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कोरोना के प्रमुख लक्षणों में से एक है गंध और स्वाद में कमी

यूरोपीय विशेषज्ञों के एक समूह द्वारा नया शोध किया गया है. इसमें कोविड-19 और सर्दी बुखार से जुड़े गंध और स्वाद की कमी जैसे मुख्य लक्षण के बीच अंतर दिखाया गया है. यह लक्षण आमतौर पर तीव्र सर्दी या फ्लू के साथ अनुभव हो सकता है. अध्ययन के निष्कर्ष से पता चलता है कि कोविड-19 मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को सबसे अधिक प्रभावित करता है.

research on symptoms of corona
कोरोना के लक्षणों पर शोध
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Published : Aug 25, 2020, 4:26 PM IST

Updated : Aug 26, 2020, 9:39 AM IST

कोविड़-19 और साधारण सर्दी बुखार के लक्षणों में इतनी समानताएं हैं की पीड़ित संशय में रहते हैं की उन्हें कोरोना हुआ है या फिर साधारण सर्दी. बुखार को छोड़ भी दिया जाए, तो बंद नाक के साथ जबान का जायका तथा नाक में किसी भी प्रकार की गंध ना आना या फिर कम आना भी सामान्य सर्दी के साथ-साथ कोरोना के मुख्य लक्षणों में से आते हैं. आम जन के मन की इसी गलतफहमी को दूर करने के उद्देश्य से यूरोप के कुछ विशेषज्ञों ने साधारण सर्दी तथा कोरोना के समान लक्षण जायके तथा सुगंध की क्षमताओं में कमी को लेकर एक शोध किया.

जर्नल राइनोलॉजी में अगस्त के दूसरे पखवाड़े में प्रकाशित हुए 'कम्पैरिसन ऑफ कोविद-19 एण्ड कॉमन कोल्ड केमोसेंसरी डिसफंक्शन' नामक इस शोध में यह जानने की कोशिश की गई की दोनों ही बीमारियों में इन लक्षणों के शरीर पर क्या प्रभाव होते है, साथ ही इनके ठीक होने की समयावधि में कितना अंतर होता है. इस यूरोपियन शोध को लेकर हमारे भारतीय चिकित्सक क्या सोचते है तथा क्या विदेश में किए गए इस शोध के नतीजे भारतीयों के लिए भी एक समान हैं! इस बात को जांचने के लिए ETV भारत सुखीभवा टीम ने वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. संजय जैन से भी बात की.

शोध के नतीजे

यूईए के नॉरविच मेडिकल स्कूल में व्याख्याता तथा शोध के अग्रणियों में से एक प्रो. कार्ल फिलपॉट ने शोध में उल्लेखित किया है की पूरी दुनिया में नाक में गंध और जबान पर जायके की कमी को कोरोना मुख्य लक्षणों में माना जा रहा है, वहीं पहले से ही तीव्र सर्दी के मुख्य लक्षणों में ये शुमार है. अब दोनों बीमारियों में इन लक्षणों में तथा शरीर पर उनके प्रभावों में अंतर को जानने के लिए दोनों बीमारियों के समान उम्र वाले दस-दस मरीजों को शोध का विषय बनाया गया. दोनों समूहों की जांच तथा निरीक्षण के बाद सामने आया की सामान्य तौर पर कोरोना पीड़ितों में गंध और जायके में कमी बंद नाक के साथ नहीं आती है. वे आमतौर पर आराम से श्वास ले सकते है.

वहीं स्वाद की बात करें तो सबसे ज्यादा असर रोगी के मीठे तथा कड़वे स्वाद को महसूस करने की क्षमताओं में होता है, क्योंकि ये दोनों ही स्वाद शरीर की सहज प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करते है. कोरोना मरीजों में गंध और स्वाद दोनों ही अहसास अपेक्षाकृत बहुत कम या समाप्त हो जाते है. इसके अलावा साइटोकिन तूफान नामक अवस्था के चलते रोगी के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता, श्वसन तंत्र, तंत्रिका तंत्र तथा पाचन तंत्र पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है.

