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मुंह और पेट को सेहतमंद रखती है ऑयल पुलिंग

ऑयल पुलिंग यानी तेल से कुल्ला करना एक प्राचीन आयुर्वेदिक शोधन  प्रक्रिया है, जो हमारे सम्पूर्ण मुंह यानी दांत, मसूड़ों जीभ तथा गले के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करती है.

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ऑयल पुलिंग
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Published : Nov 1, 2021, 12:04 PM IST

आयुर्वेद, चिकित्सा की एक ऐसी शाखा जहां औषधियों के अलावा और भी कई विधियों से ना सिर्फ शरीर के रोगों को दूर करने बल्कि शरीर को स्वास्थ्य बनाए रखने का कार्य किया जाता है. इस शाखा में पंचकर्म जैसी विभिन्न क्रियाओं के माध्यम से शरीर के शोधन का कार्य भी किया जाता है जिससे शरीर में मौजूद हानिकारक व विषैले तत्वों को शरीर से दूर किया जा सके. ऑयल पुलिंग भी ऐसी ही एक शोधन क्रिया है जिससे मुंह के हानिकारक बैक्टीरिया को शरीर से बाहर निकाल कर दांतों व मसूड़ों सहित मुंह के सम्पूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखने का प्रयास किया जाता है.

ऑयल पुलिंग के बारें में ETV भारत सुखीभवा को ज्यादा जानकारी देते हुए भोपाल के बीएएमएस (आयुर्वेदिक) चिकित्सक डॉ राकेश राय बताते हैं कि यह एक प्राचीनतम आयुर्वेदिक तकनीक है जिसका इस्तेमाल प्राचीन काल में ऋषि और मुनि मुंह और पेट की सेहत को बनाए रखने के लिए किया करते थे.

स्वस्थ शरीर के लिए मुंह और पेट के स्वास्थ्य को अहम माना जाता है क्योंकि पेट का स्वास्थ्य हमारे सारे शरीर के सही संचालन के लिए जरूरी होता है . वहीं हम जो भी आहार ग्रहण करते हैं वह हमारे मुंह के माध्यम से ही शरीर में प्रवेश करता है. डॉ राकेश बताते हैं कि ऑयल पुलिंग सिर्फ मुंह के स्वास्थ्य के लिए ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होती है. इसे आयुर्वेद में कवाला या गंदुशा के नाम से जाना जाता हैं.

ऑयल पुलिंग के फायदेः

हमारे मुंह के अंदर अच्छे और बुरे, बहुत से बैक्टीरिया मौजूद होते हैं. इनमें से हानिकारक बैक्टीरिया के कारण दांतों में सड़न, मसूड़ों में दर्द, मुंह में बदबू तथा लार में समस्या जैसी बीमारियां होने की आशंका रहती है. वहीं चूंकि हमारा आहार सर्वप्रथम हमारे मुंह से ही हमारे शरीर में जाता है , ऐसे में मुंह में व्याप्त रोग के कण जब भोजन के माध्यम से हमारे शरीर में पहुंचते हैं तो हमारे पाचन तंत्र को भी प्रभावित करते हैं.

ऑयल पुलिंग मुंह की समस्याओं को दूर करने में बेहद कारगर साबित होती है क्योंकि जब हम ऑयल पुलिंग में तेल से कुल्ला करते हैं तो हानिकारक बैक्टीरिया मुंह में तेल के साथ चिपक जाते हैं और कुल्ला करने पर मुंह से बाहर निकल जाते हैं.

डॉ राकेश बताते हैं कि ऑयल पुलिंग करने से न सिर्फ दांत बल्कि मुंह, जीभ तथा गला भी स्वास्थ्य रहते हैं. इससे मसूड़ों की सूजन में आराम मिलता हैं, मुंह की बदबू दूर होती है तथा दांतों को कैविटी से राहत मिलती है .

