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World Lymphoma Awareness Day : लिम्फोमा के इलाज के साथ प्रबंधन व सावधानियों का ध्यान रखना भी है जरूरी

लिम्फोमा एक ऐसा कैंसर है जिसमें शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं में कैंसर कोशिकाएं बढ़ने लगती हैं. लेकिन सही समय पर जांच व इलाज से यह ठीक भी हो सकता है. दुनिया भर में लिम्फोमा या लसिका प्रणाली के कैंसर के बारें में जागरूकता फैलाने और इससे जुड़े मुद्दों पर सूचना व मदद उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 15 सितंबर को विश्व लिम्फोमा जागरूकता दिवस (World Lymphoma Awareness Day) मनाया जाता है. आइए जानते हैं कि किस प्रकार का कैंसर (Blood Cancer Awareness) होता है लिम्फोमा ?

15 September Day 2023 World Lymphoma Awareness Day
विश्व लिम्फोमा जागरूकता दिवस
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 15, 2023, 12:32 AM IST

Updated : Oct 15, 2023, 12:35 PM IST

Lymphoma Awareness Day : भले ही आज के समय में इलाज व दवाओं के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर बेहतरीन प्रगति हुई है और जटिल से जटिल बीमारियों के इलाज की दिशा में लगातार उपलब्धियां मिल रही हैं. लेकिन आज भी कुछ बीमारियां ऐसी हैं जिनका सिर्फ नाम ही लोगों को में डर का कारण बन जाता है. ऐसी ही एक बीमारी है कैंसर. कैंसर कई प्रकार का होता हैं तथा शरीर के अलग- अलग अंगों में विकसित हो सकता है. कैंसर को लेकर लोगों के मन में डर होना एक सामान्य बात हैं क्योंकि इसके कई प्रकार जानलेवा होते हैं. लेकिन यह जानना भी जरूरी है कि कई प्रकार के कैंसर सही समय पर जांच व सही इलाज के बाद ठीक हो सकते हैं. ऐसा ही एक कैंसर है लिम्फोमा.

क्या है लिम्फोमा, उसके प्रकार तथा कारण : लिम्फोमा के लिए लिम्फोसाइट्स यानी सफेद रक्त कोशिकाओं में समस्या को जिम्मेदार माना जाता है. हमारे शरीर में सफेद रक्त कोशिकाएं शरीर में प्रवेश करने वाले संक्रमण और अन्य वायरस से लड़ने में मदद करती हैं. ये कोशिकाएं हमारे लिम्फ नोड्स, प्लीहा, थाइमस, अस्थि मज्जा तथा शरीर के अन्य हिस्सों में होती हैं.लिम्फोमा में ये लिम्फोसाइट्स रोग या अलग अलग कारणों से तेजी से तथा अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगती हैं. जो कैंसर का कारण बनती हैं.

लिम्फोमा के कारण, प्रकार व लक्षण : लिम्फोमा के कई प्रकार व उपप्रकार होते हैं. जिनमें में हॉजकिन्स लिम्फोमा और नॉन-हॉजकिन लिम्फोमा के मामले सबसे ज्यादा देखे जाते हैं. इनमें गैर-हॉजकिन लिंफोमा के मामले आमतौर पर 60 से 80 वर्ष की आयु में नजर आते है, और महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में ज्यादा देखे जाते हैं. वहीं हॉजकिन लिंफोमा के मामले ज्यादातर 20 से 40 वर्ष की आयु में देखने में आते हैं. हालांकि इसके मामले 60 से ज्यादा उम्र में भी नजर आ सकते हैं. लिम्फोमा के कारणों की बात करें तो इसके लिए कई ज्ञात या अज्ञात कारक जिम्मेदार हो सकते हैं. आमतौर पर एचआईवी या कपोसी सार्कोमा ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस , हेपेटाइटिस सी सहित कुछ अन्य प्रकार के आटो इम्यून रोग व संक्रमण, अन्य रोग तथा आनुवांशिकता को इसके होने की आशंका को बढ़ाने वाले कारणों में से एक माना जाता है. Lymphoma में शुरुआती लक्षण बेहद सामान्य होते हैं जो कई बार सामान्य इन्फ्लूएंजा या वायरल संक्रमण जैसी अन्य बीमारियों के लक्षणों या संकेतों जैसे हो सकते हैं. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

15 September Day 2023 World Lymphoma Awareness Day
विश्व लिम्फोमा जागरूकता दिवस
  1. बार-बार बुखार आना
  2. खांसी, सांस लेने में समस्या
  3. रात में ज्यादा पसीना आना
  4. टॉन्सिल बढ़ जाना
  5. थकान व भूख में कमी
  6. सिरदर्द व हड्डी में दर्द
  7. वजन कम होना
  8. गर्दन, बगल या कमर में लिम्फ नोड्स में सूजन
  9. बिना किसी कारण के लगातार खुजली होना
  10. पेशाब में रुकावट, आदि.

