महिलाओं में मासिक धर्म (पीरियड्स) शरीर में होने वाली एक सामान्य प्रक्रिया है। जो की एक मासिक प्रक्रिया है। माहवारी को प्रजनन के लिए जरूरी माना जाता है। लेकिन दुनिया भर में बडी संख्या में महिलायें माहवारी के दौरान साफ सफाई का ध्यान न रखने के कारण विभिन्न प्रकार की बीमारियों का शिकार बन जाती है। ध्यान न देने पर यह समस्याएं न सिर्फ बांझपन बल्कि सर्विकल कैंसर, प्रजनन अंगों में संक्रमण तथा हेपेटाइटिस बी जैसे गंभीर रोगों को जन्म दे सकती है।
महिलाओं को माहवारी के दौरान साफ सफाई रखने के लिए जागरूक करने तथा इससे जुड़े भ्रमों को दूर करने के उद्देश्य से दुनिया भर में 28 मई को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
वर्ष 2013 से हर साल मनाए जा रहे इस विशेष दिवस को इस वर्ष "मासिक धर्म स्वच्छता के लिए ज्यादा निवेश तथा गतिविधियों की आवश्यकता के लिए आवाज उठाए" थीम पर मनाया जा रहा है। चूंकि महिलाओं का मासिक चक्र आमतौर पर 28 दिन का, तथा इसकी अवधि पाँच दिन की मानी जाती है इसीलिए इस विशेष दिन को मई माह यानी साल के पाँचवे महीने की 28 तारीख को मनाया जाता है।
विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस का उद्देश्य
वर्ष 2016 में 100,000 भारतीय लड़कियों पर “मेंस्ट्रूअल साइकिल मैनेजमेंट फ़ैसलिटी अमंग अडोल्सेन्ट गर्ल्स इन इंडिया” शीर्षक से किए गए एक शोध में सामने आया था की हमारे देश में माहवारी शुरू होने तक लगभग 50,000 लड़कियों को मासिकधर्म के बारे में जानकारी ही नही होती है।
वहीं 2014 में स्वयं सेवी संस्था दासरा द्वारा “स्पॉट ऑन ” शीर्षक से किए एक शोध में सामने आया की भारत में लगभग 23 मिलियन लड़कियां हर साल माहवारी संबंधी समस्याओं तथा इस संबंध में जानकारी व सुविधाओं के अभाव में स्कूल छोड़ने पर मजबूर हो जाती है। यहीं नही बड़ी संख्या में लड़कियां महीने के पाँच दिन छुट्टी पर रहती है।
देवास ( मध्य प्रदेश) की महिला रोग चिकित्सक (गायनकोलॉजिस्ट ) डॉ प्राची माहेश्वरी बताती है की हमारे देश में आज भी ज्यादातर महिलाएं माहवारी तथा उससे जुड़ी समस्याओं को लेकर खुलकर बात नहीं करतीं है और न ही ज्यादातर महिलायें इस दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के प्रति जागरूक होती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में माहवारी के दौरान स्वच्छता या ध्यान न रखने के कारण विभिन्न समस्याओं और संक्रमणों का सामना करने वाली महिलाओं का आंकड़ा शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा ज्यादा होता है।
माहवारी के दौरान ध्यान देने वाली बातें
वर्ष 2015-2016 में हुए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार भारत में लगभग 336 मिलियन महिलाओं में से 36 प्रतिशत यानी 121 मिलियन महिलायें माहवारी के दौरान सेनेट्री नैपकिन का इस्तेमाल करती है। लेकिन हमारे देश में अभी भी बड़ी संख्या में महिलाये कपड़े का इस्तेमाल करती है।
डॉ प्राची बताती है की महिला चाहे किसी भी उम्र की हो माहवारी के दौरान सफाई और स्वच्छता का ध्यान देना सभी के लिए बहुत जरूरी है। इस दौरान स्वच्छता को बनाए रखने के लिए निम्न बातों को ध्यान में रखना जरूरी है।
- कम से कम हर 6 घंटे में सेनेट्री नैपकिन यानी पैड बदले। यदि रक्तस्राव ज्यादा हो तो पैड को और भी ज्यादा जल्दी बदलना चाहिए।
- घर में रखे पुराने गंदे कपड़े का प्रयोग नही करें। इससे संक्रमण का खतरा रहता है।
- समय-समय पर अपने निजी अंग यानी योनि तथा उसके आसपास की सफाई करती रहें।
- नियमित तौर पर नहाए , यदि माहवारी के दौरान दर्द हो तो गरम पानी से स्नान फायदा देता है।
- अगर यात्रा पर हैं और शौचालय जाना हो तो साफ-सुथरी जगह पर जाएं।
- खान-पान का विशेष ख्याल रखे। सुपाच्य आहार का सेवन करें।
- अपनी भोजन, कार्य तथा व्यायाम संबंधी नियमित दिनचर्या का पालन करें।
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माहवारी से जुड़े भ्रम और उनकी सच्चाई
डॉ प्राची बताती है की हमारे देश में न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी माहवारी के दौरान महिलाओं के लिए कई अनावश्यक नियम कायदे माने जाते है जिनके कारण महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है, जैसे माहवारी के दौरान महिलाओं के कुछ विशेष प्रकार के भोज्य पदार्थों जैसे आचार आदि नहीं छूने चाहिए क्योंकि माहवारी में छूने से वह खराब हो जाते है, माहवारी के पहले दो दिन बाल नहीं धोने चाहिए, उन्हे एक कमरे में रहना चाहिए, रसोईं में नही जाना चाहिए , घर का काम नही करना चाहिए तथा व्यायाम नही करना चाहिए आदि ।
दरअसल यह सभी मिथक ही है । माहवारी के दौरान पूरे शरीर की साफ सफाई बहुत जरूरी है यहीं नही इस दौरान यदि किसी को पेट में दर्द भी होता है तो गरम पानी से स्नान उसे काफी राहत देता है। इसके अलावा माहवारी के दौरान आमतौर पर महिलाओं को किसी भी प्रकार के खेल, व्यायाम या घर व दफ्तर के काम में कोई समस्या नही आती है।
डॉ प्राची बताती है की माहवारी के दौरान यदि किसी महिला को अनियमितता या परेशानी महसूस हो, असहनीय दर्द हो, जरूरत से ज्यादा रक्तस्राव हो, या माहवारी से पहले या बाद में हल्का रक्तस्राव ता बहुत ज्यादा सफेद स्राव हो तो उसे चिकित्सक से जांच अवश्य करवानी चाहिए।