Osteoporosis : ऑस्टियोपोरोसिस दरअसल आज के दौर में बेहद आम हो चुके रोगों में से एक माना जाता है. क्योंकि वर्तमान समय में अलग-अलग कारणों से हर उम्र के लोगों में विशेषकर 30 वर्ष की आयु के बाद इसके मामले काफी ज्यादा देखने में आने लगे हैं. ऑस्टियोपोरोसिस वैसे तो एक आम रोग है जिसका समय से इलाज कराने पर निदान संभव है. लेकिन इसकी जांच व इलाज में देरी कई बार पीड़ितों में गंभीर परेशानियों का कारण भी बन सकती है. यहाँ तक कि कभी-कभी गंभीर अवस्था में यह रोग पीड़ित में विकलांगता का कारण भी बन सकता है. bone disease . bone health . Osteoporosis Day .
क्या है ऑस्टियोपोरोसिस
ऑर्थो हेल्थ नई दिल्ली के ऑर्थोपेडिक कंसल्टेंट डॉ आरव छाबड़ा बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में सिर्फ बुजुर्गों में ही नहीं बल्कि अधेड़ व युवा वयस्कों में भी ऑस्टियोपोरोसिस के मामले काफी ज्यादा नजर आने लगे हैं. वह बताते हैं कि ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियों का बोन मास या द्रव्यमान प्रभावित होने लगता है जिससे हड्डियां कमजोर व भंगुर होने लगती हैं. वह बताते हैं कि इसे साइलेंट रोग कहा जाता है क्योंकि इसके लक्षणों का पता आमतौर पर तब तक नहीं चलता है जब तक जांच ना करवाई जाय. महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या अपेक्षाकृत ज्यादा देखने में आती है. खासतौर पर मेनोपॉज तक पहुंचने वाली महिलाओं में इस समस्या के होने की आशंका काफी ज्यादा बढ़ जाती है.
कारण तथा प्रभाव
डॉ आरव छाबड़ा बताते हैं कि ऑस्टियोपोरोसिस के मामलों के बढ़ने के लिए कई कारणों को जिम्मेदार माना जा सकता है. जिनमें कुछ खास रोगों व समस्याओं के प्रभाव, या कुछ विशेष दवाओं के पार्श्व प्रभाव के अलावा कई बार आहार तथा जीवनशैली से जुड़ी खराब आदतें भी शामिल हैं. दरअसल जब आहार सबंधी खराब आदतों का प्रभाव पाचन क्रिया पर पड़ता है तो कई बार पाचन तंत्र में समस्या या रोग की आशंका बढ़ जाती है . साथ ही आहार से मिलने वाले पोषण के अवशोषण की क्रिया प्रभावित होती है. जिससे शरीर को विशेषकर हड्डियों को भी स्वस्थ रहने के लिए जरूरी पोषण नहीं मिल पाता है.
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वहीं आहार के अलावा आलसी या ऐसी जीवन शैली जिसमें व्यायाम या शारीरिक सक्रियता ना हो हमारी हड्डियों व मांसपेशियों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती हैं. इनके अलावा कई बार आनुवंशिक कारणों से या मधुमेह, ओबेसिटी, रूमेटाइड अर्थराइटिस, इंफ्लेमेटरी अर्थराइटिस, पाचन तंत्र से जुड़े रोग , कुछ हार्मोनल समस्याएं , नशे या धूम्रपान की आदत, या लंबे समय तक स्टेरॉयड या एंटीपाइलेप्टिक व कैंसर की दवाएं लेने के कारण भी लोगों में ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम बढ़ सकता है.
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ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव
डॉ आरव छाबड़ा बताते हैं कि बचपन से ही जीवनशैली तथा आहार संबंधी स्वस्थ व अच्छी आदतों को अपनाने से हमारी हड्डियों स्वस्थ व मजबूत रहती है. इसके अलावा 30 वर्ष की आयु के बाद से नियमित अंतराल पर ना सिर्फ बोन डेंसिटी टेस्ट बल्कि अन्य जरूरी जांच करवाते रहना भी बेहद जरूरी है. खासतौर पर ऐसे लोग जिनके परिवार में इस तरह की समस्या का इतिहास रहा हो या जो मधुमेह या अन्य प्रकार की कोमोरबीटी से पीड़ित हों उनके लिए नियमित स्वास्थ्य जांच तथा अपेक्षाकृत ज्यादा सावधानियों को अपनाना बेहद जरूरी होता है. इन सावधानियों के तहत कुछ स्वस्थ आदतों को अपनी जीवनशैली में शामिल करना काफी फायदेमंद हो सकता है जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
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संतुलित आहार ग्रहण करें. जिसमें जरूरी खनिज जैसे कैल्शियम ,एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन डी सहित जरूरी विटामिन व अन्य पोषक तत्व भरपूर मात्रा में हों. इसके लिए आहार में हरी पत्तेदार सब्जियां, चुकंदर, फलियां , दूध और दूध से बने उत्पाद, रागी,दाने और बीज, फल, सूखे मेवे , अनाज तथा दालें शामिल करें. शरीर की सामान्य विटामिन डी की जरूरत को पूरा करने के लिए प्रतिदिन या सप्ताह में लगभग तीन बार दोपहर की धूप में 10-15 मिनट का समय बिताएं. दिनचर्या में नियमित व्यायाम को शामिल करें, या ऐसी गतिविधियों को बढ़ाएं जिनमें शारीरिक सक्रियता बनी रहे. इसके अलावा प्रतिदिन कुछ देर तेज चलना, साइकिल चलाना या तैराकी करना भी फायदेमंद होता है. वजन को नियंत्रित रखने का प्रयास करें. धूम्रपान व शराब से परहेज करें तथा कैफीन का कम से कम सेवन करें.
इलाज जरूरी
डॉ छाबड़ा बताते हैं कि कई बार लोग नियमित जांच में विटामिन डी या किसी अन्य पोषक तत्व की कमी नजर आने को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते हैं और चिकित्सों द्वारा दिए गए सप्लीमेंट का भी नियमित तथा नियमानुसार सेवन नहीं करते हैं. यही नहीं बहुत से लोग लोग कई बार कमर या जोडों में दर्द सहित हड्डी से जुड़े दर्द को भी शुरुआत में अनदेखा करते रहते हैं, जो सही नहीं है. इसके अलावा कई बार जांच में बोन डेंसिटी में कमी आने के बाद भी कई लोग या तो दवा लेते नहीं है या फिर दवा का कोर्स पूरा नहीं करते हैं. यह आदत सिर्फ बुजुर्गों में ही नहीं बल्कि कम उम्र के लोगों में भी आमतौर पर देखी जाती है.
ऐसा करना सिर्फ ऑस्टियोपोरोसिस ही नहीं बल्कि हड्डियों से जुड़ी कई अन्य प्रकार की समस्याओं के होने का या उनका प्रभाव बढ़ने का कारण बन सकता है. इसलिए बहुत जरूरी है किसी भी प्रकार के पोषक तत्व की कमी होने पर या हड्डी या मांसपेशियों में किसी भी प्रकार के दर्द, दबाव या असहजता होने की अवस्था में चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें. साथ ही हमेशा आहार से जुड़ी तथा अन्य जरूरी सावधानियों का पालन करें तथा दवा का कोर्स हमेशा पूरा करें. silent disease osteoporosis can be prevent by healthy lifestyle