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एनबीआरआई ने किडनी की पथरी के लिए हर्बल दवा विकसित की

किडनी की पथरी के लिए नेशनल बोटानिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनबीआरआई) ने इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च (आईआईटीआर) के साथ मिलकर एक हर्बल दवा विकसित किया है. खास बात यह है कि ये नॉन-इन्वेंसिव विकल्प है और इससे कोई साइड इफेक्ट नहीं होगा.

herbal medicine for kidney stones
किडनी की पथरी के लिए हर्बल दवा
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Published : Oct 31, 2020, 5:24 PM IST

नेशनल बोटानिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनबीआरआई) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च (आईआईटीआर) ने एक मूत्र रोग विशेषज्ञ सलिल टंडन के साथ मिलकर किडनी की पथरी को खत्म करने के लिए एक हर्बल दवा विकसित की है. नई दवा का नाम यूआरओ-05 है, जो किडनी से पथरी को हटाने के लिए नॉन-इन्वेंसिव विकल्प प्रदान करती है. पांच साल के शोध के माध्यम से लागत प्रभावी दवाओं को विकसित किया गया है.

संस्थान के 67वें वार्षिक दिवस को चिन्हित करते हुए मंगलवार को उत्पादन के लिए दवा की तकनीक को एनबीआरआई को हस्तांतरित किया गया. यह दवा मौखिक रूप से दी जाएगी और यह उत्पादन के लिए तैयार है, वहीं यह छह महीने के भीतर बाजार में उपलब्ध होगी.

इस दवा का क्लिनिकल परीक्षण किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में किया गया था और अब तक के परीक्षण काफी उत्साहजनक रहे हैं. दवा को एक सेंटीमीटर पथरी के आकार तक प्रभावी पाया गया है.

टंडन ने कहा कि प्रारंभिक परिणामों से पत्थर के आकार में लगभग 75 प्रतिशत की कमी हुई है, वहीं इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं नजर आया. आईआईटीआर ने विषाक्तता को लेकर दवा की जांच की है और इसे लेने का कोई बड़ा दुष्प्रभाव नहीं पाया है.

दवा गंगा के मैदान में पाए जाने वाले पांच पौधों से तैयार की जाती है. यही नहीं, इसमें प्रयोग होने वाली वनस्पति भी प्रचूर मात्रा में उपलब्ध है, जिसके कारण दवाओं के निर्माण के लिए कच्चे माल की कोई समस्या नहीं होगी.

वैज्ञानिकों का दावा है कि हर्बल दवा पथरी के लिए दी जाने वाली एलोपैथिक दवा टेम्सुलोसिन जितनी ही प्रभावी है. साथ ही, हर्बल होने के कारण इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है.

नेशनल बोटानिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनबीआरआई) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च (आईआईटीआर) ने एक मूत्र रोग विशेषज्ञ सलिल टंडन के साथ मिलकर किडनी की पथरी को खत्म करने के लिए एक हर्बल दवा विकसित की है. नई दवा का नाम यूआरओ-05 है, जो किडनी से पथरी को हटाने के लिए नॉन-इन्वेंसिव विकल्प प्रदान करती है. पांच साल के शोध के माध्यम से लागत प्रभावी दवाओं को विकसित किया गया है.

संस्थान के 67वें वार्षिक दिवस को चिन्हित करते हुए मंगलवार को उत्पादन के लिए दवा की तकनीक को एनबीआरआई को हस्तांतरित किया गया. यह दवा मौखिक रूप से दी जाएगी और यह उत्पादन के लिए तैयार है, वहीं यह छह महीने के भीतर बाजार में उपलब्ध होगी.

इस दवा का क्लिनिकल परीक्षण किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में किया गया था और अब तक के परीक्षण काफी उत्साहजनक रहे हैं. दवा को एक सेंटीमीटर पथरी के आकार तक प्रभावी पाया गया है.

टंडन ने कहा कि प्रारंभिक परिणामों से पत्थर के आकार में लगभग 75 प्रतिशत की कमी हुई है, वहीं इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं नजर आया. आईआईटीआर ने विषाक्तता को लेकर दवा की जांच की है और इसे लेने का कोई बड़ा दुष्प्रभाव नहीं पाया है.

दवा गंगा के मैदान में पाए जाने वाले पांच पौधों से तैयार की जाती है. यही नहीं, इसमें प्रयोग होने वाली वनस्पति भी प्रचूर मात्रा में उपलब्ध है, जिसके कारण दवाओं के निर्माण के लिए कच्चे माल की कोई समस्या नहीं होगी.

वैज्ञानिकों का दावा है कि हर्बल दवा पथरी के लिए दी जाने वाली एलोपैथिक दवा टेम्सुलोसिन जितनी ही प्रभावी है. साथ ही, हर्बल होने के कारण इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है.

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