लोगों में सामान्य धारणा है कि उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर मनुष्य में स्ट्रोक के प्रमुख कारणों में से एक होता है. लेकिन हाल ही में हुए एक शोध में सामने आया है की निम्न रक्तचाप यानी लो ब्लड प्रेशर भी स्ट्रोक तथा उसके बाद होने वाली मृत्यु का कारण बन सकता है.
“स्ट्रोक जनरल” में प्रकाशित बोस्टन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के एक शोध के निष्कर्षों में बताया गया है कि निम्न रक्तचाप स्ट्रोक तथा उसके बाद होने वाली मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण है. इस शोध में शोधकर्ताओं ने निम्न रक्तचाप को हृदय रोग, कैंसर तथा डिमेंशिया के रोगियों के लिए खतरा बताया है.
इस शोध में शामिल बोस्टन यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन में न्यूरोलॉजी के सहायक प्रोफेसर ह्यूगो जे अपारीसीओ ने शोध के निष्कर्षों के बारें में जानकारी देते हुए बताया कि, अध्धयन के दौरान हुए परीक्षण में पाया गया था कि निम्न रक्तचाप से जूझने वाले 10 फीसदी मरीजों में स्ट्रोक का खतरा रहता है. उन्होंने बताया कि शोध के दौरान इस्केमिक स्ट्रोक का सामना कर चुके लगभग 30,000 ऐसे वृद्ध रोगियों को परीक्षण में शामिल किया गया था, जिन्हें स्ट्रोक आने से पहले से रक्तचाप की समस्या थी.
इस परीक्षण में प्रतिभागियों में स्ट्रोक के बाद उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन के मरीजों की मृत्यु का आंकलन किया गया था. जिसमें पाया गया कि निम्न बीपी वाले व्यक्तियों की स्ट्रोक के बाद मृत्यु की दर सबसे अधिक थी. वहीं स्ट्रोक के चलते मृत्यु का शिकार बने लोगों में उन लोगों की संख्या ज्यादा थी जो धूम्रपान करते थे या हृदय रोग या कैंसर जैसे गंभीर रोग से पीड़ित थे .
शोध के निष्कर्षों में ह्यूगो जे अपारीसीओ ने उम्मीद जताई कि यह शोध ह्रदय रोगों तथा कैंसर जैसी बीमारी से पीड़ित ऐसे लोग जो की स्ट्रोक का शिकार हो चुके हैं और अपना इलाज करा रहे हैं, के सफल इलाज के लिए नए रास्ते दिखा सकती है तथा निम्न रक्तचाप के चलते स्ट्रोक का शिकार बनने वाले लोगों की मृत्यु दर को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है.
पक्षाघात का खतरा भी बढ़ाता है निम्न रक्तचाप
सिर्फ स्ट्रोक ही नही निम्न रक्तचाप और भी कई समस्याओं का कारण बन सकता है. निम्न रक्तचाप के खतरों को लेकर देश विदेश में कई अन्य शोध भी किए जा चुके हैं. इसी संबंध में वर्ष 2011 में हुए एक शोध में सामने आया था की यदि गुस्से के दौरान व्यक्ति का रक्तचाप कम हो जाय तो उसे पक्षाघात यानी पैरालिसिस का खतरा बढ़ जाता है.
वर्ष 2011 में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में आयोजित हुए इस शोध में बताया गया था कि यदि गुस्से या तनाव के दौरान व्यक्ति का रक्तचाप कम होने लगे तो उसे ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यक्ता है. शोध में कहा गया था कि 10 में से दो लोग ऐसे होते हैं, जिनका तनाव या गुस्से के वक्त रक्तचाप कम हो जाता है. ऐसी अवस्था में उनमें पक्षाघात होने की आशंका बढ़ जाती है.
शोध के प्रमुख शोधकर्ता तथा वैज्ञानिक स्टीफेन क्लार्क ने शोध के नतीजों में बताया था कि गुस्से के दौरान आमतौर पर लोगों का रक्तचाप बढ़ता है, मगर कुछ लोगों का रक्तचाप कम भी हो जाता है. जिन लोगों का रक्तचाप कम होता है, उनमें लकवा होने की आशंका बढ़ जाती है. दरअसल हद से ज्यादा गुस्से और तनाव की स्तिथि में जब मन को संयमित करने का प्रयास किया जाता है तो कई बार शरीर में रक्त के संचार की गति पर असर पड़ने लगता है और रक्तचाप कम होने लगता है. ऐसे में यदि रक्तचाप जरूरत से ज्यादा कम होने लगे तो व्यक्ति को न सिर्फ लकवा हो सकता है बल्कि लकवे का अटैक ज्यादा गंभीर होने पर इंसान कोमा में भी जा सकता है और उसकी मृत्यु भी हो सकती है.
दरअसल शरीर में रक्त संचार में कमी या समस्या लकवे के मुख्य कारणों में से एक मानी जाती है. रक्तचाप कम होने पर हमारे शरीर का तंत्रिका तंत्र ठीक से कार्य नहीं कर पाता है. और यदि यह स्थिति थोड़ी ज्यादा देर तक बनी रहे, तो तंत्रिका कोशिकाएं मृत होने लगती हैं और संबद्ध अंग में लकवा हो जाता है.