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सम्पूर्ण विकास को प्रभावित करती है बच्चों में आयरन डेफिशियेंसी - Anemia

बच्चों में आयरन डेफिशियेंसी होने पर उनके सम्पूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास पर असर पड़ता है। यही नही आयरन की कमी के चलते उन्हे एनीमिया (खून की कमी )भी हो सकता है।

Poor Iron
Iron Deficiency
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Published : Jul 14, 2021, 10:14 AM IST

बच्चों के शारीरिक, बौद्धिक और मानसिक विकास के लिए आयरन का पोषण बहुत जरूरी माना जाता है। आयरन की कमी के चलते शरीर में हिमोग्लोबिन के स्तर पर असर पड़ने लगता है, जो स्वास्थ्य को विभिन्न प्रकार से नुकसान पहुँचा सकता है और उन्हे एनिमिक भी बना सकता है। बच्चों के लिए आयरन की जरूरत अलग-अलग उम्र के हिसाब से अलग- अलग हो सकती है।

बच्चों में आयरन डेफिशियेंसी, उसके शरीर पर प्रभाव तथा उम्र के अनुसार आयरन की जरूरत के बारे में जानने के लिए ETV भारत सुखीभवा ने देहरादून की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर लतिका जोशी से बात की ।

स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा सकती है बच्चों में आयरन डेफिशियेंसी

डॉक्टर लतिका बताती है कि आयरन हमारे शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों में से एक है। यह सिर्फ बड़ों के लिए ही नहीं बल्कि बच्चों के लिए भी बहुत जरूरी होता है। आमतौर पर ज्यादातर माता-पिता बच्चों में विटामिन और प्रोटीन की मात्रा को संतुलित रखने के लिए विशेष प्रयास करते है लेकिन अधिकांश माता-पिता बच्चों की आयरन युक्त डाइट पर ध्यान नहीं देते हैं। जबकि आयरन बच्चों के दिमाग और शरीर की मजबूती के लिए जरूरी है।

क्यों है आयरन जरूरी

आयरन की कमी होने पर शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं कम मात्रा में बनती हैं जिससे शरीर के बाकी अंगों तक जरूरत के मुताबिक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती है। आयरन रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाकर लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण को संतुलित और ऑक्सीजन को विभिन्न अंगों तक पहुंचने की क्षमता बढ़ाता है।

आयरन की कमी से शरीर में एनीमिया जैसी बीमारी हो सकती है, ऐसी अवस्था में बच्चे को आयरन फोलिक एसिड, विटामिन सी, प्रोटीन और विटामिन बी की ज्यादा जरूरत होती है।।

आयरन की कमी के लक्षण तथा संकेत

आयरन की कमी होने पर बच्चों में निम्न लक्षण तथा संकेत नजर आ सकते है।

  1. थकान भूख ना लगना
  2. धीमी गति से वृद्धि और विकास
  3. असामान्य तरीके से या तेज तेज सांस लेना
  4. लगातार संक्रमण का होना
  5. कमजोरी
  6. त्वचा विशेषकर नाखून और आंखें पीली नजर आना
  7. बच्चों का चिड़चिड़ा और सुस्त हो जाना

आयरन के स्रोत

शाकाहारी: हरी पत्तेदार सब्जियां, फल विशेषकर सेब तथा अनार, दालें, चुकंदर, सूखे मेवे जैसे खजूर, मुनक्का, किशमिश ।

मांसाहारी: अंडे, ऑर्गन मीट जैसे लीवर, मछली, चिकन, टर्की, लाल मांस जैसे मटन या लैंब।

डॉ लतिका बताती है की शरीर में आयरन की कमी को दूर करने के लिए बहुत जरूरी है कि आयरन के साथ विटामिन सी की भी भरपूर खुराक बच्चे को दी जाए, क्योंकि यह शरीर में आयरन के अवशोषण का कार्य करती है। इसके लिए टमाटर, ब्रोकली, संतरे का जूस तथा स्ट्रौबरी आदि का सेवन किया जा सकता है।

कितनी मात्रा में आयरन है जरूरी

डॉक्टर लतिका जोशी बताती है कि स्तनपान करने वाले 4 से 6 माह तक के बच्चों को आयरन की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि उन्हें यह उनकी माता के दूध से मिलता रहता है। कुछ विशेष परिस्थितियों में यदि माता के दूध से बच्चों में आयरन की जरूरत पूरी ना हो पा रही हो तो चिकित्सक उन्हें आयरन ड्रॉप या आयरन युक्त फार्मूला दूध देने की सलाह भी देते हैं।

सामान्य पारिसतिथ्यों में 7 से 12 माह के शिशु को रोजाना 11 मिलीग्राम, 1 से 3 वर्ष की उम्र वाले बच्चों को रोजाना 7 मिलीग्राम, 4 से 8 वर्ष उम्र वाले बच्चों को 10 मिलीग्राम तथा 9 से 13 साल के बच्चों को हर दिन 8 मिलीग्राम आयरन की आवश्यकता होती है।

11 से अधिक उम्र के लड़कों को 11 मिलीग्राम तथा लड़की को 15 मिलीग्राम रोजाना आयरन की आवश्यकता होती है। एक उम्र के बाद लड़कियों को लड़कों के मुकाबले ज्यादा आयरन की आवश्यकता होती है।

किन बच्चों को होता है आयरन की कमी का खतरा

  • समय से पहले जन्म लेने वाले प्रीमेच्योर बच्चे
  • 1 साल से कम उम्र में ही गाय बकरी का दूध पीने वाले बच्चे
  • ऐसे शिशु जो बिना आयरन युक्त फार्मूला दूध पीते हों
  • जो गंभीर बीमारियों से पीड़ित हो
  • 1 से 5 वर्ष की उम्र वाले वह बच्चे जिनके आहार में आयरन और लेड ज्यादा होता है