भारतीयों पर कितना सटीक बैठता है ये शोध

वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. संजय जैन इस शोध से इत्तेफाक रखते हुए कहते है की हमारे भारतीय रोगियों में भी आम सर्दी के साथ ही सांस लेने में तकलीफ जैसे कई लक्षणों के अलावा स्वाद और गंध का महसूस ना होना भी कोरोना वायरस का लक्षण माना जाता है. बल्कि यह कहना गलत नहीं होगा की गंध और जबान का स्वादहीन होना फिलहाल कोरोना के सबसे प्रमुख लक्षणों में से एक है. साधारण सर्दी या वायरल बुखार के मुकाबले कोरोना के मरीजों में ये लक्षण काफी तीव्रता लिए होते हैं.

हमारे शरीर के सभी संवेदना तंत्रों को हमारा मस्तिष्क तथा तंत्रिका तंत्र संचालित करता है. गंध तथा जायका हमारे शरीर की सबसे संवेदनशील प्रक्रियाओं में से एक होते है. और चूंकि यह सभी चिकित्सकों तथा विशेषज्ञों द्वारा मान्य है की कोरोना वायरस हमारी सभी तंत्र प्रणालियों पर सीधा तथा घातक असर करता है. इसलिए शरीर की सबसे संवेदनशील प्रक्रियाओं पर उसका सबसे पहले और तीव्र असर होता है. इसीलिए गंध और जायके में कमी ज्यादातर कोरोना के प्राथमिक लक्षणों में से एक होते हैं.

हालांकि ये प्रथम दृष्टिगत लक्षण सही चिकित्सीय जांच की जगह नहीं ले सकते है. इसलिए जरूरी है की शरीर में उत्पन्न किसी भी तरह की असुविधा महसूस होते ही तुरंत चिकित्सक की सलाह ली जाए.

शोध में शामिल संस्थान

इस शोध का नेतृत्व क्लैमिक्स यूनिवर्सिटेयर सेंट-ल्यूक (बेल्जियम), यूनिवर्सिट कैथोलिक डे लूवेन (बेल्जियम) ने जेम्स पगेट यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल (यूके), ईस्ट एंग्लिया यूनिवर्सिटी / द नॉरफॉक स्मेल और टेस्ट क्लिनिक के शोधकर्ताओं के सहयोग से किया, एरिस्टोटल यूनिवर्सिटी (ग्रीस), इस्तांबुल (तुर्की) के ऐसिबिडेम तकसीम हॉस्पिटल, बिरूनी यूनिवर्सिटी (तुर्की) और फोगिया (इटली) के यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल द्वारा किया गया.

कोविड़-19 और साधारण सर्दी बुखार के लक्षणों में इतनी समानताएं हैं की पीड़ित संशय में रहते हैं की उन्हें कोरोना हुआ है या फिर साधारण सर्दी. बुखार को छोड़ भी दिया जाए, तो बंद नाक के साथ जबान का जायका तथा नाक में किसी भी प्रकार की गंध ना आना या फिर कम आना भी सामान्य सर्दी के साथ-साथ कोरोना के मुख्य लक्षणों में से आते हैं. आम जन के मन की इसी गलतफहमी को दूर करने के उद्देश्य से यूरोप के कुछ विशेषज्ञों ने साधारण सर्दी तथा कोरोना के समान लक्षण जायके तथा सुगंध की क्षमताओं में कमी को लेकर एक शोध किया.

जर्नल राइनोलॉजी में अगस्त के दूसरे पखवाड़े में प्रकाशित हुए 'कम्पैरिसन ऑफ कोविद-19 एण्ड कॉमन कोल्ड केमोसेंसरी डिसफंक्शन' नामक इस शोध में यह जानने की कोशिश की गई की दोनों ही बीमारियों में इन लक्षणों के शरीर पर क्या प्रभाव होते है, साथ ही इनके ठीक होने की समयावधि में कितना अंतर होता है. इस यूरोपियन शोध को लेकर हमारे भारतीय चिकित्सक क्या सोचते है तथा क्या विदेश में किए गए इस शोध के नतीजे भारतीयों के लिए भी एक समान हैं! इस बात को जांचने के लिए ETV भारत सुखीभवा टीम ने वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. संजय जैन से भी बात की.

