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यौन संचारित रोग है जेनिटल हर्पीज़

जेनिटल हर्पीज़ एक यौन संचारित रोग होता है, जिसका स्थाई इलाज संभव नहीं है लेकिन दवाइयों की मदद से तथा कुछ सावधानियाँ बरत कर इस पर नियंत्रण अवश्य किया जा सकता है. काया क्लिनिक इंडिया के मेडिकल हेड डॉ. सुशांत शेट्टी ने जेनिटल हर्पीज़ के बारे में ETV भारत सुखीभवा को और विस्तार से बताया.

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जेनिटल हर्पीज़
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Published : Sep 26, 2021, 8:00 AM IST

सामान्य तौर पर हर्पीज़ को फैलने वाला संक्रमण माना जाता है, जो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है. लेकिन जब हर्पीज़ महिला या पुरुष के जनन अंगों पर उभरने लगे तो यह एक यौन संचारित रोग माना जाने लगता है. जेनिटल हर्पीज़ एक लाइलाज बीमारी है जिस पर आप दवाइयों की मदद से नियंत्रण तो कर सकते हैं लेकिन आप उसे स्थाई तौर पर समाप्त नहीं कर सकते हैं. जेनिटल हर्पीज़ के बारे में ज्यादा जानकारी लेने के लिए ETV भारत सुखीभवा ने अपने विशेषज्ञ तथा काया क्लिनिक इंडिया के मेडिकल हेड डॉ. सुशांत शेट्टी से बात की.

क्या है जेनिटल हर्पीज़

दरअसल हर्पीज़ दाद का एक स्वरूप होता है जो कि त्वचा पर दानों, फफोलों या छालों के रूप में नजर आता है. सामान्य तौर पर इसे बैक्टीरिया जनित त्वचा संक्रमण माना जाता है, क्योंकि हर्पीज़ सिंपलेक्स वायरस के कारण होता है. लेकिन कई बार लोगों में यह संक्रमण अनुवांशिक तौर पर भी स्थानांतरित हो सकता है.

डॉ. शेट्टी बताते हैं कि यह संक्रमण वायरल प्रकृति वाला होता है तथा इसमें महिलाओं और पुरुषों के जननांग पर इस त्वचा संक्रमण का प्रभाव नजर आने लगता है. वैसे तो सामान्य तौर पर भी हर्पीज़ को एक फैलने वाला संक्रमण माना जाता है, जिसमें संक्रमित व्यक्ति के शरीर के प्रभावित हिस्से को छूने या उसके स्पर्श किए हुए कपड़े या किसी अन्य वस्तु के छूने से यह संक्रमण फैलने का खतरा होता है, वही जब हर्पीज़ जननांगों पर हो जाए तो यह यौन संचारित रोगों की श्रेणी में आ जाता है. यानी किसी ऐसे व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने से जिसे जेनिटल हर्पीज़ की समस्या हो दूसरे व्यक्ति में भी संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है.

डॉ. शेट्टी बताते हैं वैसे तो यह संक्रमण किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन एक बार यह संक्रमण हो जाने पर आमतौर पर यह शरीर में स्थाई रूप से प्रवेश कर जाता हैं .आमतौर पर यदि किसी व्यक्ति को यदि चिकन पोकस की समस्या हुई हो तो उन्हे यह संक्रमण होने का खतरा अपेक्षाकृत ज्यादा होता है.

इसका पूर्ण रूप से उपचार संभव नहीं है हालांकि इसे दवाइयों से नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन दवाइयों के बावजूद यह कभी भी त्वचा पर अपना प्रभाव दिखा सकता है. इसलिए जिन लोगों को जेनिटल हर्पीज़ की समस्या एक बार हो जाए उन्हें जीवन भर इस संक्रमण के चलते सफाई और स्वच्छता का ज्यादा ध्यान रखने की आवश्यकता होती है.

जेनिटल हर्पीज़ के लक्षण

डॉ. शेट्टी बताते हैं कि आमतौर पर संक्रमण के शुरुआती दौर में अधिकांश लोगों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाती है क्योंकि उस समय संक्रमण के लक्षण बहुत तीव्र नहीं होते हैं. जेनिटल हर्पीज़़ होने पर जननांगों के आसपास खुजली या दर्द वाले दाने, फुंसी या फफोले हो जाते हैं. इसके अतिरिक्त कई बार पीड़ित में बुखार, पेशाब करने में दर्द, जननांगों में सूजन या लालिमा, सिर दर्द तथा थकान जैसे लक्षण भी नजर आने लगते हैं.

यौन संचारित रोग है जेनिटल हर्पीज़

इस संक्रमण को यौन संचारित रोगों की श्रेणी में रखा जाता है क्योंकि यह संक्रमित व्यक्ति के संभोग करने से दूसरे व्यक्ति में भी फैलता है. डॉ. शेट्टी बताते हैं कि जेनिटल हर्पीस होने पर सेक्स लाइफ सामान्य नहीं रह पाती है.

इस सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज से बचाव के लिए जरूरी है कि संक्रमण होने पर खुले तौर पर किसी के साथ स्किन टू स्किन, माउथ या जेनिटल संपर्क न स्थापित किया जाए यानी पीड़ित व्यक्ति को किसी भी प्रकार का शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए. यहां तक कि जेनिटल हर्पीज़ के लक्षण तथा प्रभाव शांत होने के बाद भी उन्हें शारीरिक संबंधों के दौरान ज्यादा सावधानियां बरतने की जरूरत होती है. ऐसे लोगों को सामान्य संभोग के साथ ही ओरल सेक्स, एनल सेक्स तथा सेक्सटॉयज के इस्तेमाल से भी बचना चाहिए.

