वर्ष 2021-22 का बजट स्वास्थ्य सेवाओं के लिए काफी बेहतरीन रहा है. इस बजट में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी तथा उन्हें जन-जन तक पहुंचाने के लिए विशेष प्रावधान किए गए है, जिनमें सिर्फ वयस्कों के स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि नवजातों तथा बच्चों के स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखा गया है. बजट के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने नवजातों को लगने वाले न्यूमोकोकल वैक्सीन का जिक्र किया तथा उसे जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रयास करने की बात कही. दरअसल भारत में ही बनने वाली न्यूमोकोकल वैक्सीन फिलहाल सिर्फ पांच राज्यों में ही उपलब्ध है. बजट के बाद उम्मीद जताई जा रही है की यह वैक्सीन अब भारत के हर शहर में मिल पाएगी. गौरतलब है की न्यूमोकोकल वैक्सीन स्ट्रेप्टोकॉकस न्यूमोनिए व न्यूमोकोकस जीवाणु के कारण होने वाले रोगों से बचाती है. आंकड़ों के अनुसार प्रतिवर्ष न्यूमोकोकस जीवाणु के कारण लगभग 50 हजार बच्चे मृत्यु का शिकार हो जाते हैं.
न्यूमोकोकल वैक्सीन क्या है?
न्यूमोकोकल टीके का बारे में जानकारी देते हुए रैन्बो अस्पताल में नैनोलॉजिस्ट डॉ. विजयानन्द जमालपूरी ने ETV भारत सुखीभवा की टीम को बताया की न्यूमोकोकल एक सुरक्षित टीका है, जो न्यूमोकोकस जीवाणु के कारण उत्पन्न होने वाले निमोनिया तथा मेनेगजाइटीस सहित कई रोगों से बचाता है. यह टीका 6 हफ्ते, 14 हफ्ते तथा 9 महीने पर शिशु को दिया जाता है. डॉ. जमालपुरी बताते है की 50 से ज्यादा आयु वाये बुजुर्गों को भी यह टीका अवश्य लेना चाहिए.
वे बताते है की यह एक महंगा टीका है, जो बच्चों को सरकार द्वारा दिए जाने वाले मुफ्त टीकों की श्रेणी में नहीं आता है. यह सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध भी नहीं होता है और इसे दवाई विक्रेताओं से खरीदना पड़ता है. इसलिए आमतौर पर इसका फायदा सभी बच्चे नहीं उठा पाते है. ऐसे बच्चे जिनका वजन जन्म के समय कम हो, या जो ग्रामीण या दूरस्थ क्षेत्रों में पैदा हुए हो, या फिर इस टीके के प्रति जागरूकता के अभाव में तो कभी वैक्सीन के महंगा होने के कारण भी बड़ी संख्या में बच्चे इस टीके का लाभ नहीं उठा पाते है.
न्यूमोकोकल वैक्सीन जिसे आमतौर पर पीसीवी के नाम से भी जाना जाता है, से आम जन का परिचय सर्वप्रथम वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश, बिहार तथा हिमाचल प्रदेश के चिन्हित जिलों में यूनिवर्सल इम्यूनाईजेशन प्रोग्राम के तहत हुआ था. फिलहाल इस टीके का उपयोग मध्य प्रदेश तथा राजस्थान में भी हो रहा है.
क्या है न्यूमोकोकस जीवाणु ?
न्यूमोकोकस एक ऐसा जीवाणु है, जो शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर सकता है. इस जीवाणु के कारण निमोनिया, मेनिनजाइटिस, बच्चों में मध्य कान का संक्रमण, साइनस संक्रमण तथा सेप्सिस यानी खून में संक्रमण जसे रोग हो जाते है. इन रोगों को अनदेखा करना जान पर भारी पड़ सकता है.
स्ट्रेप्टोकॉकस न्यूमोनिए तथा न्यूमोकोकस से फैलने वाले संक्रमण के प्रकार
स्ट्रेप्टोकॉकस न्यूमोनिए तथा न्यूमोकोकस जीवाणु कई प्रकार के संक्रमण तथा रोग का कारण बन सकते है. यदि इन रोगों के शुरुआती लक्षणों पर ध्यान ना दिया जाए, तो ये जानलेवा भी हो सकते है. ये दोनों ही जीवाणु ज्यादातर अवस्थाओं में अन्य जीवाणु तथा फुनगी के साथ मिलकर संक्रमण को गंभीर करते है. इन जीवाणुओं की जुगलबंदी का असर सबसे ज्यादा फेफड़ों के स्वास्थ्य पर पड़ता है, जिससे उनमें संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है. फेफड़ों में संक्रमण के कारण ही निमोनिया जैसी बीमारी होती है. आमतौर पर न्यूमोकोकस संक्रमण के दो कारण माने गए है इनवेसिव तथा नॉन इनवेसिव.
- इनवेसिव
इस श्रेणी में विशेष तौर पर खून में संक्रमण के कारण होने वाली बीमारियों को रखा जाता है. इस अवस्था में शरीर के किसी भी खास अंग के अंदर या खून में संक्रमण हो जाता है. यह गंभीर संक्रमणों की श्रेणी में आता है और ध्यान ना देने पर जानलेवा भी हो सकता है.
इनवेसिव न्यूमोकॉकल श्रेणी के अंतर्गत कई रोग आते है, जो विशेषकर हमारे मस्तिष्क, हड्डियों तथा खून में संक्रमण से जुड़े होते है. जैसे जोड़ों में संक्रमण यानी सेप्टिक अर्थराइटिस, दिमागी बुखार यानी मेनिनजाइटिस, ओस्टियोमाइलाइटिस यानी हड्डियों का संक्रमण, बैक्टीरिमीया तथा सेप्टिसीमिया.
- नॉन इनवेसिस
हालांकि इन्हें इनवेसिव न्यूमोकॉकल रोग से कम गंभीर माना जाता है, लेकिन इस स्थिति के चलते शरीर का कोई भी अंग प्रभावित हो सकता है.
नॉन इनवेसिव न्यूमोकॉकल रोग के अंतर्गत आने वाले संक्रमण या रोग इस प्रकार है, ब्रोंकाइटिस यानी फेफड़ों तथा ब्रोंकाई का संक्रमण, कान का संक्रमण यानी ओटाइटिस मीडिया तथा साइनसाइटिस यानी साइनस का संक्रमण.