ETV Bharat / sukhibhava

मुंह के स्वास्थ्य की अनदेखी ना करें : विश्व मौखिक स्वास्थ्य दिवस - स्वास्थ्य

अपने मौखिक स्वास्थ्य को हर परिस्थिति में बेहतर रखने हेतू प्रयास करने के लिए लोगों को प्रेरित तथा जागरूक करने के उद्देश्य से हर वर्ष 20 मार्च को 'विश्व मौखिक स्वास्थ्य दिवस' मनाया जाता है।

Be proud of your mouth
बी प्राउड ऑफ योर माउथ
author img

By

Published : Mar 20, 2021, 12:06 PM IST

Updated : Mar 20, 2021, 12:22 PM IST

उम्र चाहे कोई भी हो हमारे मुंह की समस्याएं हमें कभी भी परेशान कर सकती है। ध्यान ना देने पर ये समस्याएं कभी-कभी गंभीर और जानलेवा रोगों में भी बदल सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वैश्विक स्तर पर लगभग 3.5 बिलियन लोग मुंह की समस्याओं से पीड़ित हैं। जिनमें से लगभग 530 मिलियन से ज्यादा बच्चे सफाई की कमी या अन्य कारणों से दांतों की समस्याओं का सामना कर रहें हैं। विश्व भर में लोगों को उनके मुंह के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से हर साल 20 मार्च को 'विश्व मौखिक स्वास्थ्य दिवस' मनाया जाता हैं। एफडीआई यानि वर्ल्ड डेंटल फेडरेशन के तत्वावधान में आयोजित होने वाला यह विशेष दिवस इस वर्ष 'बी प्राउड ऑफ योर माउथ' विषय पर मनाया जा रहा है।

मौखिक स्वास्थ्य

हमारे मौखिक स्वास्थ्य यानि मुंह के सभी अंगों का स्वस्थ रहना उतना ही जरूरी है, जितना शरीर के बाकी अंगों का। डब्ल्यूएचओ के अनुसार किसी भी प्रकार की मुंह की समस्याओं, रोग व संक्रमण के कारण से चेहरे के किसी भी भाग में दर्द, मुंह या गले का संक्रमण, मसूड़ों संबंधित रोग, दांतों में दर्द या रोग, तथा मुंह के किसी भी अंग से जुड़ा कैंसर व अन्य ऐसे गंभीर रोग तथा विकार मुंह के स्वास्थ्य की श्रेणी में आते हैं, जिनके कारण व्यक्ति के भोजन चबाने, निगलने, मुस्कुराने तथा बात करने में परेशानी होती है।

मौखिक स्वास्थ्य में समस्या होने पर सामान्य स्वास्थ्य पर पड़ने वाला असर

इंडियन डेंटल एसोसिएशन (आईडीए) की माने तो हमारे मुंह में समस्या होने पर हमारे सम्पूर्ण स्वास्थ्य पर भी उसके नकारात्मक असर देखने में आते हैं। मौखिक स्वास्थ्य में समस्या होने पर हमारे सामान्य स्वास्थ्य पर नजर आने वाली कुछ विशेष समस्याएं इस प्रकार हैं;

