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'समरूपता' दवा सिद्धांत पर आधारित है होम्योपैथी - ETV Bharat Sukhibhava

होम्योपैथी को हमेशा से ऐसी चिकित्सा पद्धति माना जाता है, जिसमें लक्षणों की विस्तृत जांच और सवाल और जवाब के आधार पर रोगी को दवाइयों से युक्त छोटी-छोटी सफेद गोलियां दी जाती हैं।

Homeopathic medicine system
होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली
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Published : Apr 12, 2021, 12:51 PM IST

Updated : Apr 12, 2021, 8:34 PM IST

स्वास्थ्य के इतिहास को ध्यान में रख कर प्राकृतिक दवाओं द्वारा रोगी का उपचार किया जाता है। होम्योपैथी, चिकित्सा का वह वैकल्पिक रूप है, जो 'समरूपता' दवा सिद्धांत पर आधारित है। इस पद्धति में रोगियों का उपचार ना केवल होलिस्टिक दृष्टिकोण के माध्यम से, बल्कि रोगी की व्यक्तिवादी विशेषताओं को समझकर किया जाता है।

होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति तथा उसके उद्देश्य

होम्योपैथी एक सुरक्षित चिकित्सकीय तरीका है, जो कई प्रकार की बीमारियों का प्रभावी उपचार कर सकती है। आमतौर पर ना तो उसके पार्श्व प्रभाव होते हैं और ना ही इसकी लत पड़ती है। यह गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सभी के लिये सुरक्षित है। चिकित्सकों के अनुसार होम्योपैथी में रोग, लक्षण एवं औषधि लक्षण में जितनी ही अधिक समानता होती है, रोगी के स्वस्थ होने की संभावना भी उतनी अधिक बढ़ जाती है।

विश्व होम्योपैथी दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य चिकित्सा की इस प्रणाली के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करना तो है ही, साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है की कैसे होम्योपैथी को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सके। इसके लिए विश्व होम्योपैथी समुदाय इस चिकित्सा प्रणाली को स्थापित करने, सुदृढ़ करने और इसके आधुनिकीकरण करने के लिए लोगों को एक साथ लाने का लगातार प्रयास कर रहा है, ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ प्राप्त कर सकें।

कोरोना काल में काफी मददगार साबित हुई होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली

कोविड-19 के इस दौर में जब ना सिर्फ कोरोना संक्रमण के लक्षण बल्कि उसके शरीर पर प्रभाव भी तेजी से असर दिखा रहे है, होम्योपैथिक चिकित्सक भी इस संक्रमण से लड़ने का पूरा प्रयास कर रहें। कोरोना काल में किस तरह होम्योपैथी सुरक्षित और सफल तरीके से इस रोग से लड़ने का कार्य कर रही है, इस बारे में ज्यादा जानकारी लेने के लिए ETV भारत सुखीभवा की टीम ने सनशाइन होम्योपैथी के होम्योपैथिक चिकित्सक तथा टेक्नोमेटडिक्स के संस्थापक सहयोगी डॉक्टर सूरज. एस. हिरवानी से बात की।

होम्योपैथी दिवस के अवसर पर इस विशेष चिकित्सा पद्धति के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए डॉ. सूरज बताते हैं कि इस पद्धति के बारे में मशहूर है कि रोग के लक्षणों तथा रोगी के शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़े इतिहास के बारे में जानकारी लेने के बाद भले ही यह पद्धति इलाज में लंबा समय लेती है, लेकिन किसी भी समस्या को जड़ से समाप्त करती है। कोविड-19 से संक्रमण के इलाज में रोग तथा रोगी के स्वास्थ्य से जुड़े इतिहास की संपूर्ण जानकारी के आधार पर दिए गए होम्योपैथी उपचार के चलते मरीजों को काफी फायदा हुआ।

डॉक्टर सूरज बताते हैं कि होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली में पारंपरिक रूप से रोगियों की बीमारी का रिकार्ड तथा उन्हें दी जाने वाली दवाइयों का डाटा एक किताब में संभाल कर रखा जाता है। जिनमें रोगी की बीमारियों, उनकी दवाइयों की पर्ची तथा एलर्जी समेत विभिन्न जानकारियां होती है। हालांकि कई लोगों को यह लंबी तथा थका देने वाली प्रक्रिया लगती है, लेकिन यह मेडिकल डाटा कोरोना काल में काफी फायदेमंद साबित हुआ। रोगियों के सिर्फ एक फोन कॉल पर इनके चिकित्सीय इतिहास की जानकारी को ध्यान में रख कर उनका इलाज करना, मेडिकल डाटा के चलते चिकित्सकों के लिए सरल रहा।

