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कोरोना से ठीक हुए मरीज फिजियोथेरेपी जरूर करवाएं : डॉ. राजीव

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Published : Sep 8, 2020, 5:28 PM IST

Updated : Sep 9, 2020, 9:47 AM IST

कोरोना मरीजों में ठीक होने के बाद भी कमजोरी और श्वास संबंधी तकलीफें देखी जा रही हैं. इसके लिए फिजियोथेरेपी के चिकित्सक का कहना है कि संक्रमण को झेल चुके लोगों को फिजियोथेरेपी कराना चाहिए, वहीं सांस फूलने पर चेस्ट फिजियोथेरेपी कराने की सलाह दी है. इसके साथ ही घुटनों, पीठ, कमर दर्द आदि शारीरिक समस्याओं से निपटने के लिए बिना दवा और सर्जरी किए फिजियोथेरेपी के जरिए इलाज किया जाता है.

Physician advised physiotherapy
चिकित्सक ने दी फिजियोथेरेपी की सलाह

पटना के चर्चित फिजियोथेरेपी डॉ. राजीव कुमार सिंह ने कहा कि फिजियोथेरेपी के जरिए अस्टियोअर्थराइटिस, स्पाइनल इंजरी जैसी जटिल बीमारियों का इलाज संभव है. साथ ही कोरोना संक्रमण से उबरे मरीजों को फिजियोथेरेपी जरूर करानी चाहिए. उन्होंने कहा कि फिजियोथेरेपी का कोई साइड एफेक्ट भी नहीं होता है. प्रत्येक साल आठ सितंबर को 'विश्व फिजियोथेरेपी दिवस' मनाया जाता है. उन्होंने आईएएनएस के साथ बातचीत में कहा कि फिजियोथेरेपी मेडिकल साइंस की ऐसी प्रणाली है, जिसकी सहायता से जटिल रोगों का इलाज आसानी से किया जाता है.

डॉ. राजीव बताते हैं कि आज पूरे विश्व में कोरोना संक्रमण का खतरा उत्पन्न हो गया है. ऐसे में फि जियोथेरेपी का महत्व और बढ़ गया है.

उन्होंने कहा, फिजियोथेरेपी कोरोना के संक्रमण को झेल चुके लोगों के लिए बेहद जरूरी है. कोरोना संक्रमण के कारण मरीजों के सीने और फेफड़ों में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. ऐसे में लोगों में सांस फूलने की शिकायत दिखे तो चेस्ट फिजियोथेरेपी बहुत कारगर हो सकता है. चेस्ट फिजियोथेरेपी का लाभ लेकर खुद को मरीज पूरी तरह से ठीक और तंदुरुस्त कर सकते हैं.'

उन्होंने कहा कि आज भाग दौड़ की जिंदगी में फिजियोथेरेपी आम जीवन में अति महत्वपूर्ण हो गया है, जहां बिना दवा के ज्यादातर बीमारियों को जड़ से समाप्त किया जा सकता है.

उन्होंने हालांकि, यह भी माना कि भारत में बहुत कम ही लोग इसके प्रति जागरुक हैं, जिस कारण इसका लाभ कम लोग ही उठा पा रहे हैं.

डॉ. सिंह बताते हैं कि फिजियोथेरेपी एक मॉर्डन चिकित्सा पद्धति है, जिसमें घुटनों, पीठ, कमर दर्द आदि कई शारीरिक समस्याओं से निपटने के लिए बिना दवा और सर्जरी के इलाज किया जाता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि फिजियोथेरेपी किसी प्रशिक्षित फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा ही करवाना चाहिए.

इसमें कई तरह के एक्सरसाइज के जरिए शरीर की मांसपेशियों को सही अनुपात में सक्रिय करने की कोशिश की जाती है.

उन्होंने कहा, अक्सर लोग बीच में ही फिजियोथेरेपी करवाना बंद कर देते हैं. ऐसा करने से आपको पूरा लाभ नहीं होगा. इसमें कई सेशन होते हैं, जिसे पूरा करना जरूरी है.'

उन्होंने कहा कि फिजियोथेरेपी किसी भी उम्र में ली जा सकती है. बच्चे, महिलाएं, लड़के, लड़कियां, बूढ़े सभी उम्र के लोग फिजियोथेरेपी ले सकते हैं.

