शरीर के विकास और मांसपेशियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आहार में प्रोटीन की भरपूर मात्रा बहुत जरूरी होती है. लेकिन आमतौर पर भारतीयों की थाली में बेहद ज़रूरी प्रोटीन की कमी देखी जाती है. वर्ष 2020 में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की एक रिपोर्ट में माना गया था कि एक व्यक्ति के खाने में प्रतिदिन 48 ग्राम प्रोटीन होना आवश्यक होता है लेकिन हम भारतीय उससे काफ़ी कम प्रोटीन लेते हैं. इस रिपोर्ट में एक औसत भारतीय वयस्क के लिए शरीर के वज़न के मुताबिक़ 0.8 से 1 ग्राम प्रति किलो प्रोटीन खाने में लेने की सिफ़ारिश की गई थी, लेकिन इस संबंध में आंकड़ों की बात करें तो भारतीयों में प्रति व्यक्ति प्रोटीन की औसत खपत सिर्फ़ 0.6 ग्राम प्रति किलो ही है. वहीं महिलाओं की बात करें तो वो चाहे कामकाजी हो या गृहिणी, उनमें 70 से 80% प्रोटीन की कमी पाई जाती है.
भारतीयों में प्रोटीन की कमी
वर्ष 2017 में वयस्क भारतीयों के आहार में प्रोटीन की मात्रा को लेकर हुए एक सर्वे 'वयस्क भारतीयों के आहार में प्रोटीन की खपत: एक सामान्य उपभोक्ता सर्वेक्षण' में सामने आया था कि भारत में 10 में से 9 लोग अपर्याप्त मात्रा में प्रोटीन का सेवन करते हैं. सर्वे में बताया गया था कि 73 % भारतीयों में प्रोटीन की कमी पाई जाती है. यह सर्वे भारत के 16 शहरों में किया गया था.
इस सर्वे के दौरान प्राप्त हुए आंकड़ों से पता चला कि 93% भारतीय आबादी इस तथ्य से अनजान थी कि उनके लिए प्रतिदिन कितने प्रोटीन की आवश्यकता है. विशेषतौर 97% गर्भवती महिलाओं, 96% स्तनपान कराने वाली माताओं तथा 95% किशोरों को प्रोटीन की अहमियत और उनके लिए प्रतिदिन जरूरी प्रोटीन की मात्रा के बारें में बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी. गौरतलब है कि युवाओं, एथलीटों या खिलाड़ियों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए प्रोटीन की जरूरत अपेक्षाकृत ज्यादा होती है.
भारतीयों के आहार में सामान्य कार्बोहाइड्रेट ज्यादा
कुछ समय पूर्व ई.ए.टी लैंसेट कमीशन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीयों के आहार में ज़्यादातर सामान्य कार्बोहाइड्रेट की मात्रा मिश्रित कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फल और सब्ज़ी से ज्यादा होती है. वहीं बीएमजे जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में भी कहा गया था कि भारतीय आहार ज्यादातर स्टार्च और वसा पर केंद्रित होता है जिसके कारण उनकी प्लेट में प्रोटीन की मात्रा अपर्याप्त होती है.
इसी संबंध में वर्ष 2011-12 के नेशनल सैंपल सर्वे के आंकड़ों में भी सामने आया था कि हमारे देश में न सिर्फ शहरी बल्कि ग्रामीण इलाक़ों में भी प्रति व्यक्ति प्रोटीन की खपत कम हो रही है. आठ शहरों में हुए इस सर्वे में 30 से 55 साल के बीच के 71 % लोगों में खराब मांसपेशियों की समस्या देखी गई थी. इनमें लखनऊ में सबसे ज़्यादा (81%) लोगों में, दिल्ली में (64%) लोगों में खराब मांसपेशी की समस्या सामने आई थी.
प्रोटीनयुक्त आहार पर कम खर्च करते हैं भारतीय
वर्ष 2020 में भारतीय उपभोक्ता बाजार की एक रिपोर्ट में सामने आया था कि भारत में लोग अनाज, प्रसंस्कृत खाने पर ज़्यादा खर्च करते हैं जबकि प्रोटीन से भरपूर खाने पर खाने-पीने के बजट का सिर्फ़ एक तिहाई खर्च करते हैं. यह भी एक कारण हैं जिसके चलते भारत में कुपोषण के मामले अपेक्षाकृत ज्यादा है.
कुपोषण को लेकर पिछले साल जारी एक रिपोर्ट के बताया गया था कि भारत में पांच साल से कम उम्र के 38% यानी लगभग 4 करोड़ 66 लाख बच्चे कुपोषण के शिकार हैं और क़रीब 15% यानी 1 करोड़ 44 लाख मोटापे और ज़्यादा वज़न की समस्या से जूंझ रहे हैं. वहीं भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के एक अध्ययन में भी बताया गया था कि भारत में 11.8% से लेकर 31.3% लोगों में मोटापे की समस्या देखने में आती है. जिससे निवारण में जरूरी मात्रा में प्रोटीन का सेवन फायदेमंद हो सकता है.
प्लांट प्रोटीन है बेहतर
इंदौर की पोषण विशेषज्ञ डॉ संगीता मालू बताती हैं भारतीयों के आहार में निसन्देह प्रोटीन की मात्रा जरूरत के मुकाबले कम होती है, जिसका असर उनके शरीर में मांसपेशियों व हड्डियों में कमजोरी तथा अन्य रूपों में नजर आता है. वह बताती हैं कि प्रोटीन को लेकर आमतौर पर लोगों में धारणा होती है कि मांसाहारी लोगों के मुकाबले शाकाहारियों में प्रोटीन की कमी ज्यादा देखी जाती है जो कुछ हद तक सही भी है, लेकिन इसका कारण यह नहीं है की शाकाहारी प्रोटीन कम मात्रा में पाया जाता है, बल्कि इसका कारण यह है कि ज्यादातर लोगों को शाकाहारी आहार में प्रोटीन के सही स्त्रोत्रों की जानकारी नहीं होती है. वह बताती हैं कि आहार में प्लांट प्रोटीन तथा डेयरी उत्पादों की मात्रा बढ़ाने से शरीर में प्रोटीन की कमी और उसकी जरूरत को पूरा किया जा सकता है. इसके लिए आहार में हरी सब्जियां, फल, दूध, दही, पनीर तथा अन्य डेयरी उत्पादों का ज्यादा मात्रा में सेवन करना चाहिए.