बहरापन तथा श्रवण हानि ऐसी समस्याएं हैं, जिनसे दुनियाभर में लाखों लोग पीड़ित हैं। डब्ल्यूएचओ की मानें तो वर्ष 2050 तक इन समस्याओं से पीड़ित लोगों की संख्या बढ़कर 900 मिलियन तक पहुंचने की आशंका है। यही नहीं दुनिया भर में विभिन्न माध्यमों के जरिए बढ़ने वाले शोर तथा उससे संबंधित प्रदूषण के चलते 12 से 35 वर्ष की आयु वाले लगभग 1.1 बिलियन लोगों में श्रवण हानि या बहरेपन जैसी समस्या उत्पन्न होने की आशंका भी जताई जा रही है। इस समस्या की गंभीरता को देखते हुए बहरेपन और श्रवण हानि के प्रति लोगों में जन जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से दुनिया भर में 3 मार्च को 'विश्व श्रवण दिवस' मनाया जाता है।
विश्व श्रवण दिवस 2021
इस वर्ष हियरिंग केयर फॉर ऑल- जांच, पुनर्वास, संवाद, थीम पर मनाए जा रहे इस विशेष दिवस पर डब्ल्यूएचओ द्वारा श्रवण शक्ति पर पहली विश्व रिपोर्ट का शुभारंभ किया जाना नियत किया गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य श्रवण संबंधी समस्याओं के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नीतियों का निर्धारण किया जाना है। इस अवसर पर जिन विशेष मुद्दों पर पॉलिसी निर्माण के लिए चयनित किया गया है, वह इस प्रकार हैं;
- ऐसे लोग जो श्रवण संबंधित समस्याओं से जूझ रहे हो, लेकिन विभिन्न कारणों से चिकित्सा तथा उपचारों का फायदा ना ले पा रहे हो, उनको चिन्हित कर उनकी मदद की जाए।
- बहरेपन या श्रवण संबंधी रोगों की सही समय पर जांच, पहचान कर उनकी सही देखभाल तथा उपचार के लिए प्रयास किया जाए।
- इन समस्याओं से उपचार के लिए ऐसी पद्धतियों की खोज तथा उनके उपयोग के लिए लोगों को प्रेरित करने का प्रयास किया जाए, जो व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को ज्यादा प्रभावित ना करे।
- श्रवण संबंधी समस्याओं से पीड़ित लोगों के सर्वभोमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न चिकित्सा संबंधी योजनाओं तथा पॉलिसियों का निर्माण किया जाए।
इसके अतिरिक्त डब्ल्यूएचओ की तरफ से आम जनता के लिए कुछ विशेष निर्देश जारी किए गए हैं, जो इस प्रकार हैं;
- बहरेपन या श्रवण संबंधी समस्याओं से बचाव के लिए तेज हवा से सुरक्षा तथा कानो की देखभाल सहित विभिन्न निवारण क्रियाओं की मदद ली जाए।
- ऐसे लोग जिनमें श्रवण संबंधी रोग होने की आशंका हो, उन्हें जागरूक कर नियमित तौर पर जांच करवाने के लिए प्रेरित किया जाए।
- ऐसे लोग जो श्रवण हानि या सुनने संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हो, को स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं की देखरेख में रखा जाए।
श्रवण हानि और बहरेपन में अंतर
डब्ल्यूएचओ की मानें तो श्रवण हानि तथा बहरापन दो अलग-अलग समस्याएं हैं। श्रवण हानि या सुनने में समस्या होने पर लोगों की श्रवण क्षमता पर असर पड़ता है. लेकिन अधिकांश लोग इस अवस्था में हियरिंग ऐड्स, कोकलियर इंप्लांट्स तथा अन्य उपकरणों की मदद से सुन सकते हैं। लेकिन जब बात बहरेपन की आती है, तो किसी भी प्रकार के उपकरण की मदद से सुनना संभव नहीं है। ऐसे लोगों को आपसी संवाद के लिए सिर्फ साइन लैंग्वेज का इस्तेमाल करना पड़ता है।
श्रवण हानि के प्रकार
श्रवण हानी की बात करें तो, यह दो प्रकार की हो सकती हैं। रोग नियंत्रण तथा बचाव केंद्र (सीडीसी) के अनुसार श्रवण हानि को दो प्रकारों में समझा जा सकता है। प्रवाहकीय श्रवण हानि तथा संवेदी श्रवण हानि।
- प्रवाहकीय श्रवण हानि
