विश्व फ्रेजाइल एक्स जागरूकता माह : फ्रेजाइल एक्स सिंड्रोम एक आनुवंशिक स्थिति या वंशानुगत सिंड्रोम है जो बौद्धिक विकलांगता या ऑटिज्म का कारण बनता है. यह X गुणसूत्र पर FMR1 जीन पर एक आनुवंशिक उत्परिवर्तन के कारण होने वाला विकार है. यह जीन सामान्य मस्तिष्क विकास के लिए आवश्यक प्रोटीन बनाता है. यह आनुवंशिक विकार माता-पिता में से किसी एक से विरासत में मिल सकता है. लेकिन इसकी विशेषता यह है कि यदि पिता के माध्यम से यह विकार मिल रहा है तो यह केवल उनकी बेटियों को प्रभावित करेगा. वहीं माता के माध्यम से यह विकार किसी भी लिंग के बच्चे को पहुँच सकता है. इसे प्रभाव आमतौर पर बालकों में ज्यादा गंभीर रूप में नजर आते हैं. वहीं बालिकाओं में इसके प्रभाव या लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक नजर आ सकते हैं. यानी महिलाओं की तुलना में पुरुषों को यह विकार अधिक गंभीर रूप से प्रभावित करता है. इसे मार्टिन-बेल सिंड्रोम या एस्कैलेंट सिंड्रोम भी कहा जाता है. जुलाई माह में विश्व फ्रेजाइल एक्स जागरूकता माह मनाया जाता है.
होती हैं शारीरिक व मानसिक समस्याएं
फ्रेजाइल एक्स सिंड्रोम से पीड़ित लोगों में बौद्धिक विकलांगता के अलावा कई अन्य लक्षण भी नजर आते हैं. इस विकार में पीड़ितों के चेहरे तथा शरीर के कुछ अन्य अंगों की बनावट सामान्य से भिन्न होती है. जैसे उनका चेहरा या कान अपेक्षाकृत ज्यादा लंबे हो सकते हैं, या उनके कान, पैर, जोड़ों और तालु में समस्याएं हो सकती है तथा विशेषकर पुरुषों में बड़े अंडकोष जैसी असामान्यताएं नजर आ सकती हैं. इसके अलावा इस समस्या के पीड़ितों में कई प्रकार की शारीरिक व मानसिक समस्याएं भी नजर आ सकती हैं, जैसे देखने में समस्या, हर्निया , दौरे पड़ना , जल्दी जल्दी कान में या अन्य प्रकार के संक्रमण का शिकार होना, शरीर में संतुलन की कमी, हाथ कांपना, चलने में कठिनाई, अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर, अटेंशन डेफिसिट हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर, ऑटिज्म, चिंता, संवेदी विकार तथा आक्रामकता आदि. इस डिसॉर्डर से पीड़ित महिलाओं में इस विकार के प्रभाव स्वरूप प्रजनन में समस्या तथा ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याएं भी नजर आ सकती हैं.
फ्रेजाइल एक्स सिंड्रोम से पीड़ित पुरुषों को महिलाओं के मुकाबले बोलने, पढ़ने, चलने, प्रतिक्रिया देने तथा निर्देशों को समझने आदि में ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है. हालांकि अभी तक इस आनुवंशिक विकार का कोई इलाज नहीं है. लेकिन यदि बचपन से ही उपचार, प्रशिक्षण तथा प्रबंधन के लिए प्रयास किया जाय तो बच्चों को चलने , बात करने, अपने अन्य कार्यों को करने तथा अन्य महत्वपूर्ण कौशल सीखने में मदद मिल सकती है.