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क्या हैं विटामिन्स और खनिजों के लाभ और स्रोत? - vitamins food

विटामिन और खनिज समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं और उनकी कमी शरीर के सामान्य कामकाज को बाधित कर सकती है। तो आइये देखते हैं कुछ ज़रूरी खानिज और विटामिन, उनके लाभ और हमारे शरीर को यह कहाँ से मिल सकते हैं।

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विटामिन्स और खनिजों
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Published : Sep 7, 2021, 4:05 PM IST

विटामिन

यह हमारे शरीर के विकास और तंत्रों के संचालन के लिए बहुत जरूरी होता है। शरीर को विभिन्न विटामिस की थोड़ी-थोड़ी मात्रा की आवश्यकता होती है। विटामिन के विभिन्न प्रकार और उनके स्त्रोत्र इस प्रकार हैं।

  • बी 1 - अनाज और चावल, सूअर का मांस, ट्राउट, काली बीन्स
  • बी 2 - बीफ जिगर, नाश्ता अनाज, जई, दही, मशरूम, बादाम
  • बी 3- बीफ़ लिवर, चिकन ब्रेस्ट, ब्राउन राइस, गढ़वाले अनाज, मूंगफली।
  • बी 5- नाश्ता अनाज, बीफ जिगर, शीटकेक मशरूम, सूरजमुखी के बीज
  • बी 6- छोले, बीफ लिवर, टूना, चिकन ब्रेस्ट, गढ़वाले अनाज, आलू
  • बी 7- बीफ जिगर, अंडा, सामन, सूरजमुखी के बीज, शकरकंद
  • बी 9- बीफ जिगर, पालक, काली आंखों वाले मटर, गढ़वाले अनाज, शतावरी
  • बी 12- क्लैम, बीफ लिवर, फोर्टिफाइड यीस्ट, प्लांट मिल्क, और ब्रेकफास्ट सीरियल्स, कुछ तैलीय मछली।
  • विटामिन सी- खट्टे फल, जामुन, लाल और हरी मिर्च, कीवी फल, ब्रोकली, पके हुए आलू, फोर्टिफाइड जूस शामिल हैं।
  • विटामिन ए- शकरकंद, बीफ लिवर, पालक, और अन्य गहरे पत्तेदार साग, गाजर, विंटर स्क्वैश
  • विटामिन डी- कॉड लिवर ऑयल, तैलीय मछली, डेयरी उत्पाद, फोर्टिफाइड जूस
  • विटामिन ई- गेहूं, नट, बीज, सूरजमुखी और कुसुम तेल, पालक
  • विटामिन के- पत्तेदार हरी सब्जियां, सोयाबीन, एडामे, भिंडी, कीवी

खनिज पदार्थ

मिनरल्स यानी खनिज के बिना हमारा शरीर न तो त्वचा, मांसपेशियों, ऊतकों और लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण कर पाएगा और न ही ऑक्सीजन शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंच पाएगी। मस्तिष्क और विभिन्न अंगों के बीच जो संदेशों का आदान-प्रदान होता है, वो भी शरीर में खनिज पदार्थों के संतुलन के कारण ही हो पाता है। शरीर के लिए पांच महत्त्वपूर्ण तत्त्व कैल्शियम, मैग्नेशियम, फ़ास्फ़ोरस, पोटाशियम और सोडियम अत्यावश्वक होता हैं। इनके अलावा अन्य महत्वपूर्ण खनिज तत्व हैं, क्रोमियम, तांबा, आयोडिन, लोहा, मैगनीज और जस्ता।

