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विकल्प नहीं समय की जरूरत बन गई है ऑनलाइन पढ़ाई

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Published : Feb 27, 2021, 2:42 PM IST

बीतते समय के साथ ऑनलाइन पढ़ाई से जुड़ी तकनीको और तरीकों में काफी सुधार आया है, लेकिन अभी भी यह एक ऐसा विकल्प है, जिसे ज्यादातर अभिभावक और शिक्षक अपनाना नहीं चाहते हैं। कारण ऑनलाइन पढ़ाई अभी भी अपने उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर पा रहा है, यानी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर होने वाली पढ़ाई से ज्यादातर बच्चे लाभान्वित नहीं हो पा रहे हैं। लेकिन इस तथ्य के बावजूद कोरोना के असर के चलते स्कूली पढ़ाई का यह विकल्प समय की जरूरत बनता जा रहा है।

Impact Of Online Learning On Attention In Children
ऑनलाइन लर्निंग का बच्चोंं सीखने की क्षमता पर असर

कोरोना के चलते वैश्विक स्तर पर बदली परिस्थितियों ने ऑनलाइन लर्निंग को एक विकल्प नहीं, बल्कि समय की जरूरत के रूप में बदल दिया है। नतीजतन बच्चे हो या बड़े पढ़ाई से लेकर, विशेष कोर्स और यहां तक की खेलने तथा अखबार या किताबें पढ़ने के लिए भी विभिन्न प्रकार के गैजेट्स जैसे मोबाइल, कंप्यूटर तथा लैपटॉप का इस्तेमाल करते हैं। माइंड साइट, फाइंड आर्ट तथा कॉफी कन्वर्सेशन, मुंबई की साइकोलॉजिस्ट तथा थेरेपिस्ट काजल यू दवे वर्तमान समय की जरूरत बनती ऑनलाइन लर्निंग तथा उससे जुड़ी कुछ खास ध्यान देने योग्य बातों के बारे में ETV भारत सुखीभवा को विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई को स्कूलों का एक सफल विकल्प बनाने के लिए अभी भी बहुत सुधार की गुंजाइश है।

ऑनलाइन लर्निंग : अच्छी या बुरी

काजल यू दवे बताती हैं कि महामारी के चलते उत्पन्न हुई परिस्थितियों का जितना असर स्वास्थ्य पर पड़ा है, उतना ही असर बच्चों की शिक्षा पर भी पड़ा है। सदियों से चली आ रही नियमित तौर पर स्कूल जा कर पढ़ाई करने की परंपरा की बजाय इस न्यू नॉर्मल में ऑनलाइन स्टडीज का नया ट्रेंड शुरू हुआ, जहां बच्चे घर में बैठकर लैपटॉप या मोबाइल के माध्यम से अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी कर रहे हैं। कोरोना काल से पहले आमतौर पर मां-बाप विशेषकर छोटे बच्चों के अभिभावकों की सबसे बड़ी चिंता यह रहती थी कि उनका बच्चा स्कूल जाकर सही तरीके से पढ़ाई कर रहा है या नहीं। ऑनलाइन स्टडीज ने उनकी इस चिंता को तो कम किया, लेकिन एक दूसरी ही परेशानी इन परिस्थितियों में सामने आई, वह है बच्चों में लगातार बढ़ती लर्निंग से जुड़ी समस्याएं।

स्वास्थ्य पर असर

ऑनलाइन पढ़ाई के चलते जहां बच्चे एक ओर अपने मोबाइल और लैपटॉप के सामने ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताने लगे, वहीं स्कूल के अनुशासित माहौल के अभाव, कम समय अवधि की कक्षाओं तथा कक्षाओं के दौरान परिजनों की घरेलू गतिविधियों के चलते बच्चों के लगातार भटकते ध्यान ने उनकी लर्निंग एबिलिटी यानी सीखने और याद करने की क्षमता को प्रभावित किया है। सिर्फ यही नहीं इन परिस्थितियों के चलते बच्चों पर मानसिक दबाव बढ़ने लगा तथा उनके शारीरिक स्वास्थ्य विशेषकर कान व आंखों पर असर पड़ा और उनमें थकान व मोटापा जैसी समस्याएं बढ़ने लगी।

सीखने और याद करने की क्षमता पर असर

काजल यू दवे बताती है कि हालांकि स्कूल प्रबंधन तथा शिक्षकों की तरफ से बच्चों की उम्र के आधार पर उनके लिए ऐसे मॉड्यूल तथा पाठ्य सामग्री तैयार की गई है, जो आमतौर पर स्कूल में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम का सरल रूप है. लेकिन फिर भी सिर्फ पढ़ने और देखने से बच्चे को विषय संबंधी पूरी जानकारी नहीं मिल पाती है। ऐसी अवस्था में वे बच्चे जिन्हें पढ़ाई के लिए अतिरिक्त मदद की आवश्यकता पड़ती है, उनके लिए विष्यक पढ़ाई काफी कठिन हो गई है।

