उम्र बढ़ने के चलते मांसपेशियों में होने वाली समस्यायों को दूर करने में गट माइक्रोबायोम काफी महत्वपूर्ण हो सकते हैं. हाल ही में हुए एक शोध में सामने आया है कि गुड़ गट बैक्टीरिया की श्रेणी में आने वाला “यूरोलिथिन ए” नामक यौगिक माइटोकॉन्ड्रिया की समग्र दक्षता में सुधार ला सकता है तथा मांसपेशियों पर उम्र के प्रभाव जैसे थकान व सूजन में कमी ला सकता है. इस एक नैदानिक परीक्षण में बुजुर्गों को चार महीने तक यूरोलिथिन ए का सप्लीमेंट दिया गया था. जिसके नतीजों में सप्लीमेंट लेने वाले बुजुर्गों में मांसपेशियों की समस्यायों में सुधार तथा उनमें सूजन में कमी देखी गई थी. साथ ही उनके माइटोकॉन्ड्रिया की स्तिथि में भी सुधार देखा गया था.
शोध का उद्देश्य
गौरतलब है कि पूर्व में किए गए एक शोध में सामने आया था “यूरोलिथिन ए” यौगिक माइटोकॉन्ड्रिया की समग्र दक्षता में सुधार करता है. इस तथ्य के बारें में ज्यादा जानकारी लेने के लिए तथा यूरोलिथिन ए के अन्य लाभों के बारें में जानने के लिए यह शोध आयोजित किया गया था.
सभी जानते हैं कि आयु बढ़ने के चलते आमतौर पर लोगों की मांसपेशियों में ताकत और सहनशक्ति कम होने लगती है. जिसे कहीं न कहीं माइटोकॉन्ड्रिया की दक्षता में गिरावट के साथ जोड़ा जाता है. दरअसल माइटोकॉन्ड्रिया हमारी सभी कोशिकाओं पाया जाने वाला वह तत्व है जो उनके लिए ऊर्जा के स्त्रोत के रूप में काम करता हैं.
जामा नेटवर्क प्रकाशित में इस परीक्षण के बारें में ज्यादा जानकारी देते हुए सिएटल में वाशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन विश्वविद्यालय में रेडियोलॉजी के प्रोफेसर डेविड मार्सिनेक (पीएचडी) बताते हैं कि जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है हमारी कोशिकाओं में "मीटोफैगी" की क्षमतायें भी कम होने लगती हैं. मीटोफैगी एक ऐसी अवस्था है जो माइटोकॉन्ड्रिया में क्षति या तनाव के बाद उत्पन्न होती है. जिसके तहत होने वाली प्रक्रिया में माइटोकॉन्ड्रिया के टूटने तथा क्षतिग्रस्त होने के उपरांत उनके पुनर्चक्रण यानी रिसाइकलिंग की प्रक्रिया होती है. लेकिन उम्र बढ़ने के कारण मीटोफैगी की क्षमताओं व क्रियाओं पर भी असर पड़ता है. जिसके चलते बुढ़ापे में मांसपेशियों का चयापचय यानी मेटाबोलिज़्म प्रभावित होने लगता है.
प्रो. मार्सिनेक बताते हैं कि इस संबंध में पहले भी एक अध्धयन किया गया था जिसमें सामने आया था कि जानवरों में “ यूरोलिथिन ए “ सप्लीमेंट, मीटोफैगी को उत्तेजित कर मांसपेशियों के कार्य में सुधार कर सकता है. यह परीक्षण मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के मॉडल पर किया गया था.
क्या है यूरोलिथिन ए
“ यूरोलिथिन ए “ एक ऐसा यौगिक है जो अनार, जामुन और नट्स में पाए जाने वाले पॉलीफेनोल्स के टूटने से बनता है. यह गुड बैक्टीरिया की श्रेणी में आता है और आंत को स्वस्थ रखने में मदद करता है.
प्रो. मार्सिनेक बताते हैं कि कई उम्र बढ़ने, खराब आहार और कई बार बीमारी जैसे कारकों के कारण कुछ लोगों के पेट के पर्याप्त मात्रा में गुड बैक्टीरिया का निर्माण नही हो पाता है या कम होता है. ऐसे में यूरोलिथिन सप्लीमेंट फायदेमंद हो सकता है.
पूर्व में किए गए शोधों के नतीजों की माने तो “यूरोलिथिन ए” सप्लीमेंट माइटोफैगी को प्रोत्साहित करने का एक वैकल्पिक तरीका भी प्रदान कर सकता है और बढ़ती उम्र के कारण मांसपेशियों में होने वाली समस्याओं पर सकारात्मक प्रभाव दिखा सकता है. इसी संभावना के विस्तार को लेकर तथा
यूरोलिथिन ए के अन्य सुरक्षित और प्रभावी असर के बारें में ज्यादा जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से यह प्रारंभिक नैदानिक परीक्षण किया था.
शोध के नतीजे
इस परीक्षण में शोधकर्ताओं ने 72 वर्ष की औसत आयु के साथ 66 वृद्ध लोगों को प्रतिभागी बनाया था, जिन्हे 4 महीने तक प्रति दिन 1,000 मिलीग्राम वाला यूरोलिथिन ए सप्लीमेंट दिया गया था. शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए प्रयोगशाला उपकरणों के माध्यम से यह जानने का प्रयास किया की उक्त प्रतिभागियों थकान होने से पहले कैसे अपने हाथों और पैरों की एक विशेष मांसपेशी को अनुबंधित करते हैं. परीक्षण के दौरान प्रतिभागियों को इनडोर ट्रैक पर 6 मिनट में जितना हो सके चलने के लिए कहा गया था.
शोध में वैज्ञानिकों ने एडीनोसिन ट्राइफॉस्फेट (एटीपी) की जांच के लिए भी मांसपेशियों की क्षमता को मापा था साथ ही प्रतिभागियों के शरीर में माइटोकॉन्ड्रियल फ़ंक्शन और सूजन के बायोमार्कर को मापने के लिए रक्त के नमूने लिए थे.
परीक्षण के नतीजों में सामने आया की 4 महीने बाद प्रतिभागियों के चलने की क्षमता में कुछ सुधार हुए थे. हालांकि एटीपी उत्पादन से जुड़े नतीजे ज्यादा संतोषजनक नही थे क्योंकि प्रतिभागियों के एटीपी उत्पादन में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं हुए. लेकिन प्रतिभागियों ने मांसपेशी सहनशक्ति के प्रयोगशाला परीक्षणों में काफी बेहतर प्रदर्शन किया था. साथ ही उनके रक्त परीक्षणों में पाया गया कि उनकी मांसपेशियों में सूजन कम हुई थी और उनका माइटोकॉन्ड्रियल स्वास्थ्य भी बेहतर हुआ था.
निष्कर्ष
परीक्षण के निष्कर्षों में प्रो. मार्सिनेक बताते हैं कि उम्र से संबंधित मांसपेशियों में गिरावट का मुकाबला करने के लिए यूरोलिथिन ए एक उम्मीद की किरण हो सकता है. उन्होनें यह भी उम्मीद जताई है कि यूरोलिथिन ए की खुराक उन लोगों को लाभ पहुंचा सकती है जो वर्तमान में खराब मांसपेशियों के स्वास्थ्य या बीमारी के कारण पर्याप्त व्यायाम करने में असमर्थ हैं. उन्होंने इस संबंध में ज्यादा अध्ययन की आवश्यकता पर जोर दिया है".
पढ़ें: सामान्य कारणों से हुई पैरों में सूजन को राहत दिला सकता है व्यायाम