  1. हृदय रोग - मसूड़ों में रोग तथा समस्या होने पर लोगों में दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता हैं। यही नहीं जो लोग पहले से हृदय रोग से पीड़ित हो, उनके लिए मुंह के स्वास्थ्य को बनाए रखना बहुत जरूरी हो जाता है, क्योंकि ऐसा ना करने पर उनके रोग की गंभीरता बढ़ सकती है।
  2. स्ट्रोक - विभिन्न शोधों के नतीजे बताते हैं की मुंह में संक्रमण बढ़ जाने पर व्यक्ति में स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
  3. मधुमेह - मधुमेह के रोगियों के लिए मुंह का स्वास्थ्य बनाए रखना बेहद जरूरी है, क्योंकि ऐसा ना करने पर ना सिर्फ उनके रक्त में शर्करा बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है, बल्कि उनके मसूड़ों में रोग होने की आशंका भी बढ़ जाती है।
  4. श्वसन रोग - मौखिक संक्रमण से पीड़ित लोगों में आमतौर पर गंभीर श्वसन संबंधी रोग होने की आशंका रहती है, जैसे निमोनिया, फ्लू आदि।
  5. समय से पूर्व बच्चे का जन्म - जानकार मानते हैं है की यदि गर्भवती माता के मसूड़े संक्रमित या किसी रोग से ग्रसित हो, तो बच्चे के समय से पूर्व जन्म लेने की आशंका बढ़ जाती है। मसूड़ों में रोग होने की अवस्था में उनमें ऐसे बैक्टीरिया सक्रिय हो जाते हैं, जो महिला में उन बायोलॉजीकल फ्लूएड को प्रभावित करते हैं, जो महिला में समय से पूर्व जच्चगी के लिए जिम्मेदार होते हैं।

मौखिक स्वास्थ्य से जुड़ी आम समस्याएं

मौखिक स्वास्थ्य की श्रेणी में आने वाली प्रचलित समस्याएं इस प्रकार हैं;

  • दांतों में दर्द
  • दांतों में कीड़े लगना
  • दांतों पर धब्बे या उनका पीला होना
  • दांतों में दरार आना या उनका टूट जाना
  • दांतों में संक्रमण
  • मसूड़ों में संक्रमण या रोग
  • मुंह का कैंसर
  • मुंह में छाले
  • मुंह की बदबू

कैसे करें बचाव

उम्र के हर पड़ाव में दांतों की सुरक्षा जरूरी है। आईडीए की तरफ से हर उम्र के लोगों के लिए मौखिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए जरूरी निर्देश बताये गए हैं, जो इस प्रकार हैं;

  • नवजात तथा दुधमुंहे बच्चे
  1. जब बच्चों के दांत निकालने शुरू होते है, तब एक बार उन्हें चिकित्सक को अवश्य दिखाएं।
  2. नवजात से लेकर जब तक बच्चों के दांत ना निकले रूई या सूती जैसे मुलायम कपड़े से बच्चे के मसूड़ों की नियमित सफाई करें।
  3. दांत निकालने के उपरांत जहां तक संभव हो दूध पीने, कुछ खाने तथा सोने से पहले विशेष तौर पर बच्चों के मुलायम ब्रश पर मटर के दाने जितना पेस्ट लगाकर उसके दांत साफ करें।
  4. यदि बच्चा बोतल से दूध पीता है, तो उसकी बोतल की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें।
  • बच्चे
  1. हर छह माह में दांतों की चिकित्सक द्वारा जांच और सफाई जरूरी है।
  2. बच्चों को सही ढंग से ब्रश करना तथा दांतों को फ्लॉस करना आना चाहिए।
  3. बच्चों को चिप्स, कुकीज तथा आइसक्रीम, जहां तक संभव हो देने से बचे।
  4. बच्चों को घर का बना ताजा और संतुलित भोजन ग्रहण करने की आदत डालें।
  5. बच्चों के दांतों की सही स्थिति जानने के लिए ऑर्थोडॉन्टिक जांच करवाए। कई चिकित्सक मानते हैं की सात वर्ष की आयु में एक बार बच्चों की ऑर्थोडॉन्टिक जांच होना जरूरी है।
  6. पीने तथा कुल्ला करने वाले पानी में फ्लूरोइड की मात्रा जांचे। ज्यादा फ्लूरोइड वाले पानी के इस्तेमाल से बच्चों के दातों में डेंटल फ्लूरोसिस होने की आशंका तो रहती ही है, साथ ही दांतों में कैविटी जमने का खतरा भी बढ़ जाता है। पानी में फ्लूरोइड की मात्रा ज्यादा होने पर चिकित्सक से फ्लूरोइड ट्रीटमेंट के बारे में जानकारी ली जा सकती है।
  • किशोर
  1. हर छह माह में चिकित्सक द्वारा दांतों की जांच तथा सफाई करवाएं।
  2. दांतों को नियमित रूप से ब्रश और फ्लॉस(दांतों के बीच की सफाई) करें।
  3. सोडा या एनर्जी ड्रिंक पीने की बजाय स्वास्थकारी पेय पदार्थों का सेवन करें।
  4. संतुलित आहार ग्रहण करें।
  5. यदि किशोर या किशोरी खिलाड़ी हैं की चिकित्सक के माउथ गार्ड के बारे में जानकारी लेकर खेलते समय उसका इस्तेमाल करें।
  • वयस्क
  1. दंत चिकित्सक से नियमित जांच करवाएं।
  2. दांतों को नियमित रूप से ब्रश और फ्लॉस(दांतों के बीच की सफाई) करें।
  3. फास्ट फूड तथा शर्करा की अधिकता वाला अस्वास्थकारी भोजन ग्रहण करने से बचे और पौष्टिक व संतुलित भोजन को अपनाएं।
  4. नियमित व्यायाम भी दांतों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। कई शोध के नतीजे बताते हैं की सही भोजन तथा नियमित व्यायाम पीरियडॉन्टिक्स जैसे मसूड़ों के गंभीर रोग होने का खतरा 40 प्रतिशत तक कम कर देते हैं।

