क्या आप जानते हैं कि पुरुषों में गंभीर यूटीआई संक्रमण किडनी या प्रोस्टेट में गंभीर समस्या का कारण बन सकता है! पुरुषों में गंभीर यूटीआई सिर्फ किडनी या प्रोस्टेट में ही नहीं, टेस्टिकल्स तथा यूरिनरी ट्रैक्ट से जुड़े अन्य अंगों में भी समस्याओं का कारण भी बन सकता है.
किडनी या प्रोस्टेट में समस्या का कारण बन सकता है पुरुषों में UTI
आमतौर पर लोगों को लगता है की यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन या यूटीआई सिर्फ महिलाओं में ही होता है, जो सही नहीं है. हालांकि पुरुषों में इस समस्या के होने का अनुपात महिलाओं के मुकाबले कम होता है लेकिन यूटीआई वयस्क पुरुषों में काफी नजर आता है. वहीं ध्यान ना देने या किसी अन्य कारण से यदि पुरुष में यूटीआई गंभीर होने लगे तो यह किडनी व प्रोस्टेट सहित यूरिनरी ट्रैक्ट से जुड़े अन्य अंगों में समस्या या गंभीर प्रभावों का कारण भी बन सकता है.
पुरुषों में यूटीआई
दिल्ली एनसीआर के यूरोलॉजिस्ट डॉ रोहित यादव बताते हैं कि पुरुषों में यूटीआई दो तरह से प्रभाव दिखा सकता है. मूत्र मार्ग के ऊपरी रास्ते में यदि यूटीआई का प्रभाव ज्यादा हो तो यह किडनी या मूत्रवाहिनी में संक्रमण या समस्या का कारण बन सकता है. वहीं यदि यूटीआई का प्रभाव मूत्र मार्ग के निचले हिस्से में ज्यादा हो तो यह मूत्राशय, प्रोस्टेट , मूत्रमार्ग तथा टेस्टिकल्स में समस्या का कारण बन सकता है.
वह बताते हैं कि महिला हो या पुरुष , दोनों में यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन एक ऐसी स्थिति है जब मूत्राशय, मूत्रवाहिनी, मूत्रमार्ग तथा यूरिनरी ट्रेक्ट से जुड़े अन्य अंग बैक्टीरियल संक्रमण के प्रभाव में आ जाते हैं. महिलाओं में यूटीआई ज्यादा होता है क्योंकि पुरुषों की तुलना में महिलाओं के मूत्रमार्ग की लंबाई कम होती है जिससे बैक्टीरिया मूत्राशय में जल्दी तथा तेजी से बढ़ने लगता है. वहीं पुरुषों का यूरिनरी ट्रैक्ट सरल लेकिन लंबा होता है. यह पुरुषों में किडनी से शुरू होकर मूत्र नली से होते हुए मूत्राशय और यूरेथ्रा में खुलता है. इसलिए यदि पुरुष में यूटीआई के प्रभाव नजर आते हैं तो यूरिनरी ट्रेक्ट से जुड़े सभी अंगों के संक्रमण के प्रभाव में आने का जोखिम बढ़ जाता है.
वह बताते हैं कि आमतौर पर पुरुषों में 50 साल की उम्र के बाद तथा गुदामैथुन या असुरक्षित सेक्स में ज्यादा सक्रिय पुरुषों में यूटीआई का जोखिम ज्यादा रहता है. लेकिन अन्य कई कारणों से यह समस्या कम उम्र के पुरुषों में भी नजर आ सकती हैं.
पुरुषों में यूटीआई के कारण
डॉ रोहित यादव बताते हैं कि पुरुषों में ज्यादातर यूटीआई के लिए ई. कोलाई बैक्टीरिया जिम्मेदार होता है. गौरतलब है कि वैसे तो यह बैक्टीरिया हमारे शरीर में पहले से मौजूद रहता है लेकिन जब यह मूत्रमार्ग में प्रवेश कर जाता है तो मूत्राशय, मूत्रवाहिनी और यूरिनरी ट्रैक्ट के सभी अंगों को अपने प्रभाव में लेने लगता है. वहीं कई बार यूटीआई ज्यादा बढ़ने पर किडनी, ब्लेडर , प्रोस्टेट तथा टेस्टिकल्स आदि अंगों में गंभीर प्रभाव का कारण भी सकता है.
पुरुषों में यूटीआई होने के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- कम मात्रा में पानी पीना
- यूटीआई का पुराना इतिहास
- बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया
- मधुमेह
- लंबे समय तक बैठे रहना
- मल त्यागने संबंधी समस्याएं
- यौन संक्रमण/एसटीआई
- अप्राकृतिक सेक्स या गुदा मैथुन करना , आदि
पुरुषों में यूटीआई के लक्षण
वह बताते हैं कि वैसे तो पुरुषों में भी यूटीआई होने पर पेशाब में समस्या या बुखार जैसे आम लक्षण लक्षण नजर आते हैं. लेकिन कई बार संक्रमण के अन्य अंगों पर ज्यादा प्रभाव होने की अवस्था में कुछ अन्य लक्षण भी नजर आ सकते हैं.
यूटीआई की सामान्य अवस्था तथा अन्य अंगों के प्रभावित होने की अवस्था में नजर आने वाले लक्षण इस प्रकार हैं.
- पेशाब करते समय दर्द या जलन होना
- बार-बार पेशाब आना या ऐसा महसूस करना
- पेशाब का रंग बदलना या उसका धुंधला होना
- बदबूदार पेशाब आना
- पेट के निचले हिस्से में दर्द होना
- टेस्टिकल्स में दर्द व सूजन
- पेशाब में खून आना
- ठंड लगना और बुखार आना
- उल्टी - मतली आना
- पीठ में या बाजू में दर्द
- थकान महसूस होना, आदि .
इलाज तथा सावधानी बरतना जरूरी
डॉ रोहित यादव बताते हैं कि यूटीआई के संकेतों तथा लक्षणों को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए और ना ही खुद से दवा खाकर उसका इलाज करना चाहिए. इससे कई बार समस्या बढ़ भी सकती है और गंभीर परिणाम दे सकती है.
यूटीआई का इलाज उसके प्रभाव के क्षेत्र को जांचने के बाद एंटीबायोटिक दवाइयों से किया जाता है. बहुत जरूरी है कि इलाज के लिए बताया गया दवाइयों का कोर्स पूरा किया जाए तथा जरूरी सावधानियों को अपनाया जाय. कई बार लोग समस्या में थोड़ी राहत नजर आते ही दवा का सेवन बंद कर देते हैं या कोर्स पूरा नहीं करते हैं, ऐसे में संक्रमण के दोबारा होने की आशंका रहती है .
इसके अलावा यूटीआई से बचने व उसके निवारण में कुछ बातों को अपनाना लाभकारी हो सकता है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- ज्यादा मात्रा में पानी पीना चाहिए. इसके अलावा जूस, नारियल पानी, नींबू पानी जैसे प्राकृतिक तरल का सेवन करना भी फायदेमंद हो सकता है.
- पेशाब को देर तक रोक कर नहीं रखना चाहिये.
- पेशाब के बाद तथा नियमित रूप से लिंग को अच्छी तरह से विशेषकर लिंग की ऊपरी त्वचा को हल्के हाथ से हटाकर साफ करें.
- अप्राकृतिक सेक्स विशेषकर गुदामैथुन व असुरक्षित सेक्स से बचे.
- सेक्स के उपरांत सफाई तथा हाइजीन का ध्यान रखें.
- यदि पार्टनर को यूटीआई है तो सेक्स से परहेज करें .
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