हम हमेशा सुनते हैं कि सुरक्षित सेक्स हमें कई समस्याओं और रोगों से बचा कर रखता है। कई बार हम सुरक्षित सेक्स के लिए सभी उपायों को अपनाते तो है, लेकिन लापरवाही से। जरा सी लापरवाही ना सिर्फ महिला बल्कि पुरुष के लिए भी काफी भारी पड़ सकती है। ETV भारत सुखीभवा आज अपने पाठकों के साथ साझा कर रहा है, सुरक्षित सेक्स के दौरान आमतौर पर होने वाली लापरवाही भरी गलतियां और भ्रान्तियां।
कंडोम का गलत उपयोग तथा निस्तारण
सुरक्षित सेक्स तथा गर्भनिरोधक के लिए कंडोम को सबसे आम, लेकिन बेहतरीन साधन माना जाता है। यह ना सिर्फ गर्भधारण बल्कि एसटीआई सहित कई अन्य सेक्स जनित रोगों से भी रक्षा करता है। लेकिन कई बार कंडोम का सही तरीके से उपयोग ना करना उसके फायदे को नुकसान में बदल सकता है। सेक्सोलॉजिस्ट मानते हैं पुरुषों को कंडोम का उपयोग उसी समय करना चाहिए, जिस समय पुरुषों का जननांग पूरी तरह से उत्तेजित हो। जरूरी बात यह है कि कंडोम का इस्तेमाल करने से पहले पूरी तरह जांच कर ली जाए की उसके अंदर किसी प्रकार की हवा तो नहीं है। इसके बाद ही उसका इस्तेमाल करना चाहिए। इसके साथ ही बहुत जरूरी है सहवास के बाद कंडोम को उसके बेस से पकड़ कर बाहर निकाला जाए और उसे सही तरीके से कूड़े में फेंका जाए।
इसके अतिरिक्त कंडोम खरीदने से पहले बहुत जरूरी है कि उसकी एक्सपायरी डेट चेक की जाए। एक्सपायरी डेट निकलने के बाद आमतौर पर कंडोम सूखे तथा चिपचिपे हो जाते हैं, जो जनन अंगों को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं।
गर्भनिरोधक गोलियों के सही उपयोग के बारे में जाने
बड़ी संख्या में ना सिर्फ महिलाएं बल्कि पुरुष भी यह समझते हैं कि महिलाओं के गर्भ निरोधक गोलियां लेने से उनमें एसटीआई यानी सेक्सुअल ट्रांसमिटेड रोग होने की आशंका कम हो जाती है। एसटीआई यानी सेक्स जनित रोगों से बचने का सिर्फ एक ही उपाय है, वह है शारीरिक संबंधों से परहेज। किसी भी व्यक्ति को एसटीआई जैसे संक्रमण की आशंका है, तो उसे शारीरिक संबंधों से परहेज करना चाहिए। सामान्य सेक्स के दौरान कंडोम हो या ओरल सेक्स के दौरान दांतों को संक्रमण से बचाने वाला डेंटल डैम, यह सिर्फ एसटीआई संक्रमण के फैलने तथा गर्भधारण की आशंका को कम करते हैं। इनका इस्तेमाल एसटीआई जैसे संक्रमण से शत प्रतिशत सुरक्षित नहीं है।
गर्भधारण से बचने के लिए एनल सेक्स या गुदामैथुन
कई लोग सोचते हैं कि एनल सेक्स या गुदामैथुन करने पर गर्भधारण की आशंका नहीं रहती है। इस तथ्य को पूरी तरह से सत्य नहीं माना जा सकता है। यह सत्य है कि गुदामैथुन गर्भधारण की आशंका को कम कर देता है, लेकिन कई बार असावधानी बरतने से एनल सेक्स के उपरांत पुरुषों का वीर्य महिलाओं की योनि तक पहुंच जाता है। कई लोग यह भी मानते हैं कि 'गुदामैथुन से एसटीआई जैसे संक्रमण से बचा जा सकता है', यह तथ्य भी सही नहीं है। दरअसल हमारी गुदा में मौजूद टिश्यू की पतली परत जिसे रेक्टल टिशू कहा जाता है, यदि सहवास के कारण फट जाती है, तो यह संक्रमण को फैला सकती है। इसलिए बहुत जरूरी है कि गुदामैथुन के समय कंडोम का इस्तेमाल अवश्य करें।
मासिक चक्र के दौरान शारीरिक संबंध बनाना
मासिक धर्म के दौरान सुरक्षित संबंध स्थापित करना बेहद आवश्यक होता है, क्योंकि इस दौरान संक्रमण का खतरा भी बहुत ज्यादा होता है। ऐसे समय में किसी भी एक पार्टनर को गर्भनिरोधक का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। आमतौर पर योनि का पीएच स्तर 3.8 से 4.5 तक रहता है, लेकिन मासिक धर्म के दौरान योनि का पीएच स्तर बढ़ जाता है, जिससे यीस्ट अधिक बढ़ने से संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है।
