योग को व्यायाम की वह शाखा कहा जाता है जिसमें शरीर के सभी अंगों को स्वस्थ तथा मजबूत बनाने के लिए आसन तथा योग मुद्राएं बताई जाती हैं, लेकिन योगाचार्यों का मानना है कि योग सिर्फ व्यायाम की शाखा नहीं है बल्कि एक जीवनशैली है जिसके सभी नियमों तथा अंगों का पालन करने से ना सिर्फ शरीर को विभिन्न रोगों से दूर रखा जा सकता है बल्कि इससे आयु भी लंबी होती है.
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में कर्नाटक की योग विशेषज्ञ व प्रशिक्षक तथा क्षेत्रीय स्तर पर कई अवॉर्ड जीत चुकी मीनाक्षी वर्मा ने ETV भारत सुखीभवा को योग के अंगों तथा कुछ ऐसे सरल व मध्यम जटिल योग आसनों के बारें में जानकारी दी, जिनके नियमित अभ्यास से सम्पूर्ण स्वास्थ्य को फायदा पहुंचता है.
योग के अंग
योग के अंगों के बारे में जानकारी देते हुए मीनाक्षी वर्मा बताती हैं कि योग के आठ अंग माने जाते हैं. यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि, लेकिन ज्यादातर आम लोग इसके तीन अंगों से ही परिचित होते हैं. जो हैं आसन, प्राणायाम और ध्यान.
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वह बताती हैं कि सिर्फ आसन या ध्यान ही योग नहीं है, बल्कि विभिन्न नियम जैसे आसन संबंधी नियम, आहार संबंधी नियम तथा दिनचर्या संबंधी नियम भी योग के अंग माने जाते हैं. ऐसे में यदि योग का अभ्यास सभी अंगों तथा नियमों के अनुसार किया जाय तो पाँव के नाखून से लेकर सिर के बाल तक शरीर स्वस्थ, मजबूत तथा सुंदर बना रहता हैं तथा आयु भी दीर्घायु होती है. मीनाक्षी वर्मा ने इस अवसर पर योग के प्रचलित अंगों प्राणायाम, आसन तथा ध्यान के फ़ायदों के साथ प्रतिदिन किए जा सकने वाले कुछ आसनों के बारें में भी जानकारी दी .
- प्राणायाम
वह बताती हैं कि प्राणायाम का उद्देश्य शरीर में ऊर्जा स्रोतों का शुद्धिकरण करना तथा ऊर्जा का संचरण करना होता है. यह नाडी शोधन के साथ ही प्राण शक्ति भी बढ़ाता है. नियमित तौर पर प्राणायाम के अभ्यास से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है, मन शांत तथा एकाग्र होता है, तनाव व चिंता में राहत मिलती है, कई शारीरिक विशेषकर श्वसन संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है, मन और शरीर दोनों स्वस्थ रहते हैं तथा आयु लंबी होती है.
आसन
मीनाक्षी वर्मा बताती हैं कि वैसे तो योग में शरीर के हर अंग को स्वस्थ को बनाए रखने के लिए कई प्रकार के योग आसनों के बारें में बताया गया है. जिनमें से कुछ सरल, कुछ मध्यम जटिल तथा कुछ जटिल श्रेणी में आते हैं. इनमें से मध्यम जटिल तथा जटिल श्रेणी के आसनों को करने के लिए किसी प्रशिक्षित का दिशा निर्देशन तथा उनके द्वारा प्रशिक्षण लेना बहुत जरूरी होता है. वह बताती हैं कि वैसे तो सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास काफी लाभकारी होता है , लेकिन उसके अलावा भी कई ऐसे आसन हैं जिनका अभ्यास नियमित रूप से करने से काफी फायदे मिलते हैं . जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- त्रिकोणासन
इस आसन के अभ्यास से रीढ की हड्डी में लचीलापन आता है, पीठ के दर्द में राहत मिलती है, कंधों के बीच का संतुलन बेहतर होता है, पेट फूलने की समस्या से राहत मिलती है, पेट के निचले हिस्से के अंगों की मांसपेशियों को आराम मिलता है तथा प्रजनन तंत्र मजबूत होता है. इसके अलावा इस आसन से पॉश्चर सुधरता है , गर्दन की अकड़न कम होती है तथा कंधों घुटनों, हाथों और पैरों के जोड़ों को मजबूती मिलती है. साथ ही तनाव व अवसाद में भी राहत मिलती है. - वीरभद्रासन-1