  • पोटैशियम - यह गुर्दे, हृदय, मांसपेशियों और तंत्रिकाओं को ठीक से काम करने में सक्षम बनाता है। इसकी कमी से निम्न रक्तचाप, स्ट्रोक और गुर्दे की पथरी की समस्या हो सकती है। एवोकाडो, नारियल पानी, केला, सूखे मेवे, स्क्वैश, बीन्स और दाल इसके अच्छे स्रोत हैं।
  • सोडियम- यह तंत्रिका और मांसपेशियों के कार्य को बनाए रखने, शरीर में द्रव के स्तर को नियंत्रित करने का कार्य करता है। इसके ज्यादा उपयोग से उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। नमक इसका मुख्य स्त्रोत्र होता है। विशेषज्ञ एक दिन में 2,300 मिलीग्राम सोडियम या लगभग एक चम्मच, किन्तु इससे अधिक ना लेने की सलाह देते हैं।
  • कैल्शियम- यह हड्डियों के स्वास्थ्य, तंत्रिका तंत्र, हृदय स्वास्थ्य और अन्य तंत्रों के संचालन में भी मदद करता है। इसकी कमी हड्डियों और दांतों में कमजोरी, रोग व समस्याएं, बहुत अधिक कब्ज, गुर्दे की पथरी और अन्य खनिजों के कम अवशोषण का कारण बन सकता है। कैल्शियम के अच्छे स्रोतों में डेयरी उत्पाद, टोफू, फलियां और हरी पत्तेदार सब्जियां शामिल हैं।
  • फास्फोरस- यह शरीर की सभी कोशिकाओं में मौजूद होता है और हड्डियों और दांतों के स्वास्थ्य में योगदान देता है। फास्फोरस की कमी से एनीमिया, संक्रमण का एक उच्च जोखिम, त्वचा में जलन या चुभन और भ्रम की स्थिति भी हो सकती है। इसके प्रमुख स्रोतों में डेयरी उत्पाद, सैल्मन, दाल और काजू शामिल हैं।
  • मैगनीशियम- यह मांसपेशियों और तंत्रिका कार्य में योगदान देता है और रक्तचाप और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने तथा शरीर को प्रोटीन, हड्डी और डीएनए का उत्पादन करने में सक्षम बनाता है। मैग्नीशियम की कमी होने पर कमजोरी, मतली, थकान, बेचैन पैर, नींद की स्थिति और अन्य लक्षण नजर आ सकते हैं। मेवे, पालक और बीन्स मैग्नीशियम के अच्छे स्रोत हैं।
  • जस्ता/जिंक – यह शरीर की कोशिकाओं के स्वास्थ्य, प्रतिरक्षा प्रणाली, घाव भरने और प्रोटीन के निर्माण में भूमिका निभाता है। इसकी कमी बालों के झड़ने, त्वचा के घावों, स्वाद या गंध में बदलाव और दस्त तथा अन्य पाचन समस्याओं और सिरदर्द का कारण बन सकता है। इसके प्रमुख आहार स्रोतों में सीप, बीफ, अनाज और बेक्ड बीन्स शामिल हैं।
  • लोहा/ आयरन- लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण के लिए आयरन महत्वपूर्ण है, जो शरीर के सभी भागों में ऑक्सीजन ले जाने, संयोजी ऊतक बनाने और हार्मोन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लोहे की कमी से एनीमिया हो सकता है, जिसमें पाचन संबंधी समस्याएं, कमजोरी और सोचने में कठिनाई जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अच्छे स्रोतों में साबूत अनाज, बीफ लिवर, दाल, पालक और टोफू शामिल हैं।
  • मैंगनीज- शरीर में ऊर्जा के लिए तथा रक्त में थक्को को नियंत्रित करने तथा प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाए रखने में यह उपयोगी होता है। इसकी कमी से बच्चों में कमजोर हड्डियों, पुरुषों में त्वचा पर चकत्ते और महिलाओं में मूड में बदलाव की समस्या देखने में आती है। मसल्स, हेज़लनट्स, ब्राउन राइस, छोले और पालक मैंगनीज के स्त्रोत्र होते हैं।
  • तांबा- कॉपर शरीर को ऊर्जा बनाने और संयोजी ऊतकों और रक्त वाहिकाओं का उत्पादन करने में मदद करता है। इसकी कमी से शरीर में थकान, त्वचा पर धब्बे, उच्च कोलेस्ट्रॉल और संयोजी ऊतक विकार हो सकते हैं। वहीं शरीर में इसकी अधिकता होने पर ह्रदय में समस्या, पेट दर्द, मतली और दस्त हो सकता है। बहुत अधिक तांबा भी जस्ता के अवशोषण को कम करता है। इसके अच्छे स्रोतों में बीफ लिवर, सीप, आलू, मशरूम, तिल और सूरजमुखी के बीज शामिल हैं।
  • सेलेनियम- सेलेनियम 24 से अधिक सेलेनोप्रोटीन से बनता है जो प्रजनन और थायराइड स्वास्थ्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में, यह कोशिका क्षति को भी रोक सकता है लेकिन बहुत अधिक सेलेनियम सांस में बदबू, दस्त, चिड़चिड़ापन, त्वचा पर चकत्ते तथा बाल और नाखून की समस्या जैसे लक्षण पैदा कर सकता है। इसकी कमी हृदय रोग, पुरुषों में बांझपन और गठिया का कारण बन सकते हैं। ब्राजील नट्स, पालक, दलिया, बेक्ड बीन्स, टूना, हैम और पौष्टिक मैकरोनी इसके उत्कृष्ट स्रोत हैं।

