अंतर्राष्ट्रीय बधिर सप्ताह : वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ डेफ के अनुसार, वर्तमान समय तक दुनियाभर में लगभग 70 मिलियन से ज्यादा लोग आंशिक या पूर्ण रूप से बधिर या सुनने में अक्षमता से पीड़ित हैं. जिनमें से 80% से अधिक विकासशील देशों से हैं. बधिरता या सुनने में अक्षमता कई कारणों से हो सकती हैं लेकिन एक बार इस समस्या का शिकार होने पर पीड़ित को दूसरों से कम्यूनिकेशन या संवाद स्थापित करने के अलावा और भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जैसे नौकरी स्थल या समाज में दूसरे लोगों से घुलने-मिलने में समस्या आदि. यहां तक की कई बार बधिर लोगों को सिर्फ समाज में ही नहीं बल्कि रिश्तेदारों या परिवार में भी उपेक्षा का सामना भी करना पड़ता है.
बधिरता के कारणों को समझते हुए तथा समय से उसके इलाज के लिए प्रयास करने के साथ ही बधिर लोगों को समाज में आर्थिक रूप से मजबूत बनाने तथा सामान्य जीवन जीने में उनकी मदद करने के लिए मौके बनाने के लिए प्रयास करना भी बेहद जरूरी है. इसी उद्देश्य से हर साल सितंबर माह के आखिरी सप्ताह को “बधिरों के अंतर्राष्ट्रीय सप्ताह” के रूप में मनाया जाता है तथा सितंबर माह के आखिरी रविवार को “विश्व बधिर दिवस” या “वर्ल्ड डे ऑफ डेफ” के रूप में मनाया जाता है. इस साल वर्ल्ड ड़े ऑफ डेफ 2023, 24 सितंबर को "सभी के लिए कान और सुनने की देखभाल" (Ear and hearing care for all ) थीम पर मनाया जा रहा है.
उद्देश्य तथा इतिहास : बधिरता या सुनने में अक्षमता विकलांगता का एक प्रकार माना जाता है. इस समस्या से पीड़ित लोगों को आंशिक या पूर्ण रूप से दूसरों की बातें सुनने में समस्या होती है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे दूसरों से कम्युनिकेट नहीं कर सकते हैं. बधिरता से पीड़ित लोग सांकेतिक भाषा सीख कर तथा कुछ विशेष प्रकार की ट्रेनिंग की मदद से दूसरे लोगों से जुड़ सकते हैं या उनसे अपनी बात सांझा कर सकते हैं. लेकिन इसके लिए बहुत जरूरी है की सिर्फ बधिरता का सामना कर रहे लोग ही नहीं बल्कि उनसे जुड़े लोग , ऊनके दोस्त तथा अन्य लोगों इस दिशा में प्रयास करें. जिससे वे सामान्य जीवन जी सके. लोगों में बधिरता से जुड़ी जरूरी जानकारियों के प्रसार के अलावा बधिर व्यक्ति के प्रति समाज में मददगार रवैया तैयार करने तथा इसके लिए हर संभव प्रयास करने के लिए आम जन को प्रेरित करने के उद्देश्य से भी “वर्ल्ड डे ऑफ डेफ” मनाया जाता है.
विश्व बधिर दिवस की शुरुआत विश्व बधिर महासंघ द्वारा 1958 में रोम, इटली में की गई थी. दरअसल यह आयोजन महासंघ द्वारा अपने पहले विश्व सम्मेलन जो की वर्ष 1951 में हुआ था , का उत्सव मनाने के उद्देश्य से किया गया था. बाद में वर्ष 1959 में संयुक्त राष्ट्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भी विश्व बधिर संघ को मान्यता दी गई. तब से हर साल सितंबर माह के आखिरी रविवार को विश्व बधिर दिवस (World Day of The Deaf) के रूप में मनाया जाता है.
यही नहीं आमजन को बधिरता से जुड़े कारणों, उसके इलाज तथा प्रबंधन के लिए जागरूक करने तथा इससे पीड़ित लोगों के लिए हर संभव मदद मुहैया कराने व सहयोगी वातावरण तैयार करने के लिए प्रयास करने के उद्देश्य से सितंबर के अंतिम सप्ताह को भी अंतर्राष्ट्रीय बधिर सप्ताह के रूप में मनाया जाता है. बधिर लोगों के लिए दूसरे लोगों से संपर्क करना सरल बनाने के उद्देश्य से वर्ष 2018 में अंतर्राष्ट्रीय बधिर सप्ताह के दौरान अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा को भी मान्यता दी गई थी. जिसके बाद से इस आयोजन को अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है.
महत्व
पिछले कुछ सालों में अलग-अलग कारणों से दुनिया भर में श्रवण हानी से जुड़े मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, एक अरब से अधिक लोगों को स्थायी श्रवण हानि का खतरा है. ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों द्वारा तथा उनके नेतृत्व में कई अन्य सामाजिक व स्वास्थ्य संगठनों द्वारा इस दिशा में विशेष प्रयास किए जा रहे हैं. इसी के तहत विश्व बधिर दिवस व सप्ताह के दौरान कुछ अन्य उद्देश्यों को लेकर भी अभियान व जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. जिनमें श्रवण हानि के प्रकार और कारणों के बारे में जागरूकता पैदा करने, बधिरता से जुड़ी जरूरी बातों व सूचनाओं के बारें में जागरूकता फैलाने तथा संकेतिक भाषा को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाना तथा उसे सीखने के लिए आम जन को प्रेरित करना शामिल हैं. जिससे बधिरता का सामना कर रहे लोगों के जीवन को ज्यादा बेहतर बनाया जा सके.