बच्चों में कान में दर्द होना एक आम बात है, जिसके लिए ज्यादातर मामलों में कान के संक्रमण को जिम्मेदार माना जाता है. बाल रोग विशेषज्ञों की मानें तो 5 साल से कम आयु के तकरीबन 40% बच्चों को आमतौर पर कान में दर्द की समस्या होती है. चाइल्ड केयर क्लीनिक, मुंबई की बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अपर्णा पारिख बताती हैं कि यूं तो बच्चों में कान के दर्द के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में कान में हल्का या ज्यादा संक्रमण इसके लिए जिम्मेदार होता है. वह बताती हैं कि आमतौर पर कम उम्र के बच्चे बोल कर यह नहीं बता पाते हैं कि उनके कान में दर्द हो रहा है. ऐसे में कई अन्य लक्षण हैं जिन्हें समझ कर माता-पिता यह जान सकते हैं कि बच्चे के कान में किसी प्रकार की समस्या हो रही है.
कान में दर्द या संक्रमण के लक्षण: डॉ. अपर्णा बताती हैं कि बच्चों के कान में संक्रमण होने पर ना सिर्फ कान में दर्द बल्कि कई अन्य तरह की समस्याएं भी उन्हें परेशान करने लगती हैं. वह बताती हैं कि आमतौर पर कान में संक्रमण होने पर कान की अंदरूनी नालियों में सूजन होने लगती है जिससे कान में असहजता और दर्द महसूस होने लगता है. ऐसे में ज्यादातर बच्चे अपने कान को बार-बार खींचने लगते हैं तथा उन्हें सोने में परेशानी होने लगती है. उन्होंने बताया कि तीन साल तक की आयु वाले बच्चों को आमतौर पर कान में संक्रमण होने पर उल्टी आने या उबकाई आने जैसा भी महसूस होता है. इसके अलावा कई बार संक्रमण बढ़ने पर बच्चों को बुखार आ सकता है तथा सुनने में परेशानी हो सकती है. इसके अलावा कई बार उनके कान से मवाद या द्रव्य भी आने लगता है.
कारण: डॉ. अपर्णा बताती हैं कि बच्चों में कान के संक्रमण के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं- जैसे लंबे समय तक चलने वाली सर्दी-जुकाम, खांसी, मध्य कान में वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण या साइनोसाइटिस यानी साइनस में संक्रमण आदि. वहीं, यदि सिर्फ कान में दर्द के कारणों की बात करें तो मुख्य रूप से इसके लिए कान में मैल होने या किसी भी कारण से किसी बाहरी वस्तु के कान में जाने और उसकी वजह से या किसी अन्य कारण से कान में चोट लगने को जिम्मेदार माना जाता है.
कैसे करें बचाव: डॉ. अपर्णा बताती हैं कि संक्रमण होने की अवस्था में चिकित्सीय इलाज सबसे जरूरी होता है. लेकिन बच्चों के कान को संक्रमण या चोट से बचाने के लिए माता-पिता कुछ बातों का ध्यान अवश्य रख सकते हैं. जैसे-
- बच्चों को नियमित समय पर फ्लू वैक्सीन तथा अन्य जरूरी वैक्सीन लगवाएं, जिससे उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े और विभिन्न प्रकार के संक्रमण से उनका बचाव हो सके.
- बच्चे को सीधा लिटाकर कभी भी दूध न पिलाएं और न ही कुछ खाने को दें.
- बच्चे के कान को बालों की चिमटी, टूथपिक तथा माचिस की तीली जैसी वस्तुओं से साफ करने से बचें. इससे उनके कान में चोट लगने की आशंका बढ़ जाती है. इसके अतिरिक्त जहां तक संभव हो, कानों को इयरबड से गहराई से साफ करने से भी बचें.
डॉ. अपर्णा बताती हैं कि आमतौर पर बच्चों के कान में दर्द होने पर अभिभावक या घर के बड़े-बूढ़े कई प्रकार के घरेलू नुस्खों का भी उपयोग करते हैं. लेकिन यदि उनके बावजूद कान के दर्द में राहत न मिले, बुखार कम न हो रहा हो, या फिर कान से मवाद आने लगे तो तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना बहुत जरूरी हो जाता है. अन्यथा समस्या गंभीर भी हो सकती है तथा कान को स्थाई नुकसान भी हो सकता है.