वर्तमान दौर में लोगों में तनाव, एंजायटी, चिंता तथा इन जैसी कई अन्य मानसिक अवस्थाएं नजर आना काफी आम बात हो गई है. ये समस्याएं सिर्फ व्यक्ति के स्वास्थ्य को ही प्रभावित नहीं करती है बल्कि उनकी दिनचर्या को भी प्रभावित करती है. समस्या यदि ज्यादा प्रभावित करने लगे तो कई बार लोगों को एंटी एंजायटी दवाइयों (Anti anxiety medications) का सेवन करने की सलाह भी दी जाती है . लेकिन Anti anxiety medications के पार्श्व प्रभाव हो सकते हैं. क्या आप जानते कि आयुर्वेद तथा हर्बल चिकित्सा पद्दती (Ayurveda system and herbal medicine system) में ऐसी कई दवाइयों तथा जड़ीबूटियों का उल्लेख मिलता है जो न सिर्फ ऐसी मानसिक अवस्थाओं में राहत दिला सकती है बल्कि उनके पार्शवप्रभाव भी नहीं होते हैं. Herbal Ayurvedic tea and Ayurvedic Herbal decoctions helpful in anxiety relief.
पिछले कुछ सालों में आम जन में चिंता, तनाव तथा अन्य मानसिक व व्यवहारात्मक समस्याओं के मामलों में लगातार बढ़ोत्तरी देखी जा रही है. आजकल की भागती दौड़ती जिंदगी में अपना स्थान बनाए रखने की जद्दोजहद, नौकरी का तनाव, पढ़ाई का तनाव , रिश्तों में उत्पन्न समस्या या तनाव तथा भविष्य की चिंता आदि बहुत से मुद्दे हैं जो ज्यादातर लोगों में रूप में अवसाद, तनाव तथा एंजायटी आदि को बढ़ाते हैं. अगर समस्या गंभीर होने लगे तो निसन्देह मनोचिकित्सकों से परामर्श तथा इलाज जरूरी हो जाता है , लेकिन समस्या की शुरुआत से ही यदि कुछ बातों को ध्यान में रखा जाए तो उनके प्रभाव को काफी कम किया जा सकता है. विशेषतौर पर अपने नियमित आहार में कुछ विशेष हर्बल तथा आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से बनी चाय तथा काढ़ों (Herbal decoctions , Ayurvedic herbs decoctions) को शामिल करने से भी ऐसी मानसिक अवस्थाओं में काफी आराम मिल सकता है. देश-विदेश में हो चुके कई शोधों में भी हर्बल तथा आयुर्वेदिक जड़ी- बूटियों से मानसिक स्वास्थ्य को लाभ पहुंचने की पुष्टि हो चुकी है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ : मुंबई की आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ मनीषा काले (Dr Manisha Kale, Ayurvedic doctor , Mumbai) बताती हैं आयुर्वेद में कई जड़ीबूटियों, मिश्रित औषधि तथा रसायन से अलग-अलग प्रकार की मानसिक समस्याओं का उपचार किया जाता है. वह बताती हैं कि इन उपचारों में इस्तेमाल होने वाली जड़ी बूटियां प्राकृतिक तरीके से मानसिक रोगों, विकारों तथा अवस्थाओं विशेषतौर अवसाद, तनाव तथा एंजायटी जैसी समस्या को ट्रिगर करने वाले हार्मोन की सक्रियता तथा समस्या के प्रभाव को कम करने काफी कारगर होती है तथा उनके पार्श्वप्रभाव भी नहीं होते हैं.
Dr Manisha Kale बताती हैं कि कुछ हर्ब्स तथा जड़ी बूटियां ऐसी भी हैं जिनका नियमित रूप से चाय या काढ़े के रूप में सेवन करने से मानसिक तनाव तथा एंजायटी जैसी समस्यों में काफी आराम मिलता है. जैसे अश्वगंधा, तुलसी, दालचीनी, गोटू कोला, ब्राह्मी तथा जटामांसी आदि. लेकिन किसी भी रूप मे इनका सेवन करने से पहले एक बार प्रतिदिन इन्हे कितनी बार तथा कितनी मात्रा में लिया जा सकता है इस बारें में आयुर्वेदिक चिकित्सक या जानकार से परामर्श ले लेना बेहतर होता है.
क्या कहते हैं शोध : मानसिक विकारों तथा समस्याओं से बचाने में उपयोगी माने जाने वाली कई हर्बल व आयुर्वेदिक औषधियों को लेकर दुनिया भर में कई शोध भी हो चुके हैं. इनमें से कुछ खास जड़ीबूटियों तथा हर्बल दवाओं के बारें में हुए शोध तथा उनके नतीजे इस प्रकार हैं.