ऑयल पुलिंग करने का सही तरीका

ऑयल पुलिंग करने का तरीका बेहद सरल है . इसके लिए एक बड़े चम्मच तेल से 15 से 20 मिनट के लिए वैसे ही कुल्ला करना चाहिए जैसे पानी के साथ किया जाता है. लेकिन ध्यान रखें कि यह तेल पीना या निगलना बिल्कुल भी नहीं हैं. क्योंकि यह सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है. जब कुल्ला करने के दौरान जब मुंह में तेल पतला और दूधिया सफेद हो जाए तो उसे बाहर थूक देना चाहिए और इसके बाद हल्के गुनगुने पानी से अच्छी तरह कुल्ला कर लेना चाहिए .

वैसे तो ऑयल पुलिंग दिन में किसी भी वक्त की जा सकती है. लेकिन इसे करने का सबसे बेहतरीन समय सुबह माना जाता है. आयुर्वेद में भी इसे सुबह के समय बिना कुछ भी खाए करना सबसे बेहतर माना गया है.

ऑयल पुलिंग के लिए कौन सा तेल सही

डॉ राकेश बताते हैं कि वैसे तो ऑयल पुलिंग के लिए नारियल तेल, सूरजमुखी का तेल, तिल का तेल, या किसी भी खाद्य तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन नारियल के तेल तथा तिल का तेल इसके लिए आदर्श माना जाता है .

लेकिन साथ ही वह यह भी कहते हैं कि अगर दांतों में किसी भी प्रकार की समस्या हो या ऑयल पुलिंग के दौरान या बाद में जीभ पर सफेद लकीरें या परत दिखने लगे तो इसे नहीं करन चाहिए.

ऑयल पुलिंग के दौरान सावधानियाँ

डॉ राकेश बताते हैं कि ऑयल पुलिंग करते समय गलती से भी तेल को निगलना नहीं चाहिए. क्योंकि इससे मुंह के बुरे बैक्टीरिया और तेल के हानिकारक तत्व हमारे शरीर में जाकर नुकसान पहुंचा सकते हैं. ध्यान रहे की ऑयल पुलिंग के लिए हमेशा शुद्ध तेल का ही इस्तेमाल किया जाये. साथ ही छोटे बच्चों को तथा ऐसे लोग जिन्हे तेलों से एलर्जी हो या मुंह में कोई रोग हो , ऑयल पुलिंग नहीं करनी चाहिए.

पढ़ें: क्या है हेल्दी ईटिंग टाइम?

आयुर्वेद, चिकित्सा की एक ऐसी शाखा जहां औषधियों के अलावा और भी कई विधियों से ना सिर्फ शरीर के रोगों को दूर करने बल्कि शरीर को स्वास्थ्य बनाए रखने का कार्य किया जाता है. इस शाखा में पंचकर्म जैसी विभिन्न क्रियाओं के माध्यम से शरीर के शोधन का कार्य भी किया जाता है जिससे शरीर में मौजूद हानिकारक व विषैले तत्वों को शरीर से दूर किया जा सके. ऑयल पुलिंग भी ऐसी ही एक शोधन क्रिया है जिससे मुंह के हानिकारक बैक्टीरिया को शरीर से बाहर निकाल कर दांतों व मसूड़ों सहित मुंह के सम्पूर्ण स्वास्थ्य को बनाए रखने का प्रयास किया जाता है.

ऑयल पुलिंग के बारें में ETV भारत सुखीभवा को ज्यादा जानकारी देते हुए भोपाल के बीएएमएस (आयुर्वेदिक) चिकित्सक डॉ राकेश राय बताते हैं कि यह एक प्राचीनतम आयुर्वेदिक तकनीक है जिसका इस्तेमाल प्राचीन काल में ऋषि और मुनि मुंह और पेट की सेहत को बनाए रखने के लिए किया करते थे.

स्वस्थ शरीर के लिए मुंह और पेट के स्वास्थ्य को अहम माना जाता है क्योंकि पेट का स्वास्थ्य हमारे सारे शरीर के सही संचालन के लिए जरूरी होता है . वहीं हम जो भी आहार ग्रहण करते हैं वह हमारे मुंह के माध्यम से ही शरीर में प्रवेश करता है. डॉ राकेश बताते हैं कि ऑयल पुलिंग सिर्फ मुंह के स्वास्थ्य के लिए ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होती है. इसे आयुर्वेद में कवाला या गंदुशा के नाम से जाना जाता हैं.

