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असुरक्षित यौन संबंधों से फैलते यौन संचारित रोग

असुरक्षित यौन संबंध, यौन संचारित बीमारी यानि एसटीडी जैसे जानलेवा बीमारियों का कारण बन सकता हैं. यह एक ऐसी बीमारी है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संचारित होती हैं. साथ ही अन्य गंभीर बीमारियों को भी जन्म देती हैं. सावधानी बरतने और सही समय पर इसका जांच कराने से इलाज संभव है.

sexually transmitted diseases
यौन संचारित रोग
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Published : Aug 22, 2020, 2:51 PM IST

ग्लोबलाइजेशन के इस दौर ने हर जानकारी को लोगों की मुठ्ठी में बंद कर दिया हैं. साथ ही उनके स्वभाव को खुला तथा प्रयोगात्मक बना दिया है. यानि बात चाहे रिश्तों की हो या सोच की लोग नए रोमांच की चाह में प्रयोग करने में संकुचाते नहीं हैं. खास तौर पर जब हम बात करते हैं महिलाओं और पुरुषों के बीच शारीरिक और भावनात्मक संबंधों की, उनको लेकर भी लोगों की सोच में अंतर आया है.

विशेष तौर पर शहरी क्षेत्रों में पेड सेक्स यानि खरीदा गया संभोग, या फिर अनजान लोगों से सिर्फ मनोरंजन या आनंद के लिए बनाए गए शारीरिक संबंध, एक से अधिक लोगों के साथ बगैर सुरक्षा व सावधानी के बनाए गए संबंध जैसी बाते या घटनाएं किसी कहानियों की बाते नहीं रह गई हैं. हालांकि लोगों का एक छोटा प्रतिशत है, जो इस उन्मुक्त जीवन शैली में यकीन रखता है. इस व्यसनी व्यवहार के चलते ही आजकल लोगों में सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज (एसटीडी) यानि यौन संचारित बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं.

क्या होती है यौन संचारित बीमारियां या रति रोग, इस बारे में ETV भारत सुखीभवा की टीम ने एंडरोलॉजिस्ट तथा विशेष सलाहकार डॉ. राहुल रेड्डी से बात की.

क्या तथा क्यों होती है यौन संचारित बीमारियां

डॉ. रेड्डी बताते है की यौन संचारित रोग असुरक्षित यौन संबंधों जैसे कंडोम के उपयोग के बिना एक से अधिक लोगों तथा पहले से ही संक्रमित व्यक्ति से बनाए गए शारीरिक संबंधों, अप्राकृतिक संभोग तथा संबंधों के उपरांत अपने जननांगों की सही तरीके से साफ सफाई ना रखने के चलते होता हैं. इस तरह की समस्याएं स्त्री या पुरुष दोनों के लिए ही घातक हो सकती है. गंभीर अवस्था में एसटीडी पीड़ित व्यक्ति को एचआईवी/एड्स जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है. यौन संचारित रोगों में क्लेमायडिया तथा गोनोरिया सबसे प्रचलित बीमारी हैं.

क्लेमायडिया

यह रोग क्लेमायडिया ट्रैकोमैटिक नामक जीवाणु से होता है, जो जननांगों और आंखों में संक्रमण फैलाता है. यह एक बैक्टीरियल संक्रमण होता है, जो योनि मैथुन तथा मुख मैथुन से फैलता है. इस संक्रमण के लक्षण आम तौर पर लोगों में सरलता से दिखाई नहीं देते. लेकिन महिलाओं में इस संक्रमण के बढ़ने पर महिलाओं में मुत्राशय का संक्रमण, योनिस्त्राव में परिवर्तन, पेट के निचले हिस्से में हल्का दर्द, असुविधाजनक तथा दर्द भरा संभोग तथा मासिक धर्म में परेशानी ही समस्या हो सकती है.