जांच व निदान
Lymphoma तथा उसके प्रकार की जांच के लिए लक्षणों के आधार पर कई तरह की जांच व परीक्षण किए जा सकते हैं. जैसे पूर्ण रक्त गणना या सीबीसी जांच, ब्लड केमिस्ट्री जांच या रक्त रसायन परीक्षण, सीटी स्कैन , पी.ई.टी स्कैन, एम.आर.आई, लिम्फ नोड, बोन मैरो या अन्य अंगों की बायोप्सी तथा स्पाइनल टैप आदि. इन जांचों के आधार विभिन्न दवाओं तथा थेरेपियों की मदद से इस रोग का इलाज किया जाता है. लिम्फोमा का उपचार अलग-अलग लोगों में रोग के प्रकार के आधार पर अलग- अलग हो सकता है. इसके उपचार में कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी या विकिरण चिकित्सा, इम्यूनोथेरेपी तथा टारगेट थेरेपी आदि के साथ कई बार जरूरत अनुसार सीएआर टी-सेल थेरेपी तथा बोन मैरो ट्रांसप्लांट भी किया जाता है.

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प्रबंधन व सावधानियां
लिम्फोमा के होने की पुष्टि होने पर तत्काल इलाज के साथ रोग के प्रबंधन व इससे जुड़ी सावधानियों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है. कैंसर का कोई भी प्रकार हो पीड़ित के लिए ठीक होने के बाद भी हमेशा स्वास्थ्य के लेकर ज्यादा सचेत रहना तथा रोग प्रबंधन व संबंधित जरूरी सावधानियों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है. गौरतलब है कि सिर्फ कैंसर रोग के ही नही बल्कि इसके इलाज के भी पीड़ित के स्वास्थ्य पर काफी पार्श्वप्रभाव नजर आते हैं. ऐसे में जीवन की अच्छी गुणवत्ता बनाए रखने के लिए स्वस्थ व सक्रिय जीवनशैली व आहार शैली अपनाने के साथ स्वास्थ्य की नियमित मॉनिटरिंग, नियमित जांच तथा चिकित्सक से लगातार परामर्श भी बेहद जरूरी होता है. ऐसे लोग जिनके परिवार में Lymphoma का इतिहास रहा हो उन्हें अपने स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा सचेत रहने की आवश्यकता होती है.

Lymphoma Awareness Day : भले ही आज के समय में इलाज व दवाओं के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर बेहतरीन प्रगति हुई है और जटिल से जटिल बीमारियों के इलाज की दिशा में लगातार उपलब्धियां मिल रही हैं. लेकिन आज भी कुछ बीमारियां ऐसी हैं जिनका सिर्फ नाम ही लोगों को में डर का कारण बन जाता है. ऐसी ही एक बीमारी है कैंसर. कैंसर कई प्रकार का होता हैं तथा शरीर के अलग- अलग अंगों में विकसित हो सकता है. कैंसर को लेकर लोगों के मन में डर होना एक सामान्य बात हैं क्योंकि इसके कई प्रकार जानलेवा होते हैं. लेकिन यह जानना भी जरूरी है कि कई प्रकार के कैंसर सही समय पर जांच व सही इलाज के बाद ठीक हो सकते हैं. ऐसा ही एक कैंसर है लिम्फोमा.

क्या है लिम्फोमा, उसके प्रकार तथा कारण : लिम्फोमा के लिए लिम्फोसाइट्स यानी सफेद रक्त कोशिकाओं में समस्या को जिम्मेदार माना जाता है. हमारे शरीर में सफेद रक्त कोशिकाएं शरीर में प्रवेश करने वाले संक्रमण और अन्य वायरस से लड़ने में मदद करती हैं. ये कोशिकाएं हमारे लिम्फ नोड्स, प्लीहा, थाइमस, अस्थि मज्जा तथा शरीर के अन्य हिस्सों में होती हैं.लिम्फोमा में ये लिम्फोसाइट्स रोग या अलग अलग कारणों से तेजी से तथा अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगती हैं. जो कैंसर का कारण बनती हैं.