पढ़ें: कैसे बढ़ाएं बच्चों की बौद्धिक क्षमतायें

बच्चों के शारीरिक, बौद्धिक और मानसिक विकास के लिए आयरन का पोषण बहुत जरूरी माना जाता है। आयरन की कमी के चलते शरीर में हिमोग्लोबिन के स्तर पर असर पड़ने लगता है, जो स्वास्थ्य को विभिन्न प्रकार से नुकसान पहुँचा सकता है और उन्हे एनिमिक भी बना सकता है। बच्चों के लिए आयरन की जरूरत अलग-अलग उम्र के हिसाब से अलग- अलग हो सकती है।

बच्चों में आयरन डेफिशियेंसी, उसके शरीर पर प्रभाव तथा उम्र के अनुसार आयरन की जरूरत के बारे में जानने के लिए ETV भारत सुखीभवा ने देहरादून की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर लतिका जोशी से बात की ।

स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा सकती है बच्चों में आयरन डेफिशियेंसी

डॉक्टर लतिका बताती है कि आयरन हमारे शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों में से एक है। यह सिर्फ बड़ों के लिए ही नहीं बल्कि बच्चों के लिए भी बहुत जरूरी होता है। आमतौर पर ज्यादातर माता-पिता बच्चों में विटामिन और प्रोटीन की मात्रा को संतुलित रखने के लिए विशेष प्रयास करते है लेकिन अधिकांश माता-पिता बच्चों की आयरन युक्त डाइट पर ध्यान नहीं देते हैं। जबकि आयरन बच्चों के दिमाग और शरीर की मजबूती के लिए जरूरी है।

क्यों है आयरन जरूरी

आयरन की कमी होने पर शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं कम मात्रा में बनती हैं जिससे शरीर के बाकी अंगों तक जरूरत के मुताबिक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती है। आयरन रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाकर लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण को संतुलित और ऑक्सीजन को विभिन्न अंगों तक पहुंचने की क्षमता बढ़ाता है।

आयरन की कमी से शरीर में एनीमिया जैसी बीमारी हो सकती है, ऐसी अवस्था में बच्चे को आयरन फोलिक एसिड, विटामिन सी, प्रोटीन और विटामिन बी की ज्यादा जरूरत होती है।।

आयरन की कमी के लक्षण तथा संकेत

आयरन की कमी होने पर बच्चों में निम्न लक्षण तथा संकेत नजर आ सकते है।

  1. थकान भूख ना लगना
  2. धीमी गति से वृद्धि और विकास
  3. असामान्य तरीके से या तेज तेज सांस लेना
  4. लगातार संक्रमण का होना
  5. कमजोरी
  6. त्वचा विशेषकर नाखून और आंखें पीली नजर आना
  7. बच्चों का चिड़चिड़ा और सुस्त हो जाना

आयरन के स्रोत

शाकाहारी: हरी पत्तेदार सब्जियां, फल विशेषकर सेब तथा अनार, दालें, चुकंदर, सूखे मेवे जैसे खजूर, मुनक्का, किशमिश ।

मांसाहारी: अंडे, ऑर्गन मीट जैसे लीवर, मछली, चिकन, टर्की, लाल मांस जैसे मटन या लैंब।

डॉ लतिका बताती है की शरीर में आयरन की कमी को दूर करने के लिए बहुत जरूरी है कि आयरन के साथ विटामिन सी की भी भरपूर खुराक बच्चे को दी जाए, क्योंकि यह शरीर में आयरन के अवशोषण का कार्य करती है। इसके लिए टमाटर, ब्रोकली, संतरे का जूस तथा स्ट्रौबरी आदि का सेवन किया जा सकता है।

कितनी मात्रा में आयरन है जरूरी

डॉक्टर लतिका जोशी बताती है कि स्तनपान करने वाले 4 से 6 माह तक के बच्चों को आयरन की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि उन्हें यह उनकी माता के दूध से मिलता रहता है। कुछ विशेष परिस्थितियों में यदि माता के दूध से बच्चों में आयरन की जरूरत पूरी ना हो पा रही हो तो चिकित्सक उन्हें आयरन ड्रॉप या आयरन युक्त फार्मूला दूध देने की सलाह भी देते हैं।

सामान्य पारिसतिथ्यों में 7 से 12 माह के शिशु को रोजाना 11 मिलीग्राम, 1 से 3 वर्ष की उम्र वाले बच्चों को रोजाना 7 मिलीग्राम, 4 से 8 वर्ष उम्र वाले बच्चों को 10 मिलीग्राम तथा 9 से 13 साल के बच्चों को हर दिन 8 मिलीग्राम आयरन की आवश्यकता होती है।

11 से अधिक उम्र के लड़कों को 11 मिलीग्राम तथा लड़की को 15 मिलीग्राम रोजाना आयरन की आवश्यकता होती है। एक उम्र के बाद लड़कियों को लड़कों के मुकाबले ज्यादा आयरन की आवश्यकता होती है।

किन बच्चों को होता है आयरन की कमी का खतरा

  • समय से पहले जन्म लेने वाले प्रीमेच्योर बच्चे
  • 1 साल से कम उम्र में ही गाय बकरी का दूध पीने वाले बच्चे
  • ऐसे शिशु जो बिना आयरन युक्त फार्मूला दूध पीते हों
  • जो गंभीर बीमारियों से पीड़ित हो
  • 1 से 5 वर्ष की उम्र वाले वह बच्चे जिनके आहार में आयरन और लेड ज्यादा होता है

पढ़ें: कैसे बढ़ाएं बच्चों की बौद्धिक क्षमतायें

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