ETV Bharat / sukhibhava

Teeth Related Problems : जिंजिवाइटिस, ओरल हाइजीन के साथ सही इलाज भी है बेहद जरूरी

बचपन से ही हमें दांतों की साफ-सफाई का महत्व और ब्रश करने की जरूरत के बारे में बताया जाता हैं . बच्चों को सिखाया जाता है कि दांतों की सफाई यदि सही तरह से नहीं की गई तो दांतों में कीड़ा लग जाएगा या दांत गिर जाएंगे. लेकिन दांतों की सही सफाई के अभाव में सिर्फ दांतों में कीड़ा लगने की ही नहीं बल्कि और भी कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. जिनमें से मसूड़ों में सूजन या जिंजिवाइटिस भी एक है. वैसे तो यह एक आम समस्या है, जिसके प्रभाव आमतौर पर शुरुआत में ज्यादा परेशान नहीं करते हैं और ना ही इसके लक्षण बहुत तीव्र रूप में नजर आते हैं. लेकिन यदि समय पर इसका उपचार ना किया जाए तो यह दांतों व मसूड़ों के गंभीर रोग के रूप में भी विकसित हो सकती है.

Gingivitis Problem In India
जिंजिवाइटिस
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 12, 2023, 6:31 AM IST

हैदराबाद : जिंजिवाइटिस दांतों व मसूड़ों से जुड़ी एक आम समस्या है जिसके होने के लिए आमतौर पर खराब ओरल हाइजीन को सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना जाता है. लेकिन चिकित्सकों की माने तो इसके लिए मुंह की सही तरह से साफ सफाई में कमी के अलावा कभी-कभी कुछ चिकित्सीय अवस्थाएं जैसे रोग या कुछ अन्य कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं.

जिंजिवाइटिस को एक साइलेंट डिजीज भी माना जाता है क्योंकि इस समस्या की शुरुआत में सामान्य तौर पर इसके ज्यादा तीव्र लक्षण नजर नहीं आते हैं. लेकिन जैसे-जैसे समस्या का प्रभाव बढ़ने लगता है, पीड़ित को दांतों व मसूडों से जुड़ी कई समस्याएं तथा अवस्थाएं ज्यादा परेशान करने लगती है. जानकारों व चिकित्सकों का मानना है कि यदि समय रहते इस समस्या का सही तरह से इलाज ना कराया जाए तो यह आम समस्या गंभीर रोग के रूप में परिवर्तित हो सकती है, जिसके परिणाम काफी गंभीर भी हो सकते हैं.

Teeth Related Problem
डेंटल क्लीनिक में इलाज कराती युवती

कारण
हेल्थ केयर डेंटल क्लिनिक ठाणे मुंबई के दांत रोग विशेषज्ञ डॉ सूरज भरतरी बताते हैं कि आमतौर पर जिंजिवाइटिस की शुरुआत मौखिक स्वच्छता या ओरल हाइजीन की कमी के चलते दांतों पर प्लाक जमने तथा उसके कारण व अन्य कारणों से दांतों में एलर्जी, बैक्टीरियल, वायरल व फंगल संक्रमण होने के कारण होती है. लेकिन इसके लिए कभी-कभी कुछ अन्य कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  1. कुछ दवाओं के पार्श्व प्रभाव
  2. किसी प्रकार के मुख रोग या मधुमेह आदि रोग या किसी प्रकार का संक्रमण
  3. मुंह में लार कम बनने की समस्या के कारण
  4. कुछ आनुवंशिक रोगों व अवस्थाओं के कारण
  5. विटामिन-सी की कमी
  6. बहुत ज्यादा धूम्रपान करना या ज्यादा कॉफी पीना
  7. खाने पीने की खराब आदतें तथा जरूरत से बेहद कम पानी पीना
  8. कभी कभी महिलाओं में हार्मोन में समस्याओं या असंतुलन होने पर जैसे मासिक धर्म के दौरान या गर्भावस्था में , आदि.

