वास सेवाओं की आवश्यकता होगी.

इतिहास
बहरेपन के मामलों में लगातार बढ़ोतरी के चलते लोगों में श्रवण संबंधी समस्याओं तथा उनसे जुडे कारकों को लेकर जागरूकता फैलाने तथा उन्हे हर संभव मदद मुहैया करने की दिशा में प्रयास करने के उद्देश्य से विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2007 में 'इंटरनेशनल ईयर केयर डे' के नाम से इस दिवस को मनाए जाने की शुरुआत की गई थी तथा इसका आयोजन पहली बार 3 मार्च को किया गया था. लेकिन बाद में वर्ष 2016 से इस दिवस को “वर्ल्ड हियरिंग डे” नाम से मनाए जाने की परंपरा शुरू हुई.

भारत सरकार के प्रयास
सरकारी आंकड़ों की माने तो हर साल भारत में 27,000 से अधिक बच्चे बहरे या सुनने की क्षमता में कमी के साथ पैदा होते हैं. लेकिन जागरूकता के अभाव के चलते और समय पर सही जांच ना हो पाने के चलते अक्सर उनकी समस्या पर शुरुआत में लोगों का ज्यादा ध्यान नहीं जाता है, जिससे ज़्यादातर मामलों में निदान में देरी हो जाती है. हालांकि चिकित्सक मानते हैं कि श्रवणहानी के कई मामलों में समय से समस्या का पता चलने पर ना सिर्फ बच्चें बल्कि बडे भी उन्नत श्रवण तकनीक की मदद से समस्या में राहत पा सकते हैं. इस दिशा में भारत सरकार के प्रयासों की बात करें तो राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत सरकार द्वारा राष्ट्रीय बधिरता रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम संचालित किया जाता है. जिसका उद्देश्य बीमारी या चोट के कारण टालने योग्य श्रवण हानि को रोकना, श्रवण क्षमता में कमी या बहरेपन के लिये उत्तरदायी समस्याओं की प्रारंभिक पहचान, निदान और उपचार तथा बहरेपन से पीड़ित सभी आयु वर्ग के व्यक्तियों के चिकित्सीय पुनर्वास के लिए कार्य करना है.

श्रवण समस्या के मुख्य कारण
चिकित्सकों के अनुसार श्रवण समस्या के कई कारण हो सकते हैं. जिनमें से बढ़ती उम्र सबसे आम कारणों में से एक है. दरअसल उम्र ज्यादा बढ़ने के साथ-साथ कई बार व्यक्ति की कान की नसें कमजोर होने लगती हैं जिससे बहरेपन या सुनने की क्षमता में कमी की समस्या होने लगती है. प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 60 वर्ष से अधिक आयु के 33% लोगों में बहरेपन की समस्या देखी जाती है, वहीं 74 वर्ष की उम्र में यह आंकड़ा 50% तक बढ़ जाता है. इसके अलावा ध्वनि प्रदूषण, ट्रैफिक का शोर, ईयरफोन का ज्यादा इस्तेमाल, ज्यादा समय मोबाइल पर गाने सुनना , दुर्घटना या सिर में चोट लगना, कान में संक्रमण या कोई रोग तथा आनुवंशिकता सहित कई अन्य कारणों से भी श्रवण हानि या बहरेपन की समस्या हो सकती है.

Rare Disease Day : सैकड़ों दुर्लभ रोगों के इलाज के लिए बनी है राष्ट्रीय नीति, इस योजना के तहत भी मिलती है सुविधा

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