छाती में या पसलियों में दर्द या खिंचाव कई कारणों से हो सकती है. वहीं कई बार इसे कुछ कम या ज्यादा गंभीर बीमारियों या संक्रमण का संकेत या लक्षण भी माना जाता है. पसलियों में दर्द के लिए कॉस्टोकोंड्राइटीस भी एक जिम्मेदार कारण हो सकता है. हालांकि जानकार मानते हैं कि दुर्लभ परिस्थितियों को छोड़ दिया जाय तो कॉस्टोकोंड्राइटीस ज्यादातर मामलों में जान के लिए जोखिम जैसे प्रभाव या समस्या का कारण नहीं बनता हैं लेकिन इसके कारण छाती में विशेषकर पसलियों में लंबे समय तक होने वाला दर्द ज्यादातर पीड़ितों के लिए परेशानी व असहजता का कारण बन सकता है. यहां तक की यह उनकी दिनचर्या को भी प्रभावित कर सकता है.
कारण तथा लक्षण: देहरादून उत्तराखंड के वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ हेम जोशी बताते है कि कॉस्टोकोंड्राइटीस दरअसल पसलियों के ऊपर मुलायम कार्टिलेज या कार्टिलेज जंक्शन में सूजन की स्थिति को कहते है. जो कई कारणों से हो सकती है. वह बताते हैं कि यह बहुत आम समस्या नहीं है. 100 में से 2-3 लोगों में यह समस्या नजर आ सकती है. यह समस्या आमतौर पर छाती की ऊपरी पसलियों में ज्यादा नजर आती है. खासतौर पर इसके ज्यादातर मामलों में दूसरी पसली के कार्टिलेज जंक्शन में सूजन के मामले सामने आते हैं. इस समस्या को कॉस्टोस्टर्नल सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता है.
वह बताते हैं कि पसलियों की कार्टिलेज में सूजन कई कारणों से हो सकती है कोई चोट, संक्रमण, या किसी प्रकार की जटिल थेरेपी के बाद के पार्श्व प्रभाव के कारण आदि. वहीं कई बार इसके कारण अज्ञात भी हो सकते हैं. कार्टिलेज में सूजन के ज्यादा बढ़ने पर असहनीय दर्द के साथ प्रभावित हिस्से में लालिमा भी आ सकती हैं. यह समस्या होने पर आमतौर पर पीड़ित को छाती में तेज दर्द के अलावा सांस लेने में समस्या जैसी परेशानियां भी हो सकती है. जो कभी कभी ज्यादा शारीरिक गतिविधि या मेहनत वाला काम करने पर बढ़ भी सकती है जैसे ज्यादा व्यायाम करना, ज्यादा चलना या कोई भारी चीज उठाना आदि. वहीं दर्द ज्यादा होने पर पीड़ित को सोने, खांसने तथा दिनचर्या के सामान्य कार्य करने में भी परेशानी हो सकती हैं.
भ्रम: वह बताते हैं कि लोगों में कॉस्टोकांड्राइटिस को लेकर कई भ्रम रहते हैं जैसे कई लोग इसे ह्रदय रोग या दिल के दौरे से जोड़ कर देखते हैं. जबकि ऐसा नहीं है. कॉस्टोकोंड्राइटीस का दर्द यदि छाती के बाईं ओर हो तो यह कई बार दिल में दर्द या दिल के दौरे का भ्रम उत्पन्न कर सकता है. लेकिन यह दिल के दौरे का कारण नहीं बनता है. वहीं छाती में दाई ओर दर्द होना सिर्फ कॉस्टोकोंड्राइटीस का ही लक्षण माना जाता है.
वह बताते हैं कि कॉस्टोकोंड्राइटीस में सिर्फ पसलियों की कार्टिलेज में सूजन होती है. विशिष्ट या दुर्लभ परिस्तिथ्यों को छोड़ दिया जाय तो इसके कारण प्रभावित क्षेत्र में मवाद या पस जैसी स्थिति सामने नहीं आती हैं या फिर इसके कारण आसपास के क्षेत्रों में संक्रमण नहीं फैलता है. यदि ऐसे लक्षण या प्रभाव नजर आ रहे हों तो इसके लिए अन्य समस्याएं कारण हो सकती हैं. जैसे ट्यूमर, टीबी या किसी अन्य प्रकार का संक्रमण, गंभीर खांसी, हड्डियों से जुड़ी कुछ समस्याएं व संक्रमण आदि.
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जांच व निदान: डॉ हेम जोशी बताते हैं कि हालांकि कई मामलों में कॉस्टोकोंड्राइटीस का इलाज कुछ लंबा चल सकता है लेकिन अधिकांश मामलों में यह ठीक हो जाता है. दुर्लभ मामलों को छोड़ दिया जाय तो इसके कारण भविष्य में किसी प्रकार के स्वास्थ्य जोखिम का खतरा भी आमतौर पर नहीं होता है. वह बताते है कि इस समस्या के होने की पुष्टि ज्यादातर मामलों में पसलियों यानी छाती की हड्डियों तथा उनके आसपास छूने से तथा लक्षणों के आधार पर आराम से हो जाती है. लेकिन कभी कभी इसकी गंभीरता जांचने के लिए एमआरआई के लिए चिकित्सक निर्देशित कर सकते हैं.आमतौर पर कॉस्टोकोंड्राइटीस के इलाज में दर्द व सूजन से राहत के लिए एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स या अन्य दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है.
सावधानी: वह बताते हैं कि यदि किसी व्यक्ति में कॉस्टोकोंड्राइटीस के लक्षण नजर आ रहे हैं तो उन्हे तत्काल चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए. पीड़ित को चाहिए कि वह इलाज के साथ-साथ इस बात का भी ध्यान रखें कि कैसे समस्या या दर्द के प्रभाव को नियंत्रित कर सके. जैसे जिस समय दर्द ज्यादा हो उस समय ज्यादा मेहनत वाली ऐसी गतिविधियों से परहेज करें जिसमें छाती पर ज्यादा दबाव पड़े . जिससे दर्द बढ़ने या सांस संबंधी तथा अन्य परेशानियां ना हों .