शोध के नतीजे

यूईए के नॉरविच मेडिकल स्कूल में व्याख्याता तथा शोध के अग्रणियों में से एक प्रो. कार्ल फिलपॉट ने शोध में उल्लेखित किया है की पूरी दुनिया में नाक में गंध और जबान पर जायके की कमी को कोरोना मुख्य लक्षणों में माना जा रहा है, वहीं पहले से ही तीव्र सर्दी के मुख्य लक्षणों में ये शुमार है. अब दोनों बीमारियों में इन लक्षणों में तथा शरीर पर उनके प्रभावों में अंतर को जानने के लिए दोनों बीमारियों के समान उम्र वाले दस-दस मरीजों को शोध का विषय बनाया गया. दोनों समूहों की जांच तथा निरीक्षण के बाद सामने आया की सामान्य तौर पर कोरोना पीड़ितों में गंध और जायके में कमी बंद नाक के साथ नहीं आती है. वे आमतौर पर आराम से श्वास ले सकते है.

वहीं स्वाद की बात करें तो सबसे ज्यादा असर रोगी के मीठे तथा कड़वे स्वाद को महसूस करने की क्षमताओं में होता है, क्योंकि ये दोनों ही स्वाद शरीर की सहज प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करते है. कोरोना मरीजों में गंध और स्वाद दोनों ही अहसास अपेक्षाकृत बहुत कम या समाप्त हो जाते है. इसके अलावा साइटोकिन तूफान नामक अवस्था के चलते रोगी के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता, श्वसन तंत्र, तंत्रिका तंत्र तथा पाचन तंत्र पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है.

भारतीयों पर कितना सटीक बैठता है ये शोध

वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. संजय जैन इस शोध से इत्तेफाक रखते हुए कहते है की हमारे भारतीय रोगियों में भी आम सर्दी के साथ ही सांस लेने में तकलीफ जैसे कई लक्षणों के अलावा स्वाद और गंध का महसूस ना होना भी कोरोना वायरस का लक्षण माना जाता है. बल्कि यह कहना गलत नहीं होगा की गंध और जबान का स्वादहीन होना फिलहाल कोरोना के सबसे प्रमुख लक्षणों में से एक है. साधारण सर्दी या वायरल बुखार के मुकाबले कोरोना के मरीजों में ये लक्षण काफी तीव्रता लिए होते हैं.

हमारे शरीर के सभी संवेदना तंत्रों को हमारा मस्तिष्क तथा तंत्रिका तंत्र संचालित करता है. गंध तथा जायका हमारे शरीर की सबसे संवेदनशील प्रक्रियाओं में से एक होते है. और चूंकि यह सभी चिकित्सकों तथा विशेषज्ञों द्वारा मान्य है की कोरोना वायरस हमारी सभी तंत्र प्रणालियों पर सीधा तथा घातक असर करता है. इसलिए शरीर की सबसे संवेदनशील प्रक्रियाओं पर उसका सबसे पहले और तीव्र असर होता है. इसीलिए गंध और जायके में कमी ज्यादातर कोरोना के प्राथमिक लक्षणों में से एक होते हैं.

हालांकि ये प्रथम दृष्टिगत लक्षण सही चिकित्सीय जांच की जगह नहीं ले सकते है. इसलिए जरूरी है की शरीर में उत्पन्न किसी भी तरह की असुविधा महसूस होते ही तुरंत चिकित्सक की सलाह ली जाए.

शोध में शामिल संस्थान

इस शोध का नेतृत्व क्लैमिक्स यूनिवर्सिटेयर सेंट-ल्यूक (बेल्जियम), यूनिवर्सिट कैथोलिक डे लूवेन (बेल्जियम) ने जेम्स पगेट यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल (यूके), ईस्ट एंग्लिया यूनिवर्सिटी / द नॉरफॉक स्मेल और टेस्ट क्लिनिक के शोधकर्ताओं के सहयोग से किया, एरिस्टोटल यूनिवर्सिटी (ग्रीस), इस्तांबुल (तुर्की) के ऐसिबिडेम तकसीम हॉस्पिटल, बिरूनी यूनिवर्सिटी (तुर्की) और फोगिया (इटली) के यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल द्वारा किया गया.

Last Updated : Aug 26, 2020, 9:39 AM IST
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