पढ़े : पुदीने की पत्तियों का स्वास्थ्य लाभ

ऑनलाइन ई-लर्निंग को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए टिप्स

काजल यू दवे बताती है की हालांकि समय के साथ-साथ ऑनलाइन पढ़ाई बेहतर हुई है, लेकिन अभी भी बच्चों के बेहतरी के लिए ना सिर्फ शिक्षकों बल्कि उनके परिजनों की तरफ से भी काफी प्रयास किए जा सकते हैं। ऑनलाइन पढ़ाई को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए कुछ विशेष टिप्स का सहारा लिया जा सकता है, जो इस प्रकार हैं;

  1. ऑनलाइन कक्षाओं के दौरान अंतराल दिए जाएं, जिससे पढ़ाई बोझिल ना हो और बच्चे ज्यादा ध्यान दे पाए।
  2. घर में पढ़ाई के लिए एक शांत कोना निर्धारित कर दिया जाए और बच्चा कक्षा के दौरान प्रतिदिन उसी स्थान पर बैठे।
  3. मोबाइल या लैपटॉप की स्क्रीन को इस तरह से सेट किया जाए कि कक्षा के दौरान बच्चे को उसे ज्यादा हिलाने की जरूरत ना पड़े और ना ही उसके चलते बच्चों की आंखों पर जोर पड़े।
  4. अध्यापक कक्षा के दौरान या कक्षा समाप्त होने से पहले कुछ ऐसी क्विज एक्टिविटी रखें, जिससे यह पता चले कि पढ़ाया गया टॉपिक बच्चे को समझ में आया है या नहीं।
  5. जहां तक संभव हो किसी भी टॉपिक को पढ़ाने के लिए सिर्फ किताबी जानकारी ही नहीं, बल्कि विषय से संबंधित वीडियो तथा प्रयोगों सहित कुछ मनोरंजक जानकारी भी पाठ्य सामग्री में शामिल की जाए।
  6. विशेषकर लिटरेचर से जुड़े विषयों को समझाने तथा पाठ में बताई गई कुछ विशेष जानकारी बच्चों के साथ इस तरह साझा करें की उन्हें वह याद रहे। इसके लिए उन लाइनों को हाइलाइट किया जा सकता है।
  7. हर पाठ्य टॉपिक को पूरा होने के उपरांत वाइटबोर्ड पर साधारण शब्दों में एक छोटी सी समरी बच्चों के सामने प्रस्तुत किया जाए।
  8. शिक्षक को चाहिए कि वह कक्षा के दौरान लगभग सभी बच्चों की उनके कार्यों तथा प्रयासों के लिए उनकी प्रशंसा करें।

इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए काजल यू दवे से davekajal26@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।

कोरोना के चलते वैश्विक स्तर पर बदली परिस्थितियों ने ऑनलाइन लर्निंग को एक विकल्प नहीं, बल्कि समय की जरूरत के रूप में बदल दिया है। नतीजतन बच्चे हो या बड़े पढ़ाई से लेकर, विशेष कोर्स और यहां तक की खेलने तथा अखबार या किताबें पढ़ने के लिए भी विभिन्न प्रकार के गैजेट्स जैसे मोबाइल, कंप्यूटर तथा लैपटॉप का इस्तेमाल करते हैं। माइंड साइट, फाइंड आर्ट तथा कॉफी कन्वर्सेशन, मुंबई की साइकोलॉजिस्ट तथा थेरेपिस्ट काजल यू दवे वर्तमान समय की जरूरत बनती ऑनलाइन लर्निंग तथा उससे जुड़ी कुछ खास ध्यान देने योग्य बातों के बारे में ETV भारत सुखीभवा को विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन पढ़ाई को स्कूलों का एक सफल विकल्प बनाने के लिए अभी भी बहुत सुधार की गुंजाइश है।

ऑनलाइन लर्निंग : अच्छी या बुरी

काजल यू दवे बताती हैं कि महामारी के चलते उत्पन्न हुई परिस्थितियों का जितना असर स्वास्थ्य पर पड़ा है, उतना ही असर बच्चों की शिक्षा पर भी पड़ा है। सदियों से चली आ रही नियमित तौर पर स्कूल जा कर पढ़ाई करने की परंपरा की बजाय इस न्यू नॉर्मल में ऑनलाइन स्टडीज का नया ट्रेंड शुरू हुआ, जहां बच्चे घर में बैठकर लैपटॉप या मोबाइल के माध्यम से अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी कर रहे हैं। कोरोना काल से पहले आमतौर पर मां-बाप विशेषकर छोटे बच्चों के अभिभावकों की सबसे बड़ी चिंता यह रहती थी कि उनका बच्चा स्कूल जाकर सही तरीके से पढ़ाई कर रहा है या नहीं। ऑनलाइन स्टडीज ने उनकी इस चिंता को तो कम किया, लेकिन एक दूसरी ही परेशानी इन परिस्थितियों में सामने आई, वह है बच्चों में लगातार बढ़ती लर्निंग से जुड़ी समस्याएं।

