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एक दुनिया,कई आवाजें: विश्व आवाज दिवस 2021 -  कई आवाजें

आवाज के महत्व को हर कोई जानता और मानता है। इसके बावजूद लोग आवाज को प्रभावित करने वाले कारकों की तरफ ज्यादा ध्यान नही देते हैं । विभिन्न चिकित्सकों से प्राप्त आंकड़ों की माने तो पिछले कुछ सालों में ऐसे लोगों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है जिनकी आवाज पर किसी स्वास्थ्य समस्या, गलत जीवनशैली या आदतों के चलते गंभीर असर पड़े हैं। आवाज के स्वास्थ्य को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 16 अप्रैल को विश्व आवाज दिवस मनाया जाता है।

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विश्व आवाज दिवस 2021
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Published : Apr 16, 2021, 2:48 PM IST

आवाज ईश्वर की दी हुई एक नेमत है , जिसका खयाल रखना हमारी जिम्मेदारी ही नही जरूरत भी है। कई बार शारीरिक व मानसिक अस्वस्थता, धूम्रपान, नशीले पदार्थों के सेवन या विभिन्न कारणों से व्यक्ति की आवाज को क्षति पहुँच सकती है। स्तिथि गंभीर होने पर कई बार आवाज चले जाने का खतरा भी रहता है। लोगों को आवाज को प्रभावित करने वाले स्वास्थ्य जनित तथा जीवनशैली जनित कारणों के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 16 अप्रैल को विश्व आवाज दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व आवाज दिवस 2021 “ एक दुनिया , कई आवाजें” थीम पर मनाया जा रहा है।


विश्व आवाज दिवस का इतिहास
वर्ष 1999 में ब्राजील देश में राष्ट्रीय आवाज दिवस को मनाए जाने की शुरुआत हुई थी। इसी वर्ष यह आयोजन अर्जेंटीना, पुर्तगाल जैसे देशों में भी राष्ट्रीय स्तर पर किया गया ।

सर्वप्रथम आवाज को प्रभावित करने वाले चिकित्सा क्षेत्रों से जुड़े लोगों तथा ब्राजील सोसाइटी ऑफ लारिंगोलॉजी और वॉइस द्वारा इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए डॉ. नेडिओ स्टीफेन की अध्यक्षता में इस आयोजन की शुरुआत की गई थी। जिसके उपरांत वर्ष 2002 में अमेरिकन एकेडमी ऑफ ओटोलरींगोलॉजिस्ट-हेड एंड नेक सर्जरी ने प्रतिवर्ष 16 अप्रैल को विश्व आवाज दिवस के रूप में मनाये जाने का निर्णय लिया। विश्व आवाज दिवस विशेष रूप से दुनिया भर में ओटोलरींगोलॉजिस्ट- ( सिर और गले के सर्जन), थेरेपिस्ट तथा आवाज के स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए कार्य कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों तथा सामाजिक संस्थाओं द्वारा मनाया जाता है।

आवाज को नुकसान पहुँचने वाले कारण

पढ़ें: बढ़ती उम्र को लेकर लोगों का रवैया और उससे मुकाबला

हमारी आवाज को न सिर्फ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के जुड़े कारण प्रभावित करते हैं बल्कि कई बार कुछ गलत आदतें भी हमारी आवाज को नुकसान पहुचती है। आवाज को नुकसान पहुँचाने वाले कुछ विशेष कारण इस प्रकार हैं।