पढ़ें: कपल योग से बढ़ाएं स्वास्थ्य और रोमांस

सामान्य तौर पर हर्पीज़ को फैलने वाला संक्रमण माना जाता है, जो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है. लेकिन जब हर्पीज़ महिला या पुरुष के जनन अंगों पर उभरने लगे तो यह एक यौन संचारित रोग माना जाने लगता है. जेनिटल हर्पीज़ एक लाइलाज बीमारी है जिस पर आप दवाइयों की मदद से नियंत्रण तो कर सकते हैं लेकिन आप उसे स्थाई तौर पर समाप्त नहीं कर सकते हैं. जेनिटल हर्पीज़ के बारे में ज्यादा जानकारी लेने के लिए ETV भारत सुखीभवा ने अपने विशेषज्ञ तथा काया क्लिनिक इंडिया के मेडिकल हेड डॉ. सुशांत शेट्टी से बात की.

क्या है जेनिटल हर्पीज़

दरअसल हर्पीज़ दाद का एक स्वरूप होता है जो कि त्वचा पर दानों, फफोलों या छालों के रूप में नजर आता है. सामान्य तौर पर इसे बैक्टीरिया जनित त्वचा संक्रमण माना जाता है, क्योंकि हर्पीज़ सिंपलेक्स वायरस के कारण होता है. लेकिन कई बार लोगों में यह संक्रमण अनुवांशिक तौर पर भी स्थानांतरित हो सकता है.

डॉ. शेट्टी बताते हैं कि यह संक्रमण वायरल प्रकृति वाला होता है तथा इसमें महिलाओं और पुरुषों के जननांग पर इस त्वचा संक्रमण का प्रभाव नजर आने लगता है. वैसे तो सामान्य तौर पर भी हर्पीज़ को एक फैलने वाला संक्रमण माना जाता है, जिसमें संक्रमित व्यक्ति के शरीर के प्रभावित हिस्से को छूने या उसके स्पर्श किए हुए कपड़े या किसी अन्य वस्तु के छूने से यह संक्रमण फैलने का खतरा होता है, वही जब हर्पीज़ जननांगों पर हो जाए तो यह यौन संचारित रोगों की श्रेणी में आ जाता है. यानी किसी ऐसे व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने से जिसे जेनिटल हर्पीज़ की समस्या हो दूसरे व्यक्ति में भी संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है.

डॉ. शेट्टी बताते हैं वैसे तो यह संक्रमण किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन एक बार यह संक्रमण हो जाने पर आमतौर पर यह शरीर में स्थाई रूप से प्रवेश कर जाता हैं .आमतौर पर यदि किसी व्यक्ति को यदि चिकन पोकस की समस्या हुई हो तो उन्हे यह संक्रमण होने का खतरा अपेक्षाकृत ज्यादा होता है.

इसका पूर्ण रूप से उपचार संभव नहीं है हालांकि इसे दवाइयों से नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन दवाइयों के बावजूद यह कभी भी त्वचा पर अपना प्रभाव दिखा सकता है. इसलिए जिन लोगों को जेनिटल हर्पीज़ की समस्या एक बार हो जाए उन्हें जीवन भर इस संक्रमण के चलते सफाई और स्वच्छता का ज्यादा ध्यान रखने की आवश्यकता होती है.

जेनिटल हर्पीज़ के लक्षण

डॉ. शेट्टी बताते हैं कि आमतौर पर संक्रमण के शुरुआती दौर में अधिकांश लोगों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाती है क्योंकि उस समय संक्रमण के लक्षण बहुत तीव्र नहीं होते हैं. जेनिटल हर्पीज़़ होने पर जननांगों के आसपास खुजली या दर्द वाले दाने, फुंसी या फफोले हो जाते हैं. इसके अतिरिक्त कई बार पीड़ित में बुखार, पेशाब करने में दर्द, जननांगों में सूजन या लालिमा, सिर दर्द तथा थकान जैसे लक्षण भी नजर आने लगते हैं.

यौन संचारित रोग है जेनिटल हर्पीज़

इस संक्रमण को यौन संचारित रोगों की श्रेणी में रखा जाता है क्योंकि यह संक्रमित व्यक्ति के संभोग करने से दूसरे व्यक्ति में भी फैलता है. डॉ. शेट्टी बताते हैं कि जेनिटल हर्पीस होने पर सेक्स लाइफ सामान्य नहीं रह पाती है.

इस सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज से बचाव के लिए जरूरी है कि संक्रमण होने पर खुले तौर पर किसी के साथ स्किन टू स्किन, माउथ या जेनिटल संपर्क न स्थापित किया जाए यानी पीड़ित व्यक्ति को किसी भी प्रकार का शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए. यहां तक कि जेनिटल हर्पीज़ के लक्षण तथा प्रभाव शांत होने के बाद भी उन्हें शारीरिक संबंधों के दौरान ज्यादा सावधानियां बरतने की जरूरत होती है. ऐसे लोगों को सामान्य संभोग के साथ ही ओरल सेक्स, एनल सेक्स तथा सेक्सटॉयज के इस्तेमाल से भी बचना चाहिए.

पढ़ें: कपल योग से बढ़ाएं स्वास्थ्य और रोमांस

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