उधर, इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आईजीआईएमएस) के फिजियोथेरेपी चिकित्सक डॉ. रत्नेश चौधरी भी कहते हैं कि ऐसा नहीं कि जो लोग पूरी तरह से स्वस्थ हैं, वो फिजियोथेरेपी का सेशन नहीं ले सकते हैं. उनके लिए भी यह लाभदायक है. इससे आपको किसी भी तरह का नुकसान नहीं होगा. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण से उबरने वाले व्यक्तियों के लिए भी यह फायदेमंद है.

पटना के चर्चित फिजियोथेरेपी डॉ. राजीव कुमार सिंह ने कहा कि फिजियोथेरेपी के जरिए अस्टियोअर्थराइटिस, स्पाइनल इंजरी जैसी जटिल बीमारियों का इलाज संभव है. साथ ही कोरोना संक्रमण से उबरे मरीजों को फिजियोथेरेपी जरूर करानी चाहिए. उन्होंने कहा कि फिजियोथेरेपी का कोई साइड एफेक्ट भी नहीं होता है. प्रत्येक साल आठ सितंबर को 'विश्व फिजियोथेरेपी दिवस' मनाया जाता है. उन्होंने आईएएनएस के साथ बातचीत में कहा कि फिजियोथेरेपी मेडिकल साइंस की ऐसी प्रणाली है, जिसकी सहायता से जटिल रोगों का इलाज आसानी से किया जाता है.

डॉ. राजीव बताते हैं कि आज पूरे विश्व में कोरोना संक्रमण का खतरा उत्पन्न हो गया है. ऐसे में फि जियोथेरेपी का महत्व और बढ़ गया है.

उन्होंने कहा, फिजियोथेरेपी कोरोना के संक्रमण को झेल चुके लोगों के लिए बेहद जरूरी है. कोरोना संक्रमण के कारण मरीजों के सीने और फेफड़ों में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. ऐसे में लोगों में सांस फूलने की शिकायत दिखे तो चेस्ट फिजियोथेरेपी बहुत कारगर हो सकता है. चेस्ट फिजियोथेरेपी का लाभ लेकर खुद को मरीज पूरी तरह से ठीक और तंदुरुस्त कर सकते हैं.'

उन्होंने कहा कि आज भाग दौड़ की जिंदगी में फिजियोथेरेपी आम जीवन में अति महत्वपूर्ण हो गया है, जहां बिना दवा के ज्यादातर बीमारियों को जड़ से समाप्त किया जा सकता है.

उन्होंने हालांकि, यह भी माना कि भारत में बहुत कम ही लोग इसके प्रति जागरुक हैं, जिस कारण इसका लाभ कम लोग ही उठा पा रहे हैं.

डॉ. सिंह बताते हैं कि फिजियोथेरेपी एक मॉर्डन चिकित्सा पद्धति है, जिसमें घुटनों, पीठ, कमर दर्द आदि कई शारीरिक समस्याओं से निपटने के लिए बिना दवा और सर्जरी के इलाज किया जाता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि फिजियोथेरेपी किसी प्रशिक्षित फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा ही करवाना चाहिए.

इसमें कई तरह के एक्सरसाइज के जरिए शरीर की मांसपेशियों को सही अनुपात में सक्रिय करने की कोशिश की जाती है.

उन्होंने कहा, अक्सर लोग बीच में ही फिजियोथेरेपी करवाना बंद कर देते हैं. ऐसा करने से आपको पूरा लाभ नहीं होगा. इसमें कई सेशन होते हैं, जिसे पूरा करना जरूरी है.'

उन्होंने कहा कि फिजियोथेरेपी किसी भी उम्र में ली जा सकती है. बच्चे, महिलाएं, लड़के, लड़कियां, बूढ़े सभी उम्र के लोग फिजियोथेरेपी ले सकते हैं.

उधर, इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आईजीआईएमएस) के फिजियोथेरेपी चिकित्सक डॉ. रत्नेश चौधरी भी कहते हैं कि ऐसा नहीं कि जो लोग पूरी तरह से स्वस्थ हैं, वो फिजियोथेरेपी का सेशन नहीं ले सकते हैं. उनके लिए भी यह लाभदायक है. इससे आपको किसी भी तरह का नुकसान नहीं होगा. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण से उबरने वाले व्यक्तियों के लिए भी यह फायदेमंद है.

Last Updated : Sep 9, 2020, 9:47 AM IST
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