संतानोत्पत्ति में अक्षमता या बांझपन हमारे समाज में चिकित्सा मुद्दा नहीं बल्कि एक सामाजिक मुद्दा माना जाता है. हालांकि इलाज के उपरांत काफी हद तक दंपत्ति संतानोत्पत्ति में सफल रहते हैं, लेकिन जो लोग ऐसा नहीं कर पाते हैं, उनके प्रति समाज का दृष्टिकोण काफी हद तक बदल जाता है. बांझपन क्या हैं? तथा इसके क्या कारण हो सकते हैं? इसके साथ ही बांझपन के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण को लेकर ETV भारत सुखीभवा की टीम ने आब्स्टिट्रिशन, गायनेकोलॉजिस्ट तथा बांझपन विशेषज्ञ डॉक्टर पुरवा सहकारी से बात की.
सामाजिक दृष्टिकोण
देश हो या विदेश सभी समाज में विवाह को एक ऐसी संस्था के रूप में मान्यता दी जाती है, जिसका मुख्य उद्देश्य ही संतानोत्पत्ति है. ऐसा माना जाता है कि जो लोग विवाह के उपरांत सरलता से माता-पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त करते हैं, खुशनसीब होते हैं. चिकित्सीय दृष्टिकोण से देखें तो, बांझपन एक ऐसी बीमारी है, जिसमें उपचार के बाद काफी हद तक दंपती संतान प्राप्त कर पाते हैं, लेकिन जो ऐसा नहीं कर पाते हैं, उनके लिए यह परिस्थिति सामाजिक दबाव के चलते श्राप सरीखी हो जाती है. चूंकि बांझपन का इलाज काफी महंगा होता है, इसलिए कई लोग इस इलाज का फायदा ले भी नहीं पाते हैं.
क्या है बांझपन
डॉक्टर पुरवा बताती हैं कि लगभग एक साल तक बगैर सुरक्षा उपायों के प्रयास करने के बावजूद गर्भ धारण में असमर्थता बांझपन का लक्षण हो सकता हैं.
क्या है बांझपन के कारण
बांझपन के बहुत से कारण हो सकते हैं, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों के स्वास्थ्य से जुड़े हो सकते हैं. लेकिन कई बार पुरुष तथा स्त्री दोनों के स्वस्थ होने के बावजूद स्त्री गर्भधारण नहीं कर पाती है, ऐसी परिस्थितियों को कई बार समझाया तक नहीं जा सकता है.
बांझपन के लिए जिम्मेदार कारक
महिलाओं में
⦁ महिलाओं में फॉलिकल यानी अंडों का सही तरीके से विकास ना होना.
⦁ इनॉक्यूलेशन यानी डिंबक्षरण (यह एक ऐसी अवस्था है, जब ओवरी से अंडों का निषेचन नहीं होता है).
⦁ पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम.
⦁ फैलोपियन ट्यूब में रुकावट.
⦁ गर्भाशय से जुड़ी संरचनात्मक समस्याएं (गर्भाशय का असामान्य आकार, गर्भाशय में सेप्टम तथा अंतर्गर्भाशयकला का आसंजन यानी चिपकाव)
⦁ सर्विकल कारक यानी गर्भाशय ग्रीवा के शुक्राणुओं के प्रवेश को प्रभावित करने वाले स्राव.
⦁ एंडोमेट्रियोसिस ओवरी (बाउल और पेल्विस की लाइनिंग के ऊतकों पर एंडोमेट्रियल टिश्यू का विकसित होना)
⦁ बढ़ती उम्र के कारण भी महिलाओं में बांझपन की समस्या हो सकती है.
पुरुषों में
⦁ अशुक्राणुता (अजूस्पर्मिया)
⦁ शुक्राणुओं में कमी
⦁ शुक्राणुओं में असमानता
⦁ शीघ्रपतन
महिला और पुरुष दोनों में समान समस्याएं
⦁ मधुमेह, थायराइड में असमानता, हाइपरटेंशन, ऑटोइम्यून समस्याएं, सेक्सुअल ट्रांसमिटेड रोग आदि महिलाओं तथा पुरुष दोनों में बांझपन का कारण हो सकता हैं.
⦁ धूम्रपान, नशा, मोटापा तथा किसी भी दवाई का लंबे समय तक इस्तेमाल का असर पुरुषों के शुक्राणुओं पर पड़ सकता है. साथ ही यह महिलाओं में हार्मोन असंतुलन को बढ़ावा दे सकता है.
⦁ यौन शिक्षा का अभाव, सही समय पर यानी फर्टाइल पीरियड में शारीरिक संबंधों का स्थापित ना होना.
प्रजनन क्षमता निहितार्थ जरूरी बातें
बांझपन महिला तथा पुरुष दोनों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डालता है. ऐसे जोड़े जो इस समस्या से जूझ रहे हैं, इन परिस्थितियों को स्वीकार नहीं कर पाते हैं और एकांकीपन, चिड़चिड़ेपन, तनाव तथा अवसाद जैसी समस्याओं का शिकार हो जाते हैं. सामाजिक दबाव के चलते भी बांझपन की परेशानी झेल रहे जोड़ों को मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जिसके चलते वह कई बार समाज से कट से जाते हैं.
डॉक्टर पुरवा बताती हैं कि बांझपन का इलाज काफी महंगा होता है और इलाज ले रहे जोड़े पर आर्थिक दबाव डाल सकता है.
बांझपन तथा उसके इलाज के संबंध में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर पुरवा सहकारी से ईमेल आईडी purvapals@yahoo.co.in पर संपर्क किया जा सकता है.