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इस देसी चाय के दीवाने बढ़ रहे लगातार, फायदे और भी शानदार - special hearbal tea

ये चाय काफी स्वादिष्ट और गुणकारी होती है. जिसका सेवन हजारों सालों से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों द्वारा किया जा रहा है. भारत में ये आसानी से उपलब्ध होता है. पश्चिमी अफ्रीका में यह अकाल भोजन (Famine food) के रूप में जाना जाता है. वहां के जंगलों में एक बारहमासी फसल (West Africa Forests perennial crop) के रूप में उगता है. Ragi tea benefits . Special tea kodo . Millet tea benefits . Kodo tea benefits .

Ragi tea benefits . Special tea kodo . Millet tea benefits . Kodo tea benefits .
इस देसी चाय के दीवाने बढ़ रहे लगातार, फायदे और भी शानदार
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Published : Oct 10, 2022, 5:28 PM IST

सबसे ज्यादा चाय पीने वाले देशों में शुमार भारत में चाय की कई वैरायटी मिलती है. मौसम कोई भी हो गरमा-गरम नाश्ते के बाद ऐसी चाय मिल जाए जो स्वाद के साथ-साथ सेहत को भी फायदा पहुंचाए तो ही कहने क्या! ये चाय बनती है कोदरा या कोदो से, जोकि भारत की एक पारंपरिक फसल है और ये मिलेट्स की श्रेणी में आता है. कोदरे की चाय काफी स्वादिष्ट और गुणकारी होती है. इसके कई फायदे भी हैं (Benefits of kodra) और 12 महीने पी जा सकती है. तो आइए विस्तार में जानते हैं कोदरा की चाय के बारे में . Ragi tea benefits . Special tea kodo . Millet tea benefits .

हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू के ढालपुर मैदान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय दशहरा (Kullu Dussehra 2022) उत्सव में कोदरा की चाय जनता के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई (Kodra tea in Kullu Dussehra festival) है. लोग इस चाय को काफी पसंद कर रहे हैं. इसके अलावा कोदरा से बने अन्य उत्पाद भी यहां ग्राहकों को उपलब्ध करवाए जा रहे हैं ताकि इसके सेवन से लोग शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकें.

क्या होता है कोदरा: कोदरा भारत की एक पारंपरिक फसल है जो मिलेट्स की श्रेणी में आता है. जिसका सेवन हजारों सालों से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के द्वारा किया जा रहा है. हालांकि, समय के बदलाव के चलते इसकी खेती काफी कम हो गई है. भारत में कोदरा महाराष्ट्र, उत्तरी कर्नाटक, तमिलनाडु के कुछ भाग, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल के कुछ भाग, बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश सहित उत्तराखंड में भी उगाया जाता है.

इसे कोदों, कोदरा, हरका, वरगु, अरिकेलु जैसे नामों से भी जाना जाता है. वहीं, इसका वानस्पतिक नाम Paspalum Scrobiculatum है. कोदो का पौधा देखने में धान के पौधे की तरह ही होता है. खास बात यह है कि इसकी खेती में धान से बहुत कम पानी की जरूरत होती है. एक अनुमान के मुताबिक 3 हजार साल पहले इसे भारत लाया गया. (What is Kodo Millet).

Sugar Free Rice : दक्षिणी भारत में इसे कोद्रा कहा जाता है और साल में एक बार उगाया जाता है. यह पश्चिमी अफ्रीका के जंगलों में एक बारहमासी फसल के रूप में उगता है और वहां इसे अकाल भोजन के रूप में जाना जाता है. अकसर यह धान के खेतों में घास के समान उग जाता है. पिछले कुछ सालों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोदो की मांग बढ़ी है. इसे ‘शुगर फ्री चावल’ (Sugar free rice) के नाम से जाना जा रहा है और इसलिए अब फूड आउटलेट और होटलों में भी परोसा जा रहा है.

