हैदराबाद : नशे की लत से न सिर्फ इंसान का जीवन बर्बाद होता है बल्कि यह जानलेवा होती है. यह लत न सिर्फ नशा करने वाले व्यक्ति बल्कि उसके परिवार और समाज को भी प्रभावित करती है. इसलिए इसे सिर्फ एक आदत के रूप में ही नहीं बल्कि एक बीमारी के रूप में परिभाषित किया जाता है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हमेशा नशे की लत की गंभीरता को लेकर लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया. इसी के चलते उनके जन्मदिवस के अवसर पर लोगों को नशे की गंभीरता के बारें में जागरूक करने तथा उन्हे इस आदत से दूर रहने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस मनाया जाता है.
शरीर और मन दोनों को प्रभावित करती है नशे की लत
जानकार तथा चिकित्सक बताते हैं कि एक बार ड्रग्स की लत लग जाने पर नशा करने वाले व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है. इस लत के चलते पीड़ित की पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति तो प्रभावित होती ही है साथ ही उसका खुद के व्यवहार और हरकतों पर नियंत्रण भी नहीं रह पाता है. इसके अलावा उसकी याददाश्त पर भी गहरा असर पड़ता है.
नशे की लत से पीड़ित व्यक्ति के सामने ये समस्याएं आती हैं.
- स्वास्थ्य समस्याएं
- स्मृति विकार तथा मनोविकार बढ़ना
- संतुलन और चलने में कठिनाई
- चिंता, अवसाद और नींद की गड़बड़ी
- अचानक वजन कम होना या वजन बढ़ना
- लीवर, ह्रदय, पेट में समस्याएं बढ़ना
- मिर्गी और कैंसर का खतरा बढ़ जाता है
- निम्न रक्त शर्करा, उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल का स्तर प्रभावित होता है
- रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी
- प्रजनन क्षमता में कमी
- व्यवहार में मनोवैज्ञानिक परिवर्तन
- कार्य करने की क्षमता और प्रदर्शन में गिरावट
- हिंसक रवैया
- व्यक्तित्व में बदलाव
- सामाज से दूरी बनाना
आमतौर पर नशा करने वालों को अपने सामाजिक और निजी जीवन में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ऐसे लोग सामाजिक जीवन यहां तक की अपने परिवार तक से कटा-कटा महसूस करने लगते हैं. नशे की लत पूरी करने के लिए तथा नशे का प्रभाव में आकर कई बार उनके अपराध तथा अन्य असामाजिक गतिविधियों में लिप्त होने की आशंका बढ़ जाती है.
नशे से मुक्ति पाने के लिए क्या करें?
नशीले पदार्थों जैसे सिगरेट, तम्बाकू, शराब या ड्रग्स को छोड़ना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन यदि पीड़ित की इच्छा शक्ति दृढ़ हो तथा उसका परिवार साथ हो तो निसन्देह इस लत से छुटकारा पाने में वह सफल हो सकता है. नशे की लत से मुक्ति के लिए बहुत जरूरी है सही तैयारी. यदि ऐसा न हो तो पीड़ित एक बार ठीक होने के बाद दोबारा नशे की चपेट में आ सकता है.
- सही प्लान जरूरी
नशे की लत से छुटकारा पाने और इस लत के दोबारा लगने से बचने के लिए इलाज के साथ ही पुनर्वास भी काफी जरूरी होता है. क्योंकि नशा छोड़ देने के बावजूद दिमाग में हुए बदलाव लंबे वक्त तक शरीर, मन और आदतों को प्रभावित करते हैं. ऐसे में पुनर्वास के अभाव में पीड़ित के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है. इसलिए इस प्रक्रिया के लिए पूरी प्लानिंग जरूरी होती है. - डिटॉक्सीफिकेशन
नशे की लत छुड़ाने के लिए सबसे पहले डिटॉक्सीफिकेशन की प्रक्रिया अपनाई जाती है. जिसके तहत दवाइयों की मदद से नशे के चलते व्यक्ति के शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों को दूर कर शरीर के हानिकारक तत्वों को बाहर निकालने का प्रयास किया जाता है. साथ ही इलाज के माध्यम से पीड़ित में नशे की तलब तथा विड्राल लक्षणों को दबाने तथा समाप्त करने का प्रयास किया जाता है. - काउंसलिंग और बिहैवियरल थेरेपी
नशे के लती व्यक्ति के लिए काउंसिलिग बहुत जरूरी होती है. यह एक ऐसा माध्यम है जो नशा छोड़ने के लिए व्यक्ति की इच्छाशक्ति को मजबूत करने में मदद करती है, साथ ही पुनर्वास की अवधि में उसे उसके शरीर में होने वाले परिवर्तनों को समझने तथा उनके अनुरूप व्यवहार करने में मदद करती है. नशे की आदत की मुक्ति पाने के प्रयासों में लगे लोगों में आत्मविश्वास और मनोबल में भारी कमी आ जाती है, ऐसे में काउंसलिंग और व्यवहारपरक थेरेपी उनके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने के साथ ही उन्हे वापस समाज का हिस्सा बनने में मदद करती है. आमतौर पर यह थेरेपी अलग-अलग प्रकार से दी जाती है, जिसमें जरूरत के अनुसार व्यक्तिगत, ग्रुप या पारिवारिक आधार पर थेरेपी शामिल होती हैं. वैसे तो यह एक लंबी प्रक्रिया है, लेकिन जैसे-जैसे पीड़ित की स्थिति बेहतर होने लगती है वैसे-वैसे सिटिंग्स कम होती जाती हैं. ऐसी अवस्था में आमतौर पर कॉन्गनिटिव बिहैवियरल थेरेपी, मल्टी डायमेंशनल फैमिली थेरेपी और मोटिवेशनल इंटरव्यूइंग थेरेपी दी जाती है.
नशा मुक्ति के लिए सामूहिक प्रयास
नशा मुक्ति के लिए हमारे देश में सरकारी तथा गैर सरकारी स्तर पर कई संस्थाएं कार्य कर रही हैं. देश के कई अस्पतालों में नशा मुक्ति के लिए इलाज और पुनर्वास की व्यवस्था है, वहीं निजी स्तर पर बड़ी संख्या में नशा मुक्ति केंद्र भी संचालित किए जाते हैं. विशेषतौर पर यदि तंबाकू की बात की जाये तो स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा कुछ वेबसाइट का संचालन किया जाता है, जहां कोई भी तंबाकू छोड़ने का इच्छुक व्यक्ति अपना पंजीकरण करवा सकता है. तम्बाकू उपयोगकर्ता पंजीकरण के लिए 011-22901701 पर मिस्ड कॉल दे सकते हैं, वहीं http://www.nhp.gov.in/quit-tobacco के माध्यम से अपना मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी भरकर स्वयं को ई-रजिस्टर भी करा सकते हैं. पंजीकरण के उपरांत विशेष जानकारियों के लिए एसएमएस के माध्यम से संवाद स्थापित किया जाता है. इस परियोजना को बढ़ावा देने के लिए ई मेल भेजने के साथ-साथ नियमित अंतराल पर तम्बाकू के उपयोग के दुष्प्रभावों के बारे में बड़े पैमाने पर लोगों को सूचित करने के लिए एक विशेष ईमेल आईडी quittobacco@gov.in तैयार की गई है.