डॉ. सूरज बताते है की होम्योपैथी में सबसे मजबूत टूल या अंग माने जाने वाली इस मेडिकल डायरी को ज्यादा मजबूत तथा तकनीकी रूप से समृद्ध बनाने के लिए वर्ष 1990 में होम्योपैथी में मेडिकल डायरी की तर्ज पर पहला पेशेंट मैनेजमेंट सिस्टम तथा रेपरटोरीसेशन सॉफ्टवेयर का निर्माण किया गया। परंपरागत डाटा संग्रहण के इस तकनीकी रूप को ज्यादातर होम्योपैथिक चिकित्सकों ने हाथों हाथ लिया। कोविड-19 के दौर में इस प्रणाली ने चिकित्सकों की काफी मदद की। क्योंकि अब उनके मरीजों का सारा डाटा सिर्फ एक बटन दबाने की दूरी पर था। इस दौर में जब बहुत से चिकित्सक अपने घर से लोगों को चिकित्सीय सलाह मुहैया करा रहे थे, होम्योपैथिक चिकित्सक भी वीडियो कॉल या सामान्य कॉल के जरिए अपने रोगियों की जांच कर तथा अपने पास उपलब्ध उनके डाटा के आधार पर उन्हें दवाइयां उपलब्ध करा रहे थे।

हालांकि कोरोना काल में सबसे ज्यादा समस्याएं मरीजों को शहरी, राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर दवाइयां भेजने में आई, लेकिन होम्योपैथी समुदाय से जुड़े लोगों द्वारा सोशल नेटवर्किंग साइट तथा चैटिंग साइट पर बनाई गई नेटवर्किंग चेन की मदद से इस समस्या से भी काफी हद तक छुटकारा पाया जा सका। नेटवर्किंग चेन में सभी लोगों ने कुरियर सेवा प्रदान कर रही कंपनियों के नंबर एक दूसरे के साथ सांझा किए, एक संपर्क चैन बनाई गई, जिसमें जरूरतमंद रोगी की जानकारी सांझा करने के उपरांत उसके घर के पास रहने वाले चिकित्सको ने आगे बढ़ कर उन्हें दवाइयां उपलब्ध कराने का प्रयास किया।

तकनीकी रूप से समृद्ध इस प्रणाली के चलते होम्योपैथिक चिकित्सकों ने एकजुट प्रयास करते हुए यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि सभी जरूरतमंदों तक चिकित्सा तथा जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जा सके।

पढ़े: आईवीएफ करवाने से पहले लें प्रक्रिया की पूरी जानकारी

डॉक्टर सूरज बताते हैं कि कोविड-19 के दौरान होम्योपैथिक चिकित्सकों का यह प्रयास सिर्फ एक बार के लिए नहीं है। भविष्य में भी जब भी जरूरत पड़ेगी सभी होम्योपैथिक चिकित्सक अपने संपूर्ण सहयोग के साथ हर तरह की परिस्थितियों से संघर्ष करने में एकजुट होकर लोगों को इलाज मदद तथा सुविधाएं मुहैया कराएंगे।

इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए dr.suraj@SunshineHomeopathy.com पर संपर्क किया जा सकता है।

स्वास्थ्य के इतिहास को ध्यान में रख कर प्राकृतिक दवाओं द्वारा रोगी का उपचार किया जाता है। होम्योपैथी, चिकित्सा का वह वैकल्पिक रूप है, जो 'समरूपता' दवा सिद्धांत पर आधारित है। इस पद्धति में रोगियों का उपचार ना केवल होलिस्टिक दृष्टिकोण के माध्यम से, बल्कि रोगी की व्यक्तिवादी विशेषताओं को समझकर किया जाता है।

होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति तथा उसके उद्देश्य

होम्योपैथी एक सुरक्षित चिकित्सकीय तरीका है, जो कई प्रकार की बीमारियों का प्रभावी उपचार कर सकती है। आमतौर पर ना तो उसके पार्श्व प्रभाव होते हैं और ना ही इसकी लत पड़ती है। यह गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सभी के लिये सुरक्षित है। चिकित्सकों के अनुसार होम्योपैथी में रोग, लक्षण एवं औषधि लक्षण में जितनी ही अधिक समानता होती है, रोगी के स्वस्थ होने की संभावना भी उतनी अधिक बढ़ जाती है।

विश्व होम्योपैथी दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य चिकित्सा की इस प्रणाली के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करना तो है ही, साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है की कैसे होम्योपैथी को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सके। इसके लिए विश्व होम्योपैथी समुदाय इस चिकित्सा प्रणाली को स्थापित करने, सुदृढ़ करने और इसके आधुनिकीकरण करने के लिए लोगों को एक साथ लाने का लगातार प्रयास कर रहा है, ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ प्राप्त कर सकें।

कोरोना काल में काफी मददगार साबित हुई होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली

कोविड-19 के इस दौर में जब ना सिर्फ कोरोना संक्रमण के लक्षण बल्कि उसके शरीर पर प्रभाव भी तेजी से असर दिखा रहे है, होम्योपैथिक चिकित्सक भी इस संक्रमण से लड़ने का पूरा प्रयास कर रहें। कोरोना काल में किस तरह होम्योपैथी सुरक्षित और सफल तरीके से इस रोग से लड़ने का कार्य कर रही है, इस बारे में ज्यादा जानकारी लेने के लिए ETV भारत सुखीभवा की टीम ने सनशाइन होम्योपैथी के होम्योपैथिक चिकित्सक तथा टेक्नोमेटडिक्स के संस्थापक सहयोगी डॉक्टर सूरज. एस. हिरवानी से बात की।

