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Rashtriya Poshan Maah : निरोगी रहने के लिए जरूरी है उचित पोषण, पोषण सप्ताह में जानें इसके लिए कौन-कौन से कदम हैं जरूरी

आम लोगों में पोषण व पौष्टिक आहार की जरूरत को लेकर जागरूकता फैलाने तथा कुपोषण से मुक्ति के लिए हर संभव प्रयास करने के उद्देश्य से हर साल सितंबर माह के पहले सप्ताह में 1 से 7 सितंबर तक 'राष्ट्रीय पोषण सप्ताह' मनाया जाता है. यूनिसेफ के अनुसार इस वर्ष राष्ट्रीय पोषण सप्ताह 2023 'सभी के लिए स्वस्थ किफायती आहार' थीम पर मनाया जा रहा है. पढ़ें पूरी खबर..

Rashtriya Poshan Maah 2023
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 3, 2023, 9:18 AM IST

हैदराबाद : जिस तरह गाड़ी को चलने के लिए पेट्रोल की जरूरत होती है, वैसे ही हमारे शरीर को कार्य करने के लिए आहार की जरूरत होती है. लेकिन शरीर स्वस्थ व निरोगी रहे, हर आयु में उसका विकास सतत रहे तथा शरीर के सभी तंत्र व प्रणालियां सही तरह से कार्य करें, इसके लिए बहुत जरूरी है शरीर को जरूरी मात्रा में पोषण मिलता रहे. शरीर के लिए पोषण की अहमियत के बारें में सभी जानते हैं लेकिन अलग-अलग कारणों से बहुत बड़ी संख्या में लोग विशेषकर बच्चे जरूरी मात्रा में पोषण ग्रहण नहीं कर पाते हैं और कुपोषण का शिकार हो जाते हैं.

हर व्यक्ति विशेषकर बच्चों के सही शारीरिक व मानसिक विकास के लिए स्वस्थ पोषण सबसे बड़ी जरूरतों में से एक है. ऐसे में लोगों को संतुलित व पौष्टिक आहार के लाभ व जरूरत के बारें में जागरूक करने तथा उन्हे स्वस्थ व निरोगी बने रहने के लिए पौष्टिक व संतुलित आहार को अपनाने के लिए जागरूक करने तथा आम जन को इससे जुड़ी सरकारी नीतियों व योजनाओं के बारें में अवगत करने के उद्देश्य से हर वर्ष भारत सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा सितंबर के पहले सप्ताह यानी 1 से 7 सितंबर तक एक विशेष थीम के साथ राष्ट्रीय पोषण सप्ताह (Rashtriya Poshan Maah 2023) मनाया जाता है. इस वर्ष राष्ट्रीय पोषण सप्ताह 2023' सभी के लिए स्वस्थ किफायती आहार' (Healthy Affordable Diet for All) थीम पर मनाया जा रहा है.

Rashtriya Poshan Maah 2023
पोषक तत्वों से भरपूर फलों का उपयोग खाने में करें

राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का इतिहास
भारत में आम जन विशेषकर बच्चों में कुपोषण की दर को कम करने तथा उन्हे पोषण के महत्व के बारे में शिक्षित व जागरूक करने के उद्देश्य से भारत सरकार के खाद्य और पोषण बोर्ड द्वारा वर्ष 1982 में सितंबर महीने के पहले सप्ताह में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाए जाने की शुरुआत की गई थी.

दरअसल भारत से पहले कुछ अन्य देशों में पहले से ही पोषण की जरूरत को लेकर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से इस तरह के आयोजन किए जा रहे थे. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देखे तो सबसे पहले राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का आयोजन अमेरिकन डायटेटिक एसोसिएशन या जिसे वर्तमान में एकेडमी ऑफ न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स के नाम से जाना जाता है द्वारा मार्च 1975 में किया गया था. शरीर के लिए पोषण की जरूरत के बारे में लोगों को अवगत कराने के साथ आहार विशेषज्ञों के पेशे को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित इस साप्ताहिक आयोजन को सिर्फ स्थानीय लोगों से ही सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली बल्कि वैश्विक पटल पर भी इस प्रयास को काफी सराहा गया था. इसके बाद वर्ष 1980 में इस आयोजन को एक सप्ताह की बजाय एक महीने तक मनाया जाने लगा.

Rashtriya Poshan Maah 2023
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह 2023

इसके बाद भारत सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा भी वर्ष 1982 में 1 सितंबर से 7 सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण सप्ताह शुरू करने का निर्णय लिया गया. तब से हर साल सितम्बर माह के पहले सप्ताह में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का आयोजन किया जाता है. जिसके तहत सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों व संस्थाओं द्वारा कई सेमिनार, कार्यशालाएं, शैक्षिक कार्यक्रम, सम्मेलन और जन जागरूकता अभियान आयोजित किए जाते हैं.

