देश के लगभग सभी हिस्सों में नवरात्र का त्यौहार को श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है. मान्यता है कि नवरात्र व्रत के द्वारा आत्मिक विकास और सुखों की प्राप्ति होती है. उपवास और व्रत के द्वारा संपूर्ण शरीर का शुद्धिकरण और नवीनीकरण के साथ ही अनावश्यक चर्बी का नाश होता है. लगातार व्रत करने पर कई बार लोगों में थकान, ऊर्जा में कमी, तो कई बार पाचन संबंधी समस्याएं या सिर दर्द जैसी समस्याएं नजर आने लगती हैं. लेकिन व्रत के दौरान थोड़ी सावधानी बरत कर तथा आहार में संतुलन रखकर इन समस्याओं से काफी हद तक बचा जा सकता है.
नवरात्र में बहुत से लोग पूरे नौ दिन का व्रत भी रखते हैं. इन दिनों में व्रत रखकर मां दुर्गा के नाै रूपाें की पूजा करने से विशेष फल मिलता है. वैसे तो व्रत रखने के सेहत को कई फायदे मिलते हैं लेकिन नाै दिनाें तक व्रत रखने से कमजाेरी भी आ सकती है. आप बीमार भी पड़ सकते हैं. कई बार पूरे दिन भूखे रहने या व्रत खोलने के दौरान ज्यादा मात्रा में ज्यादा घी तेल वाला भोजन करने या कुछ अलग कारणों से भी व्रत के दौरान या कई बार नवरात्र के बाद भी सेहत पर कुछ परेशानी भरे प्रभाव नजर आने लगते हैं.
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व्रत के दौरान का आहार तथा आहार संबंधी दिनचर्या कैसी होनी चाहिए, जिससे इस दौरान तथा व्रत के बाद भी ज्यादा समस्या ना हो, इस बारें में ज्यादा जानने के लिए ETV भारत सुखी भवा ने पोषण तथा आहार विशेषज्ञ डॉ दिव्या शर्मा (Dr Divya Sharma, Nutritionist and dietician) से जानकारी ली.
बढ़ सकती है परेशानियां : डॉ दिव्या बताती हैं कि ज्यादातर लोग व्रत के दौरान दिन में सिर्फ एक बार भोजन करते हैं. इनमें से कुछ लोग ऐसे होते हैं जो दिन में एक बार अनाज खा लेते हैं तो कुछ लोग दिन भर में सिर्फ फलाहार में गिने जाने वाला आहार ही खाते हैं. शरीर की जरूरत अनुसार भोजन ना करने पर कई बार कुछ लोगों को जहां इस अवधि में शरीर में ऊर्जा में कमी महसूस होती है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो व्रत के दौरान बहुत ज्यादा फलाहारी स्नैक्स तथा घी तेल वाला आहार खा लेते हैं. ऐसे में उन्हे पाचन संबंधी कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ जाता है.
Dr. Divya Sharma बताती हैं कि कुछ लोग जब दिन में सिर्फ एक बार आहार ग्रहण करते हैं तो व्रत खोलते समय जरूरत तथा भूख दोनों से ज्यादा भोजन कर लेते हैं. वहीं आमतौर पर लोग व्रत के खाने में घी या तेल का प्रयोग भी ज्यादा करते हैं. ऐसे में पूरा दिन खाली पेट रहने के बाद जब लोग एक साथ बहुत ज्यादा भोजन कर लेते हैं तो ना सिर्फ उस भोजन के पाचन में समस्या हो सकती है बल्कि लोगों में में कई तरह की पाचन संबंधी तथा अन्य प्रकार की समस्याएं भी नजर आ सकती हैं.