पढ़े: घरेलू नुस्खों से दूर करें मुंह की बदबू

  • बुजुर्ग
  1. दंत चिकित्सक से नियमित जांच करवाएं।
  2. जबड़ों की सेहत और स्वास्थ्य के लिए चिकित्सक की मदद लें। यदि जबड़ों में किसी भी प्रकार की असहजता होती है, अपने आप डेन्चर किट का उपयोग करने की बजाय चिकित्सक को दिखाएं।
  3. जरूरत महसूस होने पर इलेक्ट्रॉनिक टूथब्रश का इस्टेमाल करें।
  4. दांत गिरने की अवस्था में चिकित्सक द्वारा नकली दांत तथा डेन्चर बनवा कर लगवाया जा सकता है।

उम्र चाहे कोई भी हो हमारे मुंह की समस्याएं हमें कभी भी परेशान कर सकती है। ध्यान ना देने पर ये समस्याएं कभी-कभी गंभीर और जानलेवा रोगों में भी बदल सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वैश्विक स्तर पर लगभग 3.5 बिलियन लोग मुंह की समस्याओं से पीड़ित हैं। जिनमें से लगभग 530 मिलियन से ज्यादा बच्चे सफाई की कमी या अन्य कारणों से दांतों की समस्याओं का सामना कर रहें हैं। विश्व भर में लोगों को उनके मुंह के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से हर साल 20 मार्च को 'विश्व मौखिक स्वास्थ्य दिवस' मनाया जाता हैं। एफडीआई यानि वर्ल्ड डेंटल फेडरेशन के तत्वावधान में आयोजित होने वाला यह विशेष दिवस इस वर्ष 'बी प्राउड ऑफ योर माउथ' विषय पर मनाया जा रहा है।

मौखिक स्वास्थ्य

हमारे मौखिक स्वास्थ्य यानि मुंह के सभी अंगों का स्वस्थ रहना उतना ही जरूरी है, जितना शरीर के बाकी अंगों का। डब्ल्यूएचओ के अनुसार किसी भी प्रकार की मुंह की समस्याओं, रोग व संक्रमण के कारण से चेहरे के किसी भी भाग में दर्द, मुंह या गले का संक्रमण, मसूड़ों संबंधित रोग, दांतों में दर्द या रोग, तथा मुंह के किसी भी अंग से जुड़ा कैंसर व अन्य ऐसे गंभीर रोग तथा विकार मुंह के स्वास्थ्य की श्रेणी में आते हैं, जिनके कारण व्यक्ति के भोजन चबाने, निगलने, मुस्कुराने तथा बात करने में परेशानी होती है।