यदि किसी गर्भवती महिला को यह समस्या है, तो बच्चे के जन्म के उपरांत उसे भी यह बीमारी हो सकती है, साथ ही उसे नेत्र संक्रमण तथा निमोनिया की भी शिकायत हो सकती हैं. वहीं पुरुषों में पेशाब में जलन तथा बाद में पेशाब से मवाद या खून आने जैसे लक्षण नजर आते हैं.

गोनोरिया

गोनोरिया को द क्लैप के नाम से भी जाना जाता है. इसके जीवाणु महिलाओं और पुरुषों में तेजी से फैलते हैं. पुरुषों में ये संक्रमण फैलने पर पेशाब में जलन होने लगती है तथा बाद में पेशाब से मवाद या खून आना शुरू हो जाता है. वहीं महिलाओं में भी पेशाब में जलन, सफेद डिस्चार्ज, पेडू व कमर में दर्द, फेलोपिन ट्यूब में सूजन तथा बांझपन जैसी समस्याएं देखने में आती है.

डॉ. रेड्डी बताते हैं कि क्लेमायडिया तथा गोनोरिया सहित जननांग दाद, सिफलिस, ह्यूमन पेपिलोमा वायरस सहित अन्य रति रोगों में भी आम तौर पर एक जैसे लक्षण नजर आते हैं, जिनमें महिलाओं में पेडू में लगातार दर्द, बार-बार पेशाब जाने की इच्छा, संभोग के दौरान असामान्य दर्द, तथा गाढ़ा श्वेत स्त्राव की समस्या देखने में आती है और पुरुषों में पेशाब के दौरान असामान्य दर्द एवं जलन, उनके शिशन से पस का स्त्राव तथा अंडकोष में सूजन तथा दर्द की समस्या देखने में आती है. ये लक्षण आम तौर पर संक्रमण होने के दो दिन से लेकर दो हफ्तों में नजर आने लगते हैं.

इलाज संभव है

यौन संचारित रोगों का अगर सही समय पर पता चल जाये तो इलाज संभव है. शरीर में नई एंटीबॉडीज की मदद से इन बीमारियों को ठीक किया जा सकता है. बशर्ते रोगी सही तरह से इलाज ले तथा इलाज की अवधि में यौन संबंधों में परहेज रखे. डॉ. रेड्डी बताते हैं कि इन अवस्थाओं में रोगी की जरा सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है.

ग्लोबलाइजेशन के इस दौर ने हर जानकारी को लोगों की मुठ्ठी में बंद कर दिया हैं. साथ ही उनके स्वभाव को खुला तथा प्रयोगात्मक बना दिया है. यानि बात चाहे रिश्तों की हो या सोच की लोग नए रोमांच की चाह में प्रयोग करने में संकुचाते नहीं हैं. खास तौर पर जब हम बात करते हैं महिलाओं और पुरुषों के बीच शारीरिक और भावनात्मक संबंधों की, उनको लेकर भी लोगों की सोच में अंतर आया है.

विशेष तौर पर शहरी क्षेत्रों में पेड सेक्स यानि खरीदा गया संभोग, या फिर अनजान लोगों से सिर्फ मनोरंजन या आनंद के लिए बनाए गए शारीरिक संबंध, एक से अधिक लोगों के साथ बगैर सुरक्षा व सावधानी के बनाए गए संबंध जैसी बाते या घटनाएं किसी कहानियों की बाते नहीं रह गई हैं. हालांकि लोगों का एक छोटा प्रतिशत है, जो इस उन्मुक्त जीवन शैली में यकीन रखता है. इस व्यसनी व्यवहार के चलते ही आजकल लोगों में सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज (एसटीडी) यानि यौन संचारित बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं.

क्या होती है यौन संचारित बीमारियां या रति रोग, इस बारे में ETV भारत सुखीभवा की टीम ने एंडरोलॉजिस्ट तथा विशेष सलाहकार डॉ. राहुल रेड्डी से बात की.