वीरभद्रासन-1 या वॉरियर पोज को आसान आसन माना जाता है. इसके अभ्यास से एड़ी, जांघें, कंधे, पिंडली, हाथ व पीठ आदि मजबूत होते हैं और इनके अतिरिक्त टखनों, नाभि, ग्रोइन, फेफड़े, पिंडलियों तथा गले की मांसपेशिययों में खिंचाव आता है. इस आसन से शरीर में संतुलन और मन में एकाग्रता भी बढ़ती है. - भुजंगासन
इसे सर्पासन या सर्प मुद्रा भी कहा जाता है. भुजंगासन के नियमित अभ्यास से रीढ़ की हड्डी में मजबूती और लचीलापन बढ़ता है. इससे पाचन तंत्र मज़बूत होता है, कब्ज, अस्थमा और महिलाओं की मासिक धर्म से संबंधित समस्याओं में राहत मिलती है, मांसपेशियां मजबूत होती हैं, शरीर में लचीलापन बढ़ता है, हृदय स्वस्थ रहता है, अस्थमा के लक्षणों में आराम मिलता है, लंबाई बढ़ती है तथा पीठ दर्द से आराम मिलता है. - अधोमुख शवासन
यह रीढ़ की हड्डी व टखनों को मजबूत बनाता है और उनकी गतिशीलता बढ़ाता है. साथ ही यह स्नायुजाल को स्वस्थ रखने में मदद करता है. इस आसन से कंधे, टांगे, रीढ की हड्डी तथा पूरे शरीर में खिंचाव आता है और वे मजबूत होते हैं. - उत्कटासन
इस आसन के नियमित अभ्यास से रीढ की हड्डी, कूल्हे और छाती की मांसपेशियां तथा हैमस्ट्रिंग यानी पैर की माँसपेशियां गतिशील व मजबूत होती हैं. इसके अभ्यास से कूल्हों की हड्डियों में लचीलपन बढ़ता है. साथ ही पीठ के निचले हिस्से के दर्द में आराम मिलता है. - बद्ध कोणासन / तितली आसन
यह आसन जांघ के भीतरी हिस्से और गुप्तांग के आसपास के हिस्सों में खिंचाव लाता है. साथ ही इसके नियमित अभ्यास से रीढ़ की हड्डी सीधी होती है,पॉशचर बेहतर होता है, जांघों की भीतरी और बाहरी मांसपेशियां मजबूत होती हैं तथा उनमें लचीलापन बढ़ता है और कूल्हों के दर्द व तनाव में आराम भी मिलता है. - गोमुखासन
यह आसन हाथ, बाजु और कूल्हों सहित शरीर की कई मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनाता है तथा मन को शांत और एकाग्रचित करता है. इसके अलावा यह वजन कम करने में , फेफड़ों और श्वसन से सम्बंधित रोगों में, गुर्दों को उत्तेजित करने में , पैर में ऐंठन को कम करने में तथा कमर दर्द में राहत दिलाता है. - नटराजासन
इस आसन के अभ्यास से पीठ और कूल्हों की अकड़न दूर होती है,पाचन तंत्र बेहतर होता है. नटराजासन को करने के दौरान कंधों, जांघों, पेट के निचले हिस्से, पसलियों और लिंग के आसपास की मांसपेशियों पर खिंचाव आता है, और टांगें, एड़ी और रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है. - उत्तानासन
इसके नियमित अभ्यास से कूल्हों, हैमस्ट्रिंग, और पिंडलियों पर खिंचाव आता है. इस आसन में दिमाग में रक्त और ऑक्सीजन उचित मात्रा में पहुंचने लगती है. इसके अलावा इसके अभ्यास से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, एंग्जाइटी से राहत मिलती है, सिरदर्द और नींद ना आने की समस्या में आराम मिलता है, किडनी और लिवर सक्रिय होते हैं, तथा हाई ब्लड प्रेशर, अस्थमा, नपुंसकता, साइनोसाइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं में राहत मिलती है. - ध्यान
वह बताती हैं कि ध्यान या मेडिटेशन शरीर और दिमाग के बीच में संतुलन और तालमेल बनाने का कार्य करता है. नियमित ध्यान का अभ्यास करने से मस्तिष्क व शरीर पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इससे एकाग्रता बढ़ती है, मन शांत व मजबूत होता है, कार्यक्षमता बढ़ती है, तनाव, डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं से राहत मिलती है . और जब मन स्वस्थ रहता है तो इम्यून सिस्टम भी दुरुस्त रहता है और कई प्रकार के संक्रमणों और रोगों से राहत मिलती है.