ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी में हाल ही में प्रकाशित एक अध्धयन की माने तो कॉर्नियल तंत्रिकाओं में फाइबर की कमी और आंख के कॉर्निया की सतह पर प्रमुख प्रतिरक्षा कोशिका (डेंड्रिटिक) की वृद्धि की जांच करने से 'लॉंग कोविड ' के रोगियों की पहचान की जा सकती है।
गौरतलब है की कॉर्निया आंख का वह पारदर्शी हिस्सा है जो आँखों की पुतली, परितारिका और द्रव से भरे आंतरिक भाग को ढंकने का कार्य करता है। यह आंखों का वह पारदर्शी भाग होता है जिस पर बाहर का प्रकाश पड़ता है और उसका प्रत्यावर्तन होता है। यह आंख का लगभग दो-तिहाई भाग होता है, जिसमें बाहरी आंख का रंगीन भाग, पुतली और लेंस का प्रकाश देने वाला हिस्सा होते हैं।
गौरतलब है की कोविड 19 संक्रमण से संक्रमित लगभग दस में से एक व्यक्ति में लंबे समय तक लॉंग कोविड के लक्षण तथा प्रभाव नजर आते रहते हैं। कोविड-19 संक्रमण को लेकर किए गए इस अध्धयन में नेकमेटिन एर्बकन यूनिवर्सिटी मेरम मेडिकल फैकल्टी अस्पताल कोन्या, तुर्की के शोधकर्ताओं ने बताया है की लॉंग कोविड की अवस्था में आमतौर पर न्यूरोलॉजिकल श्रेणी में आने वाले लक्षण नजर आते हैं जैसे स्वाद और गंध की कमी, सिरदर्द, चक्कर आना, सुन्नता और न्यूरोपैथिक दर्द।
ब्रिटिश जर्नल ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी में प्रकाशित इस अध्धयन में बताया गया है की गैर-इनवेसिव व उच्च-रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग लेजर तकनीक कॉर्नियल कन्फोकल माइक्रोस्कोपी (सीसीएम) की मदद से कॉर्नियल तंत्रिका में फाइबर हानि के बारें में जानकर लॉंग कोविड होने का पता लगाया जा सकता है।
दरअसल सीसीएम का उपयोग मधुमेह न्यूरोपैथी, मल्टीपल स्केलेरोसिस और फाइब्रोमायल्गिया (पूरे शरीर में दर्द) के कारण तंत्रिका में होने वाली क्षति और सूजन संबंधी परिवर्तनों की पहचान करने के लिए किया जाता है। शोध में अस्पताल के नेत्र विज्ञान विभाग के गल्फिडन बिटरगेन ने बताया की " लॉंग कोविड की अवस्था में रोगियों में छोटी तंत्रिकाओ में फाइबर की क्षति होने लगती है जो न सिर्फ लॉंग कोविड के न्यूरोपैथिक लक्षणों बल्कि मस्कुलोस्केलेटल लक्षणों की गंभीरता से भी संबंधित माने जाते हैं।
इस शोध में शोधकर्ताओं ने सीसीएम का उपयोग करके एक से छह महीने के बीच कोविड -19 संक्रमण से उबरने वाले 40 लोगों के कॉर्निया को स्कैन किया। कॉर्नियल स्कैन की तुलना उन 30 स्वस्थ लोगों से की गई, जिन्हें कोविड19 संक्रमण नहीं था। जिसमें पता चला की कोविड-19 संक्रमण की गंभीर अवस्था से उबरने के लगभग चार सप्ताह बाद न्यूरोलॉजिकल लक्षणों वाले रोगियों की कॉर्नियल तंत्रिका के फाइबर को अधिक क्षति पहुंची थी, साथ ही उनमें डेंड्राइटिक कोशिकाओं की संख्या अधिक थी।
हालांकि शोधकर्ताओं मानते हैं की यह शोध मात्र एक अवलोकन अध्ययन है, और इसके आधार पर उल्लेखित तथ्यों को कारणों और लक्षणों की स्पष्ट श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है । लेकिन साथ ही शोध में बिटरगेन यह भी मानते हैं की लॉंग कोविड की जांच और उपचार में यह शोध उपयोगी साबित हो सकता है।
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