क्या तथा क्यों होती है यौन संचारित बीमारियां

डॉ. रेड्डी बताते है की यौन संचारित रोग असुरक्षित यौन संबंधों जैसे कंडोम के उपयोग के बिना एक से अधिक लोगों तथा पहले से ही संक्रमित व्यक्ति से बनाए गए शारीरिक संबंधों, अप्राकृतिक संभोग तथा संबंधों के उपरांत अपने जननांगों की सही तरीके से साफ सफाई ना रखने के चलते होता हैं. इस तरह की समस्याएं स्त्री या पुरुष दोनों के लिए ही घातक हो सकती है. गंभीर अवस्था में एसटीडी पीड़ित व्यक्ति को एचआईवी/एड्स जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है. यौन संचारित रोगों में क्लेमायडिया तथा गोनोरिया सबसे प्रचलित बीमारी हैं.

क्लेमायडिया

यह रोग क्लेमायडिया ट्रैकोमैटिक नामक जीवाणु से होता है, जो जननांगों और आंखों में संक्रमण फैलाता है. यह एक बैक्टीरियल संक्रमण होता है, जो योनि मैथुन तथा मुख मैथुन से फैलता है. इस संक्रमण के लक्षण आम तौर पर लोगों में सरलता से दिखाई नहीं देते. लेकिन महिलाओं में इस संक्रमण के बढ़ने पर महिलाओं में मुत्राशय का संक्रमण, योनिस्त्राव में परिवर्तन, पेट के निचले हिस्से में हल्का दर्द, असुविधाजनक तथा दर्द भरा संभोग तथा मासिक धर्म में परेशानी ही समस्या हो सकती है.

यदि किसी गर्भवती महिला को यह समस्या है, तो बच्चे के जन्म के उपरांत उसे भी यह बीमारी हो सकती है, साथ ही उसे नेत्र संक्रमण तथा निमोनिया की भी शिकायत हो सकती हैं. वहीं पुरुषों में पेशाब में जलन तथा बाद में पेशाब से मवाद या खून आने जैसे लक्षण नजर आते हैं.

गोनोरिया

गोनोरिया को द क्लैप के नाम से भी जाना जाता है. इसके जीवाणु महिलाओं और पुरुषों में तेजी से फैलते हैं. पुरुषों में ये संक्रमण फैलने पर पेशाब में जलन होने लगती है तथा बाद में पेशाब से मवाद या खून आना शुरू हो जाता है. वहीं महिलाओं में भी पेशाब में जलन, सफेद डिस्चार्ज, पेडू व कमर में दर्द, फेलोपिन ट्यूब में सूजन तथा बांझपन जैसी समस्याएं देखने में आती है.

डॉ. रेड्डी बताते हैं कि क्लेमायडिया तथा गोनोरिया सहित जननांग दाद, सिफलिस, ह्यूमन पेपिलोमा वायरस सहित अन्य रति रोगों में भी आम तौर पर एक जैसे लक्षण नजर आते हैं, जिनमें महिलाओं में पेडू में लगातार दर्द, बार-बार पेशाब जाने की इच्छा, संभोग के दौरान असामान्य दर्द, तथा गाढ़ा श्वेत स्त्राव की समस्या देखने में आती है और पुरुषों में पेशाब के दौरान असामान्य दर्द एवं जलन, उनके शिशन से पस का स्त्राव तथा अंडकोष में सूजन तथा दर्द की समस्या देखने में आती है. ये लक्षण आम तौर पर संक्रमण होने के दो दिन से लेकर दो हफ्तों में नजर आने लगते हैं.

इलाज संभव है

यौन संचारित रोगों का अगर सही समय पर पता चल जाये तो इलाज संभव है. शरीर में नई एंटीबॉडीज की मदद से इन बीमारियों को ठीक किया जा सकता है. बशर्ते रोगी सही तरह से इलाज ले तथा इलाज की अवधि में यौन संबंधों में परहेज रखे. डॉ. रेड्डी बताते हैं कि इन अवस्थाओं में रोगी की जरा सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है.

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