मौखिक स्वास्थ्य में समस्या होने पर सामान्य स्वास्थ्य पर पड़ने वाला असर

इंडियन डेंटल एसोसिएशन (आईडीए) की माने तो हमारे मुंह में समस्या होने पर हमारे सम्पूर्ण स्वास्थ्य पर भी उसके नकारात्मक असर देखने में आते हैं। मौखिक स्वास्थ्य में समस्या होने पर हमारे सामान्य स्वास्थ्य पर नजर आने वाली कुछ विशेष समस्याएं इस प्रकार हैं;

  1. हृदय रोग - मसूड़ों में रोग तथा समस्या होने पर लोगों में दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता हैं। यही नहीं जो लोग पहले से हृदय रोग से पीड़ित हो, उनके लिए मुंह के स्वास्थ्य को बनाए रखना बहुत जरूरी हो जाता है, क्योंकि ऐसा ना करने पर उनके रोग की गंभीरता बढ़ सकती है।
  2. स्ट्रोक - विभिन्न शोधों के नतीजे बताते हैं की मुंह में संक्रमण बढ़ जाने पर व्यक्ति में स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
  3. मधुमेह - मधुमेह के रोगियों के लिए मुंह का स्वास्थ्य बनाए रखना बेहद जरूरी है, क्योंकि ऐसा ना करने पर ना सिर्फ उनके रक्त में शर्करा बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है, बल्कि उनके मसूड़ों में रोग होने की आशंका भी बढ़ जाती है।
  4. श्वसन रोग - मौखिक संक्रमण से पीड़ित लोगों में आमतौर पर गंभीर श्वसन संबंधी रोग होने की आशंका रहती है, जैसे निमोनिया, फ्लू आदि।
  5. समय से पूर्व बच्चे का जन्म - जानकार मानते हैं है की यदि गर्भवती माता के मसूड़े संक्रमित या किसी रोग से ग्रसित हो, तो बच्चे के समय से पूर्व जन्म लेने की आशंका बढ़ जाती है। मसूड़ों में रोग होने की अवस्था में उनमें ऐसे बैक्टीरिया सक्रिय हो जाते हैं, जो महिला में उन बायोलॉजीकल फ्लूएड को प्रभावित करते हैं, जो महिला में समय से पूर्व जच्चगी के लिए जिम्मेदार होते हैं।

मौखिक स्वास्थ्य से जुड़ी आम समस्याएं

मौखिक स्वास्थ्य की श्रेणी में आने वाली प्रचलित समस्याएं इस प्रकार हैं;

  • दांतों में दर्द
  • दांतों में कीड़े लगना
  • दांतों पर धब्बे या उनका पीला होना
  • दांतों में दरार आना या उनका टूट जाना
  • दांतों में संक्रमण
  • मसूड़ों में संक्रमण या रोग
  • मुंह का कैंसर
  • मुंह में छाले
  • मुंह की बदबू

कैसे करें बचाव

उम्र के हर पड़ाव में दांतों की सुरक्षा जरूरी है। आईडीए की तरफ से हर उम्र के लोगों के लिए मौखिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए जरूरी निर्देश बताये गए हैं, जो इस प्रकार हैं;