स्वास्थ्य पर असर

ऑनलाइन पढ़ाई के चलते जहां बच्चे एक ओर अपने मोबाइल और लैपटॉप के सामने ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताने लगे, वहीं स्कूल के अनुशासित माहौल के अभाव, कम समय अवधि की कक्षाओं तथा कक्षाओं के दौरान परिजनों की घरेलू गतिविधियों के चलते बच्चों के लगातार भटकते ध्यान ने उनकी लर्निंग एबिलिटी यानी सीखने और याद करने की क्षमता को प्रभावित किया है। सिर्फ यही नहीं इन परिस्थितियों के चलते बच्चों पर मानसिक दबाव बढ़ने लगा तथा उनके शारीरिक स्वास्थ्य विशेषकर कान व आंखों पर असर पड़ा और उनमें थकान व मोटापा जैसी समस्याएं बढ़ने लगी।

सीखने और याद करने की क्षमता पर असर

काजल यू दवे बताती है कि हालांकि स्कूल प्रबंधन तथा शिक्षकों की तरफ से बच्चों की उम्र के आधार पर उनके लिए ऐसे मॉड्यूल तथा पाठ्य सामग्री तैयार की गई है, जो आमतौर पर स्कूल में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम का सरल रूप है. लेकिन फिर भी सिर्फ पढ़ने और देखने से बच्चे को विषय संबंधी पूरी जानकारी नहीं मिल पाती है। ऐसी अवस्था में वे बच्चे जिन्हें पढ़ाई के लिए अतिरिक्त मदद की आवश्यकता पड़ती है, उनके लिए विष्यक पढ़ाई काफी कठिन हो गई है।

पढ़े : पुदीने की पत्तियों का स्वास्थ्य लाभ

ऑनलाइन ई-लर्निंग को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए टिप्स

काजल यू दवे बताती है की हालांकि समय के साथ-साथ ऑनलाइन पढ़ाई बेहतर हुई है, लेकिन अभी भी बच्चों के बेहतरी के लिए ना सिर्फ शिक्षकों बल्कि उनके परिजनों की तरफ से भी काफी प्रयास किए जा सकते हैं। ऑनलाइन पढ़ाई को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए कुछ विशेष टिप्स का सहारा लिया जा सकता है, जो इस प्रकार हैं;

  1. ऑनलाइन कक्षाओं के दौरान अंतराल दिए जाएं, जिससे पढ़ाई बोझिल ना हो और बच्चे ज्यादा ध्यान दे पाए।
  2. घर में पढ़ाई के लिए एक शांत कोना निर्धारित कर दिया जाए और बच्चा कक्षा के दौरान प्रतिदिन उसी स्थान पर बैठे।
  3. मोबाइल या लैपटॉप की स्क्रीन को इस तरह से सेट किया जाए कि कक्षा के दौरान बच्चे को उसे ज्यादा हिलाने की जरूरत ना पड़े और ना ही उसके चलते बच्चों की आंखों पर जोर पड़े।
  4. अध्यापक कक्षा के दौरान या कक्षा समाप्त होने से पहले कुछ ऐसी क्विज एक्टिविटी रखें, जिससे यह पता चले कि पढ़ाया गया टॉपिक बच्चे को समझ में आया है या नहीं।
  5. जहां तक संभव हो किसी भी टॉपिक को पढ़ाने के लिए सिर्फ किताबी जानकारी ही नहीं, बल्कि विषय से संबंधित वीडियो तथा प्रयोगों सहित कुछ मनोरंजक जानकारी भी पाठ्य सामग्री में शामिल की जाए।
  6. विशेषकर लिटरेचर से जुड़े विषयों को समझाने तथा पाठ में बताई गई कुछ विशेष जानकारी बच्चों के साथ इस तरह साझा करें की उन्हें वह याद रहे। इसके लिए उन लाइनों को हाइलाइट किया जा सकता है।
  7. हर पाठ्य टॉपिक को पूरा होने के उपरांत वाइटबोर्ड पर साधारण शब्दों में एक छोटी सी समरी बच्चों के सामने प्रस्तुत किया जाए।
  8. शिक्षक को चाहिए कि वह कक्षा के दौरान लगभग सभी बच्चों की उनके कार्यों तथा प्रयासों के लिए उनकी प्रशंसा करें।

इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए काजल यू दवे से davekajal26@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।

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