संजीवनी सरीखा माना जाने वाला बुरांश, औषधीय गुणों की खान माना जाता है. बुरांश एक ऐसा पेड़ है जिसके फूल ना सिर्फ देखने सुंदर लगते हैं बल्कि उनमें तथा इस पेड़ की पत्तियों में ऐसे पोषक तत्व तथा औषधीय गुण पाए जाते हैं जो शरीर को स्वस्थ तथा रोगों से दूर रखते हैं. बुरांश के फूल जनवरी से मार्च माह में खिलते हैं. बुरांश का महत्व आयुर्वेद में भी काफी माना जाता है. आयुर्वेद के अनुसार बुरांश के फूलों का एक गिलास जूस रोज पीने से हृदय रोग सहित कई बीमारियों से लोग दूर रह सकते हैं.
बुरांश के पोषक तत्व
भारत में उत्तराखंड तथा हिमाचल के सुदूर पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाने रोडोडेन्ड्रोन प्रजाति के इस पेड़ पर उगने वाले लाल रंग वालें फूल में पोटेशियम, कैल्शियम, विटामिन-सी, आयरन, जिंक और कॉपर भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. जानकारों के अनुसार इसमें फेनॉल, सैपोनिन, जेंथोप्रोटीन, टैनीन तथा फ्लेवोनॉइड आदि फायटोकेमिकल्स पाए जाते हैं. इसके अलावा इसमें क्वेरसेटिन , रुटिन और कौमारिक एसिड जैसे एक्टिव कंपाउंड होते हैं. जो सेहत को कई तरह से फायदा पहुंचाते हैं. इन फूलों की पंखुड़ियों में क्विनिक एसिड पाया जाता है. जो कि स्वादिष्ट होने के साथ ही काफी फायदेमंद भी रहता है. बुरांश में एंटी डायबटिक, एंटी इंफ्लामेटरी और एंटी बैक्टीरियल गुण भी पाए जाते हैं.
बुरांश के फूलों का जूस या शर्बत तथा उनका तथा उसकी पत्तियों का चूर्ण बाजार में विशेषतौर पर आयुर्वेदिक औषधियों की दुकानों पर आसनी से उपलब्ध रहता है. लेकिन ऐसे स्थानों पर जहां बुरांश के फूल उगते हैं, वहाँ के लोग चटनीं या अन्य प्रकार के आहार के रूप में भी इसका इस्तेमाल करते हैं
बुरांश के सेहत के लिए फायदे
आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाओं में बुरांश के फूलों और उसकी पत्तियों, दोनों का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें पाए जाने एंटीइन्फलेमेटरी गुणों से चलते इन इसका इस्तेमाल गाउट, रुमेटिस्म, ब्रोंकाइटिस और अर्थराइटिस के इलाज के लिए किया जाता है.
मुंबई के निरोग आयुर्वेदिक चिकित्सालय की विशेषज्ञ डॉ मनीषा काले के अनुसार बुरांश का सेवन एनीमिया यानी खून की कमी को दूर करने, हड्डियों को मजबूत बनाने तथा कमजोरी दूर करने में काफी उपयोगी रहता है . इसके अलावा पाचन में समस्या के चलते या गलत आहार खाने के चलते शरीर में होने वाली ज्वलनशीलता तथा उसके परिणामस्वरूप त्वचा , गले या पेट में जलन होने पर भी बुरांश का सेवन काफी राहत देता है. यहीं नहीं बुरांश में एंटी-हिपेरग्लिसेमिक गुण पाया जाता है. जो कि रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है. इसीलिए कई बार मधुमेह के रोगियों को बुरांश के फूलों का जूस पीने की सलाह दी जाती है.
इसमें अलावा बुरांश के फूलों तथा पत्तियों का इस्तेमाल प्रोस्टेट, किडनी की समस्याओं , यूरिनरी ब्लेडर की सूजन, मुंह में छालों या अल्सर तथा गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रेक्ट के इलाज में भी किया जाता है. डॉ काले बताती हैं कि बुरांश के फूलों का जूस शरीर में पोषण की कमी को पूरा करता है तथा शरीर की कार्य क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है.
कोरोना के इलाज में भी फायदेमंद
बुरांश के फ़ायदों को लेकर कई शोध भी किए जा चुके हैं. इन्ही में से एक में हाल में यह भी सामने आया था कि बुरांश का इस्तेमाल कोरोना से बचाव तथा उसके इलाज में भी किया जा सकता है. बायोमोलेक्यूलर स्ट्रक्चर एंड डायनेमिक्स नामक जर्नल में प्रकाशित आईआईटी मंडी और नई दिल्ली के इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी के इस शोध में माना गया है कि बुरांश के फूल कोरोना से रोकथाम में भी मदद करते हैं. इस शोध के शोध कर्ताओं के अनुसार बुरांश की पंखुड़ियों में मिलने वाले फाइटोकेमिकल्स से कोविड-19 के संक्रमण के इलाज में मदद मिल सकती है.