ऑयल पुलिंग के फायदेः

हमारे मुंह के अंदर अच्छे और बुरे, बहुत से बैक्टीरिया मौजूद होते हैं. इनमें से हानिकारक बैक्टीरिया के कारण दांतों में सड़न, मसूड़ों में दर्द, मुंह में बदबू तथा लार में समस्या जैसी बीमारियां होने की आशंका रहती है. वहीं चूंकि हमारा आहार सर्वप्रथम हमारे मुंह से ही हमारे शरीर में जाता है , ऐसे में मुंह में व्याप्त रोग के कण जब भोजन के माध्यम से हमारे शरीर में पहुंचते हैं तो हमारे पाचन तंत्र को भी प्रभावित करते हैं.

ऑयल पुलिंग मुंह की समस्याओं को दूर करने में बेहद कारगर साबित होती है क्योंकि जब हम ऑयल पुलिंग में तेल से कुल्ला करते हैं तो हानिकारक बैक्टीरिया मुंह में तेल के साथ चिपक जाते हैं और कुल्ला करने पर मुंह से बाहर निकल जाते हैं.

डॉ राकेश बताते हैं कि ऑयल पुलिंग करने से न सिर्फ दांत बल्कि मुंह, जीभ तथा गला भी स्वास्थ्य रहते हैं. इससे मसूड़ों की सूजन में आराम मिलता हैं, मुंह की बदबू दूर होती है तथा दांतों को कैविटी से राहत मिलती है .

ऑयल पुलिंग करने का सही तरीका

ऑयल पुलिंग करने का तरीका बेहद सरल है . इसके लिए एक बड़े चम्मच तेल से 15 से 20 मिनट के लिए वैसे ही कुल्ला करना चाहिए जैसे पानी के साथ किया जाता है. लेकिन ध्यान रखें कि यह तेल पीना या निगलना बिल्कुल भी नहीं हैं. क्योंकि यह सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है. जब कुल्ला करने के दौरान जब मुंह में तेल पतला और दूधिया सफेद हो जाए तो उसे बाहर थूक देना चाहिए और इसके बाद हल्के गुनगुने पानी से अच्छी तरह कुल्ला कर लेना चाहिए .

वैसे तो ऑयल पुलिंग दिन में किसी भी वक्त की जा सकती है. लेकिन इसे करने का सबसे बेहतरीन समय सुबह माना जाता है. आयुर्वेद में भी इसे सुबह के समय बिना कुछ भी खाए करना सबसे बेहतर माना गया है.

ऑयल पुलिंग के लिए कौन सा तेल सही

डॉ राकेश बताते हैं कि वैसे तो ऑयल पुलिंग के लिए नारियल तेल, सूरजमुखी का तेल, तिल का तेल, या किसी भी खाद्य तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन नारियल के तेल तथा तिल का तेल इसके लिए आदर्श माना जाता है .

लेकिन साथ ही वह यह भी कहते हैं कि अगर दांतों में किसी भी प्रकार की समस्या हो या ऑयल पुलिंग के दौरान या बाद में जीभ पर सफेद लकीरें या परत दिखने लगे तो इसे नहीं करन चाहिए.

ऑयल पुलिंग के दौरान सावधानियाँ

डॉ राकेश बताते हैं कि ऑयल पुलिंग करते समय गलती से भी तेल को निगलना नहीं चाहिए. क्योंकि इससे मुंह के बुरे बैक्टीरिया और तेल के हानिकारक तत्व हमारे शरीर में जाकर नुकसान पहुंचा सकते हैं. ध्यान रहे की ऑयल पुलिंग के लिए हमेशा शुद्ध तेल का ही इस्तेमाल किया जाये. साथ ही छोटे बच्चों को तथा ऐसे लोग जिन्हे तेलों से एलर्जी हो या मुंह में कोई रोग हो , ऑयल पुलिंग नहीं करनी चाहिए.

पढ़ें: क्या है हेल्दी ईटिंग टाइम?

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