जिंजिवाइटिस के लक्षण और प्रभाव
डॉ सूरज भरतरी बताते हैं कि ज्यादातर मामलों में शुरुआत में जिंजिवाइटिस के लक्षण बहुत तीव्र रूप में नजर नहीं आते हैं. वहीं जब इसके चलते मसूडों में हल्की-फुल्की सूजन, लालिमा, दर्द महसूस होना या मसूड़ों में हल्का खून आने जैसी समस्याएं नजर आना शुरू होने भी लगती हैं तो भी ज्यादातर लोग उन्हे अनदेखा कर देते हैं और तब तक चिकित्सीय सलाह नहीं लेते हैं जब समस्या बहुत ज्यादा परेशान ना करने लगे. लेकिन कई बार लोगों की इस प्रकार की अनदेखी व लापरवाही दांतों में पीरियडोनटाइटिस या दांतों व मसूड़ों की कई अन्य गंभीर समस्याओं का कारण बन जाती है. जो गंभीर रूप में होने पर शरीर में कई अन्य गंभीर समस्याओं या अवस्थाओं का जोखिम बढ़ा सकती हैं.

वह बताते हैं कि जिंजिवाइटिस की शुरुआत से लेकर उनकी गंभीरता बढ़ने तक जो सबसे आम लक्षण या प्रभाव नजर आते हैं उनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  1. मसूड़ों का लाल होना व उनमें कम या ज्यादा सूजन आना
  2. मुंह से तीव्र बदबू आना
  3. कुछ खाने पर या ब्रश करने पर मसूड़ों से कम या ज्यादा खून आना
  4. मसूड़ों में सफेद धब्बे नजर आना
  5. दांतों में संवेदनशीलता बढ़ जाना यानी ज्यादा गरम या ठंडा महसूस होना
  6. दांतों में कुछ भी खाते व चबाते समय कम या ज्यादा दर्द होना या लगातार दर्द होना
  7. दांतों का कमजोर होना या हिलना , समस्या के बेहद गंभीर होने पर दांत गिर भी सकते हैं, आदि.

इलाज व ओरल हाइजीन, दोनों जरूरी

डॉ सूरज भरतरी बताते हैं कि ओरल हाइजीन यानी मुख की स्वच्छता का ध्यान रख कर सिर्फ जिंजिवाइटिस से ही नहीं बल्कि दांतों की कई समस्याओं से बचा जा सकता है. लेकिन किसी भी समस्या के निवारण के लिए इलाज सबसे ज्यादा जरूरी होता है. इसलिए दांतों या मसूड़ों में किसी भी प्रकार की समस्या के नजर आने पर सबसे पहले चिकित्सीय परामर्श व इलाज लेना बेहद जरूरी है. जिससे समस्या को बढ़ने से पहले ही नियंत्रित किया जा सके या उससे छुटकारा पाया जा सके.

वह बताते हैं कि जिंजिवाइटिस या पीरियडोनटाइटिस की गंभीरता की जांच के लिए लक्षणों के आधार पर सामान्य जांच के साथ-साथ कभी-कभी डेंटल एक्सरे करवाना जरूरी हो जाता है. जिससे दांतों की हड्डी पर रोग के प्रभाव के बारे में जाना जा सके.

इसके अलावा जिंजिवाइटिस के इलाज में दवा के साथ-साथ कुछ बातों को ध्यान में रखने तथा सावधानियों को अपनी आदतों में शामिल करने की अनिवार्यता भी होती है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  1. दांतों की नियमित रूप से जांच करवाएं.
  2. रात को सोने से पहले और सुबह उठने बाद सबसे पहले दांतों पर ब्रश जरूर करें. यदि संभव हो तो दिन में जब भी कोई आहार लें उसके बाद ब्रश अवश्य करें.
  3. चिकित्सक के द्वारा बताए गए टूथपेस्ट का ही इस्तेमाल करें.
  4. चिकित्सक से परामर्श के बाद नियमित रूप से फ्लॉसिंग भी करें.
  5. आहार का ध्यान रखें तथा ज्यादा कार्बोहाइड्रेट के साथ ज्यादा शुगर, ज्यादा नमक तथा ज्यादा तेल मसाले वाले आहार से परहेज करें.
  6. अपने नियमित आहार में ताजा बने हुए पौष्टिक आहार की मात्रा बढ़ाएं तथा जरूरी मात्रा में पानी पियें.
  7. जिंजिवाइटिस की समस्या में चिकित्सक द्वारा दांतों की सफाई कराना जरूरी होता है क्योंकि इस प्रक्रिया में वे ना सिर्फ दांतों पर जमा प्लाक हटाते हैं बल्कि दांतों व मसूड़ों की गहराई से सफाई व ट्रीटमेंट भी करते हैं. जिससे ना सिर्फ संक्रमण का प्रभाव कम होता है बल्कि अन्य कई समस्याओं में भी राहत मिलती है.
  8. इलाज के लिए बताई गई दवा का सही समय पर और सही मात्रा में सेवन करना बेहद जरूरी है. साथ ही कभी भी दवा के कोर्स को बीच में नहीं छोड़ना चाहिए. इससे भविष्य में समस्या के दोबारा होने की आशंका हो सकती है.