अश्वगंधा (Ashwagandha) : आयुर्वेदिक औषधि अश्वगंधा को कई तरह की शारीरिक व एंजायटी, अवसाद व नींद संबंधी समस्याओं तथा अन्य मानसिक समस्याओं में काफी लाभकारी माना जाता है . वर्ष 2019 में इसके फ़ायदों को लेकर किये गए एक शोध में किया गया था. जिसमें कथित तनाव या एंजायटी वाले प्रतिभागियों पर एक क्लिनिकल परीक्षण किया गया था. 8 सप्ताह की अवधि वाले इस अध्ययन में तीन समूहों में प्रतिभागियों को तीन तरह के उपचार दिए गए . इनमें दो समूहों को अलग-अलग प्रतिदिन 250 व 600 मिलीग्राम अश्वगंधा का अर्क दिया गया तथा तीसरे समूह को प्लेसबो (दवाई)की खुराक दी गई थी . शोध के नतीजों में सामने आया था कि अश्वगंधा लेने वाले प्रतिभागियों में प्लेसीबो लेने वाले समूह की अपेक्षा “ कोर्टिसोल” (तनाव के लिए जिम्मेदार हार्मोन) की मात्रा कम पाई गई थी. वहीं इस प्रतिभागियों की नींद की गुणवत्ता में भी सुधार देखा गया. परीक्षण में विशेषतौर पर 600 मिलीग्राम अश्वगंधा लेने वाले प्रतिभागियों ने तनाव के स्तर में काफी हद तक कमी देखी गई थी.
कैमोमाइल (Chamomile) : कैमोमाइल टी का चलन आजकल देश विदेश में काफी ज्यादा बढ़ रहा है. यह एक फूल से तैयार होने वाली वाली जड़ी बूटी है , जिसके कई औषधीय लाभ होते हैं. वर्ष 2013 के हुए एक अध्ययन में पाया गया कि कैमोमाइल जड़ी बूटी के आठ सप्ताह तक सेवन से चिंता के विभिन्न लक्षणों को कम किया जा सकता है. वहीं वर्ष 2016 में हुए तुलनात्मक अध्ययन में सामान्य चिंता विकारों (जीएडी) में इसके दीर्घकालिक लाभ देखे गए गए थे. यहाँ यह जानना भी जरूरी है कुछ लोगों को कैमोमाइल से एलर्जी हो सकती है . इसके अलावा कैमोमाइल चाय या सप्लीमेंट का सेवन चिकित्सीय सलाह के उपरांत ही करना चाहिए .
लेमन टी (Lemon tea) : लेमन टी यानी नींबू कि चाय को भी स्ट्रेस बस्टर के रूप में जाना जाता है. यह तनाव व चिंता विकारों में ही उपयोगी नहीं मानी जाती है बल्कि इसके नियमित सेवन से मूड भी अच्छा और खुशनुमा होता है. वर्ष 2004 में हुए एक तुलनात्मक नैदानिक परीक्षण में मनोवैज्ञानिक तनाव का शिकार कुछ प्रतिभागियों में निर्धारित अवधि तक नियमित रूप से 600 मिलीग्राम लेमन टी लेने तथा प्लेसबो दवाई लेने वाले प्रतिभागियों का अध्ययन किया गया था. जिसके नतीजे काफी सकारात्मक रहे थे.
लैवेंडर टी व रोज टी (Lavender Tea and Rose Tea) : लैवेंडर तथा गुलाब के एसेंशियल ऑयल के रूप में लाभ से तो सभी वाकिफ है. लेकिन इनकी चाय भी अपनी खुशबू तथा औषधीय फ़ायदों के चलते तनाव, चिंता तथा अन्य अवस्थाओं में फायदेमंद होती है.
पैशनफ्लॉवर (Passionflower) : पैशन फ्रूट और पैशन फ्लावर एक ही पौधे के अलग अलग भाग हैं. पैशन फ्लावर जिसे हमारे देश में कमल कृष्ण के फूल भी कहा जाता है, में औषधीय गुण भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. कई अन्य फ़ायदों के साथ ही पैशन फ्लावर से बनी चाय मानसिक तनाव, अवसाद, नींद की कमी से होने वाली तमाम परेशानियों से राहत दिलाती है . साथ ही इसे चिंता और स्लीप डिसऑर्डर को ठीक करने में भी काफी लाभकारी माना जाता है. वर्ष 2010 में हुई की एक समीक्षा में इस बात की पुष्टि हुई है.
कावा-कावा (kava-kava) : कावा एक पौधा है, जिसमें नेचुरल हीलिंग प्रॉपर्टीज होती हैं. इससे बनी चाय या काढ़े को तनाव, चिंता, बेचैनी, नींद न आने की समस्या और अवसाद जैसी समस्याओं से लड़ने के लिए उपयोगी माना जाता है. वर्ष 2013 के एक प्लेसबो-नियंत्रित परीक्षण ने जीएडी के इलाज के रूप में कावा की प्रभावकारिता की जांच की गई थी जिसमें कावा लेने वाले प्रतिभागियों में प्लेसबो लेने वालों की तुलना में चिंता में उल्लेखनीय कमी दिखाई दी थी. लेकिन यहाँ यह जानना भी जरूरी है कि इसके कुछ पार्श्व प्रभाव भी होते हैं तथा कुछ विशेष चिकित्सीय परिस्थितियों में इससे परहेज कि बात कही जाती है. इसलिए इसके सेवन से पहले एक बार चिकित्सक से परामर्श जरूर लेना चाहिए.
बिना देर डॉक्टर से लें परामर्श, अगर है किसी पर सदमा या दुर्घटना का असर लंबे समय तक