हमारे आसपास के बाहरी वातावरण में उत्पन्न होने वाली ध्वनियां जब किसी रोग, रुकावट, समस्या के कारण हमारे कान के अंदर नहीं पहुंच पाती है, तो इसे प्रवाहकीय श्रवण हानि कहते है। यदि इस समस्या पर समय से ध्यान ना दिया जाए, तो बाद में किसी बड़ी गंभीर समस्या का रूप भी ले सकती है।
- संवेदी श्रवण हानि
सेंसरीन्यूरल हियरिंग लॉस या संवेदी श्रवण हानि में हमारे आंतरिक कान की संवेदी कोशिकाएं ध्वनि को ठीक प्रकार से दिमाग तक नहीं भेज पाती है, जिससे सुनने की क्षमता में कमी आ जाती है। ध्वनि प्रदूषण, कान में संक्रमण, थायराइड, दवाओं का दुष्प्रभाव तथा कमजोर नसों सहित बहुत से कारण है, जिनके कारण संवेदी श्रवण हानि की समस्या हो सकती है।
- मिश्रित श्रवण हानि
ऐसी अवस्थाएं जब श्रवण हानि के लिए प्रवाहकीय तथा संवेदी दोनों ही जिम्मेदार हो, मिश्रित श्रवण हानि कहलाती हैं।
- ऑडिटरी न्यूरोपैथी स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर
ऐसी अवस्था जब बाहरी ध्वनि सामान्य रूप से हमारे कान में प्रवेश तो करें, लेकिन श्रवण तंत्रिका में चोट या किसी समस्या के चलते पहले मध्य कान और फिर मस्तिष्क तक ना पहुंच पाए या कम मात्रा में पहुंचे, तो यह अवस्था ऑडिटरी न्यूरोपैथी स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर कहलाती है।
श्रवण हानी में कमी जैसी समस्याएं अलग-अलग लोगों में विभिन्न कारणों से तथा विभिन्न अवस्थाओं में हो सकती हैं। वहीं कई लोगों को यह समस्या एक कान में तो, कुछ लोगों को यह समस्या दोनों कान में भी हो सकती है। वहीं यह समस्या कभी जन्मजात तथा कई बार रोग, चोट तथा अन्य कारणों से भी हो सकती हैं।
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कैसे करें श्रवण हानि से बचाव
- श्रवण हानि से बचने के लिए जहां तक हो सके किसी भी प्रकार की तीव्र ध्वनि से बचना चाहिए। गाड़ियों की आवाज, कार्यक्षेत्र में मशीनों की आवाज, तथा लंबे समय तक कानों में इयरप्लग या ईयर मफ पहनने से यह समस्या हो सकती है।
- ईयर फोन तथा हेडफोन हमारे कानों को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए जहां तक संभव हो सके संगीत सुनते समय या कक्षाएं अटेंड करते समय इन दोनों की ही आवाज कम रखें।
- इयरफोन तथा हेडफोन को बहुत लंबे समय तक इस्तेमाल ना करें। यदि काम या पढ़ाई की वजह से हेडफोन को पहनना बहुत जरूरी हो तो, ऐसे में नियमित अंतराल जैसे हर घंटे के उपरांत कुछ देर के लिए इन दोनों को कानों से हटा देना चाहिए।
- आजकल शादी हो, बर्थडे पार्टी हो या कॉन्सर्ट सहित किसी भी प्रकार का आयोजन, सभी में तेज आवाज में संगीत बजाएं जाने की परंपरा है। यह लोगों के कानों के लिए काफी नुकसानदायक हो सकती है, इसलिए जहां तक संभव हो सके ऐसे स्थानों पर जाने से बचे जहां बहुत तेज आवाज में इस प्रकार की गतिविधियां आयोजित हो।
- किसी भी साधारण या गंभीर रोग के लिए खाई जाने वाली दवाइयों के पार्श्व प्रभावों के बारे में पूरी जानकारी रखें।
- अगर कान में वैक्स इकट्ठा होने लगे, तो चिकित्सक के पास जाकर उसे साफ करवा लें। कई बार कानों में एकत्रित होने वाला वैक्स भी श्रवण हानि के लिए जिम्मेदार हो सकता है।
- मीजल्स, रूबेला तथा मम्प सहित कुछ अन्य संक्रमण के चलते भी श्रवण हानि जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए जरूरी है कि बचपन में ही इन रोगों से बचाने के लिए बच्चों का टीकाकरण करवा देना चाहिए।
- कानों की सफाई के लिए ईयर बड के इस्तेमाल से बचना चाहिए। लेकिन कानों के बाहरी हिस्से की सफाई के लिए उंगली पर रुमाल लगाकर हल्के हाथ से सफाई की जा सकती है।
- कान के भीतर किसी भी तेज नोक वाली चीज या अलग-अलग प्रकार की गर्म या साधारण तापमान वाले तेल को डालने से बचें।