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कमर का दर्द नजरअंदाज ना करें

आमतौर पर लोग कमर के दर्द को सिर्फ गलत पोश्चर से जोड़कर देखते हैं. यह सत्य है कि गलत पोश्चर कमर दर्द का बहुत बड़ा कारण है, लेकिन कई बार कमर दर्द हमारी रीढ़ की हड्डी, उससे जुड़ी नसों तथा हमारी कूल्हे और पांव की नसों से जुड़ी समस्या के कारण भी हो सकता है. इस अवस्था में यदि इस दर्द को नजरअंदाज किया जाए, तो भविष्य में यह काफी भारी परिणाम दे सकता है.

effect of sciatica on health
साइटिका का स्वास्थ्य पर असर
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Published : Nov 25, 2020, 12:51 PM IST

कमर में दर्द होने पर उसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए. तुरंत चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए, क्योंकि ज्यादातर मामलों में कमर के दर्द का मुख्य कारण हमारी रीढ़ की हड्डी या नसों में समस्या होती हैं. साइटिका भी सायटिक तंत्रिका में समस्या या उस पर दबाव पड़ने के कारण होती है. इस दर्द या बीमारी को अनदेखा करने का नतीजा गंभीर हो सकता है. साइटिका की अनदेखी के चलते शरीर पर पड़ने वाले गंभीर परिणामों तथा कमर की सर्जरी को लेकर फैली हुई भ्रातियों के बारे में हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. हेम जोशी ने विस्तार से जानकारी दी.

साइटिका की अनदेखी स्वास्थ्य पर भारी

डॉ. जोशी बताते हैं कि साइटिका के पीड़ितों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वह नियमित तौर पर अपने चिकित्सक के संपर्क में रहे. ज्यादातर मामलों में दवाई की मदद से मरीज की स्थिति पर नियंत्रण रखा जा सकता है, लेकिन दर्द के ज्यादा बढ़ने के साथ मल मूत्र जैसे नित्य कर्म में समस्या होने लगे और उन पर नियंत्रण ना रहे तो, स्थिति गंभीर हो जाती है.

दरअसल साइटिका के अति गंभीर होने पर पीड़ित के मूत्राशय तथा आंतों पर गंभीर असर पड़ता है. कई बार व्यक्ति का पेशाब करने जैसी क्रिया पर ही नियंत्रण नहीं रहता है. जिसके चलते कभी भी उसका पेशाब निकल सकता है. वहीं मरीज को कब्ज का सामना करना पड़ता है, जिसके चलते उसे मल त्याग करने में समस्या होती, समस्या अति गंभीर हो जाती है, तो कई बार रोगी मल का त्याग ही नहीं कर पाता है.

इसके अलावा ऐसी अवस्था में कई बार मरीज को फुट ड्रॉप होने पर बिल्कुल लकवे जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है, क्योंकि इस अवस्था में मरीज स्वयं अपने पांव के पंजे को ऊपर नहीं उठा पाता है. यह दोनों ही अवस्थाएं अति गंभीर अवस्था कहलाती हैं और ऐसी समस्या होने पर तुरंत चिकित्सक की सलाह लेनी जरूरी हो जाती है, क्योंकि इस अवस्था में सर्जरी ही एकमात्र उपाय होता है.

सर्जरी से डरे नहीं

डॉ. जोशी बताते है की साइटिका तथा स्लिप डिस्क जैसी समस्याओं को लेकर की जाने वाली ज्यादातर सर्जरी कम समय में हो जाती हैं. इन सर्जरी में अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग किया जाता है. इस प्रकार की सर्जरी को मिनिमली इनवेसिव सर्जरी या साधारण भाषा में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी कहा जाता है. जिसमें बगैर शरीर का कोई भी अंग काटे एक घंटे से भी कम समय में सर्जरी पूरी हो जाती है और अगले ही दिन से मरीज को धीरे-धीरे चलाना व फिराना शुरू कर दिया जाता हैं. लेकिन समस्या यदि हड्डियों की पंक्ति बंधता या संरेक्षण जिसे अंग्रेजी में अलाइंगमेंट कहा जाता है, में हो या कोई अन्य हड्डियों से जुड़ी गंभीर समस्या हो, तो चिकित्सक सामान्य सर्जरी ही करते हैं.

देखभाल कर करें चिकित्सक का चयन

डॉ. जोशी कहते हैं कि सर्जरी चाहे छोटी हो या बड़ी जिस भी चिकित्सक के पास आप जाएं, उनसे मिलने से पहले उनके बारे में पूरी जानकारी ले. बहुत जरूरी है कि यह सर्जरी किसी अति प्रशिक्षित चिकित्सक द्वारा ही कराई जाए, तथा इस सर्जरी से पहले रोगी अपने चिकित्सक से खुलकर बात करें तथा सर्जरी की प्रक्रिया तथा सर्जरी के उपरांत क्या कर सकते हैं और क्या नहीं इस बारे में जानकारी लें. ऐसा करने से भविष्य में होने वाली कई परेशानियों से मरीज स्वयं को बचा सकते हैं.