लिम्फोमा के कारण, प्रकार व लक्षण : लिम्फोमा के कई प्रकार व उपप्रकार होते हैं. जिनमें में हॉजकिन्स लिम्फोमा और नॉन-हॉजकिन लिम्फोमा के मामले सबसे ज्यादा देखे जाते हैं. इनमें गैर-हॉजकिन लिंफोमा के मामले आमतौर पर 60 से 80 वर्ष की आयु में नजर आते है, और महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में ज्यादा देखे जाते हैं. वहीं हॉजकिन लिंफोमा के मामले ज्यादातर 20 से 40 वर्ष की आयु में देखने में आते हैं. हालांकि इसके मामले 60 से ज्यादा उम्र में भी नजर आ सकते हैं. लिम्फोमा के कारणों की बात करें तो इसके लिए कई ज्ञात या अज्ञात कारक जिम्मेदार हो सकते हैं. आमतौर पर एचआईवी या कपोसी सार्कोमा ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस , हेपेटाइटिस सी सहित कुछ अन्य प्रकार के आटो इम्यून रोग व संक्रमण, अन्य रोग तथा आनुवांशिकता को इसके होने की आशंका को बढ़ाने वाले कारणों में से एक माना जाता है. Lymphoma में शुरुआती लक्षण बेहद सामान्य होते हैं जो कई बार सामान्य इन्फ्लूएंजा या वायरल संक्रमण जैसी अन्य बीमारियों के लक्षणों या संकेतों जैसे हो सकते हैं. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

15 September Day 2023 World Lymphoma Awareness Day
विश्व लिम्फोमा जागरूकता दिवस
  1. बार-बार बुखार आना
  2. खांसी, सांस लेने में समस्या
  3. रात में ज्यादा पसीना आना
  4. टॉन्सिल बढ़ जाना
  5. थकान व भूख में कमी
  6. सिरदर्द व हड्डी में दर्द
  7. वजन कम होना
  8. गर्दन, बगल या कमर में लिम्फ नोड्स में सूजन
  9. बिना किसी कारण के लगातार खुजली होना
  10. पेशाब में रुकावट, आदि.

जांच व निदान
Lymphoma तथा उसके प्रकार की जांच के लिए लक्षणों के आधार पर कई तरह की जांच व परीक्षण किए जा सकते हैं. जैसे पूर्ण रक्त गणना या सीबीसी जांच, ब्लड केमिस्ट्री जांच या रक्त रसायन परीक्षण, सीटी स्कैन , पी.ई.टी स्कैन, एम.आर.आई, लिम्फ नोड, बोन मैरो या अन्य अंगों की बायोप्सी तथा स्पाइनल टैप आदि. इन जांचों के आधार विभिन्न दवाओं तथा थेरेपियों की मदद से इस रोग का इलाज किया जाता है. लिम्फोमा का उपचार अलग-अलग लोगों में रोग के प्रकार के आधार पर अलग- अलग हो सकता है. इसके उपचार में कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी या विकिरण चिकित्सा, इम्यूनोथेरेपी तथा टारगेट थेरेपी आदि के साथ कई बार जरूरत अनुसार सीएआर टी-सेल थेरेपी तथा बोन मैरो ट्रांसप्लांट भी किया जाता है.

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प्रबंधन व सावधानियां
लिम्फोमा के होने की पुष्टि होने पर तत्काल इलाज के साथ रोग के प्रबंधन व इससे जुड़ी सावधानियों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है. कैंसर का कोई भी प्रकार हो पीड़ित के लिए ठीक होने के बाद भी हमेशा स्वास्थ्य के लेकर ज्यादा सचेत रहना तथा रोग प्रबंधन व संबंधित जरूरी सावधानियों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है. गौरतलब है कि सिर्फ कैंसर रोग के ही नही बल्कि इसके इलाज के भी पीड़ित के स्वास्थ्य पर काफी पार्श्वप्रभाव नजर आते हैं. ऐसे में जीवन की अच्छी गुणवत्ता बनाए रखने के लिए स्वस्थ व सक्रिय जीवनशैली व आहार शैली अपनाने के साथ स्वास्थ्य की नियमित मॉनिटरिंग, नियमित जांच तथा चिकित्सक से लगातार परामर्श भी बेहद जरूरी होता है. ऐसे लोग जिनके परिवार में Lymphoma का इतिहास रहा हो उन्हें अपने स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा सचेत रहने की आवश्यकता होती है.

Last Updated : Oct 15, 2023, 12:35 PM IST
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