  • ज्यादा मात्र में धूम्रपान करना या नशीले पदार्थों का सेवन करना ।
  • तेज आवाज में बोलना या चिल्लाना । तेज चिल्लाने से वोकल कॉर्ड में रक्तस्त्राव होने की आशंका रहती है। ऐसे में वोकल कॉर्ड पर ज्यादा दबाव पड़ता है और आवाज पर असर पड़ता है। कई बार स्तिथि ज्यादा खराब होने पर आवाज जाने का भी खतरा रहता है।
  • वोकल कॉर्ड ट्रॉमा होने पर, ऐसे स्तिथि में एरिटोनायड डिस्लोकेशन हो जाता है यानी वोकल कॉर्ड और स्वर तंत्रिका के आसपास की कोशिकाओं पर बुरा असर पड़ता है।
  • गले में एडिमा यानी सूजन होने पर भी आवाज बिगड़ सकती है।
  • गले में चोट लगने से भी आवाज बदल सकती है और किसी बड़ी दुर्घटना का शिकार होने पर गंभीर परिस्थितियों में आवाज हमेशा के लिए जा सकती है।चोट अधिक हो या ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ जाए तो वोकल कॉर्ड पैरालिसिस का भी खतरा रहता है।
  • गले में संक्रमण , टीबी, छाती में संक्रमण , फंगल इंफेक्शन तथा वॉकल कॉर्ड में ट्यूमर होने पर भी आवाज पर अंतर पड़ता है।
  • कभी-कभी गले में कैंसर या वॉकल कॉर्ड के आसपास गांठ होने पर भी आवाज को नुकसान पहुँच सकता है।
  • अचानक बड़ा सदमा लगने पर तथा तनाव या किसी तरह की मानसिक परेशानी होने पर भी आवाज जाने का खतरा रहता है।

आवाज से जुड़ी समस्याओं से दूर रखेंगी ये सामान्य आदतें

  • सबसे पहले सांस की कोई भी तकलीफ या साइनस होने पर चिकित्सीय सलाह लें।
  • धूम्रपान और नशीले पदार्थों के सेवन से दूरी बनाए।
  • वातावरण में अचानक ज्यादा परिवर्तन से बचे । ठंडे वातावरण से गरम वातावरण में कुछ समय, रुक कर जाएं ।
  • आवाज को सही रखने के लिए मुंह से श्वास ना लें तथा तेज पंखे के सीधे नीचे या सामने कभी ना सोएं ।
  • आपकी आवाज सही रहे, इसके लिए जरूरी है कि आपका खानपान सही हो। अनियमित दिनचर्या और खान-पान की गलत आदतों से अम्ल या एसिडिटी की समस्या हो सकती है।
  • तेज सर्दी, गंभीर एलर्जी, नाक-गले के संक्रमण के दौरान आवाज से जुड़ा कोई अभ्यास ना करें। कोशिश करें कि लगातार 45 मिनट से ज्यादा ना बोलें।
  • तनाव से बचें क्योंकि शारीरिक और मानसिक दोनों ही तनाव आवाज पर दुष्प्रभाव डालते हैं। इसलिए पूरी नींद लें और आराम जरूर करें ।
  • जोर-जोर से बात करने से बचे ।
  • बोलने में समस्या होने पर या आवाज में बदलाव होने पर चिकित्सक से सलाह लें ।

आवाज ईश्वर की दी हुई एक नेमत है , जिसका खयाल रखना हमारी जिम्मेदारी ही नही जरूरत भी है। कई बार शारीरिक व मानसिक अस्वस्थता, धूम्रपान, नशीले पदार्थों के सेवन या विभिन्न कारणों से व्यक्ति की आवाज को क्षति पहुँच सकती है। स्तिथि गंभीर होने पर कई बार आवाज चले जाने का खतरा भी रहता है। लोगों को आवाज को प्रभावित करने वाले स्वास्थ्य जनित तथा जीवनशैली जनित कारणों के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 16 अप्रैल को विश्व आवाज दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व आवाज दिवस 2021 “ एक दुनिया , कई आवाजें” थीम पर मनाया जा रहा है।


विश्व आवाज दिवस का इतिहास
वर्ष 1999 में ब्राजील देश में राष्ट्रीय आवाज दिवस को मनाए जाने की शुरुआत हुई थी। इसी वर्ष यह आयोजन अर्जेंटीना, पुर्तगाल जैसे देशों में भी राष्ट्रीय स्तर पर किया गया ।

सर्वप्रथम आवाज को प्रभावित करने वाले चिकित्सा क्षेत्रों से जुड़े लोगों तथा ब्राजील सोसाइटी ऑफ लारिंगोलॉजी और वॉइस द्वारा इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए डॉ. नेडिओ स्टीफेन की अध्यक्षता में इस आयोजन की शुरुआत की गई थी। जिसके उपरांत वर्ष 2002 में अमेरिकन एकेडमी ऑफ ओटोलरींगोलॉजिस्ट-हेड एंड नेक सर्जरी ने प्रतिवर्ष 16 अप्रैल को विश्व आवाज दिवस के रूप में मनाये जाने का निर्णय लिया। विश्व आवाज दिवस विशेष रूप से दुनिया भर में ओटोलरींगोलॉजिस्ट- ( सिर और गले के सर्जन), थेरेपिस्ट तथा आवाज के स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए कार्य कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों तथा सामाजिक संस्थाओं द्वारा मनाया जाता है।