कमर में दर्द होने पर उसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए. तुरंत चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए, क्योंकि ज्यादातर मामलों में कमर के दर्द का मुख्य कारण हमारी रीढ़ की हड्डी या नसों में समस्या होती हैं. साइटिका भी सायटिक तंत्रिका में समस्या या उस पर दबाव पड़ने के कारण होती है. इस दर्द या बीमारी को अनदेखा करने का नतीजा गंभीर हो सकता है. साइटिका की अनदेखी के चलते शरीर पर पड़ने वाले गंभीर परिणामों तथा कमर की सर्जरी को लेकर फैली हुई भ्रातियों के बारे में हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. हेम जोशी ने विस्तार से जानकारी दी.

साइटिका की अनदेखी स्वास्थ्य पर भारी

डॉ. जोशी बताते हैं कि साइटिका के पीड़ितों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वह नियमित तौर पर अपने चिकित्सक के संपर्क में रहे. ज्यादातर मामलों में दवाई की मदद से मरीज की स्थिति पर नियंत्रण रखा जा सकता है, लेकिन दर्द के ज्यादा बढ़ने के साथ मल मूत्र जैसे नित्य कर्म में समस्या होने लगे और उन पर नियंत्रण ना रहे तो, स्थिति गंभीर हो जाती है.

दरअसल साइटिका के अति गंभीर होने पर पीड़ित के मूत्राशय तथा आंतों पर गंभीर असर पड़ता है. कई बार व्यक्ति का पेशाब करने जैसी क्रिया पर ही नियंत्रण नहीं रहता है. जिसके चलते कभी भी उसका पेशाब निकल सकता है. वहीं मरीज को कब्ज का सामना करना पड़ता है, जिसके चलते उसे मल त्याग करने में समस्या होती, समस्या अति गंभीर हो जाती है, तो कई बार रोगी मल का त्याग ही नहीं कर पाता है.

इसके अलावा ऐसी अवस्था में कई बार मरीज को फुट ड्रॉप होने पर बिल्कुल लकवे जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है, क्योंकि इस अवस्था में मरीज स्वयं अपने पांव के पंजे को ऊपर नहीं उठा पाता है. यह दोनों ही अवस्थाएं अति गंभीर अवस्था कहलाती हैं और ऐसी समस्या होने पर तुरंत चिकित्सक की सलाह लेनी जरूरी हो जाती है, क्योंकि इस अवस्था में सर्जरी ही एकमात्र उपाय होता है.

सर्जरी से डरे नहीं

डॉ. जोशी बताते है की साइटिका तथा स्लिप डिस्क जैसी समस्याओं को लेकर की जाने वाली ज्यादातर सर्जरी कम समय में हो जाती हैं. इन सर्जरी में अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग किया जाता है. इस प्रकार की सर्जरी को मिनिमली इनवेसिव सर्जरी या साधारण भाषा में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी कहा जाता है. जिसमें बगैर शरीर का कोई भी अंग काटे एक घंटे से भी कम समय में सर्जरी पूरी हो जाती है और अगले ही दिन से मरीज को धीरे-धीरे चलाना व फिराना शुरू कर दिया जाता हैं. लेकिन समस्या यदि हड्डियों की पंक्ति बंधता या संरेक्षण जिसे अंग्रेजी में अलाइंगमेंट कहा जाता है, में हो या कोई अन्य हड्डियों से जुड़ी गंभीर समस्या हो, तो चिकित्सक सामान्य सर्जरी ही करते हैं.

देखभाल कर करें चिकित्सक का चयन

डॉ. जोशी कहते हैं कि सर्जरी चाहे छोटी हो या बड़ी जिस भी चिकित्सक के पास आप जाएं, उनसे मिलने से पहले उनके बारे में पूरी जानकारी ले. बहुत जरूरी है कि यह सर्जरी किसी अति प्रशिक्षित चिकित्सक द्वारा ही कराई जाए, तथा इस सर्जरी से पहले रोगी अपने चिकित्सक से खुलकर बात करें तथा सर्जरी की प्रक्रिया तथा सर्जरी के उपरांत क्या कर सकते हैं और क्या नहीं इस बारे में जानकारी लें. ऐसा करने से भविष्य में होने वाली कई परेशानियों से मरीज स्वयं को बचा सकते हैं.

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