कैफीन का जरूरत से ज्यादा सेवन के जोखिम जानने के बावजूद दुनिया भर में बड़ी संख्या में लोग प्रतिदिन एक से ज्यादा बार कैफीनयुक्त पेय पदार्थों का सेवन करते हैं. आंकड़े बताते हैं कि प्रतिदिन 1.6 बिलियन कप पानी के बाद, कैफीनयुक्त पेय पदार्थ दूसरे सबसे अधिक खपत वाले पेय पदार्थ हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कैफीन का ज्यादा उपयोग चिंता विकारों को बढ़ा सकता है?
अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन (American Psychiatric Association) द्वारा प्रकाशित मानसिक विकारों के नैदानिक और सांख्यिकीय मैनुअल (डीएसएम-5) में बताया गया है कि कैफीन चिंता विकारों को ट्रिगर कर सकता है, जिससे पीड़ितों के दैनिक कामकाज भी प्रभावित हो सकते हैं.
क्या है कैफीन?
दरअसल कैफीन एक केंद्रीय तंत्रिका तंत्र उत्तेजक होता है, और बहुत अधिक मात्रा में सेवन करने से यह चिंता के लक्षणों को बढ़ाने के साथ ही कई अन्य समस्याओं का कारण भी बन सकता है.
आमतौर पर बहुत से लोग 'जागने' और सतर्क रहने के लिए कैफीन का उपयोग करते हैं, तो कई लोग आदत के चलते भी इसका सेवन करते हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका में किए गए एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि लगभग 85% आबादी हर दिन कम से कम एक कैफीनयुक्त पेय पीती है.
क्या है चिंता विकार यानी एंग्जायटी?
यह एक मानसिक बीमारी है, जिसमें व्यक्ति भय और बेचैनी महसूस करता है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ (एनआईएमएच) का अनुमान है कि अमेरिका में सभी वयस्कों में से 31.1% अपने जीवन में किसी बिंदु पर चिंता विकार का अनुभव करते हैं. यहां यह ध्यान देना जरूरी है कि एंग्जायटी डिसॉर्डर होने और सामान्य चिंता होने में अंतर होता है. ऐसे में चाहे एंग्जायटी डिसॉर्डर हो या सामान्य चिंता, कैफीन का सेवन दोनों परिस्थितियों में मानसिक अवस्था की गंभीरता बढ़ा सकता है.
क्यों कैफीन से बढ़ती है चिंता?
अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन द्वारा प्रकाशित मानसिक विकारों के नैदानिक और सांख्यिकीय मैनुअल (डीएसएम-5), में शरीर पर कैफीन के कई प्रभावों के बारे में बताया गया है, जिनके अनुसार कैफीन का ज्यादा मात्रा में सेवन हमारे मुख्य तंत्रों में से एक एडेनोसाइन रिसेप्टर्स (Adenosine receptors) को अवरुद्ध करता है, जिससे डोपामाइन (Dopamine), नॉरएड्रेनालिन (Noradrenaline) और ग्लूटामेट (Glutamate) की मात्रा बढ़ जाती है. नतीजतन हमारा कार्डियोवास्कुलर सिस्टम (Cardiovascular system) प्रभावित होता है और व्यक्ति का रक्तचाप (Blood pressure) और हृदय गति बढ़ जाती है.
कैफीन के शरीर पर असर को लेकर किए गए आनुवंशिक अध्ययन में पाया गया है कि एडेनोसाइन रिसेप्टर्स जीन चिंता के विकास में एक भूमिका निभाते हैं.
इस अध्ययन के निष्कर्ष में शोधकर्ताओं ने बताया है कि कैफीन का ज्यादा सेवन न सिर्फ व्यक्तियों में चिंता विकारों का खतरा बढ़ा सकता है बल्कि उन्हें अधिक संवेदनशील भी बना सकता है. वहीं केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में, कैफीन की कम खुराक मोटर गतिविधि और सतर्कता में सुधार कर सकती है. हालांकि शोधकर्ता इस क्षेत्र में अधिक अध्ययन की आवश्यकता पर भी जोर देते हैं.
डीएसएम-5 में कैफीन के इस्तेमाल से संबंधित डिसॉर्डर का पता लगाने के लिए कुछ मानदंड बताए गए हैं जो इस प्रकार हैं:
- जब कैफीन का उपयोग कम करने या न करने को लेकर प्रयास करें लेकिन सफल न हों.
- कैफीन की वजह से शरीर को नुकसान पहुंचने के बावजूद उसका उपयोग बंद न कर पा रहे हों.
- छोड़ने के बावजूद कैफीन के सेवन की इच्छा हो.
कैफीन से प्रेरित चिंता के लक्षण
डीएसएम-5 में कैफीन के अधिक प्रयोग के चलते होने वाले विकार तथा एंग्जायटी बढ़ने पर नजर आने वाले लक्षण इस प्रकार बताए गए हैं:
- जी मिचलाना
- सिर चकराना
- शरीर में पानी की कमी
- सिरदर्द
- बेचैनी, तनाव
- पल्स रेट यानी दिल की धड़कन बढ़ जाना
- अनिद्रा
- भय और बेचैनी की भावनाएं
- अत्यधिक चिंता
- पसीना आना
सुरक्षित रूप से करें कैफीन का सेवन
कैफीन के सेवन को लेकर किए गए कुछ अध्ययन यह भी बताते हैं कि यदि कैफीन का सेवन कम या मध्यम मात्रा में किया जाए, तो उसके कुछ स्वास्थ्य लाभ भी हैं, जैसे- मानसिक सतर्कता व एकाग्रता बढ़ना, थकान कम होने और एथलेटिक प्रदर्शन में सुधार आदि. वहीं इसके कुछ अन्य लाभों में वजन कम करना, मधुमेह, पार्किंसंस रोग और कैंसर का जोखिम कम होना आदि माने गए हैं.
इस संबंध में वर्ष 2012 में जारी एक सूचना में एफडीए (FDA) की तरफ से जानकारी दी गई थी कि स्वस्थ वयस्कों के लिए दिन में 400 मिलीग्राम से कम कैफीन की खपत नुकसानदायक नहीं होती है. वहीं, अमेरिका में 2014 के एक सर्वेक्षण के परिणाम में पाया गया कि सभी उम्र के लोग प्रतिदिन कैफीन का 165 मिलीग्राम (1-2 कप कॉफी) सेवन कर सकते हैं.
डीएसएम-5 के अनुसार, कुछ विशेष परिस्थितियों में लोगों को कैफीन के सेवन से पहले चिकित्सक से सलाह लेना जरूरी हो जाता है. ये विशेष परिस्थितियां इस प्रकार हैं:
- गर्भावस्था या स्तनपान कराना
- अनिद्रा या चिंता विकार
- माइग्रेन या पुराने सिरदर्द की समस्या
- पेट के विकार जैसे अल्सर
- अनियमित हृदय गति या लय होना
- उच्च रक्तचाप
- कुछ उत्तेजक जैसे एंटीबायोटिक्स, अस्थमा की दवाएं और हृदय रोग संबंधित दवाइयों का लेना शामिल हैं.
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