पढ़ें: साबुत अनाज यानी मिल्लेट्स से कम करें हृदय रोग का खतरा

विटामिन

यह हमारे शरीर के विकास और तंत्रों के संचालन के लिए बहुत जरूरी होता है। शरीर को विभिन्न विटामिस की थोड़ी-थोड़ी मात्रा की आवश्यकता होती है। विटामिन के विभिन्न प्रकार और उनके स्त्रोत्र इस प्रकार हैं।

  • बी 1 - अनाज और चावल, सूअर का मांस, ट्राउट, काली बीन्स
  • बी 2 - बीफ जिगर, नाश्ता अनाज, जई, दही, मशरूम, बादाम
  • बी 3- बीफ़ लिवर, चिकन ब्रेस्ट, ब्राउन राइस, गढ़वाले अनाज, मूंगफली।
  • बी 5- नाश्ता अनाज, बीफ जिगर, शीटकेक मशरूम, सूरजमुखी के बीज
  • बी 6- छोले, बीफ लिवर, टूना, चिकन ब्रेस्ट, गढ़वाले अनाज, आलू
  • बी 7- बीफ जिगर, अंडा, सामन, सूरजमुखी के बीज, शकरकंद
  • बी 9- बीफ जिगर, पालक, काली आंखों वाले मटर, गढ़वाले अनाज, शतावरी
  • बी 12- क्लैम, बीफ लिवर, फोर्टिफाइड यीस्ट, प्लांट मिल्क, और ब्रेकफास्ट सीरियल्स, कुछ तैलीय मछली।
  • विटामिन सी- खट्टे फल, जामुन, लाल और हरी मिर्च, कीवी फल, ब्रोकली, पके हुए आलू, फोर्टिफाइड जूस शामिल हैं।
  • विटामिन ए- शकरकंद, बीफ लिवर, पालक, और अन्य गहरे पत्तेदार साग, गाजर, विंटर स्क्वैश
  • विटामिन डी- कॉड लिवर ऑयल, तैलीय मछली, डेयरी उत्पाद, फोर्टिफाइड जूस
  • विटामिन ई- गेहूं, नट, बीज, सूरजमुखी और कुसुम तेल, पालक
  • विटामिन के- पत्तेदार हरी सब्जियां, सोयाबीन, एडामे, भिंडी, कीवी

खनिज पदार्थ

मिनरल्स यानी खनिज के बिना हमारा शरीर न तो त्वचा, मांसपेशियों, ऊतकों और लाल रक्त कणिकाओं का निर्माण कर पाएगा और न ही ऑक्सीजन शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंच पाएगी। मस्तिष्क और विभिन्न अंगों के बीच जो संदेशों का आदान-प्रदान होता है, वो भी शरीर में खनिज पदार्थों के संतुलन के कारण ही हो पाता है। शरीर के लिए पांच महत्त्वपूर्ण तत्त्व कैल्शियम, मैग्नेशियम, फ़ास्फ़ोरस, पोटाशियम और सोडियम अत्यावश्वक होता हैं। इनके अलावा अन्य महत्वपूर्ण खनिज तत्व हैं, क्रोमियम, तांबा, आयोडिन, लोहा, मैगनीज और जस्ता।