औषधीय गुणों से भरपूर है कोदरा: कोदरा कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है. कोदो के नियमित सेवन से ब्लड में उपस्थित ग्लूकोस के स्तर को कम किया जा सकता हैं, क्योंकि कोदो में मधुमेह विरोधी कंपाउंड क्वेरसेटिन, फेरुलिक एसिड, पी-हाइड्रोक्सी बेंजोइक एसिड, वैनिलिक एसिड और सिरींजिक एसिड पाया जाता हैं. इसके अलावा एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल गतिविधि के लिए कोदो में पॉलीफेनोल और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. पॉलीफेनॉल्स मानव शरीर में पाए जाने वाले बैक्टीरिया जैसे स्टैफिलोकोकस ऑरियस, ल्यूकोनोस्ट ल्यूकोनोस्टोक मेसेन्टेरोइड्स, बेसिलस सेरेस और एंटरोकोकस फेसेलिस के खिलाफ लड़ने में सहायक होता हैं. (Benefits of kodo Millet).

इन बीमारियों के लिए रामबाण: कोदरा कई बीमारियों के लिए रामबाण भी हैं. कोदो में उच्च में फाइबर है जिससे यह वजन को बढ़ने से रोकता है. यह कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर में वृद्धि को रोकने में भी मदद करता है और वजन का प्रबंधन करने और वजन घटाने को बढ़ावा देता है. वहीं, हृदय रोग के लक्षण, उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर से पीड़ित महिलाओं के लिए कोदो बहुत फायदेमंद है. इसके अलावा यह रक्त को साफ करने, अनिद्रा में राहत देने खून को बढ़ाने, कैंसर को रोकने और बवासीर को ठीक करने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है. इसके अलावा रक्तचाप, शुगर जैसी बीमारियों को ठीक करने में ये काफी सहायक माना जाता है.

ऐसे बनाएं कोदरा की चाय (How to make kodra tea): कोदरा की चाय एक बार में ही कई दिनों के लिए तैयार की जा सकती है. इसके लिए 250 ग्राम कोदरे का आटा लें, जिसमें आठ अखरोट के पीस, 100 ग्राम मूंगफली, 50 ग्राम बादाम को कूटकर बारीक पीस लें. इसके बाद इन बारीक की गई सामग्री को कोदरे के आटे में सही तरीके से मिक्स कर लें और 150 ग्राम देसी घी के साथ धीमी आंच में भून लें. इसमें फिर मीठे के लिए शक्कर मिक्स करें. ऐसे में रोजाना दूध या पानी के कप में एक चम्मच मिलाकर कोदरे की चाय पी जा सकती है.

Masala Tea Recipe: चाय के शौकीन जरूर ट्राई करें गरमा-गरम टेस्टी मसाला चाय

सबसे ज्यादा चाय पीने वाले देशों में शुमार भारत में चाय की कई वैरायटी मिलती है. मौसम कोई भी हो गरमा-गरम नाश्ते के बाद ऐसी चाय मिल जाए जो स्वाद के साथ-साथ सेहत को भी फायदा पहुंचाए तो ही कहने क्या! ये चाय बनती है कोदरा या कोदो से, जोकि भारत की एक पारंपरिक फसल है और ये मिलेट्स की श्रेणी में आता है. कोदरे की चाय काफी स्वादिष्ट और गुणकारी होती है. इसके कई फायदे भी हैं (Benefits of kodra) और 12 महीने पी जा सकती है. तो आइए विस्तार में जानते हैं कोदरा की चाय के बारे में . Ragi tea benefits . Special tea kodo . Millet tea benefits .

हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू के ढालपुर मैदान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय दशहरा (Kullu Dussehra 2022) उत्सव में कोदरा की चाय जनता के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई (Kodra tea in Kullu Dussehra festival) है. लोग इस चाय को काफी पसंद कर रहे हैं. इसके अलावा कोदरा से बने अन्य उत्पाद भी यहां ग्राहकों को उपलब्ध करवाए जा रहे हैं ताकि इसके सेवन से लोग शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकें.

