मांसाहार का जायका लेने को इच्छुक शाकाहारियों तथा ऐसे लोग जिन्हें स्वास्थ्य या किसी अन्य कारण से मांसाहार को छोड़ना पड़ रहा है, लेकिन वह उसके जायके को भूल ना पा रहे हो, तो ये उनके लिए खुशखबरी है. अब बाजार में मांसाहार की जायके वाला शाकाहारी मीट उपलब्ध है, जो ना सिर्फ स्वाद में बल्कि खाने के बनावट में और खुशबू में भी बिल्कुल मांसाहार जैसा ही लगता है. बाजार में 'प्लांट बेस्ड मीट' के नाम से मशहूर हो रहे शाकाहारी मीट को शुरू करने के पीछे का मुख्य उद्देश्य जीव हत्या में कमी लाना तथा जानवरों के कारण फैलने वाले संक्रमण तथा बीमारियों के ऊपर नियंत्रण लगाना है.
क्या है और कैसे बनता है शाकाहारी मीट
अनाज, दाल, सब्जियों तथा अन्य खाद्य पदार्थों से बनने वाला यह शाकाहारी मीट, चिकन के साथ ही मछली, श्रिम्प तथा अंडों के स्वाद में भी उपलब्ध है. बर्गर पैट्टी, मीट बॉल, नगेट्स तथा सॉसेज सहित विभिन्न प्रकार की वैरायटी में उपलब्ध शाकाहारी मीट को सोया, गेंहू, किनोवा, ओट्स, बींस विभिन्न प्रकार के बीजों, कटहल जैसी सब्जियों तथा मशरूम की विभिन्न प्रजातियों से तैयार किया जाता है. इन सब में सोया तथा मशरूम को मुख्य सामग्री के तौर पर विभिन्न प्रकार के भोज्य पदार्थों में शामिल किया जाता है, क्योंकि यह एक हाई प्रोटीन तथा फाइबर युक्त डाइट है. साथ ही इनकी बनावट तथा स्वाद काफी हद तक मांसाहार जैसा लगता है.
प्रोसेस्ड फूड है शाकाहारी मीट
शाकाहारी मीट प्रोसेस्ड फूड है, जो फ्रोजन, कैंन तथा ड्राइड यानी डब्बा बंद तथा जमे हुए भोज्य पदार्थ के रूप में मिलता है, जो कि लंबी प्रोसेस प्रक्रिया के उपरांत तैयार होता है. चुंकि यह प्रोसेस्ड फूड है, इसलिए इसमें शक्कर, नमक, तेल तथा अनेक प्रकार के कैलोरी युक्त पदार्थों की मात्रा काफी ज्यादा होती है. इसलिए नियमित तौर पर इनका सेवन शरीर पर विपरीत असर भी डाल सकता है. हालांकि इस क्षेत्र में लगातार शोध चल रहा है और उम्मीद जताई जा रही है कि भविष्य में जल्द ही कम कैलोरी युक्त शाकाहारी मीट बाजार में उपलब्ध होगा.
बिमारियों से बचा सकता है शाकाहारी मीट
स्वाइन फ्लू जैसे बहुत से संक्रमण है, जो कि मांसाहार खाने वाले लोगों को संक्रमित करता हैं. जानकारों का मानना है कि पूरी दुनिया में हर साल बड़ी संख्या में लोग ऐसे संक्रमण के कारण गंभीर बीमारियों तथा मृत्यु का शिकार बनते हैं, जो किसी ना किसी तरीके से जानवरों के कारण फैलती है. शाकाहारी मीट के इस्तेमाल से लोग इस तरह के संक्रमणों तथा बीमारियों से बच सकते हैं.
पर्यावरण पर असर
यदि बाजार में शाकाहारी मीट का चलन बढ़ता है, तो काफी हद तक जीव हत्या तथा जीवों पर होने वाली क्रूरता को कम किया जा सकता है.