  • नवजात तथा दुधमुंहे बच्चे
  1. जब बच्चों के दांत निकालने शुरू होते है, तब एक बार उन्हें चिकित्सक को अवश्य दिखाएं।
  2. नवजात से लेकर जब तक बच्चों के दांत ना निकले रूई या सूती जैसे मुलायम कपड़े से बच्चे के मसूड़ों की नियमित सफाई करें।
  3. दांत निकालने के उपरांत जहां तक संभव हो दूध पीने, कुछ खाने तथा सोने से पहले विशेष तौर पर बच्चों के मुलायम ब्रश पर मटर के दाने जितना पेस्ट लगाकर उसके दांत साफ करें।
  4. यदि बच्चा बोतल से दूध पीता है, तो उसकी बोतल की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें।
  • बच्चे
  1. हर छह माह में दांतों की चिकित्सक द्वारा जांच और सफाई जरूरी है।
  2. बच्चों को सही ढंग से ब्रश करना तथा दांतों को फ्लॉस करना आना चाहिए।
  3. बच्चों को चिप्स, कुकीज तथा आइसक्रीम, जहां तक संभव हो देने से बचे।
  4. बच्चों को घर का बना ताजा और संतुलित भोजन ग्रहण करने की आदत डालें।
  5. बच्चों के दांतों की सही स्थिति जानने के लिए ऑर्थोडॉन्टिक जांच करवाए। कई चिकित्सक मानते हैं की सात वर्ष की आयु में एक बार बच्चों की ऑर्थोडॉन्टिक जांच होना जरूरी है।
  6. पीने तथा कुल्ला करने वाले पानी में फ्लूरोइड की मात्रा जांचे। ज्यादा फ्लूरोइड वाले पानी के इस्तेमाल से बच्चों के दातों में डेंटल फ्लूरोसिस होने की आशंका तो रहती ही है, साथ ही दांतों में कैविटी जमने का खतरा भी बढ़ जाता है। पानी में फ्लूरोइड की मात्रा ज्यादा होने पर चिकित्सक से फ्लूरोइड ट्रीटमेंट के बारे में जानकारी ली जा सकती है।
  • किशोर
  1. हर छह माह में चिकित्सक द्वारा दांतों की जांच तथा सफाई करवाएं।
  2. दांतों को नियमित रूप से ब्रश और फ्लॉस(दांतों के बीच की सफाई) करें।
  3. सोडा या एनर्जी ड्रिंक पीने की बजाय स्वास्थकारी पेय पदार्थों का सेवन करें।
  4. संतुलित आहार ग्रहण करें।
  5. यदि किशोर या किशोरी खिलाड़ी हैं की चिकित्सक के माउथ गार्ड के बारे में जानकारी लेकर खेलते समय उसका इस्तेमाल करें।
  • वयस्क
  1. दंत चिकित्सक से नियमित जांच करवाएं।
  2. दांतों को नियमित रूप से ब्रश और फ्लॉस(दांतों के बीच की सफाई) करें।
  3. फास्ट फूड तथा शर्करा की अधिकता वाला अस्वास्थकारी भोजन ग्रहण करने से बचे और पौष्टिक व संतुलित भोजन को अपनाएं।
  4. नियमित व्यायाम भी दांतों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। कई शोध के नतीजे बताते हैं की सही भोजन तथा नियमित व्यायाम पीरियडॉन्टिक्स जैसे मसूड़ों के गंभीर रोग होने का खतरा 40 प्रतिशत तक कम कर देते हैं।

पढ़े: घरेलू नुस्खों से दूर करें मुंह की बदबू

  • बुजुर्ग
  1. दंत चिकित्सक से नियमित जांच करवाएं।
  2. जबड़ों की सेहत और स्वास्थ्य के लिए चिकित्सक की मदद लें। यदि जबड़ों में किसी भी प्रकार की असहजता होती है, अपने आप डेन्चर किट का उपयोग करने की बजाय चिकित्सक को दिखाएं।
  3. जरूरत महसूस होने पर इलेक्ट्रॉनिक टूथब्रश का इस्टेमाल करें।
  4. दांत गिरने की अवस्था में चिकित्सक द्वारा नकली दांत तथा डेन्चर बनवा कर लगवाया जा सकता है।
Last Updated : Mar 20, 2021, 12:22 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.