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Nutritionist Dr Divya Sharma बताती हैं कि व्रत के दौरान इस प्रकार की समस्याएं ना हो इसके लिए जरूरी है कि अपनी आहार दिनचर्या को ठीक रखा जाए . सिर्फ वे लोग ही नहीं जिन्हे मधुमेह या किसी अन्य प्रकार की समस्या हो बल्कि स्वस्थ लोगों को भी व्रत के दौरान अपने आहार का ध्यान रखना चाहिए. वह बताती हैं कि कई लोग व्रत में एक समय भोजन करने के अलावा बीच-बीच में घी में भुने आलू , चिप्स, साबूदाना के बड़े या खिचड़ी आदि स्नेक्स खाते रहते हैं. जो शरीर का कैलोरी काउंट बढ़ा सकते हैं क्योंकि आलू और साबूदाना दोनों में कैलोरी ज्यादा होती है. इसलिए इनका सेवन काफी सीमित मात्रा में ही करना चाहिए. इनके स्थान पर फल, दूध व दूध से बने आहार और सूखे मेवों का सेवन ज्यादा स्वस्थ विकल्प होता है.
कैसा हो व्रत का आहार: Dietician Dr Divya Sharma बताती हैं अलग अलग स्थानों पर व्रत के दौरान फलाहार के रूप में कुट्टू, राजगिरा, सिंघाड़े का आटा, मोरधन की खिचड़ी आदि का सेवन किया जाता है. विशेषतौर पर फलाहार में लोग इनसे बनी पकौड़ी, चीला या पराठों का सेवन करते हैं. लेकिन व्रत के दौरान ज्यादा मक्खन या घी-तेल में बने आहार के सेवन से बचना चाहिए. पकोड़ों के स्थान पर कम तेल या घी में बना चीला या परांठा खाना ज्यादा फायदेमंद रहता है. इसके अलावा मोरधन कि खिचड़ी या साबूदाना में आलू के स्थान पर अन्य सब्जियों का इस्तेमाल भी सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद रहता है.
आहार विशेषज्ञ दिव्या शर्मा बताती हैं कि व्रत में सिर्फ एक बार ज्यादा खाना खाने की बजाय दिन में तीन या चार बार सूक्ष्म आहार लेना ज्यादा फायदेमंद होता हैं. उदाहरण के लिए सुबह से समय दूध के साथ फल, सूखे मेवे या इन दोनों से बने शेक का सेवन किया जा सकता है. वहीं दोपहर के समय या पूर्ण भोजन के समय राजगीरे, मोरधन या सिंघाड़े के आटे की रोटी, चीले या पराठें के साथ व्रत में खाई जा सकने वाली सब्जियां, दही, फल लिए जा सकते हैं.
इसके अलावा दिन भर में आलू से बने या तेल व घी वाले स्नैक्स की बजाय लस्सी, नारियल पानी, मूंगफली के दाने, रोस्टेड मखाने तथा सूखे मेवों का सेवन किया जा सकता है. इससे ना सिर्फ दिनभर शरीर में ऊर्जा बनी रहेगी, बल्कि पेट के खाली रहने या एक साथ ज्यादा खा लेने के कारण होने वाली एसिडिटी , गैस, पेट फूलने या सिरदर्द जैसी समस्या से बचा जा सकेगा. वह बताती हैं कि व्रत में शाम में देर से या रात में व्रत खोलने की बजाय थोड़ा जल्दी भोजन या फलाहार करना बेहतर होता है. इससे भोजन को पचाने के लिए पूरा समय मिल जाता है,और इससे पाचन संबंधी समस्याएं भी कम होती हैं. जो लोग व्रत में दिन में एक बार अन्न ग्रहण करते हैं उन्हे भी रात के बजाय थोड़ा जल्दी भोजन करना चाहिए. दिन भर कुछ नहीं खाने के बाद जब व्यक्ति देर शाम या रात में भोजन करते हैं तो भोजन को पचाने में समस्या हो सकती है. इसके अलावा व्रत में हल्का तथा पोषण से भरपूर आहार करना ज्यादा बेहतर रहता है.
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