ये भी पढ़ें

Teeth Braces : दांतों-जबड़े में टेढ़ापन को दूर करने में महत्त्वपूर्ण साबित हो सकती है भारतीय वैज्ञानिको की खोज

हैदराबाद : जिंजिवाइटिस दांतों व मसूड़ों से जुड़ी एक आम समस्या है जिसके होने के लिए आमतौर पर खराब ओरल हाइजीन को सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना जाता है. लेकिन चिकित्सकों की माने तो इसके लिए मुंह की सही तरह से साफ सफाई में कमी के अलावा कभी-कभी कुछ चिकित्सीय अवस्थाएं जैसे रोग या कुछ अन्य कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं.

जिंजिवाइटिस को एक साइलेंट डिजीज भी माना जाता है क्योंकि इस समस्या की शुरुआत में सामान्य तौर पर इसके ज्यादा तीव्र लक्षण नजर नहीं आते हैं. लेकिन जैसे-जैसे समस्या का प्रभाव बढ़ने लगता है, पीड़ित को दांतों व मसूडों से जुड़ी कई समस्याएं तथा अवस्थाएं ज्यादा परेशान करने लगती है. जानकारों व चिकित्सकों का मानना है कि यदि समय रहते इस समस्या का सही तरह से इलाज ना कराया जाए तो यह आम समस्या गंभीर रोग के रूप में परिवर्तित हो सकती है, जिसके परिणाम काफी गंभीर भी हो सकते हैं.

Teeth Related Problem
डेंटल क्लीनिक में इलाज कराती युवती

कारण
हेल्थ केयर डेंटल क्लिनिक ठाणे मुंबई के दांत रोग विशेषज्ञ डॉ सूरज भरतरी बताते हैं कि आमतौर पर जिंजिवाइटिस की शुरुआत मौखिक स्वच्छता या ओरल हाइजीन की कमी के चलते दांतों पर प्लाक जमने तथा उसके कारण व अन्य कारणों से दांतों में एलर्जी, बैक्टीरियल, वायरल व फंगल संक्रमण होने के कारण होती है. लेकिन इसके लिए कभी-कभी कुछ अन्य कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  1. कुछ दवाओं के पार्श्व प्रभाव
  2. किसी प्रकार के मुख रोग या मधुमेह आदि रोग या किसी प्रकार का संक्रमण
  3. मुंह में लार कम बनने की समस्या के कारण
  4. कुछ आनुवंशिक रोगों व अवस्थाओं के कारण
  5. विटामिन-सी की कमी
  6. बहुत ज्यादा धूम्रपान करना या ज्यादा कॉफी पीना
  7. खाने पीने की खराब आदतें तथा जरूरत से बेहद कम पानी पीना
  8. कभी कभी महिलाओं में हार्मोन में समस्याओं या असंतुलन होने पर जैसे मासिक धर्म के दौरान या गर्भावस्था में , आदि.

जिंजिवाइटिस के लक्षण और प्रभाव
डॉ सूरज भरतरी बताते हैं कि ज्यादातर मामलों में शुरुआत में जिंजिवाइटिस के लक्षण बहुत तीव्र रूप में नजर नहीं आते हैं. वहीं जब इसके चलते मसूडों में हल्की-फुल्की सूजन, लालिमा, दर्द महसूस होना या मसूड़ों में हल्का खून आने जैसी समस्याएं नजर आना शुरू होने भी लगती हैं तो भी ज्यादातर लोग उन्हे अनदेखा कर देते हैं और तब तक चिकित्सीय सलाह नहीं लेते हैं जब समस्या बहुत ज्यादा परेशान ना करने लगे. लेकिन कई बार लोगों की इस प्रकार की अनदेखी व लापरवाही दांतों में पीरियडोनटाइटिस या दांतों व मसूड़ों की कई अन्य गंभीर समस्याओं का कारण बन जाती है. जो गंभीर रूप में होने पर शरीर में कई अन्य गंभीर समस्याओं या अवस्थाओं का जोखिम बढ़ा सकती हैं.