आवाज को नुकसान पहुँचने वाले कारण

पढ़ें: बढ़ती उम्र को लेकर लोगों का रवैया और उससे मुकाबला

हमारी आवाज को न सिर्फ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के जुड़े कारण प्रभावित करते हैं बल्कि कई बार कुछ गलत आदतें भी हमारी आवाज को नुकसान पहुचती है। आवाज को नुकसान पहुँचाने वाले कुछ विशेष कारण इस प्रकार हैं।

  • ज्यादा मात्र में धूम्रपान करना या नशीले पदार्थों का सेवन करना ।
  • तेज आवाज में बोलना या चिल्लाना । तेज चिल्लाने से वोकल कॉर्ड में रक्तस्त्राव होने की आशंका रहती है। ऐसे में वोकल कॉर्ड पर ज्यादा दबाव पड़ता है और आवाज पर असर पड़ता है। कई बार स्तिथि ज्यादा खराब होने पर आवाज जाने का भी खतरा रहता है।
  • वोकल कॉर्ड ट्रॉमा होने पर, ऐसे स्तिथि में एरिटोनायड डिस्लोकेशन हो जाता है यानी वोकल कॉर्ड और स्वर तंत्रिका के आसपास की कोशिकाओं पर बुरा असर पड़ता है।
  • गले में एडिमा यानी सूजन होने पर भी आवाज बिगड़ सकती है।
  • गले में चोट लगने से भी आवाज बदल सकती है और किसी बड़ी दुर्घटना का शिकार होने पर गंभीर परिस्थितियों में आवाज हमेशा के लिए जा सकती है।चोट अधिक हो या ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ जाए तो वोकल कॉर्ड पैरालिसिस का भी खतरा रहता है।
  • गले में संक्रमण , टीबी, छाती में संक्रमण , फंगल इंफेक्शन तथा वॉकल कॉर्ड में ट्यूमर होने पर भी आवाज पर अंतर पड़ता है।
  • कभी-कभी गले में कैंसर या वॉकल कॉर्ड के आसपास गांठ होने पर भी आवाज को नुकसान पहुँच सकता है।
  • अचानक बड़ा सदमा लगने पर तथा तनाव या किसी तरह की मानसिक परेशानी होने पर भी आवाज जाने का खतरा रहता है।

आवाज से जुड़ी समस्याओं से दूर रखेंगी ये सामान्य आदतें

  • सबसे पहले सांस की कोई भी तकलीफ या साइनस होने पर चिकित्सीय सलाह लें।
  • धूम्रपान और नशीले पदार्थों के सेवन से दूरी बनाए।
  • वातावरण में अचानक ज्यादा परिवर्तन से बचे । ठंडे वातावरण से गरम वातावरण में कुछ समय, रुक कर जाएं ।
  • आवाज को सही रखने के लिए मुंह से श्वास ना लें तथा तेज पंखे के सीधे नीचे या सामने कभी ना सोएं ।
  • आपकी आवाज सही रहे, इसके लिए जरूरी है कि आपका खानपान सही हो। अनियमित दिनचर्या और खान-पान की गलत आदतों से अम्ल या एसिडिटी की समस्या हो सकती है।
  • तेज सर्दी, गंभीर एलर्जी, नाक-गले के संक्रमण के दौरान आवाज से जुड़ा कोई अभ्यास ना करें। कोशिश करें कि लगातार 45 मिनट से ज्यादा ना बोलें।
  • तनाव से बचें क्योंकि शारीरिक और मानसिक दोनों ही तनाव आवाज पर दुष्प्रभाव डालते हैं। इसलिए पूरी नींद लें और आराम जरूर करें ।
  • जोर-जोर से बात करने से बचे ।
  • बोलने में समस्या होने पर या आवाज में बदलाव होने पर चिकित्सक से सलाह लें ।
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