  • पोटैशियम - यह गुर्दे, हृदय, मांसपेशियों और तंत्रिकाओं को ठीक से काम करने में सक्षम बनाता है। इसकी कमी से निम्न रक्तचाप, स्ट्रोक और गुर्दे की पथरी की समस्या हो सकती है। एवोकाडो, नारियल पानी, केला, सूखे मेवे, स्क्वैश, बीन्स और दाल इसके अच्छे स्रोत हैं।
  • सोडियम- यह तंत्रिका और मांसपेशियों के कार्य को बनाए रखने, शरीर में द्रव के स्तर को नियंत्रित करने का कार्य करता है। इसके ज्यादा उपयोग से उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। नमक इसका मुख्य स्त्रोत्र होता है। विशेषज्ञ एक दिन में 2,300 मिलीग्राम सोडियम या लगभग एक चम्मच, किन्तु इससे अधिक ना लेने की सलाह देते हैं।
  • कैल्शियम- यह हड्डियों के स्वास्थ्य, तंत्रिका तंत्र, हृदय स्वास्थ्य और अन्य तंत्रों के संचालन में भी मदद करता है। इसकी कमी हड्डियों और दांतों में कमजोरी, रोग व समस्याएं, बहुत अधिक कब्ज, गुर्दे की पथरी और अन्य खनिजों के कम अवशोषण का कारण बन सकता है। कैल्शियम के अच्छे स्रोतों में डेयरी उत्पाद, टोफू, फलियां और हरी पत्तेदार सब्जियां शामिल हैं।
  • फास्फोरस- यह शरीर की सभी कोशिकाओं में मौजूद होता है और हड्डियों और दांतों के स्वास्थ्य में योगदान देता है। फास्फोरस की कमी से एनीमिया, संक्रमण का एक उच्च जोखिम, त्वचा में जलन या चुभन और भ्रम की स्थिति भी हो सकती है। इसके प्रमुख स्रोतों में डेयरी उत्पाद, सैल्मन, दाल और काजू शामिल हैं।
  • मैगनीशियम- यह मांसपेशियों और तंत्रिका कार्य में योगदान देता है और रक्तचाप और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने तथा शरीर को प्रोटीन, हड्डी और डीएनए का उत्पादन करने में सक्षम बनाता है। मैग्नीशियम की कमी होने पर कमजोरी, मतली, थकान, बेचैन पैर, नींद की स्थिति और अन्य लक्षण नजर आ सकते हैं। मेवे, पालक और बीन्स मैग्नीशियम के अच्छे स्रोत हैं।
  • जस्ता/जिंक – यह शरीर की कोशिकाओं के स्वास्थ्य, प्रतिरक्षा प्रणाली, घाव भरने और प्रोटीन के निर्माण में भूमिका निभाता है। इसकी कमी बालों के झड़ने, त्वचा के घावों, स्वाद या गंध में बदलाव और दस्त तथा अन्य पाचन समस्याओं और सिरदर्द का कारण बन सकता है। इसके प्रमुख आहार स्रोतों में सीप, बीफ, अनाज और बेक्ड बीन्स शामिल हैं।
  • लोहा/ आयरन- लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण के लिए आयरन महत्वपूर्ण है, जो शरीर के सभी भागों में ऑक्सीजन ले जाने, संयोजी ऊतक बनाने और हार्मोन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लोहे की कमी से एनीमिया हो सकता है, जिसमें पाचन संबंधी समस्याएं, कमजोरी और सोचने में कठिनाई जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अच्छे स्रोतों में साबूत अनाज, बीफ लिवर, दाल, पालक और टोफू शामिल हैं।
  • मैंगनीज- शरीर में ऊर्जा के लिए तथा रक्त में थक्को को नियंत्रित करने तथा प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाए रखने में यह उपयोगी होता है। इसकी कमी से बच्चों में कमजोर हड्डियों, पुरुषों में त्वचा पर चकत्ते और महिलाओं में मूड में बदलाव की समस्या देखने में आती है। मसल्स, हेज़लनट्स, ब्राउन राइस, छोले और पालक मैंगनीज के स्त्रोत्र होते हैं।
  • तांबा- कॉपर शरीर को ऊर्जा बनाने और संयोजी ऊतकों और रक्त वाहिकाओं का उत्पादन करने में मदद करता है। इसकी कमी से शरीर में थकान, त्वचा पर धब्बे, उच्च कोलेस्ट्रॉल और संयोजी ऊतक विकार हो सकते हैं। वहीं शरीर में इसकी अधिकता होने पर ह्रदय में समस्या, पेट दर्द, मतली और दस्त हो सकता है। बहुत अधिक तांबा भी जस्ता के अवशोषण को कम करता है। इसके अच्छे स्रोतों में बीफ लिवर, सीप, आलू, मशरूम, तिल और सूरजमुखी के बीज शामिल हैं।
  • सेलेनियम- सेलेनियम 24 से अधिक सेलेनोप्रोटीन से बनता है जो प्रजनन और थायराइड स्वास्थ्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में, यह कोशिका क्षति को भी रोक सकता है लेकिन बहुत अधिक सेलेनियम सांस में बदबू, दस्त, चिड़चिड़ापन, त्वचा पर चकत्ते तथा बाल और नाखून की समस्या जैसे लक्षण पैदा कर सकता है। इसकी कमी हृदय रोग, पुरुषों में बांझपन और गठिया का कारण बन सकते हैं। ब्राजील नट्स, पालक, दलिया, बेक्ड बीन्स, टूना, हैम और पौष्टिक मैकरोनी इसके उत्कृष्ट स्रोत हैं।

पढ़ें: साबुत अनाज यानी मिल्लेट्स से कम करें हृदय रोग का खतरा

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