क्या होता है कोदरा: कोदरा भारत की एक पारंपरिक फसल है जो मिलेट्स की श्रेणी में आता है. जिसका सेवन हजारों सालों से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के द्वारा किया जा रहा है. हालांकि, समय के बदलाव के चलते इसकी खेती काफी कम हो गई है. भारत में कोदरा महाराष्ट्र, उत्तरी कर्नाटक, तमिलनाडु के कुछ भाग, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल के कुछ भाग, बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश सहित उत्तराखंड में भी उगाया जाता है.

इसे कोदों, कोदरा, हरका, वरगु, अरिकेलु जैसे नामों से भी जाना जाता है. वहीं, इसका वानस्पतिक नाम Paspalum Scrobiculatum है. कोदो का पौधा देखने में धान के पौधे की तरह ही होता है. खास बात यह है कि इसकी खेती में धान से बहुत कम पानी की जरूरत होती है. एक अनुमान के मुताबिक 3 हजार साल पहले इसे भारत लाया गया. (What is Kodo Millet).

Sugar Free Rice : दक्षिणी भारत में इसे कोद्रा कहा जाता है और साल में एक बार उगाया जाता है. यह पश्चिमी अफ्रीका के जंगलों में एक बारहमासी फसल के रूप में उगता है और वहां इसे अकाल भोजन के रूप में जाना जाता है. अकसर यह धान के खेतों में घास के समान उग जाता है. पिछले कुछ सालों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोदो की मांग बढ़ी है. इसे ‘शुगर फ्री चावल’ (Sugar free rice) के नाम से जाना जा रहा है और इसलिए अब फूड आउटलेट और होटलों में भी परोसा जा रहा है.

औषधीय गुणों से भरपूर है कोदरा: कोदरा कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है. कोदो के नियमित सेवन से ब्लड में उपस्थित ग्लूकोस के स्तर को कम किया जा सकता हैं, क्योंकि कोदो में मधुमेह विरोधी कंपाउंड क्वेरसेटिन, फेरुलिक एसिड, पी-हाइड्रोक्सी बेंजोइक एसिड, वैनिलिक एसिड और सिरींजिक एसिड पाया जाता हैं. इसके अलावा एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल गतिविधि के लिए कोदो में पॉलीफेनोल और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. पॉलीफेनॉल्स मानव शरीर में पाए जाने वाले बैक्टीरिया जैसे स्टैफिलोकोकस ऑरियस, ल्यूकोनोस्ट ल्यूकोनोस्टोक मेसेन्टेरोइड्स, बेसिलस सेरेस और एंटरोकोकस फेसेलिस के खिलाफ लड़ने में सहायक होता हैं. (Benefits of kodo Millet).

इन बीमारियों के लिए रामबाण: कोदरा कई बीमारियों के लिए रामबाण भी हैं. कोदो में उच्च में फाइबर है जिससे यह वजन को बढ़ने से रोकता है. यह कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर में वृद्धि को रोकने में भी मदद करता है और वजन का प्रबंधन करने और वजन घटाने को बढ़ावा देता है. वहीं, हृदय रोग के लक्षण, उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर से पीड़ित महिलाओं के लिए कोदो बहुत फायदेमंद है. इसके अलावा यह रक्त को साफ करने, अनिद्रा में राहत देने खून को बढ़ाने, कैंसर को रोकने और बवासीर को ठीक करने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है. इसके अलावा रक्तचाप, शुगर जैसी बीमारियों को ठीक करने में ये काफी सहायक माना जाता है.

ऐसे बनाएं कोदरा की चाय (How to make kodra tea): कोदरा की चाय एक बार में ही कई दिनों के लिए तैयार की जा सकती है. इसके लिए 250 ग्राम कोदरे का आटा लें, जिसमें आठ अखरोट के पीस, 100 ग्राम मूंगफली, 50 ग्राम बादाम को कूटकर बारीक पीस लें. इसके बाद इन बारीक की गई सामग्री को कोदरे के आटे में सही तरीके से मिक्स कर लें और 150 ग्राम देसी घी के साथ धीमी आंच में भून लें. इसमें फिर मीठे के लिए शक्कर मिक्स करें. ऐसे में रोजाना दूध या पानी के कप में एक चम्मच मिलाकर कोदरे की चाय पी जा सकती है.

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