ज्यादातर चिकित्सक बताते हैं कि मासिक धर्म के दौरान शारीरिक संबंध स्थापित करने से गर्भधारण का खतरा भी कम रहता है, क्योंकि इस दौरान महिलाएं अंडोत्सर्ग से कई दिन दूर हो जाती हैं। लेकिन यदि किसी महिला का मासिक चक्र कम अवधि का हो, तो ऐसे में मासिक धर्म के अंतिम दिनों में असुरक्षित ढंग से शारीरिक संबंध बनाने से गर्भधारण करने की संभावना ज्यादा रहती है।
पहली बार शारीरिक संबंध बनाने से गर्भधारण नहीं होता
आमतौर पर लोगों में यह भ्रांति भी होती है कि यदि कोई पहली बार शारीरिक संबंध बना रहा है और वह इस प्रक्रिया के दौरान सुरक्षा का ध्यान ना रखे, तो भी गर्भधारण की आशंका ना के बराबर होती है। जो सही नहीं है। संबंध चाहे पहली बार बनाए जाये या कई बार बना चुके हैं, यदि पुरुष का वीर्य महिला की योनि में प्रवेश करता है, तो गर्भधारण की संभावना होती ही है। विशेष तौर पर यदि कोई पहली बार शारीरिक संबंध बनाने जा रहा हो, तो उस समय शरीर में अलग-अलग प्रकार के संक्रमण होने का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए बहुत जरूरी है कि उस समय कंडोम का इस्तेमाल जरूर किया जाए।
गर्भधारण से बचने के लिए विड्रोल मेथड
कई पुरुष गर्भधारण से बचने के लिए सहवास के अंतिम चरण तक पहुंचने से पहले ही अपने जननांग को महिला योनि के संपर्क से दूर कर देते हैं। ऐसा करने के पीछे उनकी सोच यही रहती है कि यदि महिला के जननांग में पुरुष का वीर्य नहीं पहुंच पाएगा, तो वह गर्भधारण नहीं कर पाएगी। लेकिन यह गर्भनिरोधन का सबसे असुरक्षित तरीका है। क्लाइमेक्स के समय जननांगों के संपर्क को दूर करना सरल नहीं होता है, इसके लिए मजबूत इच्छाशक्ति चाहिए होती है। और यदि पुरुष अपने स्खलन को नियंत्रित ना कर पाए, तो निश्चित तौर पर महिला की योनि में उसका वीर्य पहुंच जाता है। यह गर्भधारण की संभावना तो बढ़ाता ही है, साथ ही एसटीआई के खतरे को भी बढ़ाता है।
यदि एसटीआई नहीं है, तो कंडोम का इस्तेमाल जरूरी नहीं है
यदि महिला या पुरुष में एसटीआई या किसी अन्य संक्रमण के लक्षण ना हो, तो वे शारीरिक संबंधों के दौरान कंडोम के उपयोग को जरूरी नहीं समझते हैं। लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है कि यदि व्यक्ति में संक्रमण के लक्षण ना हो, तो इसका मतलब यह है कि वह संक्रमित नहीं है। ज्यादातर मामलों में संक्रमण के शुरुआती दौर में आमतौर पर लक्षण नजर नहीं आते हैं, लेकिन इस अवस्था में असुरक्षित सेक्स से साथी में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
शारीरिक संबंध बनाने के उपरांत व्यायाम की जरूरत नहीं है
बड़ी संख्या में लोगों का मानना है कि यदि व्यक्ति नियमित रूप से शारीरिक संबंध बना रहा हो, तो उसे व्यायाम की जरूरत नहीं है। यह सत्य है कि शारीरिक संबंध बनाने से हमारे शरीर के कैलोरी कम होती है, साथ ही हमारे दिल की धड़कन भी बढ़ती है, जिससे दिल का स्वास्थ्य बना रहता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि नियमित व्यायाम को छोड़ दिया जाए। शारीरिक संबंध बनाने से नियमित रूप से व्यायाम करने पर शरीर को मिलने वाले फायदे नहीं मिलते हैं।
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नियमित रूप से जांच जरूरी
असुरक्षित शारीरिक संबंध हो या एक से ज्यादा लोगों के साथ संबंध बनाने वालों में सेक्स ट्रांसमिटेड संक्रमण होने का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए ऐसे लोग जो शारीरिक संबंध बनाने जैसी गतिविधियों में ज्यादा सक्रिय हो, उन्हें नियमित तौर पर चिकित्सक के पास जाकर अपने जननांगों की जांच तथा एसटीआई जैसे संक्रमण की जांच करानी चाहिए।