वह बताते हैं कि जिंजिवाइटिस की शुरुआत से लेकर उनकी गंभीरता बढ़ने तक जो सबसे आम लक्षण या प्रभाव नजर आते हैं उनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  1. मसूड़ों का लाल होना व उनमें कम या ज्यादा सूजन आना
  2. मुंह से तीव्र बदबू आना
  3. कुछ खाने पर या ब्रश करने पर मसूड़ों से कम या ज्यादा खून आना
  4. मसूड़ों में सफेद धब्बे नजर आना
  5. दांतों में संवेदनशीलता बढ़ जाना यानी ज्यादा गरम या ठंडा महसूस होना
  6. दांतों में कुछ भी खाते व चबाते समय कम या ज्यादा दर्द होना या लगातार दर्द होना
  7. दांतों का कमजोर होना या हिलना , समस्या के बेहद गंभीर होने पर दांत गिर भी सकते हैं, आदि.

इलाज व ओरल हाइजीन, दोनों जरूरी

डॉ सूरज भरतरी बताते हैं कि ओरल हाइजीन यानी मुख की स्वच्छता का ध्यान रख कर सिर्फ जिंजिवाइटिस से ही नहीं बल्कि दांतों की कई समस्याओं से बचा जा सकता है. लेकिन किसी भी समस्या के निवारण के लिए इलाज सबसे ज्यादा जरूरी होता है. इसलिए दांतों या मसूड़ों में किसी भी प्रकार की समस्या के नजर आने पर सबसे पहले चिकित्सीय परामर्श व इलाज लेना बेहद जरूरी है. जिससे समस्या को बढ़ने से पहले ही नियंत्रित किया जा सके या उससे छुटकारा पाया जा सके.

वह बताते हैं कि जिंजिवाइटिस या पीरियडोनटाइटिस की गंभीरता की जांच के लिए लक्षणों के आधार पर सामान्य जांच के साथ-साथ कभी-कभी डेंटल एक्सरे करवाना जरूरी हो जाता है. जिससे दांतों की हड्डी पर रोग के प्रभाव के बारे में जाना जा सके.

इसके अलावा जिंजिवाइटिस के इलाज में दवा के साथ-साथ कुछ बातों को ध्यान में रखने तथा सावधानियों को अपनी आदतों में शामिल करने की अनिवार्यता भी होती है. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.

  1. दांतों की नियमित रूप से जांच करवाएं.
  2. रात को सोने से पहले और सुबह उठने बाद सबसे पहले दांतों पर ब्रश जरूर करें. यदि संभव हो तो दिन में जब भी कोई आहार लें उसके बाद ब्रश अवश्य करें.
  3. चिकित्सक के द्वारा बताए गए टूथपेस्ट का ही इस्तेमाल करें.
  4. चिकित्सक से परामर्श के बाद नियमित रूप से फ्लॉसिंग भी करें.
  5. आहार का ध्यान रखें तथा ज्यादा कार्बोहाइड्रेट के साथ ज्यादा शुगर, ज्यादा नमक तथा ज्यादा तेल मसाले वाले आहार से परहेज करें.
  6. अपने नियमित आहार में ताजा बने हुए पौष्टिक आहार की मात्रा बढ़ाएं तथा जरूरी मात्रा में पानी पियें.
  7. जिंजिवाइटिस की समस्या में चिकित्सक द्वारा दांतों की सफाई कराना जरूरी होता है क्योंकि इस प्रक्रिया में वे ना सिर्फ दांतों पर जमा प्लाक हटाते हैं बल्कि दांतों व मसूड़ों की गहराई से सफाई व ट्रीटमेंट भी करते हैं. जिससे ना सिर्फ संक्रमण का प्रभाव कम होता है बल्कि अन्य कई समस्याओं में भी राहत मिलती है.
  8. इलाज के लिए बताई गई दवा का सही समय पर और सही मात्रा में सेवन करना बेहद जरूरी है. साथ ही कभी भी दवा के कोर्स को बीच में नहीं छोड़ना चाहिए. इससे भविष्य में समस्या के दोबारा होने की आशंका हो सकती है.

ये भी पढ़ें

Teeth Braces : दांतों-जबड़े में टेढ़ापन को दूर करने में महत्त्वपूर्ण साबित हो सकती है भारतीय वैज्ञानिको की खोज

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.