कोविड-19 के दौर में संक्रमण के चलते अपनाए जाने वाले सुरक्षा साधनों जैसे मास्क, दस्तानों तथा सेनेटाइजर ने आम जन की त्वचा को काफी प्रभावित किया हैं। न सिर्फ कोरोना सुरक्षा साधनों के कारण होने वाली बल्कि सामान्य अवस्था में होने वाली एलर्जी तथा त्वचा समस्याओं के बारें में ज्यादा जानकारी लेने के लिए ETV भारत सुखीभवा ने मोरमुगाओ पोर्ट ट्रस्ट (एमपीटी) अस्पताल और एसएमआरसी वास्को, गोवा में सलाहकार त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ उमा एस कामत के साथ बातचीत की।
त्वचा संबंधी समस्याएं या डर्मेटाइटिस
डॉ कामत बताती हैं की हमारी त्वचा की ऊपरी परत में सूजन की समस्या डर्मेटाइटिस की श्रेणी में आती है जो की आमतौर पर दो प्रकार की मानी जाती है एलर्जी से संबंधित डर्मेटाइटिस या (एलर्जीक कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस ) तथा उत्तेजक तत्वों से उत्पन्न डर्मेटाइटिस ( इरिटेन्ट कॉन्टेक्ट डर्मेटाइटिस)।
- एलर्जिक कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस (एसीडी): तब होता है जब जिस पदार्थ से आपको एलर्जी होती है, वह त्वचा में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करता है। व्यक्ति की त्वचा पर एलर्जी का प्रभाव एलर्जी को संचालित करने वाले एलर्जेन की मजबूती तथा पीड़ित की एलर्जी को लेकर संवेदनशीलता पर निर्भर करता है। एक बार व्यक्ति किसी वस्तु को लेकर एलर्जीक हो जाए तो एलर्जेन की थोड़ी मात्रा भी प्रतिक्रिया का कारण बन सकती है।
- इरिटेंट कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस: त्वचा रोग का सबसे आम प्रकार है। यह तब होता है जब पदार्थ त्वचा की बाहरी सुरक्षात्मक परत को नुकसान पहुंचाता है।
एलर्जी के लिए जिम्मेदार कारक
डॉ उमा एस कामत बताती हैं की आमतौर पर लोगों में कुछ त्वचा संबंधी समस्याएं तथा एलर्जी सामान्य तौर पर नजर आती हैं । इन एलर्जी तथा समस्यायों को ट्रिगर करने वाले कारक इस प्रकार हैं।
• हेयर डाई, परफ्यूम, डिओडोरेंट्स, बॉडी वॉश।
• कीटाणुनाशक स्प्रे।
• मास्क
•हाथ के दस्ताने
• सैनिटाइज़र
•प्रसाधन सामग्री
• सॉल्वैंट्स
• पौधे
• डिटर्जेंट
•शराब
• शैंपू
• ब्लीचिंग एजेंट
• उर्वरक
मास्क, ग्लव्स और हैंड सैनिटाइजर की वजह से एसीडी
फेस मास्क : डॉ कामत बताती हैं की कुछ विशेष प्रकार के मास्क के अंदर स्पंज तथा स्ट्रिप पर पॉलीयुरेथेन लगाया जाता है , जो एसीडी का कारण बन सकता है।
ऐसे फेस मास्क जो बहुत टाइट होते हैं या कपड़े से बने होते हैं चेहरे पर खरोंच, जलन या असहजता का कारण बन सकते हैं।
वहीं कुछ मास्क चेहरे की प्राकृतिक नमी को सोख लेते हैं जिससे त्वचा रूखी हो जाती है, जिसके चलते चेहरे के एक्जिमा के लक्षण, जैसे लाल या धब्बेदार त्वचा, खुजली, रूखी त्वचा के साथ पपड़ी, चुभन या जलन नजर आ सकते हैं।
