मन को शांत और स्वस्थ रखने के लिए मेडिटेशन को काफी फायदेमंद माना जाता है. जानकार मानते हैं कि नियमित तौर पर मेडिटेशन करने से ना सिर्फ मन शांत होता है, तनाव व बेचैनी कम होती है, मन को एकाग्र करने में सरलता होती है. साथ ही अचानक घबराहट और पैनिक की स्तिथि में ध्यान या मेडिटेशन काफी मदद करता है.
बेंगलुरु की योग गुरु मीनू वर्मा बताती हैं कि ध्यान एक मानसिक व्यायाम है जो एकाग्रता और जागरुकता तो बढ़ाता है, साथ ही कई मानसिक अवस्थाओं के चलते उत्पन्न होने वाले आवेग को शांत करने में मदद भी करता है. वह बताती हैं कि नियमित रूप से ध्यान करने वाले लोगों का मानसिक स्वास्थ्य तथा क्षमता दूसरों की अपेक्षा ज्यादा बेहतर होती है. इसके अलावा यह कई प्रकार के फोबिया, पैरानॉइड विचार तथा कंपल्सिव डिसऑर्डर सहित कई मनोविकृतियों में भी मददगार हो सकता है.
मेडिटेशन के प्रकार
वह बताती हैं कि मूल रूप से ध्यान या मेडिटेशन को योग की ही एक शाखा माना जाता है, जो हमारे मस्तिष्क की शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है. वर्तमान समय में योग आधारित मेडिटेशन या वैदिक मेडिटेशन के अलावा और भी कई प्रकार के मेडिटेशन प्रचलित हो गए हैं जो ध्यान की प्रक्रिया को ज्यादा सरल बनाते हैं तथा जिन्हें करना लगभग सभी उम्र के लोगों के लिए काफी सरल है. वर्तमान समय में प्रचलित कुछ पारंपरिक तथा आधुनिक ध्यान तकनीकों में से कुछ इस प्रकार हैं:
वैदिक ध्यान (Transcendental Meditation)
वैदिक ध्यान हमारी प्राचीन भारतीय योग परंपरा का हिस्सा है तथा ऋषि मुनि ध्यान की इसी शैली का अभ्यास करते रहे हैं. वैदिक योग को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति का भी हिस्सा माना जाता है. इस ध्यान शैली में मन को शांत करने के लिए किसी स्वर या ध्वनि पर ध्यान केंद्रित करते हुए गहरी तथा नियंत्रित सांस ली जाती है.
मंत्र आधारित मेडिटेशन (Mantra Meditation)
मंत्र आधारित मेडिटेशन को सबसे शक्तिशाली ध्यान क्रिया में गिना जाता है. इस प्रकार के ध्यान में अपनी श्वास की गति को नियंत्रित रखते हुए तथा किसी मंत्र का उच्चारण करते हुए या उसे सुनते हुए ध्यान केंद्रित किया जाता है. इसे जाप मेडिटेशन भी कहते हैं. भारतीय परंपरा में ध्यान की यह विधा काफी प्रचलित है. वहीं बौद्ध, जैन तथा सिख परंपराओं में जाप मेडिटेशन का अभ्यास ज्यादा प्रचलित है.
कुंडलिनी योग ध्यान (Kundalini Meditation)
योग में कुंडलिनी को हमारी प्राण शक्ति का केंद्र माना जाता है. दरअसल योग के अनुसार हमारे शरीर में सात चक्र माने गए हैं. मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्ध, आज्ञा और सहस्त्रार. कुंडलिनी योग में सातों चक्रों को जगाने का प्रयास किया जाता है. इसी के तहत कुंडलिनी ध्यान में मन और इंद्रियों के माध्यम से शरीर की प्राण ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. कुंडलिनी ध्यान न सिर्फ तनाव से मुक्ति दिलाता है, बल्कि मन को शांत रखने में तथा फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने में भी काफी मददगार होता है, क्योंकि इसमें सांस लेने का उचित तरीका सिखाया जाता है. इसके अतिरिक्त यह शरीर की संज्ञानात्मक कार्यप्रणाली में भी सुधार लाने में मदद करता है.