होम्योपैथी दिवस के अवसर पर इस विशेष चिकित्सा पद्धति के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए डॉ. सूरज बताते हैं कि इस पद्धति के बारे में मशहूर है कि रोग के लक्षणों तथा रोगी के शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़े इतिहास के बारे में जानकारी लेने के बाद भले ही यह पद्धति इलाज में लंबा समय लेती है, लेकिन किसी भी समस्या को जड़ से समाप्त करती है। कोविड-19 से संक्रमण के इलाज में रोग तथा रोगी के स्वास्थ्य से जुड़े इतिहास की संपूर्ण जानकारी के आधार पर दिए गए होम्योपैथी उपचार के चलते मरीजों को काफी फायदा हुआ।

डॉक्टर सूरज बताते हैं कि होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली में पारंपरिक रूप से रोगियों की बीमारी का रिकार्ड तथा उन्हें दी जाने वाली दवाइयों का डाटा एक किताब में संभाल कर रखा जाता है। जिनमें रोगी की बीमारियों, उनकी दवाइयों की पर्ची तथा एलर्जी समेत विभिन्न जानकारियां होती है। हालांकि कई लोगों को यह लंबी तथा थका देने वाली प्रक्रिया लगती है, लेकिन यह मेडिकल डाटा कोरोना काल में काफी फायदेमंद साबित हुआ। रोगियों के सिर्फ एक फोन कॉल पर इनके चिकित्सीय इतिहास की जानकारी को ध्यान में रख कर उनका इलाज करना, मेडिकल डाटा के चलते चिकित्सकों के लिए सरल रहा।

डॉ. सूरज बताते है की होम्योपैथी में सबसे मजबूत टूल या अंग माने जाने वाली इस मेडिकल डायरी को ज्यादा मजबूत तथा तकनीकी रूप से समृद्ध बनाने के लिए वर्ष 1990 में होम्योपैथी में मेडिकल डायरी की तर्ज पर पहला पेशेंट मैनेजमेंट सिस्टम तथा रेपरटोरीसेशन सॉफ्टवेयर का निर्माण किया गया। परंपरागत डाटा संग्रहण के इस तकनीकी रूप को ज्यादातर होम्योपैथिक चिकित्सकों ने हाथों हाथ लिया। कोविड-19 के दौर में इस प्रणाली ने चिकित्सकों की काफी मदद की। क्योंकि अब उनके मरीजों का सारा डाटा सिर्फ एक बटन दबाने की दूरी पर था। इस दौर में जब बहुत से चिकित्सक अपने घर से लोगों को चिकित्सीय सलाह मुहैया करा रहे थे, होम्योपैथिक चिकित्सक भी वीडियो कॉल या सामान्य कॉल के जरिए अपने रोगियों की जांच कर तथा अपने पास उपलब्ध उनके डाटा के आधार पर उन्हें दवाइयां उपलब्ध करा रहे थे।

हालांकि कोरोना काल में सबसे ज्यादा समस्याएं मरीजों को शहरी, राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर दवाइयां भेजने में आई, लेकिन होम्योपैथी समुदाय से जुड़े लोगों द्वारा सोशल नेटवर्किंग साइट तथा चैटिंग साइट पर बनाई गई नेटवर्किंग चेन की मदद से इस समस्या से भी काफी हद तक छुटकारा पाया जा सका। नेटवर्किंग चेन में सभी लोगों ने कुरियर सेवा प्रदान कर रही कंपनियों के नंबर एक दूसरे के साथ सांझा किए, एक संपर्क चैन बनाई गई, जिसमें जरूरतमंद रोगी की जानकारी सांझा करने के उपरांत उसके घर के पास रहने वाले चिकित्सको ने आगे बढ़ कर उन्हें दवाइयां उपलब्ध कराने का प्रयास किया।

तकनीकी रूप से समृद्ध इस प्रणाली के चलते होम्योपैथिक चिकित्सकों ने एकजुट प्रयास करते हुए यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि सभी जरूरतमंदों तक चिकित्सा तथा जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जा सके।

पढ़े: आईवीएफ करवाने से पहले लें प्रक्रिया की पूरी जानकारी

डॉक्टर सूरज बताते हैं कि कोविड-19 के दौरान होम्योपैथिक चिकित्सकों का यह प्रयास सिर्फ एक बार के लिए नहीं है। भविष्य में भी जब भी जरूरत पड़ेगी सभी होम्योपैथिक चिकित्सक अपने संपूर्ण सहयोग के साथ हर तरह की परिस्थितियों से संघर्ष करने में एकजुट होकर लोगों को इलाज मदद तथा सुविधाएं मुहैया कराएंगे।

इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए dr.suraj@SunshineHomeopathy.com पर संपर्क किया जा सकता है।

Last Updated : Apr 12, 2021, 8:34 PM IST
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