नींद की कमी या खराब गुणवत्ता वाली नींद या कम मात्रा में ली गई नींद हमारे सामाजिक व्यवहार को भी प्रभावित कर सकती है. हाल ही में हुए एक शोध में सामने आया है कि खराब गुणवत्ता वाली नींद या कम अवधि की नींद लोगों में दूसरों की मदद करने की भावना को भी प्रभावित कर सकती है. जर्नल पीएलओएस बायोलॉजी (PLOS Biology Journal) पत्रिका में प्रकाशित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक शोध में हाल ही में सामने आया है कि नींद की मात्रा या गुणवत्ता लोगों के ऐसे व्यवहार को प्रभावित कर सकती हैं जिनसे दूसरों को लाभ पहुंचता हो. यही नहीं इस प्रकार की अवस्था के चलते व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जिससे उसमें अवसाद, चिंता व चिड़चिड़ेपन के लक्षणों में वृद्धि होने साथ ही उसकी भावनाओं को नियंत्रित रखने की क्षमता भी कम होने लगती है. Poor sleep can cause many health problems due to sleep lack
मदद करने की भावना में कमी : गौरतलब है कि इससे पहले भी नींद की कमी के स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभावों को लेकर समय-समय पर देश और विदेश में अध्ययन तथा शोध किए जाते रहे हैं, जिनमें कम मात्रा में सोने, नींद की गुणवत्ता खराब होने तथा सोने व जागने की खराब आदतों के चलते लोगों में मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग तथा मानसिक स्वास्थ्य संबंधी कई प्रकार की समस्याओं के होने की आशंका के बढ़ने की बात कही जाती रही है. लेकिन इस अध्ययन में विशेषरूप से खराब या कम नींद के कारण लोगों के दूसरों की मदद करने वाले व्यवहार पर पड़ने वाले असर को लेकर प्रयोग किया गया था. शोध के निष्कर्ष में विभिन्न प्रयोगों तथा डेटा विश्लेषण के नतीजों के आधार पर माना गया है कि नींद की कमी ना सिर्फ दूसरों की मदद करने कि भावना बल्कि लोगों की दान करने की भावना पर भी असर डालती है.
कैसे हुआ शोध : इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने व्यक्ति, समूह और सामाजिक स्तरों पर पेशेवर व सामाजिक व्यवहार पर नींद के प्रभावों की जांच के लिए तीन अलग-अलग प्रयोग किए थे. पहले प्रयोग में शोधकर्ताओं ने व्यक्तिगत व्यवहार पर नींद की कमी के प्रभाव की जांच की. जिसमें अलग-अलग स्तरों में नींद में कमी के प्रभावों को जानने के लिए प्रश्नावली की मदद ली गई थी. दूसरे प्रयोग में प्रतिभागियों के पेशेवर व्यवहार के लिए जिम्मेदार मस्तिष्क क्षेत्रों पर नींद की कमी के प्रभाव की जांच करने के लिए एफ.एम.आर.आई इमेजिंग का उपयोग किया गया. जिसके नतीजों में नींद की कमी के कारण सामाजिक व्यवहार में मदद करने की भावना में गिरावट तथा सामाजिक अनुभूति में शामिल मस्तिष्क क्षेत्रों में गतिविधि में गिरावट दर्ज की गई थी. तीसरे प्रयोग में, शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों के एक समूह को ऑनलाइन प्रयोग में शामिल किया था, जिसमें उन्हे सोने-जागने के निर्देशों के साथ 4 रातों के लिए नींद के प्रभावों को दर्ज करने के लिए डायरी बनाने के लिए कहा गया था. इस दौरान प्रतिदिन उनके व्यवहार के मूल्यांकन के लिए हर रात के बाद उन्हे एक ऑनलाइन प्रश्नावली का जवाब देने के लिए भी कहा गया.
निष्कर्ष : कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले के नींद शोधकर्ता तथा इस अध्ययन के सह-लेखक डॉ. एति बेन साइमन ने शोध में कहा है कि जो लोग जरूरी मात्रा में नींद लेने को अनावश्यक या समय की बर्बादी मानते हैं उन्हे इस विचार को त्यागते हुए बिना शर्मिंदगी महसूस किए, जरूरी मात्रा में अच्छी नींद लेने का प्रयास करना चाहिए. क्योंकि अच्छी नींद हमारे साथ-साथ हमारे आस-पास रहने वाले लोगों के लिए भी लाभकारी हो सकती है. क्योंकि यह हमारे सामाजिक व्यवहार को भी प्रभावित करती है. उन्होंने बताया है कि शोध में प्रयोगों के निष्कर्षों व डेटा विश्लेषण के आधार पर यह बात सामने आई है कि नींद की कमी या खराब नींद के कारण मस्तिष्क के उन हिस्सों की कार्य क्षमता या सक्रियता में गिरावट आती है जो सामाजिक अनुभूति या सामाजिक व्यवहार से जुड़े होते हैं.
अध्ययन में नींद की कमी के चलते लोगों की दान देने की भावना पर असर जानने को लेकर वर्ष 2001 से 2016 के बीच में एक ऑनलाइन नेशनल चैरिटी के आंकड़ों का भी अध्ययन किया गया था. जिसके नतीजों में सामने आया कि नींद की कमी या खराब नींद के कारण लोगों में धर्मार्थ संस्थाओं को दान देने की इच्छा में भी कमी आती है. शोध में शोधकर्ताओं ने सामाजिक व्यवहार को बेहतर बनाने के उद्देश्य से भी स्लीप हाइजीन को बेहतर करने की जरूरत पर जोर दिया है. इस शोध के निष्कर्षों में शोधकर्ताओं ने खराब नींद के व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार पर असर के बारें में ज्यादा जानने के लिए और भी अध्ययन तथा शोध किए जाने की जरूरत पर बल दिया है.