Rashtriya Poshan Maah 2023
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह 2023

कुपोषण से मुक्ति को लेकर सरकारी योजनाएं

बाल्यावस्था के दौरान उचित पोषण बच्चों के सही शारीरिक व मानसिक विकास के लिए बेहद जरूरी हैं. यह उन्हे सीखने, खेलने, भाग लेने और समाज में योगदान करने योग्य बनाता है. वहीं महिलाओं में भी विशेषकर गर्भवती महिलाओं में कुपोषण को लेकर ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत होती है. लेकिन अज्ञानता, उपलब्धता में कमी तथा अन्य कई कारणों से हमेशा से ही बड़ी संख्या में बच्चों व महिलाओं में कुपोषण की समस्या देखी जाती रही है.

Rashtriya Poshan Maah 2023
पत्तेदार भोजन स्वास्थ के लिए लाभदायक होता है

हालांकि सरकारी प्रयासों व नीतियों का नतीजा है कि काफी हद तक लोगों में कुपोषण के नुकसान व पोषण की जरूरत को लेकर जागरूकता फैल रही है. वहीं सरकारी योजनाओं के चलते कुछ हद तक जरूरत मंद लोगों व बच्चों तक आहर से जुड़ी सहूलियतें भी पहुंच रही है. जिसका असर कुपोषण से जुड़े आंकड़ों पर भी देखा जा रहा है. यूनिसेफ के एक सर्वेक्षण के अनुसार वर्तमान समय में भारत में 0 से 6 वर्ष की आयु वर्ग के कुपोषित बच्चों की संख्या में 14% से अधिक की गिरावट देखी गई है. जो पिछले 25 वर्षों में सबसे तेज गिरावट है. हालांकि इस दिशा में अभी भी लगातार प्रयास की जरूरत है.

  • भारत सरकार द्वारा कुपोषण दूर करने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जाती है . जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
  • ‘सक्षम आंगनवाड़ी और मिशन पोषण 2.0’ . इनमें मिशन पोषण 2.0 के तहत देशभर में 13.9 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों के साथ 7074 स्वीकृत परियोजनाएं संचालित की जाती हैं.
  • आंगनवाड़ी केंद्रों, स्कूलों और ग्राम पंचायत स्तर पर पोषण वाटिका आदि योजनाएं
  • प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना
  • गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पोषण सामग्री वितरण योजना , जिसके तहत गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली माताएं और 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, आईसीटी एप्लिकेशन या पोषण ट्रैकर पर आंगनवाड़ी सेवाओं के लिए पंजीकृत किए जाते हैं.

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हैदराबाद : जिस तरह गाड़ी को चलने के लिए पेट्रोल की जरूरत होती है, वैसे ही हमारे शरीर को कार्य करने के लिए आहार की जरूरत होती है. लेकिन शरीर स्वस्थ व निरोगी रहे, हर आयु में उसका विकास सतत रहे तथा शरीर के सभी तंत्र व प्रणालियां सही तरह से कार्य करें, इसके लिए बहुत जरूरी है शरीर को जरूरी मात्रा में पोषण मिलता रहे. शरीर के लिए पोषण की अहमियत के बारें में सभी जानते हैं लेकिन अलग-अलग कारणों से बहुत बड़ी संख्या में लोग विशेषकर बच्चे जरूरी मात्रा में पोषण ग्रहण नहीं कर पाते हैं और कुपोषण का शिकार हो जाते हैं.

हर व्यक्ति विशेषकर बच्चों के सही शारीरिक व मानसिक विकास के लिए स्वस्थ पोषण सबसे बड़ी जरूरतों में से एक है. ऐसे में लोगों को संतुलित व पौष्टिक आहार के लाभ व जरूरत के बारें में जागरूक करने तथा उन्हे स्वस्थ व निरोगी बने रहने के लिए पौष्टिक व संतुलित आहार को अपनाने के लिए जागरूक करने तथा आम जन को इससे जुड़ी सरकारी नीतियों व योजनाओं के बारें में अवगत करने के उद्देश्य से हर वर्ष भारत सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा सितंबर के पहले सप्ताह यानी 1 से 7 सितंबर तक एक विशेष थीम के साथ राष्ट्रीय पोषण सप्ताह (Rashtriya Poshan Maah 2023) मनाया जाता है. इस वर्ष राष्ट्रीय पोषण सप्ताह 2023' सभी के लिए स्वस्थ किफायती आहार' (Healthy Affordable Diet for All) थीम पर मनाया जा रहा है.