माइंडफूलनेस मेडिटेशन (Mindfulness Meditation)
मीनू वर्मा बताती हैं कि वर्तमान समय में माइंडफुल मेडिटेशन सबसे ज्यादा प्रचलित है. इस प्रकार की मेडिटेशन में वर्तमान परिस्थिति, दिन भर में घटित किसी क्रियाकलाप, या किसी विशेष अनुभव या अनुभूति पर ध्यान केंद्रित करना होता है. दरअसल हमारे मन की गति बहुत तीव्र होती है. हम जब भी अपने मन को एकाग्र करके दुनिया जहान की बातों से दूर करने का प्रयास करते हैं, उस समय हमारे मन में और भी ज्यादा विचार आने लगते हैं. ऐसे में माइंडफुल मेडिटेशन हमें उन बातों या समस्याओं से दूर ले जाने की बजाय उनके बीच रहते हुए ध्यान को लगाए रखने में मदद करते हैं.
मेटा मेडिटेशन (Meta Meditation)
बौद्ध परंपराओं का हिस्सा माने जाने वाले इस मेडिटेशन को मुख्यतः तिब्बतियों और बौद्ध परंपराओं को मानने वाले लोगों द्वारा किया जाता है. इसे अंग्रेजी में 'लविंग काइन्डनेस मेडिटेशन' के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस ध्यान को करने का उद्देश्य ही मन में खुशी और दया के भाव जागृत करना तथा दूसरों के प्रति अच्छे विचार उत्पन्न करना होता है.
मीनू वर्मा बताती हैं कि मेटा ध्यान का उद्देश्य दूसरों से प्यार करना ही नहीं, बल्कि स्वयं से बिना शर्त प्यार करना भी है. इस ध्यान अभ्यास के दौरान एक आरामदायक स्थिति में बैठने और गहरी सांसे लेने के साथ ही मन में ऐसे भाव लाने के लिए प्रेरित किया जाता है जिनमें करुणा, प्रेम, दया और परोपकार की भावना हो. आमतौर पर इस मेडिटेशन के दौरान मैं खुश हूं, मुझे खुश रहना चाहिए, मैं सुरक्षित हूं, स्वस्थ हूं, तथा मैं दूसरों से प्रेम करने में सक्षम हूं, जैसे विचार दोहराने के बातें कही जाती हैं. माना जाता है कि इस मेडिटेशन का हमारी विचारधारा पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
मेटा मेडिटेशन के अतिरिक्त बौद्ध परंपरा में शमथा तथा विपश्यना ध्यान तकनीक का भी अभ्यास किया जाता है.
जेन मेडिटेशन (Zen Meditation)
यह भी चीनी बौद्ध मेडिटेशन की ही एक तकनीक है. इस मेडिटेशन तकनीक में आंखों को पूरी तरह से बंद रखने की वजह आंशिक रूप से बंद रखा जाता है. यही नहीं सांसों को गिनते हुए नाक से सांस लेने के लिए कहा जाता है. मेडिटेशन के दौरान पद्मासन में बैठने के बाद ध्यान की पूरी अवधि के दौरान हाथों से लौकिक मुद्रा बनाई रखी जाती है. माना जाता है कि ऐसा करने से मन ज्यादा बेहतर तरीके से स्थिर होता है जिससे ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है.
केंद्रित मेडिटेशन (Focused Meditation)
इस प्रकार के मेडिटेशन में पांच इंद्रियों में से किसी एक का प्रयोग करके एकाग्रता लाने का प्रयास किया जाता है. जैसे किसी एक वस्तु को देखते रहना कोई एक गीत या संगीत सुनते हुए उस पर ध्यान केंद्रित करना माला गिनना या किसी खास खुशबू पर ध्यान केंद्रित करना. इस प्रकार का मेडिटेशन भी आजकल काफी ज्यादा प्रचलित है.
विजुअलाइजेशन मेडिटेशन (Visualization Meditation)
मेडिटेशन की यह शाखा भी वर्तमान समय में काफी ज्यादा प्रचलित है. इसे काफी प्रभावशाली माना जाता है इसीलिए इस विधा को लेकर वैज्ञानिक तौर पर भी कई अध्ययन किए जा चुके हैं. इस प्रकार के मेडिटेशन में किसी एक काल्पनिक या वास्तविक स्थान की कल्पना करने के लिए निर्देशित किया जाता है जो प्रकृति के समीप हो तथा मन को शांति और सुकून प्रदान करें. जैसे झील, नदी, पहाड़, जंगल, फूलों के बगीचे तथा समुद्र का किनारा आदि.
योग गुरु मीनू बताती हैं कि मेडिटेशन को चाहे किसी भी रूप में किया जाए, यह ना सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है. जैसे उच्च रक्तचाप की समस्या, दर्द, अनिन्द्रा तथा मेटाबोलिज़्म संबंधी समस्याओं आदि में ध्यान काफी लाभकारी होता है.