दस्ताने : हाथ के दस्तानों में लगाए जाने वाले ग्लव पाउडर की प्रतिक्रिया के स्वरूप आमतौर पर त्वचा पर जलन तथा उसके पपड़ीदार होने की घटनाएं देखने में आती हैं।
बार-बार हाथ धोने और हैंड सैनिटाइजर के इस्तेमाल से एसीडी: बार बार हाथ धोने के कारण त्वचा में उत्पन्न नमी के चलते त्वचा की पारगम्यता और संवेदनशीलता बढ़ जाती है। साबुन का बार-बार उपयोग किटाणुओं को तो समाप्त करता है लेकिन त्वचा के प्राकृतिक तेल को हटा देता है। जिससे त्वचा की विभिन्न प्रकार की समस्याएं नजर आ सकती है।
कोरोना से बचाव के चलते लगातार सेनेटाइज़र के उपयोग से भी त्वचा में सूखापन और जलन हो सकती है।
कौन से सबसे ज्यादा संवेदनशील
डॉ उमा बताती हैं की ऐसे लोग जो नियमित तौर पर ऐसे उत्पादों या वस्तुओं का इस्तेमाल करते हैं जिनमें रसायन की मात्रा ज्यादा हो तथा जिन लोगों को काम के चलते धूल-मिट्टी और प्रदूषण वाले स्थानों पर ज्यादा समय बिताना पड़ता है उनमे त्वचा संबंधी समस्याएं होने की आशंका ज्यादा रहती है। इस समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले लोगों की सूची इस प्रकार है।
• हेयर ड्रेसर, ब्यूटीशियन।
•निर्माण श्रमिकों।
•धातु कामगार।
•स्वास्थ्य देखभाल करने वाला श्रमिक।
•वाहन यांत्रिकी (मैकेनिक)।
•सफाई कर्मचारी।
• माली।
• कृषि श्रमिक।
कब होता है चिकित्सीय परामर्श जरूरी
• खुजली, लाल चकत्ते का अचानक प्रकट होना।
• दाने शरीर के अन्य भागों में फैल जाते हैं।
• चकत्तों में हफ्तों तक सुधार नहीं होता है।
• त्वचा संक्रमित दिखती है - मवाद निकलता है।
•बुखार।
सावधानियां
डॉ कामत बताती है की समस्या के निदान के लिए बहुत जरूरी है की उसके कारणों का पता किया जाय , इसलिए जहां तक संभव हो आपकी त्वचा को प्रभावित कारणे वाले एलर्जेन की जानकारी रखनी चाहिए । इसके अतिरिक्त यदि त्वचा पर संक्रमण बार- बार हो रहा हो तो तत्काल चिकित्सक की मदद लेनी चाहिए। इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार की एलर्जी तथा त्वचा संबंधी समस्यायों से बचने के लिए निम्न उपायों को अपनाया जा सकता है।
• त्वचा को हल्के साबुन और पानी से धोएं।
• कूल कंप्रेस, सूजन और खुजली को नियंत्रित करने में मदद करता है। खारा या बुरो के घोल (एल्यूमीनियम एसीटेट का घोल) में प्रभावित त्वचा को भिगोने से अतिरिक्त राहत मिलती है।
• डेटॉल, सेवलॉन आदि के प्रयोग से बचें क्योंकि त्वचा में पहले से ही सूजन और जलन होती है।
• हाइपोएलर्जेनिक, सुगंध रहित मॉइस्चराइजर का प्रयोग त्वचा की सबसे बाहरी परत को पुनर्स्थापित करता है और खुजली से राहत देता है।
मास्क व ग्लोव संबंधी सावधानियां
• सौम्य क्लीन्ज़र का उपयोग करें, त्वचा को थपथपाकर सुखाएं और फिर मास्क पहनने से पहले और बाद में मॉइस्चराइज़र लगाएं।
• जब भी संभव हो मास्क पहनने से ब्रेक लें।
• अपने कपड़े के मास्क को बार-बार धोएं। रोग नियंत्रण केंद्र (सीडीसी) अनुशंसा करता है कि आप हर उपयोग के बाद अपना मास्क धो लें।