Rashtriya Poshan Maah 2023
पोषक तत्वों से भरपूर फलों का उपयोग खाने में करें

राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का इतिहास
भारत में आम जन विशेषकर बच्चों में कुपोषण की दर को कम करने तथा उन्हे पोषण के महत्व के बारे में शिक्षित व जागरूक करने के उद्देश्य से भारत सरकार के खाद्य और पोषण बोर्ड द्वारा वर्ष 1982 में सितंबर महीने के पहले सप्ताह में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाए जाने की शुरुआत की गई थी.

दरअसल भारत से पहले कुछ अन्य देशों में पहले से ही पोषण की जरूरत को लेकर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से इस तरह के आयोजन किए जा रहे थे. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देखे तो सबसे पहले राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का आयोजन अमेरिकन डायटेटिक एसोसिएशन या जिसे वर्तमान में एकेडमी ऑफ न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स के नाम से जाना जाता है द्वारा मार्च 1975 में किया गया था. शरीर के लिए पोषण की जरूरत के बारे में लोगों को अवगत कराने के साथ आहार विशेषज्ञों के पेशे को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित इस साप्ताहिक आयोजन को सिर्फ स्थानीय लोगों से ही सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली बल्कि वैश्विक पटल पर भी इस प्रयास को काफी सराहा गया था. इसके बाद वर्ष 1980 में इस आयोजन को एक सप्ताह की बजाय एक महीने तक मनाया जाने लगा.

Rashtriya Poshan Maah 2023
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह 2023

इसके बाद भारत सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा भी वर्ष 1982 में 1 सितंबर से 7 सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण सप्ताह शुरू करने का निर्णय लिया गया. तब से हर साल सितम्बर माह के पहले सप्ताह में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह का आयोजन किया जाता है. जिसके तहत सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों व संस्थाओं द्वारा कई सेमिनार, कार्यशालाएं, शैक्षिक कार्यक्रम, सम्मेलन और जन जागरूकता अभियान आयोजित किए जाते हैं.

Rashtriya Poshan Maah 2023
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह 2023

कुपोषण से मुक्ति को लेकर सरकारी योजनाएं

बाल्यावस्था के दौरान उचित पोषण बच्चों के सही शारीरिक व मानसिक विकास के लिए बेहद जरूरी हैं. यह उन्हे सीखने, खेलने, भाग लेने और समाज में योगदान करने योग्य बनाता है. वहीं महिलाओं में भी विशेषकर गर्भवती महिलाओं में कुपोषण को लेकर ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत होती है. लेकिन अज्ञानता, उपलब्धता में कमी तथा अन्य कई कारणों से हमेशा से ही बड़ी संख्या में बच्चों व महिलाओं में कुपोषण की समस्या देखी जाती रही है.

Rashtriya Poshan Maah 2023
पत्तेदार भोजन स्वास्थ के लिए लाभदायक होता है

हालांकि सरकारी प्रयासों व नीतियों का नतीजा है कि काफी हद तक लोगों में कुपोषण के नुकसान व पोषण की जरूरत को लेकर जागरूकता फैल रही है. वहीं सरकारी योजनाओं के चलते कुछ हद तक जरूरत मंद लोगों व बच्चों तक आहर से जुड़ी सहूलियतें भी पहुंच रही है. जिसका असर कुपोषण से जुड़े आंकड़ों पर भी देखा जा रहा है. यूनिसेफ के एक सर्वेक्षण के अनुसार वर्तमान समय में भारत में 0 से 6 वर्ष की आयु वर्ग के कुपोषित बच्चों की संख्या में 14% से अधिक की गिरावट देखी गई है. जो पिछले 25 वर्षों में सबसे तेज गिरावट है. हालांकि इस दिशा में अभी भी लगातार प्रयास की जरूरत है.

  • भारत सरकार द्वारा कुपोषण दूर करने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जाती है . जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
  • ‘सक्षम आंगनवाड़ी और मिशन पोषण 2.0’ . इनमें मिशन पोषण 2.0 के तहत देशभर में 13.9 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों के साथ 7074 स्वीकृत परियोजनाएं संचालित की जाती हैं.
  • आंगनवाड़ी केंद्रों, स्कूलों और ग्राम पंचायत स्तर पर पोषण वाटिका आदि योजनाएं
  • प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना
  • गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पोषण सामग्री वितरण योजना , जिसके तहत गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली माताएं और 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, आईसीटी एप्लिकेशन या पोषण ट्रैकर पर आंगनवाड़ी सेवाओं के लिए पंजीकृत किए जाते हैं.

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