केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने रविवार को बताया कि भारत बायोटेक सार्स-सीओवी-2 वायरस के लिए इंट्रानेसल वैक्सीन (नाक के जरिए दी जानी वाली वैक्सीन) विकसित करेगा. सार्स-सीओवी-2 वायरस की वजह से कोविड-19 होता है. मंत्री ने कहा कि हैदराबाद स्थित ड्रग्स एंड वैक्सीन रिसर्च और मैन्युफैक्चरिंग कंपनी ने वाशिंगटन यूनिवर्सिटी और सेंट लुईस यूनिवर्सिटी के साथ नेसल वैक्सीन कैंडिडेट के ट्रायल के लिए एक समझौता किया है.
वर्धन ने अपने साप्ताहिक वेबीनार संडे संवाद में सोशल मीडिया में कहा, 'भारत बायोटेक ने वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन के साथ समझौता किया है, जिसके तहत कंपनी ट्रायल, उत्पादन और कोविड-19 वैक्सीन के लिए बाजार देखेगी.'
मंत्री ने यह भी सूचित किया कि वैक्सीन के पहले चरण का ट्रायल सेंट लुइस यूनिवर्सिटी के वैक्सीन एंड ट्रीटमेंट इवेल्यूशन यूनिट में होगा, जबकि अगले चरण का ट्रायल भारत में होगा.
उन्होंने कहा, 'भारत बायोटेक नियामक स्वीकृति मिलने के बाद भारत में अगले चरण के क्लीनिकल ट्रायल को आगे बढ़ाएगा.'
वर्धन ने अमेरिका की बायोटेक कंपनी कोडागेनिक्स और भारत की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से विकसित की जा रही एक और इंट्रानेसल वैक्सीन की सूचना दी.
उन्होंने कहा, 'कोडागेनिक्स, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साथ मिलकर सीडीएक्स-005 विकसित करेगा. इसके लिए प्रीक्लिनिकल पशु अध्ययन सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है और कोडागेनिक्स को यूके में 2020 की समाप्ति तक इन-ह्यूमन क्लीनिकल ट्रायल के शुरू होने की उम्मीद है.'